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शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग को एक लाभदायी क्रिया माना जाता है। लेकिन यह केवल मात्र शारीरिक अभ्यास नही है। यह शरीर के साथ मन-मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है। महर्षि पतंजलि ने चित्तवृत्तियों के निरोध को ही योग कहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग एक प्रभावी क्रिया है। मनोरोग या डिप्रेशन मे योग लाभदायी क्रिया है। Yoga for mental health क्या है? यह अभ्यास कैसे करना चाहिए? प्रस्तुत लेख मे इसको विस्तार से बताया जायेगा।

योग से मानसिक लाभ|Mental Health by Yoga

मैंटल हैल्थ के लिए योग बहुत महत्वपूर्ण है। मानसिक शान्ति तथा मन की एकाग्रता ही योग का मुख्य उद्देश्य है। "शरीर" व "मन" दोनो एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अत: मानसिक स्वास्थ्य के लिए दोनो का स्वस्थ होना जरूरी है। योग मानसिक अवसाद (Depression) के लिए लाभदायी क्रिया है।

इसके लिए आसन, प्राणायाम व ध्यान(Meditation) का अभ्यास किया जाना चाहिए। ये तीनो क्रियाएँ मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी हैं। इन तीनो क्रियाओ का सही विधि से अभ्यास कैसे करना चाहिए, लेख मे आगे इसका वर्णन किया जाएगा।

इस लेख की विषय सूची :

1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए आसन
  • आसन का प्रभाव।
  • आसन कैसे करें?
  • आसन की विधि।
  • लाभदायी आसन।
2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम
  • प्राणायाम के प्रभाव।
  • प्राणायाम कैसे करें?
  • प्राणायाम की विधि।
  • मुख्य प्राणायाम।

3. मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान(Meditation)

  • ध्यान का महत्व।
  • ध्यान की विधि।
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1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए आसन

योगाभ्यास मे पहले आसन का अभ्यास करना चाहिए। यह शरीर को प्रभावित करने वाली क्रिया है। मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए योगासनों का क्या प्रभाव है? इसकी सही विधि क्या है? आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

आसन के प्रभाव :

शरीर पर प्रभाव :- आसन का अभ्यास शरीर के आन्तरिक अंगों को सक्रिय करता है। ये अंग शरीर के राशायनो व तत्वों को सन्तुलित करते हैं।

रक्त संचार का सन्तुलन :- यह अभ्यास रक्त संचार का प्रवाह मस्तिष्क की ओर करता है। रक्त-संचार को सन्तुलित करता है।

मन की एकाग्रता :- नियमित आसन का अभ्यास मन को एकाग्र करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है।

आसन का अभ्यास कैसे करें? 

आसन का अभ्यास करते समय इन बातों को ध्यान मे रखा जाना चाहिए :-

• सरल आसन करे :- आसन का अभ्यास सरलता से करें। सरलता से किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। जिस आसन की स्थिति मे आराम व सुख का अनुभव होता है वही आसन करें। शरीर को कष्ट देने वाले आसन न करें।

• स्थिरता से आसन करें :- आसन का अभ्यास धीरे-धीरे आरम्भ करें, आसन की पूर्ण अवस्था में पहुचें। पूर्ण अवस्था मे पहुँचने के बाद स्थिरता के साथ कुछ देर रुकें। ध्यान को शरीर के प्रभावित अंगों पर केन्द्रित करें। क्षमता अनुसार कुछ देर स्थिति मे रुकने के बाद धीरे से वापिस आ जाएँ। कुछ सैकिंड का विश्राम करें।

• एकाग्रता से अभ्यास :- आसन का अभ्यास एकाग्रता से किया जाना चाहिए। आसन करते समय आँखें कोमलता से बन्ध रखें तथा मन को एकाग्र करें। इसके लिए ध्यान को शरीर पर या प्रभावित अंगों पर केन्द्रित करें। प्रयास करे कि अभ्यास करते समय कोई अन्य विचार मन मे न आये।

आसन की विधि :

सुबह का समय योगाभ्यास के लिए उत्तम माना जाता है। लेकिन यह अभ्यास खाली पेट से दिन मे किसी अन्य समय मे भी किया जा सकता है।

• किसी समतल स्थान पर योगा-मैट या चटाई बिछाएँ।
पहले क्रम मे खड़े हो कर कुछ अभ्यास करें।
दूसरे क्रम में बैठ कर किये जाने वाले अभ्यास करें।
तीसरे क्रम में पेट के बल लेट कर आसन करें।
चौथे क्रम में पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसन करें।
अन्त मे सीधे लेट कर विश्राम करें।

लाभदायी आसन :

सभी व्यक्तियों की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है। इस लिए आसन का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार करना चाहिए। सरलता से किये जाने वाले आसन लाभदायी होते हैं। अत: अपने शरीर की अवस्था के अनुकूल आसनों का चयन करें।

1. खड़े हो कर किये जाने वाले आसन :

• सूर्य नमस्कार आसन।
• ताड़ासन।
• हस्तपाद आसन।
• त्रिकोण आसन।

2. बैठ कर किये जाने वाले आसन :

• पश्चिमोत्तान आसन।
• वज्रासन।
• उष्ट्रासन।
• शशाँक आसन।

3. पेट के बल लेट कर किये जाने वाले अभ्यास :

• भुजंग आसन।
• धनुरासन।

4. पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसन :

• हलासन।
• चक्रासन।
• सर्वांग आसन व मत्स्य आसन।
• शीर्ष आसन।

इन आसनो मे से कुछ आासनों का चयन अपनी क्षमता अनुसार करें। सभी आसन का अभ्यास करने के बाद कुछ देर शवासन मे विश्राम करें। विश्राम के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम

प्राणायाम योग का एक श्वसन अभ्यास है। यह श्वसन तंत्र को सुदृढ करने के साथ शरीर के लिए ऊर्जादायी भी है। इस अभ्यास मे बन्ध व कुम्भक विशेष महत्व है। ये शरीर की ऊर्जा को ऊर्घ्वगामी (ऊपर शीर्ष-भाग की ओर उठने वाली) करते हैं। लेकिन प्राणायाम में बंध व कुम्भक का प्रयोग कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति को नही करना चाहिए।

प्राणायाम के प्रभाव :

प्राणायाम मैंटल हैल्थ के लिए एक प्रभावी क्रिया है। यह श्वास, प्राण, रक्त-संचार तथा शरीर के सभी तत्वों को सन्तुलित करता है।

• ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी करता है :-  सामान्यत: शरीर की ऊर्जा नीचे की ओर संचारित होती है। इसे अधोगामी ऊर्जा कहा जाता है। नियमित प्राणायाम अभ्यास इस ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी करता है। इस अभ्यास से ऊर्जा नीचे से उठ कर ऊपर सहस्रार (सिर) की ओर जाने लगती है। यह मस्तिष्क को प्रभावित करती है।

• रक्त संचार को व्यवस्थित करता है :- प्राणायाम का अभ्यास रक्त के संचार को व्यवस्थित करता है। यह रक्त चाप को सन्तुलित रखता है। "व्यवस्थित रक्त-संचार" तथा "सन्तुलित रक्तचाप" मानसिक अवस्था के लिए लाभदायी होते हैं।

• रसों व राशायनों को व्यवस्थित करता है :- नियमित प्राणायाम अभ्यास शरीर के सभी तत्वों को सन्तुलित करता है। ये मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

प्राणायाम कैसे करें :

• श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास :- यह श्वास पर आधारित अभ्यास है। अत: अपने श्वास की स्थिति के अनुसार अभ्यास करें। यदि श्वास की स्थिति ठीक है तो कुम्भक का प्रयोग अवश्य करें। कुम्भक सहित किया गया प्राणायाम अधिक लाभदायी होता है। लेकिन कमजोर श्वसन वाले व्यक्तियों को सरल अभ्यास करना चाहिए।

(कुम्भक :- श्वास रोकने की अवस्था को कुम्भक कहा जाता है। )

• एकाग्रता :- प्राणायाम का अभ्यास भी एकाग्रता से करें। एकाग्रता के लिए आँखें कोमलता से बन्ध रखें। ध्यान को श्वासों पर केन्द्रित करें।

प्राणायाम की विधि :

आसन का अभ्यास करने के बाद कुछ देर विश्राम करें। विश्राम के बाद प्राणायाम अभ्यास करें।

• पद्मासन या सुखासन पोज में बैठें।
• रीढ व गर्दन को सीधा रखें।
• दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें।
• आँखें कोमलता से बन्ध करें।
• नीचे बताये गये प्राणायाम अभ्यास अपनी शारीरिक अवस्था अनुसार करें।

मुख्य प्राणायाम अभ्यास :

मानसिक स्वास्थ्य लाभ देने वाले ये कुछ मुख्य प्राणायाम अभ्यास हैं :-

कपालभाति व अनुलोम-विलोम :- पहले कपालभाति का अभ्यास करें। कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास लाभदायी होता है। कपालभाति "कपाल" व "शीर्ष" भाग को प्रभावित करता है। इस अभ्यास के बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम ईडा व पिंगला दोनो नाड़ियों को सन्तुलित करता है। ये दोनों अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

देखें पूरी विधि :- कपालभाति कैसे करें? 

भस्त्रिका व उज्जायी प्राणायाम :- योगाभ्यास में भस्त्रिका एक विशेष प्राणायाम है। यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्रिया है। यह एक ऊर्जादायी अभ्यास है। यह अभ्यास गर्मी के मौसम मे नही किया जाना चाहिए। इस अभ्यास के बाद उज्जायी प्राणायाम करना अधिक प्रभावी है। यह भस्त्रिका की ऊर्जा को सन्तुलित करता है।

देखे पूरी विधि :- भस्त्रिका प्राणायाम कैसे करें?

भ्रामरी प्राणायाम :- यह प्रााणायाम भी शरीर के शीर्ष भाग को प्रभावित करता है। यह एक सरलता से किया जाने वाला अभ्यास है।

विधि :- पद्मासन, सुखासन या किसी आरामदायक पोज में बैठें। रीढ व गर्दन को सीधा रखें। दोनों हथेलियाँ चेहरे के सामने रखें। उँगलियाँ नेत्रों व नासिका के सामने रखें। दोनों अंगूठों से दोनो कानो को बन्ध करें। लम्बा श्वास भरें। होठों को बन्ध रखें। कण्ठ से ध्वनि का उच्चारण करें। सुनिश्चित करें कि केवल अपनी ध्वनि ही सुनाई दे। पूरी तरह श्वास बाहर निकलने के बाद फिर से श्वास भरें और वही क्रिया फिर से दोहराएँ। तीन-चार आवर्तियाँ पूरी करने के बाद वापिस आ जाएँ।

नाड़ीशोधन प्राणायाम :

शरीर मे 72000 प्राणिक-नाड़ियाँ बताई गई हैं। ये अति सूक्ष्म हैं। इन के द्वारा ही पूरे शरीर मे प्राणों का संचार होता है। लेकिन कई बार इन मे अवरोध आ जाते हैं। नाड़ीशोधन प्राणायाम से इन अवरोधों को हटाया जा सकता है।

देखें पूरी विधि :- नाड़ीशोधन क्या है?

3. मानसिक स्वास्थ्य हेतू ध्यान (Meditation) :

महत्व :- आसन व प्राणायाम करने के बाद ध्यान (Meditation) का अभ्यास करें। मानसिक स्वास्थ्य के लिये ध्यान का विशेष महत्व है। यह क्रिया मानसिक अवसाद (Depression) को दूर करने मे सहायक होती है। यह मानसिक शान्ति देने वाली क्रिया है। इस क्रिया मे मन को एकाग्र किया जाता है।

विधि :

• आरामदायक पोज मे स्थिरता के साथ बैठें।
• रीढ व गर्दन को सीधा रखें।
• दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनो पर रखें।
• आँखें कोमलता से बन्ध रखें।
• शान्त मन से बैठें।
• आरम्भ में ध्यान को श्वासों पर केन्द्रित करें। आते-जाते श्वासों का अवलोकन करें।
• कुछ देर यहाँ रुकने के बाद ध्यान को आज्ञाचक्र (माथे के मध्य) मे केन्द्रित करें।
• आज्ञाचक्र मे "ज्योति" या अपने किसी "आराध्य" पर ध्यान केन्द्रित करें। इसके बाद कुछ देर निर्विचार भाव (मन मे बिना कोई विचार) से बैठें।
• अन्त मे ॐ (ओम) का उच्चारण करते हुए ध्यान की स्थिति से बाहर आएँ।

लेख का सारांश :

योग मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए एक लाभदायी क्रिया है। इसका नियमित अभ्यास डिप्रेशन के लिए प्रभावी है। इसके लिए आसन, प्राणायाम व ध्यान तीनो क्रियाओ का अभ्यास करना चाहिए।

Disclaimer :

यह लेख किसी रोग उपचार के लिए नही है। यह योग की एक सामान्य जानकारी है। मानसिक रोग की अवस्था मे चिकित्सक से सलाह लें। चिकित्सक की सलाह से योग का अभ्यास किया जाना चाहिए।

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