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स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम एक लाभदायी क्रिया है। लेकिन हम सब के शरीरों की स्थिति एक जैसी नहीं है। अत: इसका प्रभाव सभी व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है। एक अभ्यास किसी व्यक्ति के लिए लाभकारी होता है, तो वही अभ्यास दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। क्योकि दोनो शरीरों की प्रकृति एक जैसी नहीं है। नये अभ्यासियों के मन मे यह जिज्ञासा होती कि कोनसा प्राणायाम स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इस लेख मे बताया जाएगा कि Best Pranayam कोनसा है।

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स्वास्थ्य के लिए अच्छा प्राणायाम Best Pranayama for Health

हमारे ऋषियों ने प्राणायाम की कई विधियाँ बताई हैं। सभी प्राणायाम विधियाँ उत्तम तथा लाभदायी होती हैं। लेकिन हम सब के शरीर की क्षमताअवस्थाएँ अलग-अलग होती हैं। इसलिये सभी अभ्यास सभी व्यक्तियों के लिये लाभदायी नही हो सकते। किसी व्यक्ति के लिए एक प्राणायाम लाभदायी होता है, तो वही दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। अत: प्राणायाम अभ्यास अपने शरीर की क्षमता तथा अवस्था के अनुसार करने चाहिएं।

प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। श्वास इसका आधार है। अत: प्रत्येक अभ्यासी को प्राणायाम करने से पहले अपने श्वासों की स्थिति का अवलोकन कर लेना चाहिये। अपने श्वास की स्थिति के अनुसार किया गया प्राणायाम उत्तम होता है। आईए इस विषय को और विस्तार से समझ लेते हैं।

कोनसा प्राणायाम अच्छा होता है

सभी व्यक्तियों के श्वास की स्थिति एक जैसी नही होती है।प्राणायाम अभ्यास सभी के लिए लाभदायी है। लेकिन श्वास की स्थिति के अनुसार किया गया अभ्यास ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। प्राणायाम का अभ्यास करते समय कुछ स्थितियों का ध्यान रखना चाहिये।

1. नियमित अभ्यासी

नियमित योग के अभ्यासी तथा सुदृढ श्वसन वाले व्यक्ति सभी प्राणायाम अभ्यास कर सकते हैं। नियमित अभ्यासी प्राणायाम का चयन तथा अभ्यास की आवर्तियां अपनी अवश्यकता अनुसार करें। ऐसे अभ्यासी कुम्भक सहित प्राणायाम करें। योगाभ्यास में कुम्भक को ही वास्तविक प्राणायाम बताया है। कुम्भक सहित किये गये प्राणायाम उत्तम तथा लाभदायी होते हैं।

• प्राणायाम के अभ्यास से पहले आसन का अभ्यास अवश्य करें।

• कुम्भक का प्रयोग अपने श्वास की क्षमता अनुसार करें। श्वास रोकने मे अनावश्यक बल प्रयोग न करें। सरलता से किये गये प्राणायाम ही स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।

• एक अभ्यास करने के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद ही अगला अभ्यास करें।

• प्राणायाम के सभी अभ्यास सही क्रम से करें। (अभ्यास का सही क्रम लेख मे आगे बताया गया है।)

2. नये अभ्यासी

नये अभ्यासी के लिए भी प्राणायाम विशेष लाभदायी होते हैं। लेकिन आरम्भ मे सरल अभ्यास ही करें। केवल कठिन अभ्यास ही अधिक प्रभावी होते है, यह धारणा सही नही है। नये अभ्यासी के लिए सरल प्राणायाम ही लाभदायी होते हैं। नये अभ्यासी को प्राणायाम अभ्यास मे इन बिन्दुओं को ध्यान मे रखना चाहिये।

• प्राणायाम से पहले कुछ सरल योगासन करें। योगासन के बाद प्राणायम का अभ्यास करें।

• सरल प्राणायाम करें। कठिन अभ्यास न करें। सरल अभ्यास स्वास्थ्य के लिये अच्छे होते हैं। कठिन अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं।

• आरम्भ मे कम आवर्तियां करें। धीरे-धीरे आवर्तियों का अभ्यास बढाएं।

• आरम्भिक-अभ्यास प्रशिक्षक के निर्देशन मे करें।

• कुछ दिन बिना कुम्भक* का प्राणायाम करना चाहिये। धीरे धीरे कुम्भक का अभ्यास बढाएं।

(*कुम्भक :- श्वास को कुछ देर रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)

3. मौसम के अनुसार अभ्यास

प्राणायाम का अभ्यास सभी मौसम में लाभदायी होता है। लेकिन कुछ अभ्यास मौसम के अनुसार किये जाने चाहिएं। ये अभ्यास किसी एक मौसम मे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं, तो दूसरे मौसम मे हानिकारक भी हो सकते हैं। अत: इन का अभ्यास मौसम के अनुसार ही करना उत्तम है। अन्य अभ्यास सभी मौसम मे किये जा सकते है।

शरद ऋतु के प्राणायाम अभ्यास :- कुछ प्राणायाम शरद ऋतु मे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। गर्मी के मौसम में इनका अभ्यास वर्जित है। इसलिए ये प्राणायाम केवल सर्दी के मौसम मे ही करें। ये प्राणायाम हैं :-

• भस्त्रिका।
• सूर्यभेदी।

ये प्राणायाम शरीर को गर्मी (ऊर्जा) देने वाले होते हैं। इसलिए इनका अभ्यास गर्मी के मौसम मे नहीं करना चाहिये। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति धीमी गति से अभ्यास करें। हृदय रोगी ये प्राणायाम न करें।

ग्रीष्म ऋतु के प्राणायाम अभ्यास :- कुछ प्राणायाम शीतलता देने वाले होते हैं। ये प्राणायाम गर्मी के मौसम मे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। इसलिए इस मौसम में इनका अभ्यास अवश्य करना चाहिये। ये प्राणायाम हैं :-

• शीतली।
• शीतकारी।
• चंद्रभेदी।

ये प्राणायाम शीतलता देने वाले होते हैं इसलिए इनका अभ्यास सर्दी के मौसम मे नहीं करना चाहिये।

4. रोग की स्थिति मे प्राणायाम

योग की सभी क्रियाएं स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। रोग प्रभावित होने पर योग्य चिकित्सक से सलाह लें।  चिकित्सक की सलाह से सरल प्राणायाम करें। प्राणायाम अभ्यास मे इन बातों को ध्यान मे रखें :-

• अस्वस्थ व्यक्ति चिकित्सक की सलाह के बिना अभ्यास न करें।

• उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति तीव्र गति के अभ्यास न करें। धीमी गति के अभ्यास ही करें।

• श्वास रोगी तथा हृदय रोगी श्वास रोकने वाला अभ्यास न करें। केवल सरल प्राणायाम करें।

• कम आवर्तियां करें।

• प्रशिक्षक के निर्देशन में सरल प्राणायाम करें।

लाभदायी प्राणायाम Best Pranayama

प्राणायाम का पूरा लाभ लेने के लिए पहले आसन का अभ्यास करना आवश्यक है। आसन के अभ्यास से शरीर प्राणायाम के लिए तैयार हो जाता है। इस लिए प्राणायाम से पहले आसन का अभ्यास अवश्य करें। आसन के बाद प्राणायाम करें।

प्राणायाम की विधि :

आसन का अभ्यास करने के बाद कुछ देर "शव आसन" मे विश्राम करें। विश्राम के बाद उठ कर बैठ जाएं और प्राणायाम करें।

• बैठने की स्थिति :- पद्मासन की स्थिति उत्तम है। पद्मासन पोज मे बैठना सम्भव न हो तो किसी आराम दायक स्थिति में बैठें। रीढ को सीधा रखें। आखों को कोमलता से बन्ध रखें।

• प्राणायाम का आरम्भ :- प्राणायाम अभ्यास का आरम्भ "ॐ ध्वनि" से करना उत्तम है। इसके लिए लम्बा गहरा श्वास भरें और 'ओम' ध्वनि करें। ओम ध्वनि में 'ओ' शब्द को लम्बा तथा 'म' को छोटा रखें। इसके बाद श्वास- प्रश्वास का अभ्यास करें।

• श्वास प्रश्वास :- प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। अत: अभ्यास से पहले श्वासों को प्राणायाम के लिए तैयार करना जरूरी है। नासिका से धीरे-धीरे लम्बा श्वास भरें। पूरा श्वास भरने के बाद नासिका से पूरा श्वास खाली करें। ये चार-पांच आवर्तियां करे। इसके बाद अन्य अभ्यास करें।

• कपालभाति :- श्वास-प्रश्वास के बाद कपालभाति का अभ्यास करें। यह एक शुद्धि क्रिया है। लेकिन इसे प्राणायाम अभ्यास मे भी किया जा सकता है। नये अभ्यासी, कमजोर श्वसन, तथा उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति यह प्राणायाम तीव्र गति से न करें। 

• अनुलोम विलोम :- कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास लाभदायी होता है। यह सरल प्राणायाम है। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति सरलता से कर सकते हैं।

• अन्त में नाडी शोधन प्राणायाम :-  प्राणायाम अभ्यास के अन्तिम चरण में नाडी शोधन का अभ्यास करना उत्तम होता है। यह अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार किया जाना चाहिये।

लेख सार :

सभी प्राणायाम उत्तम तथा लाभदायी होते हैं। लेकिन सभी व्यक्तियों के श्वास की स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिये इनका प्रभाव सब व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होता है। कुछ प्राणायाम मौसम विशेष मे लाभदायी होते हैं। इसलिए प्राणायाम अपने श्वास, शरीर की स्थिति तथा मौसम के अनुसार ही करने चाहिएं। इस प्रकार किये गये प्राणायाम स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।

Disclaimer :

प्राणायाम अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार करना चाहिये। लेख मे बताये गये निर्देशों का पालन करें। बल पूर्वक तथा क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।


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