प्रत्येक जीवधारी प्राणी के लिए श्वसन या Breathing का विशेष महत्व है। मानव शरीर के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। शरीर में बिना किसी बाधा के इस क्रिया का संचार होते रहना आवश्यक है। लेकिन कई बार श्वसन तंत्र में कुछ बाधाएं आने लगती हैं। श्वसन तंत्र की ये बाधाएं रोगों का कारण बन जाती हैं। Breathing-Exercise से इन अवरोधों को हटाया जा सकता है। ये अभ्यास श्वसन-रोगों से बचाव करने में भी सहायक होते हैं। प्रस्तुत लेख में हम इन विषयों पर विचार करेंगे।
विषय सूची :
- Breathing Exercise का महत्व।
- श्वसन अभ्यास क्या है?
- बेस्ट ब्रीदिंग एक्सरसाइज कोन सी हैं?
- श्वास प्रश्वास का अभ्यास।
- कपालभाति की सही विधि।
- अनुलोम विलोम की सही विधि।
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Breathing exercises क्यों जरूरी हैं? इसकी विधि क्या है?
सामान्य रूप से हम जो सांस लेते हैं, वे बहुत छोटे-छोटे होते हैं। शरीर में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए ये पर्याप्त नहीं होते हैं। छोटे श्वासो के कारण हमारे lungs स्थिल पड़ने लगते हैं। इनकी स्थिलता या निष्क्रियता, श्वसन रोगों का कारण बन सकता है। श्वसन तंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए हमें नियमित ब्रीदिंग-एक्सरसाइज करनी चाहिए। इस अभ्यास के लाभ इस प्रकार हैं :-
- श्वसन तंत्र सुदृढ़ होता है।
- यह शरीर के लिए ऊर्जादायी है।
- श्वसन रोगों से बचाव करता है।
- शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।
- हृदय एवं फेफड़ों की मजबूती।
- रक्तचाप का संतुलन।
नियमित अभ्यास के लिए Best Breathing exercises कोन सी हैं, यह इस लेख में आगे बताया जाएगा। लेकिन इस से पहले ब्रीदिंग या श्वसन क्या है, इसको समझ लेते हैं।
श्वसन (Breathing) क्या है?
शरीर के लिए श्वसन एक महत्वपूर्ण क्रिया है। मुख्यत: इसकी दो अवस्थाएं हैं - सांस लेना और सांस छोड़ना। "सांस लेने और छोड़ने" की इसी क्रिया को श्वसन कहा जाता है। योगाभ्यास में इसे 'श्वास-प्रश्वास' कहा गया है। यह सभी प्राणधारी जीवों के लिए जरूरी है। मानव शरीर के लिए भी यह क्रिया जीवनदाई तथा ऊर्जादायी होती है।
श्वास-प्रश्वास :- जब हम नासिका द्वारा वायु को अंदर खींचते हैं तो यह फेफड़ों में जाती है। वहां से फ़िल्टर हो कर ऑक्सीजन रक्त में मिश्रित हो जाता है। ऑक्सीजन-मिश्रित रक्त हमारे शरीर ने संचारित हो जाता है। शेष वायु कार्बन डाई ऑक्साइड के रूप में बाहर छोड़ दी जाती है।
यह श्वास-प्रश्वास क्रिया रात-दिन निरंतर चलती रहती है। यह क्रिया हमारे शरीर के ऑक्सीजन लेवल को सही मात्रा में बनाए रखती हैं। इसके लिए श्वसन तंत्र का सुदृढ़ होना आवश्यक है। Breathing Exercise हमारे श्वसन तंत्र के अवरोधों को दूर करता है और श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है।
Best Breathing Exercise कोन सी है?
यह श्वसन-प्रणाली को मजबूत करने वाला तथा शरीर को ऊर्जा देने वाला अभ्यास है। योगाभ्यास में इसे प्राणायाम कहा गया है। यह योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह अभ्यास अपने शरीर की स्थिति एवम् क्षमता अनुसार करना चाहिए। यहां हम नए व्यक्तियों के लिए कुछ Best Breathing exercises का वर्णन करेंगे।
(विस्तार से देखें :- लाभदाई प्राणायाम क्या हैं )
अभ्यास की विधि :
समय :- सुबह का समय प्राणायाम अभ्यास के लिए उत्तम होता है। यदि दिन में किसी अन्य समय यह अभ्यास करना है, तो खाना खाने के तुरंत बाद अभ्यास न करें। खाली पेट की अवस्था में यह अभ्यास करना चाहिए।
स्थान :- प्राणायाम अभ्यास के लिए पार्क जैसा प्राकृतिक स्थान उत्तम होता है। यह अभ्यास घर पर भी कर सकते हैं।
बैठने की स्थिति :- जमीन पर योगा-मैट या कपड़ा बिछा कर अभ्यास करें। पद्मासन की स्थिति में बैठना उत्तम होता है। लेकिन जो व्यक्ति नीचे नहीं बैठ सकते हैं, वे कुर्सी पर बैठ कर अभ्यास कर सकते हैं।
1. लम्बे गहरे श्वास लेना-छोड़ना (श्वास प्रश्वास)
- पद्मासन या सुख पूर्वक स्थिति में बैठें।
- रीढ़ व गर्दन को सीधा रखें। आंखें कोमलता से बंध रखें।
- दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।(ज्ञान मुद्रा :- अंगूठा और साथ वाली उंगली की पोर को मिलाएं। )
- धीरे-धीरे लम्बा गहरा श्वास भरें।
- पूरा श्वास भरने के बाद कुछ सैकेंड रुकें।
- कुछ देर रुकने के बाद श्वास बाहर निकलें।
- पूरा श्वास बाहर निकलने के बाद कुछ सैकेंड रुकें।
- यह एक आवृत्ति पूरी हुई। इसी प्रकार चार पांच आवृत्तियां पूरी करें।
- आवृत्तियां पूरी करने के बाद श्वास सामान्य करें।
2. कपालभाति
श्वास सामान्य करने के बाद कपालभाति का अभ्यास करें। यह कपल भाग (मस्तिष्क) को प्रभावित करने वाला अभ्यास है।- दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ें।
- श्वास भरें और गति से सांस बाहर निकले।
- सामान्य गति से सांस लेना और गतिपूर्वक सांस छोड़ना जारी रखें।
- क्षमता अनुसार क्रिया करने के बाद वापिस आ जाएं।
- श्वास सामान्य करे।
- श्वास सामान्य होने के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास करें।
3. अनुलोम विलोम
कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास करना चाहिए। यह अभ्यास कपालभाति से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को संतुलित करता है।
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- रीढ़ व गर्दन को सीधा रखते हुए सुख पूर्वक स्थिति में बैठें।
- बायां हाथ बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
- दायां हाथ प्राणायाम मुद्रा में नासिका के पास रखें। (प्राणायाम मुद्रा :- अंगूठे के साथ वाली दो उंगलियां मोड़ें। शेष दो उंगलियां सीधी रखे। अंगूठा नासिका के दाईं तरफ और दोनों सीधी ऊंगली नासिका के बाईं तरफ़ रखें।)
- अंगूठे से दाईं नासिका को बांध करें। बांई तरफ श्वास भरें।
- पूरा श्वास भरने के बाद बाईं नासिका को बांध करें। दाईं ओर से सांस खाली करें।
- पूरा श्वास खाली होने के बाद दाईं ओर से श्वास भरें।
- पूरा श्वास भरने के बाद दाईं नासिका को बांध करें। बाईं ओर से श्वास खाली करें।
- यह एक आवृत्ति पूरी हुई। इसी प्रकार चार पांच आवृत्तियां करें।
- आवृत्तियां पूरी करने के बाद वापिस आ जाएं।श्वास सामान्य करे।
- बल पूर्वक और क्षमता से अधिक अभ्यास न करें।
- आरम्भ में कम आवृत्तियां करें।
- श्वास रोगी तथा हृदय रोगी चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें।
लेख सारांश :
श्वसन हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण क्रिया है।इस क्रिया के अवरोधों को दूर करने के लिए Breathing Exercise करना चाहिए।
Disclaimer :
यह लेख चिकित्सा हेतु नहीं है। प्राणायाम की सामान्य जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। नए अभ्यासियों को सभी अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार करने चाहिए।