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प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है। लेकिन कुछ अवस्थाओं में यह अभ्यास करना उचित नहीं है। इन अवस्थाओं यह हानिकारक भी हो सकता है। प्राणायाम कब नहीं करना चाहिए, प्रस्तुत लेख में हम आगे इसी विषय पर विचार करेंगे।

Pranayam kab nahi karna chahiye
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कौन सी अवस्थाओं में प्राणायाम नहीं करना चाहिए?

प्राणायाम योग का एक श्वसन अभ्यास है। श्वास इसका आधार है। इसलिए यह अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार ही करना चाहिए। सरलता और शरीर की क्षमता अनुसार किया गया अभ्यास लाभकारी होता है। कुछ शारीरिक परिस्थितियां और समस्याएं होती हैं। इसलिए इन परिस्थितियों में अभ्यास करना उचित नहीं है।

1. गंभीर रोग की स्थिति में 

श्वास रोग :- अस्थमा के गंभीर रोगी को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को श्वास रोकने वाले अभ्यास तो बिल्कुल नहीं करने चाहिए। ऐसा करना हानिकारक हो सकता है। रोग की आरम्भिक अवस्था में सरल अभ्यास कर सकते हैं।

हृदय रोग :- हृदय के गम्भीर रोगी को तीव्र गति वाले अभ्यास से बचना चाहिए। ये अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं। आरम्भिक अवस्था में सरल अभ्यास लाभकारी होते हैं।

उच्च रक्तचाप :- उच्च रक्तचाप (High BP) में कुछ अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को भस्त्रिका तथा तेज गति से कपालभाति नहीं करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित परेशानी में :- अपेंडिक्स, हर्निया, अल्सर या आंत रोगी को तीव्र गति वाले प्राणायाम नहीं करने चाहिए। हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है, तो यह अभ्यास न करें।

2. गर्भावस्था में

गर्भकाल की आरंभिक अवस्था :- आरम्भिक स्थिति में सरल अभ्यास लाभकारी होते हैं। लेकिन चिकित्सक की सलाह के बिना अभ्यास न करें।

गर्भकाल की पूर्ण अवस्था में :- गर्भ की पूर्ण अवस्था में गर्भाशय पर दबाव डालने वाले अभ्यास नहीं करने चाहिए। सांस रोकने वाले और तेज गति वाले अभ्यास भी हानिकारक हो सकते हैं। 

(और अधिक जानकारी के लिए देखें :- गर्भवती महिलाओं के लिए योग)

3. नियम विरुद्ध अभ्यास

खाना खाने के तुरंत बाद :- भोजन करने के तुरंत बाद प्राणायाम नहीं करना चाहिए। योग का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए। यदि खाना खाने के बाद योगाभ्यास करना है तो दो घंटे बाद अभ्यास करें।

अनुचित वातावरण :- प्रदूषण, घुटन तथा शोर गुल वाले स्थान में अभ्यास न करें। बरसात के मौसम में खुले मैदान में अभ्यास न करें।

गलत क्रम से अभ्यास :- योग का अभ्यास सही क्रम से किया जाना चाहिए। गलत क्रम से किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। योगाभ्यास में पहले आसन का अभ्यास करें। आसन के बाद प्राणायाम और अंत में ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। प्राणायाम का अभ्यास भी सही क्रम से करना लाभदाई होता है।

देखें :- प्राणायाम का सही क्रम क्या है?

मौसम के विरुद्ध अभ्यास :- कुछ प्राणायाम मौसम के अनुसार किए जाते हैं। क्योंकि ये अभ्यास उस मौसम में लाभदाई होते हैं। मौसम के विपरीत किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। जैसे कि, भस्त्रिका गर्मी में और शीतली व शीतकारी सर्दी के मौसम में हानिकारक हो सकते हैं।

देखें :- प्राणायाम मौसम के अनुसार 

4. क्षमता से अधिक

शारीरिक क्षमता :- सम्पूर्ण योगाभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार करना चाहिए। अधिक वृद्ध लोगों को कठिन प्राणायाम नहीं करने चाहिए। शरीर की क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास नुकसानदाई हो सकता है।

श्वास की क्षमता :- प्राणायाम में श्वास का विशेष महत्व है। इस अभ्यास में अपने श्वास की क्षमता का ध्यान रखना चाहिए। क्षमता से अधिक श्वास को रोकना हानिकारक हो जाता है।

5. चिकित्सक की सलाह के विरुद्ध

चिकित्सक की सलाह के विरुद्ध अभ्यास करना नुकसानदाई हो सकता है। रोग की अवस्था में चिकित्सा सहायता अवश्य लेनी चाहिए। यदि आपका चिकित्सक किसी अभ्यास को मना करता है, तो वह नहीं करना चाहिए।

सरलता से अभ्यास करें। सरल प्राणायाम लाभदाई होते हैं और बलपूर्वक किए गए अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं।

सारांश

योगाभ्यास में प्राणायाम एक लाभदाई अभ्यास है। यह श्वास पर आधारित क्रिया है। अत: उसका अभ्यास अपने श्वास की स्थिति के अनुसार करना चाहिए। सरलता से प्राणायाम करना लाभकारी होता है। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्व प्राणायाम अभ्यास हानिकारक होते हैं। कुछ शारीरिक अवस्थाओं में यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।

Disclaimer

यह लेख चिकित्सा हेतु नहीं है। इस लेख का उद्देश्य प्राणायाम की सामान्य जानकारी देना है। प्राणायाम योग की एक क्रिया है। इसका अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार करना चाहिए।

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