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सर्वांग आसन एक महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन से शरीर के सभी अंग प्रभावित होते है। इस लिए इसका नाम सर्वांग आसन है। यह आसन हृदय और मस्तिष्क को विशेष प्रभावित करता है। इस आसन को करने से रक्त का प्रवाह हृदय तथा मस्तिष्क की ओर हो जाता है। हृदय को स्वस्थ रखने वाला आसन, सर्वांग आसन क्या है? इस आसन को कैसे करें? इस आसन के लाभ और सावधानियाँ क्या हैं?

(English version of this article :- Sarvangasana.


लेख की विषय सूची :--
  • सर्वांग आसन स्वास्थ्य हृदय के लिए
  • आसन की विधि, लाभ व सावधानियां
  • सर्वांग आसन के बाद मत्स्य आसन

सर्वांग आसन स्वास्थ्य हृदय के लिए 

सर्वांग आसन एक लाभकारी आसन है। इस आसन को करने से शरीर के सभी अंग प्रभाव मे आते हैं। इस आसन से शरीर का रक्त प्रवाह हृदय तथा मस्तिष्क के ओर होता है। इस लिये यह आसन हृदय को मजबूती देने वाला आसन माना गया है।

इस आसन के बाद इसका पूरक आसन भी करें। मत्स्य आसन इस आसन का पूरक आसन है। अत: पहले सर्वाग आसन करें, और उसके बाद मत्स्य आसन भी करें।

सर्वांग आसन विधि, लाभ व सावधानियां :

योगासन मे यह एक महत्वपूर्ण व लाभकारी आसन है। इस आसन मे हलासनपादोतान आसन दोनो के लाभ मिलते हैं। यह सभी अंगों को प्रभावित करने वाला आसन है। यह आसन हृदय, थायराईड ग्रंथी, पेट की आंत व पैरों की मांसपेशियों को विशेष प्रभावित करता है।

सर्वांग आसन कैसे करे? इस आसन की विधि क्या है? तथा इसके लाभ व सावधानियां क्या हैं? आईए इन सब के बारे मे समझ लेते हैं।

सर्वांग आसन की विधि :

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  • इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ। 
  • दोनो हाथ सीधे कमर के साथ दाँये बाँये  रखें।
  • एङी व पंजे मिला कर रखे।
  • घुटने सीधे रखते हुए धीरे धीरे दोनो पैर ऊपर उठाएँ।
  • थोङा सा पैरों को सिर की ओर ले जाएँ और हलासन की स्थिति मे थोङी देर रुकें।
  • दोनो हाथों से कमर को सहरा देते हुये कमर से मध्य भाग को ऊपर उठाए और पैर आसमान की तरफ करें। और पंजे खीँच कर रखें।
  • सामर्थ्य के अनुसार स्थिति में रुकने के बाद धीरे धीरे पैर सीधे रखते हुए वापिस आ जाएँ।

  • पैरों को धीरे-धीरे आसन पर टिकाएँ। 

  • दोनों पैरों मे थोङी दूरी बनाएँ और कुछ देर विश्राम करे। 

सर्वांग आसन की सावधानियां :

  • इस आसन को करते समय शरीर को ढीला न रखें।
  • पैरों को ऊपर उठाते समय घुटनें सीधे रखें।
  • धीमी गति में दोनों पैरों को ऊपर उठायें। 
  • पूर्ण स्थिती में जाने के लिए शरीर पर बल का प्रयोग न करें।
  • आसन से वापिस आते समय धीरे धीरे पैरों को नीचे लेकर आयें। 
  • घुटने सीधे रखें। पैर धीरे से नीचे रखें।
  • आये हुये तनाव को दूर करने के लिए थोङा विश्राम करें।
  • इस आसन के बाद मत्स्य आसन अवश्य करें।

किसको नहीं करना :

  • गर्भवती महिलाएँ इस आसन को न करें। 
  • रीढ की परेशानी वाले व्यक्ति यह आसन न करें
  • जिन व्यक्तियों के पेट का अभी-अभी आपरेशन हुआ है, वे इस आसन को न करें।
  • इस आसन को हृदय रोगी और अस्थमा पीङित व्यक्ति न करें।
  • महिलाएँ, मासिक-धर्म (पीरियड्स) के समय इस आसन को न करें।
  • गम्भीर आँत रोगी यह आसन न करें।

सर्वांग आसन के लाभ :

जैसा इस आसन का नाम है, यह आसन शरीर के लगभग सभी अंगों को प्रभावित करता है। मुख्यत: यह हृदय को स्वस्थ रखने वाला आसन है। इस आसन के करने से अनेकों लाभ हैं। इन में कुछ मुख्य लाभ ये हैं :-- 

  • पैरों को ऊपर करने से रक्त-प्रवाह हृदय और मस्तिष्क की ओर प्रवाहित होता है। 
  • रक्त-प्रवाह के हृदय और मस्तिष्क की ओर होने से इन दोनों को पुष्टि मिलती है।
  • इस आसन को करने से शीर्षासन के लाभ मिलते हैं।
  • इस आसन से थायराइड ग्रंथी प्रभावित होती है।थायराइड रोगों मे लाभ मिलता है।
  • पेट की आँते सुदृढ होती है।
  • यह आसन महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी है। 

विशेष :--- इस आसान का अधिक लाभ लेने के लिए इस आसन को करने बाद मत्स्य आसन अवश्य  करें।     

मत्स्य आसन :

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  • सर्वांग आसन के बाद लेटने की स्थिति मे दोनो पैर पद्मासन की स्थिति मे रखें अर्थात लेटे-लेटे पद्मासन लगाएँ।
  • दोनो हाथों से दोनों पैरो के अंगूठे पकङे और दोनो कोहनियो का सहारा लेकर मध्य भाग ऊपर उठाएँ। 
  • पूर्ण स्थिती मे घुटने और सिर आसन पर तथा मध्य भाग आसन से ऊपर उठा हुआ रहे। 
  • नये साधक यदि आरम्भ मे मध्य भाग को ऊपर उठाने मे असमर्थ  हो तो अधिक प्रयास ना करे
  • कुछ देर रुके। इसके बाद मध्यभाग आसन पर टिकाएँ।
  • पैर खोल कर सीधे करे। शरीर ढीला छोङ कर विश्राम करे। 

मत्स्य आसन के लाभ :

  • इस आसन से रक्त प्रवाह मस्तिष्क की ओर ठहरता है।
  • यह आसन सर्वांग आसन से मिलने वाले लाभ मे वृद्धि करता है।
  • यह सर्वांग आसन का पूरक आसन है अत: इसे सर्वांग आसन के बाद करना अवश्यक है।

सारांश :

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए यह एक उत्तम आसन है। इस आसन को करने से रक्त का प्रवाह हृदय और मस्तिष्क की ओर हो जाता है। इस आसन के बाद मत्स्य आसन करने से लाभ मे वृद्धि होती है।

Disclaimer :

यह लेख किसी प्रकार की चिकित्सा हेतू नही है। यह आसन केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। इस आसन को अपनी क्षमता अनुसार करें। लेख मे बताए गये नियम व सावधानियों का पालन करें।

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