- रक्तचाप (BP) और प्राणायाम।
- High BP मे प्राणायाम की सावधानियां।
- उच्च रक्तचाप मे वर्जित प्राणायाम।
- उच्च रक्तचाप के सरल प्राणायाम।
रक्तचाप को सन्तुलित करे, प्राणायाम
ब्लड प्रेशर हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इसको सन्तुलित रखने के लिए "योग" एक प्रभावशाली विधि है। BP को सामान्य रखने के लिए सही खान-पान व नियमित योग जरूरी है। योगाभ्यास मे आसन व प्राणायाम दोनो क्रियाएं लाभकारी हैं। प्रस्तुत लेख में विस्तार से वर्णन किया जायेगा कि रक्त चाप नियन्त्रण के लिए प्राणायाम कैसे करें?
प्राणायाम से पहले आसन का अभ्यास करें। आसन के अभ्यास के बाद प्राणायाम करें। (उच्च-रक्तचाप वाले व्यक्ति सरल आसन कैसे करें? यह विस्तार से जानने के लिए हमारा अन्य लेख देखें :-- उच्च रक्तचाप मे आसन कैसे करें? )
आईए पहले यह जान लेते हैं कि रक्तचाप या ब्लड प्रेशर क्या है? और इसको प्राणायाम कैसे प्रभावित करता है?
रक्तचाप (B P) और प्राणायाम
रक्त-संचार शरीर के लिये एक महत्वपूर्ण क्रिया है। यह क्रिया हृदय (Heart) के द्वारा की जाती है। हृदय रक्त को पम्प करते हुए पूरे शरीर मे भेजता है, और वापिस लेकर आता है। हृदय द्वारा जो दबाव बनाया जाता है इसी को 'रक्त-चाप' या 'ब्लड-प्रेसर' कहा जाता है। इस का सामान्य बना रहना स्वस्थ शरीर के लिये जरूरी है।
रक्तचाप का सम्बन्ध हृदय व श्वांसों से है। प्राणायाम का भी मुख्य आधार श्वास ही है। (विस्तार से देखें :- प्राणायाम श्वास की एक अवस्था ) यह क्रिया हृदय व श्वांसों पर सीधा प्रभाव डालती है। अत: प्राणायाम शरीर के रक्तचाप को सुचारु रखने के लिए एक प्रभावी क्रिया है। लेकिन High BP वाले व्यक्ति प्राणायाम कैसे करें? प्राणायाम मे कोन सी सावधानियां रखें? आईए इसके बारे मे विस्तार से जान लेते हैं।
प्राणायाम मे सावधानियां
- योगा मैट, दरी या कपड़े का आसन (सीट) बिछाएं।
- पहले कुछ सरल आसन करें। (आसनों के बारे मे हमारा पिछला लेख देखें)
- आसनों के बाद विश्राम करें। और उठ कर बैठ जाएं।
- पद्मासन, सुखासन या कोई भी आरामदायक स्थिति मे बैठें।
- प्राणायाम करते समय कमर (रीढ) व गरदन को सीधा रखे। रीढ को झुका कर न बैठें।
- सरल प्राणायाम करें।
- श्वास रोग या हृदय रोग से पीड़ित हैं तो कुम्भक न लगाएं। (श्वास रोकने को कुम्भक कहा गया है)। यदि कुम्भक लगाना है तो अपने श्वासो की क्षमता को ध्यान मे रखें।
- एक प्राणायाम करने के बाद श्वांसों को सामान्य करे। श्वांसों के सामान्य होने के बाद ही अगला प्राणायाम करें।
- High BP वाले व्यक्ति तीव्र गति वाले प्राणायाम न करें।
उच्च रक्तचाप मे वर्जित प्राणायाम।
- भस्त्रिका प्राणायाम :- यह तीव्र गति से किया जाने वाला तथा रक्तचाप की वृद्धि करने वाला अभ्यास है। अत: High BP मे इसको नहीं करना चाहिए। (यदि श्वास और हृदय रोग नही है तो इस प्राणायाम को धीमी गति से करे। इसे केवल शरद ऋतु मे ही करे। कम आवर्तियां करें।)
- सूर्यभेदी प्राणायाम :- यह सूर्य नाड़ी को प्रभावित करने वाला प्राणायाम है। यह रक्तचाप में वृद्धि करने वाली क्रिया है। अत: High BP में इसको नही करना चाहिए।
- कुम्भक (श्वास रोकना) :- प्राणायाम के वास्तविक लाभ कुम्भक से ही मिलते हैं। (श्वास को अंदर या बाहर रोकने की क्रिया को कुम्भक कहा जाता है)। यदि श्वांसों की स्थिति ठीक नही है या हृदय-रोग से पीड़ित हैं, तो कुम्भक न लगाएं। यदि श्वा़ंसों की स्थिति ठीक है तो क्षमता के अनुसार ही कुम्भक लगाएं।
उच्च रक्तचाप के लिए सरल प्राणायाम।
हमारे श्वांसों की स्थिति शरीर की अवस्था के अनुसार होती है। प्राणायाम मुख्यत: श्वांसों पर आधारित क्रिया है। अत: प्राणायाम करते समय श्वांसों की स्थिति का ध्यान रखना चाहिए। योग में कोई भी क्रिया बल-पूर्वक न करे। सरलता से करें। नीचे बताए गये अभ्यास उच्च रक्तचाप में सरलता से किये जा सकते हैं।
1. श्वांस-प्रश्वांस
प्राणायाम का आरम्भ श्वांस-प्रश्वांस से करें। श्वांस-प्रश्वांस हमारे जीवन का आधार है। प्राणायाम मे भी इसको महत्व दिया गया है। प्राणायाम मे तीन अवस्थाएं बताई गई हैं :-
- 1. श्वास :- नासिका द्वारा प्राण वायु को अंदर भरना। (पूरक)
- 2. प्रश्वांस :- भरे हुए श्वास को बाहर छोङना। (रेचक)
- 3. श्वास रोकना :- श्वास को क्षमता के अनुसार अंदर या बाहर रोकना। (कुम्भक)
आरम्भ मे केवल श्वांस-प्रश्वास का अभ्यास करें।
विधि :-
- पद्मासन या सुखासन में बैठें।
- रीढ व गर्दन को सीधा रखें। दोनों हाथ घुटनो पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। आंखें कोमलता से बंध करें।
- धीरे-धीरे लम्बा, गहरा श्वास भरें।
- पूरा श्वास भरने के बाद धीरे-धीरे श्वास खाली करें।
- यह एक आवर्ती हुई। इसी प्रकार चार-पांच आवर्तियां करे।
- अन्त मे श्वास को सामान्य करें।
- श्वास सामान्य होने के बाद अगला प्राणायाम करें।
2. कपालभाति
रक्तचाप (BP) को सामान्य रखने वाला, उत्तम प्राणायाम है। लेकिन यह ध्यान रहे कि इसे तीव्र गति से न किया जाए। आरम्भ मे इसकी गति को धीमी रखें और कम आवर्तियां करें। आवर्तियां अपनी क्षमता के अनुसार करें। श्वांसों को सामान्य करते रहें।
विधि :-
- पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठें।
- दोनो हाथ घुटनों पर।
- कमर व गर्दन को सीधा रखें। आंखे कोमलता से बंध करें।
- पेट को अंदर की ओर करते हुए श्वास को वेग से बाहर निकाले। श्वास भरने की गति सामान्य रखें। केवल श्वास छोड़ने मे गति रखे। श्वास छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर करें।
- चार-पांच आवर्तियां या क्षमता के अनुसार आवर्तियां करने के बाद वापिस आ जाएं।
- श्वांसों को सामान्य करें।
3. अनुलोम विलोम
यह एक सरल व लाभकारी प्राणायाम है। इसको सरलता से किया जा सकता है। इसको कपालभाति के बाद अवश्य करना चहिए। यह कपालभाति के लाभ मे वृद्धि करता है। तथा BP को सामान्य करने सहायक होता है।
विधि :-
- पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
- रीढ व गरदन को सीधा रखें।
- आंखे कोमलता से बंध करें।
- बांया हाथ ज्ञान मुद्रा मे रखें।
- दांए हाथ से प्राणायाम मुद्रा बना कर दांए हाथ को नासिका के पास ले आये। (प्राणायाम मुद्रा :- अंगूठे के साथ वाली दो उंगलियां मोड़ लें। अंगूठा नासिका के दांई तरफ तथा तीसरी उंगली नासिका के बांई तरफ रहे)।
- अंगूठे से दांई नासिका बंध करें। बांई नासिका से धीरे-धीरे लम्बा व गहरा श्वास भरें।
- पूरा श्वास भरने के बाद बांई नासिका को बंध करें। दांई तरफ से श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें।
- पूरी तरह श्वास खाली करने के बाद दांई तरफ से श्वास भरें।
- पूरी तरह श्वास भरने के बाद दांई नासिका बंध करें। बांई तरफ से श्वास खाली करें।
- यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार चार-पांच या क्षमता अनुसार अन्य आवर्तियां करें।
- अन्त मे दांया हाथ नीचे ले आँये। श्वासों को सामान्य करे।
4. चंद्र भेदी प्राणायाम
यह चंद्र नाड़ी को प्रभावित करने वाला प्राणायाम है। चंद्र नाडी शरीर को शीतलता देती है और सूर्य नाड़ी को संतुलित करती है। निम्न रक्तचाप (Low BP) मे इसे नही करना चाहिए। शरद ऋतु में यह प्राणायाम वर्जित है। इसे केवल गर्मी के मौसम में ही करना उत्तम है।
विधि :-
- पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
- बांया हाथ ज्ञान मुद्रा में।
- दांये हाथ से प्राणायाम मुद्रा बना कर दांया हाथ नासिका के पास ले आंए। दांये हाथ का अंगूठा नासिका के दांई तरफ तथा तीसरी उंगली नासिका के बांई तरफ रहे।
- दांई नासिका बंध करें।
- बांई नासिका से श्वास का पूरक करे।
- पूरी तरह श्वास भरने के बाद बांई नासिका को बंध करे। दांई तरफ से श्वास खाली (रेचक) करें।
- यह एक आवर्ती पूरी हुई।
- दूसरी आवर्ती के लिए फिर बांई तरफ से श्वास का पूरक और दांए से रेचक करें।
- चार-पांच या क्षमता के अनुसार अन्य आवर्तियां करें।
- अन्त मे हाथ नीचे ले आएं। श्वास सामान्य करे।
सारांश :-
रक्तचाप (BP) शरीर के रक्त संचार के लिये एक आवश्यक क्रिया है। स्वास्थ्य के लिये इसका सामान्य रहना जरूरी है। प्राणायाम इसके लिये एक प्रभावी क्रिया है। लेकिन इसे सावधानी के साथ किया जाना चाहिये। संतुलित आहार तथा नियमित योग से BP को सामान्य रखा जा सकता है।
Disclaimer :-
BP (रक्तचाप) को सामान्य रखने के लिए योग लाभकारी क्रिया है। यह लेख किसी प्रकार के रोग उपचार का दावा नही करता है। इस लेख का उद्देश्य केवल योग के लाभ से अवगत कराना है। BP के असामान्य होने पर स्वास्थ्य चैक-अप नियमित करवाएं और चिकित्सक से सलाह अवश्य करें।