आज के समय में कमर दर्द back pain एक आम परेशानी हो गई है। Office-Workers, Students, तथा लगातार बैठ कर काम करने वाले व्यक्ति इस दर्द से पीड़ित हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण है, अनियमित जीवन शैली तथा शारीरिक अभ्यास न करना। नियमित योगासन इसके लिये प्रभावी होते हैं। इस लेख मे बैक पेन (कमर दर्द) के लिए योग आसन के बारे मे बताया जायेगा।
विषय सुची :-
- कमर दर्द (Back Pain) के लिए योगासन :
- पश्चिमोत्तान आसन
- उष्ट्रासन
- शशांक आसन
- भुजंग आसन
- धनुरासन
- हलासन
- चक्रासन
कमर दर्द से राहत के लिए आसन Yoga Asana for Back pain.
रीढ हमारे शरीर का आधार है। उत्तम स्वास्थ्य के लिये रीढ का लचीला (Flexible) होना जरूरी है। शारीरिक अभ्यास न करने के कारण इसमें सख्ती आने लगती है। और यह पीठ दर्द का कारण बनता है। अनियमित दिनचर्या व गलत तरीके बैठना, Back-Pain का कारण बनते हैं। रीढ के चोटग्रस्त होने के कारण भी पीठ दर्द हो सकता है। (रीढ के चोटग्रस्त या तनाव की स्थिति मे आसन का अभ्यास नही करना चाहिए।)
योग आसन रीढ की सख्ती को दूर करते हैं और इसे लचीला बनाते हैं। योगाभ्यास में रीढ को स्वस्थ रखने के लिए कई आसन बताए गए हैं। लेकिन इन में कुछ आसन विशेष महत्वपूर्ण है, इनका वर्णन आगे लेख में किया जाएगा।
Back Pain से राहत के लिए योग आसन :
नियमित योगासन का अभ्यास कमर दर्द से बचाव करने में सहायक होता है। योगाभ्यास में अधिकतर आसन रीढ को प्रभावित करने वाले होते हैं। लेकिन ये 7 आसन विशेष महत्वपूर्ण है। इनका नियमित अभ्यास पीठ दर्द से राहत देता है तथा रीढ को स्वस्थ बनाए रखता है।
इस लिये इन आसनों का नियमित अभ्यास करें। योगाभ्यास करने के लिये योगा-मैट या कपड़े की सीट बिछाएं। योगाभ्यास के आरम्भ में पहले खड़े होकर शरीर को वार्म अप करें और आसन (सीट) पर बैठ जाये। हाथ पीछे टिकाएं। कुछ सैकिंड विश्राम के बाद आसन आरम्भ करें।
1. पश्चिमोत्तान आसन :
यह बैठ कर किया जाने वाला आसन है।.यह पीठ दर्द के लिये उत्तम आसन है। इस आसन से कमर, पीठ तथा पैरो की मांसपेशियां प्रभाव मे आती हैं।
पश्चिमोत्तान शब्द 'पश्चिम' और 'उत्तान' से मिलकर बना है। यहां 'पश्चिम' का अर्थ 'पीछे' या 'पीठ' (Back) है। तथा 'उत्तान' का अर्थ 'खिंचाव' है। इस आसन को करने से पीठ पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसी लिए इस आसन को पश्चिमोत्तान आसन कहा गया है।
पश्चिमोत्तान आसन की विधि :
- मैट या कपड़े की सीट पर बैठें। दोनो पैर सामने की ओर फैलाये। एड़ी, पंजे व घुटने मिलाकर रखें। दोनो हाथों को घुटनों पर रखे।
- रीढ व गर्दन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बन्ध करें।
- धीरे-धीरे दोनो हाथ सामने की ओर रखते हुए ऊपर उठायें। श्वास भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचें। श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
- दोनो हाथों से पैर के पंजे पकड़ने का प्रयास करें। माथा घुटनों के पास ले जाने का प्रयास करें। श्वास सामान्य करके स्थिति मे कुछ देर रुकें।
- क्षमता के अनुसार रुकने के बाद श्वास भरते हुए ऊपर उठें। हाथों को दांए-बांए से लेते हुए नीचे ले आयें। हाथों को पीछे टिकायें। पैरो के बीच मे कुछ दूरी बनाये। विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
- धीमी गति से आगे झुकें, और धीमी गति से ऊपर उठें।
- अपनी क्षमता के अनुसार आगे झुकें। सरलता से जितना झुक सकते हैं, उतना ही झुकें।
- यदि आसन की पूर्ण स्थिति तक नही जा सकते हैं., तो अधिक प्रयास न करे। सरलता से करना लाभकारी है। बलपूर्वक करना हानिकारक हो सकता है।
- रीढ की परेशानी है तो यह आसन न करें। पेट मे हर्निया या गम्भीर आंत रोग है तो यह आसन न करें।
- पेट या पैर की सर्जरी हुई है तो आसन न करे। गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
2. उष्ट्रासन :
यह आसन वज्रासन की स्थिति मे बैठ कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन से रीढ तथा Back पर विशेष प्रभाव पड़ता है। कमर-दर्द के लिये यह उत्तम आसन है।
इस आसन का नाम 'उष्ट्र' से लिया गया है। संस्कृत भाषा मे इसका का अर्थ है, ऊंट (Camel)। इस आसन मे ऊंट की आकृति बनती है इस लिये इसे उष्ट्रासन (Camel Pose) कहा गया है।
आसन की विधि :
- दोनों घुटने मोड़ कर घुटनो के बल बैठे। दोनो घुटने व पैरों के पंजे मिला कर रखें। दोनो एड़ियों मे थोड़ा गैप रखें। एड़ियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठें।
- दोनों हाथ घुटनो पर रखें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आंखों को कोमलता से बन्ध कर लें।
- मध्य भाग को ऊपर उठा कर घुटनो के बल आ जाएं। घुटनो मे थोड़ा अंतर (Gap) रखें। पंजों को घुटनों के समानान्तर रखें। दोनो हाथों को कमर पर रख लें। अगूंठे पीठ पर रीढ के पास तथा उंगलियां कमर पर रखें।
- धीरे से गरदन को पीछे की ओर झुकाएं। धीरे-धीरे रीढ को पीछे की ओर झुकाएं। यहां कुछ सैकिंड के लिये रुकें। (नये अभ्यासी यहां से वापिस आ जाये। नियमित अभ्यासी आसन को जारी रखें)
- रीढ क्षमता के अनुसार पीछे की ओर झुकने के बाद, दांया हाथ दांई एड़ी पर ले आएं। बांया हाथ कमर से हटा कर बांई एड़ी पर ले आएँ। यह आसन की पूर्ण स्थिति है। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
- क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापसी आरम्भ करें। पहले दांया हाथ कमर पर ले जाये। उसके बाद बांया हाथ कमर पर रखें। धीरे-धीरे रीढ को सीधा करें। वज्रासन मे बैठें। विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
- इस आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करे। धीरे धीरे आसन की स्थिति में जाएं। क्षमता अनुसार कुछ देर रुके। स्थिति से धीरे धीरे वापिस आ जाएं।
- सरलता से आसन करें। जहां पर परेशानी अनुभव हो वहां रुक जाये। और वापिस आ जाएं।
- बलपूर्वक आसन न करें। सरलता से किया गया आसन लाभकारी है। बलपूर्वक आसन करना हानिकारक हो सकता है।
- रीढ के क्षतिग्रस्त होने पर यह आसन नही करना चाहिए। गर्भवती महिला यह आसन न करें। पेट के गम्भीर रोगी यह आसन न करें।
3. शशांक आसन :
यह आसन भी वज्रासन की स्थिति मे किया जाता है। यह उष्ट्रासन का विपरीत आसन है। उष्ट्रासन मे रीढ को "पीछे की ओर" प्रभावित किया जाता है। इस आसन मे रीढ को "आगे की ओर" झुकाया जाता है। "विपरीत आसन" लाभकारी बताये गये हैं।
संस्कृत भाषा मे "शशांक" का अर्थ है खरगोश (Rabbit)। इस आसन मे खरगोश की आकृति का पोज बनता है इसलिये इसे "शशांक आसन" या "Rabbit Pose" कहा जाता है।
आसन की विधि।
- वज्रासन की मुद्रा मे बैठें। धीरे-धीरे हाथों को ऊपर उठाएं। श्वास भरते हुए ये हाथों को ऊपर की ओर खींचे।
- श्वास छोड़ते हुए आगे झुकें। हथेलियां व कोहनियां नीचे टिकाएं। माथा घुटनो के पास ले जाने का प्रयास करें। सुनिश्चित करे कि पीछे से मध्य भाग एड़ियों पर टिका रहे। श्वास सामान्य करके स्थिति में रुकें।
- आसन की पूर्ण स्थिति मे क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएं। धीरे-धीरे ऊपर उठें। ऊपर उठने के बाद हाथो को ऊपर की ओर खींचे। दोनो हाथ नीचे ले आएँ। विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
- धीरे-धीरे आगे झुके। जब झुकना सम्भव न हो तो वहां रुक जाएं। और वापिस आ जाएं। यदि माथा नीचे तक नही पहुंच सकता है तो अधिक प्रयास न करें। आसन को सरलता से करे।
- गर्भवती महिला, आंत रोगी तथा रीढ के रोगी इस आसन को न करें।
- पेट मे हर्निया है या कोई सर्जरी हुई है तो यह आसन न करें।
4. भुजंग आसन :
भुजंग आसन पेट के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन से कमर व रीढ प्रभाव में आती हैं। यह कमर दर्द के लिये प्रभावी आसन है।
'भुजंग' का अर्थ है सर्प (Cobra)। इस आसन को करने से 'भुजंग' (Cobra) जैसा पोज बनता है। इस लिये इसे 'भुजंग आसन' या Cobra Pose कहा गया है।
आसन की विधि।
- पेट के बल उलटे लेट जाएं। माथा नीचे रखें। दोनो हाथ कोहनियों से मोड़ें। दोनो हथेलियां गर्दन के दांए-बांए रखें। कोहनियां पसलियों के साथ रखें।
- धीरे से गर्दन को पीछे की ओर करे। सिर को ऊपर उठाएं। माथा अधिकतम ऊपर उठाएं। कुछ सैकेंड रुकें।
- धीरे-धीरे सीना (Chest) ऊपर उठाये। अधिकतम ऊपर उठने के बाद कुछ देर रुकें।
- अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे से वापिस आएँ। पहले सीना नीचे टिकाएं। फिर माथा नीचे टिकाये। स्थिल आसन मे विश्राम करे।
आसन की सावधानियां :
- अपनी क्षमता के अनुसार आसन करें। धीरे धीरे आसन की स्थिति मे जाएं। और धीरे धीरे वापिस आएं।
- गरदन मे परेशानी है तो यह आसन न करें। रीढ के रोगी, पेट रोगी और गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
5. धनुरासन :
धनुरासन भी सीने के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। यह रीढ व कमर को प्रभावित करने वाला आसन है। इसको भुजंग आसन के साथ किया जाना अधिक लाभकारी है। यह पीठ दर्द के लिये प्रभावी आसन है।
इस आसन की पूर्ण स्थिति धनुष के समान बनती है। इसलिये इसे धनुरासन कहा गया है।
आसन की विधि।
- सीने के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को मोड़ें। एड़ियां नितम्ब के पास ले आये।
- दोनो हाथो को पैर के टखनों के पास लेकर आये। पैरो मजबूती से पकड़ें। घुटने एक साथ रखें।
- दोनो हाथों से पैरों को ऊपर की ओर खींचते हुए घुटने ऊपर उठाएं। आगे से सीना भी उठाएं।
- शरीर को आगे व पीछे से उठाने के बाद मध्य भाग पर संतुलन बनायें। आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें।
- अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएं। सीना नीचे टिकाएं। पैरों को सीधा करे। स्थिल आसन मे विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
- घुटनो को एक साथ मिला कर रखे।
- यदि दोनो घुटने एक साथ उठाने मे परेशानी है, तो पहले दांया फिर बांया घुटना उठाये।
- आसन को सरलता से करे। अधिक बल प्रयोग न करें।
- अपनी क्षमता के अनुसार आसन करे।
- रीढ व पेट के रोगी तथा गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करे।
6. हलासन :
"हलासन" रीढ के लिये एक लाभदायी आसन है। यह पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। यह आसन रीढ को लचीला (Flexible) बनाता है। यह पेट के लिये एक उत्तम आसन है। यह पीठ दर्द के लिये विशेष लाभकारी है।
इस आसन की पूर्ण स्थिति "हल" (Plow) जैसी आकृति बनती है। इस लिये इस आसन को "हलासन" या Plow Pose कहा गया है।
आसन की विधि।
- पीठ के बल सीधे लेटे। दोनों पैरों को एक साथ रखें। दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रखें।
- श्वास भरते हुए दोनो पैरों को एक साथ धीमी गति में उठाये। घुटने सीधे रखें। दोनों पैर ऊपर उठने के बाद कुछ देर रुकें।
- श्वास छोड़ते हुए पैरो को पीछे सिर की ओर ले जाएं। घुटने सीधे रखें। पैरों को क्षमता अनुसार नीचे टिकाने का प्रयास करे। आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें।
- अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे- धीरे पीठ को नीचे टिकाएं। घुटने सीधे रखते हुए पैरों को नीचे ले आएँ। दोनो पैरों के बीच थोड़ा गैप रखें। कुछ देर विश्राम करें। आसन से आये तनाव को दूर करे।
- विश्राम के बाद चक्रासन करें।
7. चक्रासन :
यह आसन हलासन का विपरीत आसन है। यह पीठ व कमर के लिये उत्तम आसन है। इस आसन मे रीढ को पीछे की ओर प्रभावित किया जाता है। यह हलासन की विपरीत स्थिति है। इसको हलासन के बाद किया जाना लाभकारी है।
"चक्रासन" शब्द 'चक्र' और 'आसन' से मिल कर बना है। चक्र का अर्थ है, पहिया। और आसन का अर्थ है Pose. इस आसन मे गोल आकृति बनती है। इसलिये इसे "चक्र आसन" या "Wheel Pose कहा गया है।
आसन की विधि :
- पीठ के बल लेटें। दोनों पैर मोड़ें। एड़ियां नितम्ब (हिप्स) के पास रखें। दोनो हाथ सिर के पास रखें। हथेलियों की दिशा कंधो की तरफ रखें।
- धीरे धीरे शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं। हाथों और पैर के पंजों पर संतुलन बना कर रुकें।
- अपनी क्षमता के अनुसार कुछ देर रुकने के बाद धीरे से मध्य भाग को नीचे टिकाये। पैरों को सीधा करें। आसन से आये तनाव को दूर करे। कुछ देर विश्राम करें।
आसन की सावधानियान :
- इस आसन मे शरीर का मध्य भाग अपनी क्षमता के अनुसार ऊपर उठाएं। परेशानी अनुभव होने पर वापिस आ जाएं। आसन सरलता से करें। बल पूर्वक न करें।
- रीढ के क्षतिग्रस्त होने पर यह आसन न करे। गम्भीर पेट रोगी, गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
अनियमित दिनचर्या से रीढ सख्त हो जाती है। यह कमर-दर्द व पीठ-दर्द का कारण बनता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिये रीढ का लचीला (Flexible) होना जरूरी है। योगासन रीढ को प्रभावित करते है। पीठ दर्द से बचने के लिये नियमित योग करें। लेख मे बताये गये आसन पीठ दर्द (Lower back pain) के लिये प्रभावी आसन हैं।
Disclaimer :- यह लेख किसी प्रकार के रोग-उपचार का दावा नही करता है। "रोग का उपचार" इस लेख का उद्देश्य नही है। इस लेख का उद्देश्य केवल योग के लाभ व सावधानियों की जानकारी देना है। इस लेख मे बताये गये आसन केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। रोगग्रस्त होने पर आसन न करे और चिकित्सा सहायता लें।