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आज के समय में  कमर दर्द (Lower back pain) एक आम परेशानी हो गई है। Office-Workers, Students, तथा लगातार बैठ कर काम करने वाले व्यक्ति इस दर्द से पीड़ित हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण है, अनियमित जीवन शैली तथा शारीरिक अभ्यास न करना। नियमित योगासन इसके लिये प्रभावी होते हैं। इस लेख मे लोअर बैक पेन (कमर दर्द) के लिए योग आसन के बारे मे बताया जायेगा। 

विषय सुची :-

  • कमर दर्द (Lower Back Pain) के योगासन :
  • 1. पश्चिमोत्तान आसन
  • 2. उष्ट्रासन
  • 3. शशांक आसन
  • 4. भुजंग आसन
  • 5. धनुरासन
  • 6. हलासन
  • 7. चक्रासन

कमर दर्द के आसन। Yoga for Lower Back pain.

रीढ हमारे शरीर का आधार है। उत्तम स्वास्थ्य के लिये रीढ का लचीला (Flexible) होना जरूरी है। शारीरिक अभ्यास न करने के कारण इसमें सख्ती आने लगती है। और यह पीठ दर्द का कारण बनता है। योग आसन रीढ की सख्ती को दूर करते हैं और इसे लचीला बनाते हैं।

अनियमित दिनचर्या व गलत तरीके बैठना, Lower Back-Pain का कारण बनते हैं। रीढ के चोटग्रस्त होने के कारण भी पीठ दर्द हो सकता है। चोटग्रस्त स्थिति मे आसन न करे। यदि रीढ मे कोई क्षति नही तो ये 7आसन करें, और रीढ को स्वस्थ रखें।

Back pain के लिए योग आसन

Lower back pain से बचने के लिये इन आसनों नियमित करें। आसन का अभ्यास करने के लिये योगा-मैट या कपड़े की सीट बिछाये। पहले खड़े होकर शरीर को वार्म अप करें। आसन (सीट) पर बैठ जाये। हाथ पीछे टिकाएं। कुछ सैकिंड विश्राम के बाद आसन आरम्भ करें।

1. पश्चिमोत्तान आसन

यह बैठ कर किया जाने वाला आसन है।.यह पीठ दर्द के लिये उत्तम आसन है। इस आसन से कमर, पीठ तथा पैरो की मांसपेशियां प्रभाव मे आती हैं।

पश्चिमोत्तान शब्द 'पश्चिम' और 'उत्तान' से मिलकर बना है। यहाँ 'पश्चिम' का अर्थ 'पीछे' या 'पीठ' (Back) है। तथा 'उत्तान' का अर्थ 'खिंचाव' है। इस आसन को करने से पीठ पर विशेष प्रभाव पङता है। इसी लिए इस आसन को पश्चिमोत्तान आसन कहा गया है।

पश्चिमोत्तान आसन की विधि :

  • मैट या कपङे के आसन पर बैठें।
  • दोनो पैर सामने की ओर फैलाये। एङी, पँजे व घुटने मिलाकर रखें। दोनो हाथों को घुटनों पर रखे।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखे कोमलता से बन्ध करें।
  • धीरे-धीरे दोनो हाथ सामने की ओर रखते हुये ऊपर उठायें। श्वास भरते हुये दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचें। श्वास छोङते हुये आगे की ओर झुकें।
  • दोनो हाथों से पैर के पँजे पकङने का प्रयास करें। माथा घुटनों के पास ले जाने का प्रयास करें। श्वास सामान्य करके स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • क्षमता के अनुसार रुकने के बाद श्वास भरते हुये ऊपर उठें। हाथों को दाँये बाये से लेते हुये नीचे ले आयें। हाथों को पीछे टिकायें। पैरो के बीच मे कुछ दूरी बनाये। विश्राम करें।

आसन की सावधानियाँ।

  • धीमी गति से आगे झुकें, और धीमी गति से ऊपर उठें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार आगे झुकें। सरलता से जितना झुक सकते हैं, उतना ही झुकें।
  • यदि आसन की पूर्ण स्थिति तक नही जा सकते हैं., तो अधिक प्रयास न करे। सरलता से करना लाभकारी है। बलपूर्वक करना हनिकारक हो सकता है।
  • रीढ की परेशानी है तो यह आसन न करें। पेट मे हार्निया या गम्भीर आँत रोग है तो यह आसन न करें।
  • पेट या पैर की सर्जरी हुई है तो आसन न करे। गर्भवती महिलाये इस आसन को न करें।

2. उष्ट्रासन :

यह आसन वज्रासन की स्थिति मे बैठ कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन से रीढ (Lower-Back) पर विशेष प्रभाव पङता है। कमर-दर्द के लिये यह उत्तम आसन है।

इस आसन का नाम 'उष्ट्र' से लिया गया है। संस्कृत भाषा मे 'ऊष्ट्र' का अर्थ है, ऊँट। इस आसन मे ऊँट की आकृति बनती है इस लिये इसे उष्ट्रासन (Camel Pose) कहा गया है।

आसन की विधि।

  • दोनों घुटने मोङ कर घुटनो के बल बैठे। दोनो घुटने व पैरों के पँजे मिला कर रखें। दोनो एङियो मे थोङा गैप रखें। एङियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठें।
  • दोनों हाथ घुटनो पर रखें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखों को कोमलता से बन्ध कर लें।
  • मध्य भाग को ऊपर उठा कर  घुटनो के बल आ जाँए। घुटनो मे थोङा अंतर (Gap) रखें। पँजो को घुटनों के समानान्तर रखें। दोनो हाथों को कमर पर रख लें। अगूंठे पीठ पर रीढ के पास तथा उँगलियाँ कमर पर रखें।
  • धीरे से गरदन को पीछे की ओर झुकाएँ। धीरे-धीरे रीढ को पीछे की ओर झुकाएँ। यहाँ कुछ सैकिंड के लिये रुकें। (नये अभ्यासी यहाँ से  वापिस आ जाये। नियमित अभ्यासी आसन को जारी रखें)
  • रीढ क्षमता के अनुसार पीछे की ओर झुकने के बाद, दाँया हाथ दाँयी एङी पर ले आएँ। बाँया हाथ कमर से हटा कर बाँयी एङी पर लेआएँ। यह आसन की पूर्ण स्थिति है। स्थिति मे कुछ देर रुकें।

  • क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापसी आरम्भ करें। पहले दाँया हाथ कमर पर ले जाये। उसके बाद बाँया हाथ कमर पर रखें। धीरे-धीरे रीढ को सीधा करें। वज्रासन मे बैठें। विश्राम करें

आसन की सावधानियाँ :

  • इस आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करे। धीरे धीरे आसन की स्थिति में जाएँ। क्षमता अनुसार कुछ देर रुके। स्थिति से धीरे धीरे वापिस आ जाएँ।
  • सरलता से आसन करें। जहाँ पर परेशानी अनुभव हो वहाँ रुक जाये। और वापिस आ जाएँ।
  • बलपूर्वक आसन न करें। सरलता से किया गया आसन लाभकारी है। बलपूर्वक आसन करना हानिकारक हो सकता है।
  • रीढ के क्षतिग्रस्त होने पर यह आसन नही करना चहाये। गर्भवती महिला यह आसन न करें। पेट के गम्भीर रोगी यह आसन न करें।

3. शशांक आसन :

यह आसन भी वज्रासन की स्थिति मे किया जाता है। यह उष्ट्रासन का विपरीत आसन है। उष्ट्रासन मे रीढ को "पीछे की ओर" प्रभावित किया जाता है। इस आसन मे रीढ को "आगे की ओर" झुकाया जाता है। "विपरीत आसन" लाभकारी बताये गये हैं।

संस्कृत भाषा मे "शशाँक" का अर्थ है खरगोश (Rabbit)। इस आसन मे खरगोश की आकृति का पोज बनता है इसलिये इसे "शशाँक आसन" या "Rabbit Pose" कहा जाता है।

आसन की विधि।

  • वज्रासन की  मुद्रा मे बैठें। धीरे-धीरे हाथों को ऊपर उठाएँ। श्वास भरते हुये हाथों को ऊपर की ओर खींचे।
  • श्वास छोङते हुये आगे झुकें। हथेलियाँ व कोहनियाँ नीचे टिकाएँ। माथा घुटनो के पास ले जाने का प्रयास करें। सुनिशचित करे कि पीछे से मध्य भाग एङियो पर टिका रहे। श्वास सामान्य करके स्थिति में रुकें।
  • आसन की पूर्ण स्थिति मे क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएँ। धीरे-धीरे ऊपर उठें। ऊपर उठने के बाद हाथो को ऊपर की ओर खींचे। दोनो हाथ नीचे ले आएँ। विश्राम करें।

आसन की सावधानियाँ।

  • धीरे-धीरे आगे झुके। जब झुकना सम्भव न हो तो वहाँ रुक जाएँ। और वापिस आ जाएँ। यदि माथा नीचे तक नही पहुँच सकता है तो अधिक प्रयास न करें। आसन को सरलता से करे।
  • गर्भवती महिला, आँत रोगी तथा रीढ के रोगी इस आसन को न करें।
  • पेट मे हार्निया है या कोई सर्जरी हुई है तो यह आसन न करें।

4. भुजंग आसन।

भुजंग आसन पेट के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन से कमर व रीढ प्रभाव में आती हैं। यह कमर दर्द के लिये  प्रभावी आसन है।

'भुजंग' का अर्थ है सर्प (Cobra)। इस आसन को करने से 'भुजंग' (Cobra) जैसा पोज बनता है। इस लिये इसे 'भुजंग आसन' या Cobra Pose कहा गया है।


आसन की विधि।

  • पेट के बल उलटे लेट जाएँ। माथा नीचे रखें। दोनो हाथ कोहनियों से मोङें। दोनो हथेलियाँ गरदन के दाँये-बाँये रखें। कोहनयाँ पसलियों के साथ रखें।
  • धीरे से गरदन को पीछे की ओर करे। सिर को ऊपर उठाएँ। माथा अधिकतम ऊपर उठाएँ।कुछ सैकेंड रुकें।
  • धीरे-धीरे सीना (Chest) ऊपर उठाये। अधिकतम ऊपर उठने के बाद कुछ देर रुकें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे से वापिस आएँ। पहले सीना नीचे टिकाएँ। फिर माथा नीचे टिकाये। स्थिल आसन मे विश्राम करे।

आसन की सावधानियाँ।

  • अपनी क्षमता के अनुसार आसन करें। धीरे धीरे आसन की स्थिति मे जाएँ। और धीरे धीरे वापिस आएँ। 
  • गरदन मे परेशानी है तो यह आसन न करें। रीढ के रोगी, पेट रोगी और गर्भवती महिलाएँ इस आसन को न करें।

5. धनुरासन।

धनुरासन भी सीने के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। यह रीढ व कमर को प्रभावित करने वाला आसन है। इसको भुजंग आसन के साथ किया जाना अधिक लाभकारी है। यह पीठ दर्द के लिये प्रभावी आसन है।

इस आसन की पूर्ण स्थिति धनुष के समान बनती है। इसलिये इसे धनुरासन कहा गया है।

आसन की  विधि।

  • सीने के बल लेट जाएँ। दोनों पैरों को मोङें। एङियाँ नितम्भ के पास ले आये।
  • दोनो हाथो को पैर के टखनो के पास लेकर आये। पैरो मजबूती से पकङें। घुटने एक साथ रखें।
  • दोनो हाथों से पैरों को ऊपर की ओर खींचते हुये घुटने ऊपर उठाएँ। आगे से सीना भी ऊठाये।
  • शरीर को आगे व पीछे से उठाने के बाद मध्य भाग पर संतुलन बनायें। आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएँ। सीना नीचे टिकाएँ। पैरों को सीधा करे। स्थिल आसन मे विश्राम करें।

आसन की सावधानियाँ।

  • घुटनो को एक साथ मिला कर रखे।
  • यदि दोनो घुटने एक साथ उठाने मे परेशानी है, तो पहले दाँया फिर बाँया घुटना उठाये।
  • आसन को सरलता से करे। अधिक बल प्रयोग न करें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार आसन करे।
  • रीढ व पेट के रोगी तथा गर्भभवती महिलाएँ इस आसन को न करे।

6. हलासन।

"हलासन" रीढ के लिये एक लाभदायी आसन है। यह पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। यह आसन रीढ को लचीला (Flexible) बनाता है। यह पेट के लिये एक उत्तम आसन है। यह पीठ दर्द के लिये विशेष लाभकारी है।

इस आसन की पूर्ण स्थिति "हल" (Plow) जैसी आकृति बनती है। इस लिये इस आसन को "हलासन"  या Plow Pose कहा गया है।

आसन की विधि।

  • पीठ के बल सीधे लेटे। दोनों पैरों को एक साथ रखें। दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें। हथेलियाँ की दिशा नीचे की ओर रखें।
  • श्वास भरते हुये दोनो पैरों को एक साथ धीमी गति में उठाये। घुटने सीधे रखें। दोनों पैर ऊपर ऊठने के बाद कुछ देर रुकें। 
  • श्वास छोङते हुये पैरो को पीछे सिर की ओर ले जाएँ। घुटने सीधे रखें। पैरों को क्षमता अनुसार नीचे टिकाने का प्रयास करे। आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे- धीरे पीठ को नीचे टिकायें। घुटने सीधे रखते हुये पैरों को नीचे ले आएँ। दोनो पैरों के बीच थोङा गैप रखें। कुछ देर विश्राम करें। आसन से आये तनाव को दूर करे।
  • विश्राम के बाद चक्रासन करें।

7. चक्रासन।

यह आसन हलासन का विपरीत आसन है। यह पीठ व कमर के लिये उत्तम आसन है। इस आसन मे रीढ को पीछे की ओर प्रभावित किया जाता है। यह हलासन की विपरीत स्थिति है। इसको हलासन के बाद किया जाना लाभकारी है। 

"चक्रासन" शब्द 'चक्र' और 'आसन' से मिल  कर बना है। चक्र का अर्थ है, पहिया। और आसन का अर्थ है Pose. इस आसन मे गोल आकृति बनती है। इसलिये इसे "चक्र आसन" या "Wheel Pose कहा गया है।

आसन की विधि।

  • पीठ के बल लेटें। दोनों पैर मोडें। एङियाँ नितम्भ (हिप्स) के पास रखें। दोनो हाथ सिर के पास रखें। हथेलियों की दिशा कंधो की तरफ रखें।
  • धीरे धीरे शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएँ। हाथों और पैर के पँजो पर संतुलन बना कर रुकें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार कुछ देर रुकने के बाद धीरे से मध्य भाग को नीचे टिकाये। पैरों को सीधा करें। आसन से आये तनाव को दूर करे। कुछ देर विश्राम करें।

आसन की सावधानियाँ।

  • इस आसन मे शरीर का मध्य भाग अपनी क्षमता के अनुसार ऊपर उठाएँ। परेशानी अनुभव होने पर वपिस आ जाएँ। आसन सरलता से करें। बल पूर्वक न करें।
  • रीढ के क्षतिग्रस्त होने पर यह आसन न करे। गम्भीर पेट रोगी, गर्भवती महिलाएँ इस आसन को न करें।

सारांश :-

अनियमित दिनचर्या से रीढ सख्त हो जाती है। यह कमर-दर्द व पीठ-दर्द का कारण बनता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिये रीढ का लचीला (Flexible) होना जरूरी है। योगासन रीढ को प्रभावित करते है। पीठ दर्द से बचने के लिये नियमित योग करें। लेख मे बताये गये आसन पीठ दर्द (Lower back pain) के लिये प्रभावी आसन हैं।

Disclaimer :- यह लेख किसी प्रकार के रोग-उपचार का दावा नही करता है। "रोग का उपचार" इस लेख का उद्देश्य नही है। इस लेख का उद्देश्य केवल योग के लाभ व सावधानियो की जानकारी देना है। इस लेख मे बताये गये आसन केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। रोगग्रस्त होने पर आसन न करे और चिकित्सा सहायता लें।

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