क्या आप नियमित प्राणायाम करते हैं? यदि करते है तो क्या आप इस अभ्यास को विधिपूर्वक करते है? केवल प्राणायाम कर लेना पर्याप्त नहीं है। जब तक आप सही विधि से अभ्यास नहीं करेगे, आपको इसका पूरा लाभ नही मिलेगा। प्राणायाम का सही क्रम व नियम से करना अधिक लाभकारी होता है। इसका सही क्रम और नियमित क्या है, इस लेख में इसका आगे विस्तार से वर्णन किया जाएगा।
विषय सुची :-
- प्राणायाम के नियम।
- प्राणायाम का सही क्रम।
- प्राणायाम मौसम के अनुसार।
- प्राणायाम क्षमता के अनुसार।
प्राणायाम के नियम, व सही क्रम Rules for Pranayam.
प्राणायाम योगाभ्यास की एक उत्तम क्रिया है। यह श्वासो पर आधारित अभ्यास है। यह हमारे श्वसन-तंत्र को सुदृढ करता है और प्राण-शक्ति की वृद्धि करता है। इसका नियमित अभ्यास श्वसन रोग से बचाव करता है। लेकिन यह तभी लाभकारी है जब इसे सही क्रम से किया जाए। असावधानी से किया गया अभ्यास हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए यह अभ्यास विधिपूर्वक और सावधानी से किया जाना चाहिए। आइए, आगे इस को विस्तार से समझ लेते हैं।
(देखें :- प्राणायाम कब हानिकारक हो सकता है।)
प्राणायाम के नियम। Rules for Pranayam.
- समय व स्थान का चयन।
- प्राणायाम को सही क्रम से करें।
- प्राणायाम मौसम के अनुसार करें।
- अपने शरीर की क्षमता के अनुसार करें।
- बंध व कुम्भक का प्रयोग।
समय व स्थान का चयन
समय :- योगाभ्यास के लिए सुबह का समय उत्तम है। शाम के समय भी कर सकते हैं। किसी कारण से यदि दिन मे योगाभ्यास करते है तो खाना खाने के तुरंत बाद आसन व प्राणायाम न करें। खाना खाने के कम से कम दो घंटे बाद योगाभ्यास करें।
स्थान :- प्राणायाम के लिए खुला एवं प्राकृतिक वातावरण उत्तम है। यदि आसपास में पार्क जैसी जगह न मिले तो घर पर भी कर सकते है। घर पर खुले और हवादार स्थान का चयन करें।
आसन के बाद प्राणायाम करें :- पहले आसन का अभ्यास करें। आसन के बाद ही प्राणायाम करना चहाये। आसन करने के बाद कुछ देर विश्राम करे। विश्राम के बाद ही प्राणायाम करें।
प्राणायाम को सही क्रम से करें।
प्राणायाम करने का क्रम सही होना जरूरी है। गलत क्रम से किया गया प्राणायाम हानिकारक भी हो सकता है। इस अभ्यास को आसन के बाद ही किया जाना उचित है।
- आसन का अभ्यास करने के बाद उठ कर बैठ जाएँ। पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें। हाथ ज्ञान मुद्रा की स्थिति मे रखें। पीठ व गरदन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बंद करें।
- सब से पहले श्वासों का पूरक-रेचक का अभ्यास करें। लम्बा गहरा श्वास भरें। पूरा श्वास भरने के बाद श्वास पूरी तरह खाली कर दें। इस प्रकार चार या पांच आवर्तिया करें।
- दूसरे क्रम मे कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम कर सकते हैं। यदि गर्मी का मौसम है तो भस्त्रिका न करें। इसे केवल शरद ऋतु मे ही करें। कपालभाति हर मौसम मे किया जा सकता है।
- तीसरे क्रम में अनुलोम विलोम प्राणायाम करें।
- चौथे क्रम मे शीतली, शीतकारी या भ्रामरी प्राणायाम मे से कोई भी प्राणायाम करें।
- अंत मे नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
- सभी प्राणायाम क्रिया करने के बाद श्वासो को सामान्य करें।
(अपनी अवश्यकता अनुसार अन्य अभ्यास भी कर सकते हैं।)
प्राणायाम मौसम के अनुसार करें
प्राणायाम करते समय मौसम का ध्यान रखना अवश्यक है। कुछ प्राणायाम शरद ऋतु मे, तो कुछ प्राणायाम गर्मियों के मौसम में वर्जित है। इसी प्रकार कोई प्राणायाम शरद ऋतु मे अधिक लाभकारी है तो कोई प्राणायाम गर्मियों मे लाभकारी हैं।
शरद ऋतु मे वर्जित प्राणायाम
जो प्राणायाम शरीर को शीतलता देते है वे शरद ऋतु मे वर्जित होते हैं। इस लिए ये प्राणायाम केवल गर्मी के मौसम मे ही करें। शीतली व शीतकारी प्राणायाम शरीर को शीतलता देते है। इसलिए ये प्राणायाम सर्दियों के मौसम में न करें।
चंद्रभेदी प्राणायाम चंद्र नाड़ी को प्रभावित करता है। चंद्र नाड़ी शरीर को शीतलता देती है। इस लिए इस प्राणायाम को सर्दियों के मौसम में नही करना चाहिए।
शरद ऋतु मे लाभकारी प्राणायाम
इस मौसम मे हमे शरीर को अधिक ऊर्जा (गर्मी) देने वाले प्राणायाम करने किया। कई प्राणायाम है जो हमारे शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं और ऊर्जा देते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम सर्दियों मे एक लाभकारी प्राणायाम है। इस को सर्दियों मे अवश्य करना चाहिए। यह प्राणायाम शरीर को शरद ऋतु मे ऊर्जावान बनाए रखता है।
सूर्यभेदी प्राणायाम सूर्य नाड़ी को प्रभावित करता है। सूर्यनाङी हमारे शरीर को गर्मी देती है और ऊर्जावान बनाए रखती है। अत: शरद ऋतु मे यह प्राणायाम करना अधिक लाभकारी है।
गर्मियों मे वर्जित प्राणायाम
कुछ प्राणायाम शरीर को गर्मी देने वाले होते हैं इस लिए ये प्राणायाम गर्मी के मौसम मे वर्जित होते हैं।
भस्त्रिका व सूर्यभेदी प्राणायाम गर्मी के मौसम मे वर्जित हैं।
गर्मी के मौसम मे लाभकारी प्राणायाम
गर्मी के मौसम मे शरीर को शीतलता देने वाले प्राणायाम किए जाने चाहिए।
शीतली, शीतकारी तथा चंद्रभेदी प्राणायाम इस मौसम मे लाभकारी हैं।
वर्षा ऋतु में
वर्षा ऋतु मे योगाभ्यास खुले स्थान पर न करें। छत के नीचे अभ्यास करें। अभ्यास करते समय बरसात मे भीगना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए बरसातसे बचाव वाले स्थान पर ही अभ्यास करें।
सभी मौसम मे किये जाने वाले प्राणायाम
जो प्राणायाम सर्दियों मे तथा गर्मी के मौसम मे वर्जित है, उनको छोड़ कर बाकी सभी प्राणायाम हर मौसम मे किए जा सकते है।
- कपालभाति।
- अनुलोम-विलोम।
- भ्रामरी।
- नाड़ी शौधन।
शरीर की क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।
प्राणायाम करते समय अपने शरीर की क्षमता का ध्यान रखें। विशेषत: अपने श्वासों की स्थिति को देखे। यदि श्वासो की स्थिति ठीक नही है तो प्राणायाम न करे या सरल प्राणायाम करें। वृद्ध व्यक्ति जो पहली बार प्राणायाम कर रहे हैं, और रोगी-व्यक्ति प्राणायाम मे विशेष ध्यान रखें।
वृद्ध व्यक्ति। Senior Citizen.
वृद्ध व्यक्ति जो पहली बार प्राणायाम कर रहे हैं, वे सावधानी से करें। आरम्भ मे सरल प्राणायाम करें। कुम्भक का प्रयोग न करें। अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित वृद्ध व्यक्ति प्राणायाम न करें।
बिना कुम्भक लगाए रेचक - पूरक करना तथा अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम करना ही उत्तम है। यदि श्वासो की स्थिति ठीक है तो धीमी गति से कपालभाति कर सकते हैं।
रोग पीड़ित व्यक्ति
उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति तीव्रगति के प्राणायाम न करें। ऐसे व्यक्ति धीमीगति के प्राणायाम करें। High BP वाले व्यक्तियों के लिए भस्त्रिका प्राणायाम हानिकारक हो सकता है। अत: इस को नही करना चहाए।
अस्थमा रोग से पीड़ित व्यक्ति कुम्भक न लगाएं। ऐसे व्यक्तियों के लिए श्वास को अधिक देर तक रोकना हानिकारक हो सकता है। बिना कुम्भक प्राणायाम करें।
हृदय रोगी बिना कुम्भक का प्राणायाम करें। सरलता से r जाने वाले प्राणायाम करे। चिकित्सक की सलाह से कुम्भक का प्रयोग करें। तीव्र गति वाले प्राणायाम बिलकुल न करें।
आँत रोगी या ऐसे व्यक्ति जिसके पेट का ऑपरेशन अभी हुआ है, वे पेट पर दबाव डालने वाली कोई क्रिया न करें।
ऐसे व्यक्तियों के लिए अग्निसार, भस्त्रिका व नोली क्रिया वर्जित है। उड्डयन बंध (पेट को पीछे खींचना) भी नही लगाना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं
आरामदायक स्थिति मे बैठें। सरल प्राणायाम करें। पेट पर दबाव डालने वाली कोई क्रिया न करें। कुर्सी पर बैठ कर अनुलोम विलोम कर सकते हैं।
बंध व कुम्भक का प्रयोग
प्राणायाम के वास्तविक लाभ बंध व कुम्भक से ही ही प्राप्त हो सकते हैं। अत: प्राणायाम मे इनका प्रवधान किया गया है। यदि आपके श्वासों की स्थिति ठीक है तो इन का प्रयोग अवश्य करें। लेकिन यदि आप के श्वासों स्थिति ठीक नही है तो इनका प्रयोग न करें।
हृदय रोग व श्वास रोग मे कुम्भक लगाना हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
नियम और सावधानी से किया गया प्राणायाम लाभकारी होता है। मौसम के अनुसार ही प्राणायाम करें। अपने शरीर की तथा श्वासों की स्थिति को ध्यान मे रखें। प्राणायाम को नियम और सही क्रम से करें।
Disclaimer :--
प्रत्येक व्यक्ति के श्वासो की क्षमता अलग अलग होती है। इसलिए प्राणायाम करते समय अपने श्वासो की स्थिति को ध्यान मे रखें। अस्वस्थ स्थिति मे चिकित्सक की सलाह लें। बलपूर्वक तथा क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।