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साधारणतया यह धारणा होती है कि कठिन आसनों से अधिक लाभ मिलता है। लेकिन यह सही नही है। सरल योग आसन स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायी होते हैं। कठिन आसन हानिकारक भी हो सकते हैं। अत: हमे स्वास्थ्य लाभ के लिए सरल योगासन ही करने चाहिए। ये आसन कोन से हैं? इनका अभ्यास कैसे किया जाए? प्रस्तुत लेख मे इन सब की जानकारी दी जायेगी।

विषय सुची :

• पतंजलि योग के अनुसार सरल आसन
• सरल आसन की विधि
• सरलता से किए जाने वाले आसन

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सरल योग आसन का महत्व

"आसन" योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन योगाभ्यास मे सरल आसनों का और भी अधिक महत्व होता है। ये स्वास्थ्य के लिए  अधिक लाभदायी होते हैं। लेकिन "सरल-आसन" क्या हैं? यह जानने के लिए हमे पतंजलि योग मे दी गई "आसन" की परिभाषा को समझना होगा।

पतंजलि योग मे 'सरल-आसन' क्या है

पतंजलि योगसूत्र मे आसन को परिभाषित किया है :- स्थिरसुखम् आसनम्। अर्थात् स्थिरता से और सुखपूर्वक पोज मे बैठना, आसन है। इस सूत्र मे सरल- आसन का महत्व बताया गया है। इस सूत्र का भावार्थ यह है कि आसन की पोजीसन मे स्थिरता से रुकें लेकिन अभ्यास सुखपूर्वक करें। आइए इसको और विस्तार से समझ लेते हैं।

इस सूत्र मे दो बातें महत्वपूर्ण हैं :- 
1. स्थिरम् (स्थिरता से ) :- आसन की स्थिति मे पहुंच कर स्थिरता से रुकें। आसन में स्थिरता का विशेष महत्व है।

2. सुखम् (सुख पूर्वक) :- जो आसन सुखपूर्वक किया जाए उसी का अभ्यास करें। इसी को सरल आसन कहा गया है।

सरल आसन कैसे करें?

'आसन' का अभ्यास करने से पहले अपनी शारीरिक स्थिति का अवलोकन करें। अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही अभ्यास करें। ऐसे आसनों का चयन करें जो सरलता से किए जा सकें। जिस आसन का अभ्यास करने मे सुख (आराम) का अनुभव हो उसे अवश्य करें। जिस पोज की पूर्ण स्थिति पहुंच कर "स्थिरता" से तथा अधिक देर रुकने का मन करे, वह लाभदायी होता है।

ऐसे आसन न करें :-  जिस आसन का अभ्यास करने मे पीड़ा का अनुभव हो, वह न करें। ऐसा आसन हानिकारक हो सकता है। कठिन आसन को बलपूर्वक न करें। अभ्यास मे जब पीड़ा का अनुभव हो वहां रुक जाए। और वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।

सरल आसन की विधि

• योगासन का अभ्यास धीमी गति से आरम्भ करें।
• आसन की पूर्ण अवस्था मे पहुंचे। (यदि आसन की पूर्ण अवस्था तक पहुंचने मे पीड़ा होती है, तो इसका अभ्यास आगे न करें।)
• यदि सरलता से आसन की पूर्ण अवस्था तक पहुंच गये हैं, तो कुछ देर तक रुकने का प्रयास करें।
• पूर्ण अवस्था मे अपनी क्षमता के अनुसार रुकें। और धीरे-धीरे वापिस आ जाएं।
• कुछ देर विश्राम के बाद अगला आसन करें।
• सभी आसनों के बाद अन्त मे शव आसन मे विश्राम करें।
• विश्राम के बाद प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें। यह अभ्यास भी सरलता से करें।

सरलता से किए जाने वाले आसन

ये सरलता से किए जाने वाले आसन है।

1. खड़े होकर किए जाने वाले :

• ताड़ासन।
• त्रिकोण आसन।

2. बैठ कर किए जाने वाले :

• तितली आसन।
• वज्रासन।

3. लेट कर किए जाने वाले :

• भुजंग आसन।
• मकर आसन।
• शव आसन।

सारांश :

स्वास्थ्य के लिए लाभदायी सरल योग आसन का ही अभ्यास किया जाना चाहिए। नए अभ्यासी (Beginners) के लिए कठिन आसन हानिकारक हो सकते हैं।

Disclaimer :

योगासन अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करें। अभ्यास मे अनावश्यक बल प्रयोग न करें। आरम्भ मे प्रशिक्षक के निर्देशन मे अभ्यास करें। अस्वस्थ होने पर अभ्यास न करें।


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