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प्रकृति ने हमारे शरीर को एक शक्ति प्रदान की है। यह वायरस-जनित रोगों से मुकाबला करने का काम करती है। इसे "रोग प्रतिरोधक क्षमता" या "Immunity" कहा गया है। चिकित्सा विशेषज्ञ मानते हैं कि मजबूत इम्युनिटी हमारे शरीर को वायरस के प्रभाव से बचाती है। इसको को मजबूत करने के लिये योग एक उत्तम विधि है। प्रस्तुत लेख में हम यह जानेगे कि इम्युनिटी कैसे बढाएँ? योग और इम्मुनिटी क्या है?

विषय सुची :--

  • योग और इम्युनिटी क्या है?
  • शरीर के बिमार होने का कारण।
  • इम्युनिटी को कैसे सुक्षित रखें।
  • इम्युनिटी पर योग का प्रभाव।
  • आसन व प्राणायाम  की जानकारी।


     

                                                                                           

योग और इम्यूनिटी क्या है?

आईये जानते है कि योग क्या है? और इम्युनिटी क्या है? योग से इम्युनिटी की सीधा सम्बन्ध किस प्रकार है। योग केवल आसन प्राणायाम ही नही है इस के अतिरिक्त उचित खान-पान, नैतिकता तथा सदाचार भी योग का अंग हैं। 

यह सब अष्टाँग योग मे विस्तार से बताया गया है। आईये पहले यह जान लेते हैं कि इम्युनिटी क्या है?

इम्युनिटी क्या है?

  • यह एक प्रकार का सुरक्षा कवच है जो हमारे शरीर को प्रत्येक वायरस से बचाता है।
  • जब कभी हमारा शरीर किसी वायरस के प्रभाव मे आता है तो हमारे शरीर की इम्युनिटी एक्टिव हो जाती है।
  • इम्युनिटी उस वायरस से लङने के लिए एंटी-बॉडी का निर्माण करती है।
  • यह एंटी-बॉडी उस वायरस को खत्म करने का काम करती है।

शरीर बिमार क्यो होता है?

  • क्या आप जानते हैै कि हमारा शरीर बिमार क्यों होता है।चिकित्सा विशेषज्ञों का मनना है कि   अधिकतर बिमारियाँ वायरस के कारण आती है।
  • विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जब हमारा शरीर किसी वायरस के प्रभाव मे आता है तब हमारी इम्युनिटी एक्टिव हो जाती है।
  • यदि हमारे शरीर की इम्युनिटी प्रभावी है, तो हमारा शरीर बाहरी वायरस का मुकाबला करने मे सक्षम रहता है।
  • इम्युनिटी के कमजोर होने पर ही हमारा शरीर बिमार पङता है।

इम्युनिटी को सुरक्षित कैसे रखें?

अब प्रश्न यह है कि हम इम्युनिटी को कैसे सुरक्षित रखें? इम्यूनिटी को हम दो तरीको से सुरक्षित रख सकते है।

  1. औषधी और चिकित्सा द्वारा।
  2. योग और उचित आहार द्वारा।

1. औषधी और चिकित्सा द्वारा

यदि हमारा खान-पान उचित है और नियमित योग करते है तो हमारी इम्युनिटी सुरक्षित रहती है।

लेकिन यदि कमजोर इम्युनिटी के करण हम बिमार पड जाते है तो औषधी व चिकित्सा सहायता अवश्य लेनी चहाए।

वैक्सीन और औषधियाँ शरीर की इम्युनिटी को बढाती है।

2. योग और उचित आहार द्वारा

इम्युनिटी को सुरक्षित रखने यह प्राकृतिक तरीका है। आहार भी योग का अंग है। आसन- प्राणायाम और संतुलित आहार हमारी इम्युनिटी मे वृद्धि करते है। आगे लेख मे हम यह जानेगे कि योग क्या है और यह हमारे शरीर के लिए क्यो जरूरी है?

योग क्या है?

योग क्या है? और यह हमे कैसे सुरक्षित रखता है? आज के समय मे केवल आसन और प्राणायाम को ही योग मान लिया जाता है।लेकिन सम्पूर्ण योग अष्टाँग योग है।

अष्टाँगयोग क्या है?    

महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र नामक ग्रंथ में अष्टाँगयोग का विस्तार से वर्णन किया है। यह ग्रंथ 'योग' का आधार है। आसन और प्राणायाम इसी के अंग है। इसके आठ अंग बताये गये हैं।

  1. यम (Yama).
  2. नियम (Niyama).
  3. आसन (Asana).
  4. प्राणायाम (Pranayam).
  5. प्रत्याहार (Prtyahar).
  6. धारणा (Dharna).
  7. ध्यान (Meditation).
  8. समाधि (Samadhi).

इस को सरल भाषा मे इस प्रकार समझें कि हमारा खान-पान संतुलित हो, हमारी सोच सही हो, विचार सही हों। हमारे कार्य कलाप ऐसे हो कि किसी को हमारे कारण परेशानी न हो। सत्य और अहिंसा का पालन करें।

ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध से दूर रहने का प्रयास करें। दुख के समय आशान्वित रहे और सुख प्राप्ति के समय दम्भ न करें। सुख व दुख के समय  "समभाव" में रहने का प्रयास करें। इसका अर्थ  यह है कि दुख के समय आशा बनाए रखें और सुख की प्राप्ति होने पर दम्भ ना करें।

साधारण शब्दो मे ये कहा जा सकता है कि 'विचाार' हमारे शरीर पर विशेष प्रभाव डालते है। और इम्युनिटी को प्रभावित करते हैं।

 इम्यूनिटी पर प्रभाव

यह एक वैज्ञानिक सत्य है  कि उपरोक्त  कार्यकलापों से हमारी इम्यूनिटी पर गहरा प्रभाव पङता है। क्योकि मन का जुङाव शरीर से है। मन शरीर को प्रभावित करता है। 

यदि आप क्रोध करते हैं या किसी से ईर्ष्या, द्वेष रखते हैं तो इसका प्रभाव सीधा आपके  शरीर  पर पङता है। 

इसी प्रकार हमारी सोच का भी हमारे शरीर की इम्युनिटी पर सीधा प्रभाव पङता है। 

ये सब बातें अष्टाँगयोग के आरम्भ में  "यम नियम" में विस्तार से बताई बताई गई हैं।इसलिए इन सब  बातों का ध्यान रखें और "आसन, प्राणायाम और ध्यान" रोज करें। योग करें और निरोग रहें। 

आसन और प्राणायाम का महत्व

आसन व प्राणायाम का इम्युनिटी पर सीधा प्रभाव पङता है। आसन हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं और प्राणायाम हमारे श्वसन तंत्र को सुदृढ करता है। इस से हमारी इम्युनिटी की वृद्धि होती है।

 इम्युनिटी के लिए आसन

आसन करने से पहले सूक्ष्म व्यायाम करें। इस के बाद आसन करें। आसन करते समय आँखें कोमलता से बंद रखें। आसन करते समय ध्यान केवल अपने शरीर पर केंद्रित रखें।

नये साधकों को आरम्भ में कठिन आसन नहीं करने चहाएँ। जिस आसन को करने में कठिनाई हो उस की पूर्ण स्थिति मे जानें का प्रयास ना करें। जो आसन सुख पूर्वक किये जाएँ केवल वे ही आसन करें। 

आसन को तीव्र गति से नही करना चहाए। आसन आरम्भ करते हुए धीरे-धीरे आसन की पूर्ण स्थिति में जाएँ। यथा शक्ति रुकने का प्रयास करें। और धीरे-धीरे वापिस पूर्व-स्थिति मे आ जाये।

आसन करते समय बल प्रयोग न करें। सरलता से जितना कर सकते हैं, उतना ही करें। बलपूर्वक (जबर्दस्ती) कोई आसन न करे।

आसन कैसे करें?

  • सू्क्ष्म व्यायाम करने के बाद बिछे हुए आसन (सीट) पर खङे हो जाएँ और सूर्य नमस्कार आसन करें।
  • आसन (सीट) पर पैर फैला कर बैठ जाएँ। दोनों हाथ पीछे रखे। विश्राम करने के बाद बैठ कर किये जाने वाले कुछ आसन करें।

 बैठ कर किये जाने वाले आसन

बैठ कर किये जाने वाले कुछ आसन इस प्रकार हैं।

1. पश्चिमोतान आसन :- 
  • बिछे हुए आसन पर बैठ जाएँ। 
  • दोनों पैरो को सीधा करें। एडी, पंजे व घुटने मिला कर रखें।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें। दोनों हाथ घुटनो पर रखें।
  • धीरे-धीरे दोनो हाथ ऊपर उठाएँ। श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर खीँचें।
  • श्वास छोङते हुए आगे की तरफ झुकें। दोनो हाथ सिर के साथ लगा कर रखें।
  • दोनो हाथों से पैर के पंजे पकङने का प्रयास करें। माथा या नाक घुटनो के पास ले जाने का प्रयास करें।
  • स्थिति मे अपनी क्षमता के अनुसार रुकें। 
  • वापसी के लिए श्वास भरते हुए ऊपर उठें। हाथो को सिर के साथ लगये रखें।
  • ऊपर उठने के बाद दोनो हाथ घुटनो पर ले आएँ।

2. जानुशिरासन :-

  • बैठी हुई स्थिति में दोनों पैरो को सीधा करें।
  • दाँया पैर मोङ कर बाँई जँघा के पास रखे। दोनो हाथ बाँये घुटने पर रखें।
  • श्वास भरते हुए दोनों हाथ ऊपर सिर के पास ले जाएँ। हाथो मे ऊपर की ओर खिँचाव दें।
  • श्वास छोङते हुए आगे झुकते हुए पैर का बाँया पँजा पकङे। मााथा घुटने के पास ले जाने का प्रयास करें।
  • स्थिति मे क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस पूर्व-स्थिति मे आ जाएँ।
  • यही क्रिया दूसरी तरफ से करें।

 3. वज्रासन :-

  • दोनों घुटनों को मोङ कर घुटनों के बल बैठ जाएँ।
  • घुटने मिला कर रखे।
  • पँजों के अंगूठे मिले हुए और ऐङिया खुली हुई रखें।
  • ऐङियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठ जाये।
  • दोनो हाथ घुटनो पर, रीढ व गरदन को सीधा रखें।
  • क्षमता के अनुसार इस स्थिति मे बैठे।

4. सुप्त वज्रासन :-

  • वज्रासन की मुद्रा मे बैठें।
  • घुटने मिला कर रखें। पीछे से पैर के पँजों मे  दूरी बनाये।
  • खुले पँजों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर रखें।
  • दोनों हाथ पँजो पर रखें। धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए दोनो कोहनियाँ नीचे टिका दे।
  • धीरे-धीरे पीठ को कोहनियो का सहारा देते हुए पीछे की तरफ लेट जाएँ।
  • हाथो को सिर की ओर ले जाएँ और सीधा करें।
  • स्थिति मे क्षमता के अनुसार रुकने के बाद कोहनियों का सहारा लेते हुए वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएँ।

5. शशाँक आसन :-
  • वज्रासन की मुद्रा मे बैठें।
  • दोनो हाथों को ऊपर ले जा कर ऊपर की ओर खिचाव दे।
  • श्वास छोङते हुए आगे झुकें, हाथो मे खिंचाव बनाए रखें।
  • हथेली, कोहनी व माथा नीचे टिकाएँ।
  • श्वास सामान्य करके यथा शक्ति रुकें।
  • कुछ देर रकने के बाद श्वास भरते हुए ऊपर उठें। और पूर्व स्थिति मे आ जाएँ।
6. अर्धमत्स्येन्द्र आसन :-
  • दोनों पैरो को सामने सीधे करके बैठ जाएँ।
  • बाँया पैर मोङ कर दाँयी जँघा के नीचे रखे।
  • बाँये पैर को उठा कर दाँयी जँघा के पास रखें।
  • दोनो हाथों से बाँये घुटने को सीने की ओर दबायें। 
  • दाँया हाथ ऊपर उठाएँ। दाँये हाथ के ऊपरी भाग से घुटने को सीने की ओर दबाते हुए पँजे को पकङें।
  • बाँया हाथ पीठ के पीछे ले जाएँ। गरदन को बाँयी तरफ मोङें।
  • यथा शक्ति रुकने के बाद वापिस आ जाएँ।
  • यही क्रिया दूसरी तरफ से दोहराएँ।

बैठ कर किये जाने वाले आसन करने क बाद सीने के बल (उल्टे) लेट जाएँ। कुछ आसन इस स्थिति मे करें।

उल्टे लेट कर किये जाने वाले आसन

सीने के बल लेट कर किये जाने वाले आसनो मे ये दो आसन बहुत महत्व पूर्ण है। पहले भुजंग आसन करे और उसके बाद शलभ आसन करें।

1. भुजंग आसन :-

  • सीने के बल उल्टे लेट जाएँ।
  • दोनो पैर सीधे, पँजे सीधे और घुटने मिले हुए रखें।
  • माथा नीचे आसन पर। दोनो हाथ कोहनियों से मोङ कर हथेलियाँ सिर के दाँये बाँये रखें।
  • धीरे से सिर को ऊपर उठाएँ। 
  • अब सीने को ऊपर उठा कर कुछ देर रुके।
  • कुछ देर रुकने के बाद पहले सीना नीचे टिकाएँ। उसके बाद मथा नीचे टिकाएँ।
  • स्थिल आसन मे विश्राम करें।

2. शलभ आसन :

  • सीने के बल उल्टे लेटें।
  • ठुडडी आसन पर रखें। दोनो हाथ दोनों जघाओ के नीचे रखें।
  • घुटने सीधे रखते हुए, दोनो मिले हुए पैर आसन से थोङा ऊपर उठा कर  रुकें।
  • यथा शक्ति रुकने के बाद वापिस आ जाये। 

ये दोनो आसन करने के बाद पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। कुछ सैकिंड विश्राम  करें। कुछ आसन इस स्थिति मे करें

सीधे लेट कर किये जाने वाले आसन

  1.  हलासन
  2. मकरासन
  3. पादोतान आसन
  4. पवन मुक्त आसन
  5. सर्वांग आसन
  6. मत्स्य आसन
  7. शव आसन

अंत मे शव आसन की स्थिति मे लेट जाएँ।दोनो पैरो मे फासला रखे, दोनो हाथ शरीर के साथ दाँये-बाँये,  हथेलियाँ खुली रखे, और शरीर को ढीला छोङ दे। कुछ देर विश्राम करें

(आसनों के बारे मे विस्तार से जानने के लिये हमारे अन्य लेखों का अवलोकन करें) 

सावधानी आसनों में

सभी आसन सावधानी से करें। अपनी क्षमता के अनुसार करें। यदि किसी आसन की पूर्ण स्थिति मे नही पहँच पा रहे है तो बल प्रयोग न करें। आसन जितना कर सकते है उतना ही करे। आरम्भ मे सरल आसन करे।

प्राणायाम

  1. आसन करने के बाद प्राणायाम अवश्य करें।
  2. प्राणायाम से हमारी श्वसन प्रणाली सुदृढ होती है।
  3. प्राणायाम से हमारे Lungs एक्टिव रहते है
  4. शरीर को आक्सिजन पर्याप्त मात्रा मे मिलती है।
  5. आक्सीजन प्रयाप्त मात्रा मे मिलने से हृदय को पुष्टि मिलती है।
  6. शरीर की Immunity मे वृद्धि होती है।

मुख्य प्राणायाम के बारे मे नीचे बताया गया है।इन को नियमित करे और अपनी Immunity को स्वस्थ रखें।

मुख्य प्राणायाम:

1. कपालभाति :- 

  • पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
  • पीठ व गरदन को सीधा रखें।
  • हाथ घुटनों पर। आँखें कोमलता से बंद करें।
  • लम्बा श्वास भरें, बलपूर्वक बाहर छोङें। श्वास भरने की गति सामान्य और बाहर छोङने की गति तीव्र रखे।
  • अपनी क्षमता के अनुसार करने के बाद श्वासो को सामान्य करें। 
(कपालभाति की अधिक जानकारी के लिये देखें:-  कपालभाति )

2. अनुलोम विलोम :-

  • पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
  • बाँया हाथ बाँये घुटने पर ज्ञान मुद्रा मे और दाँया हाथ नासिका के पास रखें।
  • दाँये हाथ के अँगूठे से दाँयी नासिका बद करेे।
  • बाँयी नासिका से श्वास भरें। 
  • पूरा श्वास भरने के बाद बाँयी नासिका बंध करें।
  • दाँयी ओर से श्वास खाली करें।
  • श्वास पूरी तरह खाली होने के बाद फिर दाँयी ओर से श्वास भरें।
  • पूरा श्वास भरने के बाद बाँयी ओर से श्वास खाली करें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार अन्य आवर्तियाँ करें।
(अनुलोम विलोम की अधिक जानकारी के लिये देखें:-  अनुलोम विलोम )

3. भस्त्रिका :--

  • पद्ममासन या सुखासन मे बैठें।
  • दोनो हाथों से घुटने पकङें।
  • पीठ व गरदन को सीधा रखें।
  • आँखे कोमलता से बंध करें।
  • लम्बा श्वास भरें।
  • तीव्र गति से श्वास छोङें और तीव्र गति से श्वास भरें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार करने के बाद वापिस आ जाँये। श्वासो को सामान्य करें।

(अधिक जानकारी के लिये देखें :- भस्त्रिका )

4. नाङी शौधन :-

  • पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
  • बाँया हाथ बाँये धुटने पर ज्ञान मुद्रा मे और दाँया हाथ नासिका के पास रखें।
  • दाँये हाथ के अँगूठे से दाँयी नासिका को बंध करें।
  • बाँयी तरफ से श्वास भरें।
  • पूरा श्वास भरने के बाद बाँयी नासिका को भी बंध करें।
  • यथा शक्ति श्वास को रोकें। और दाँयी तरफ से खाली करें।
  • पूरा श्वास खाली होने के बाद फिर दाँयी तरफ से श्वास भरें। क्षमता अनुसार श्वास रोकें।
  • क्षमता अनुसार श्वास रोकने के बाद बाँयी तरफ से श्वास खाली करें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। क्मता अनुसार अन्य आवर्तियाँ करें।

(प्राणायाम की विधि, लाभ, सावधानियाँ तथा अधिक जानकारी के लिये देखें :- नाडीसोधन     
प्राणायाम में  कुम्भक व बन्ध  का प्रयोग करे।नये व्यक्ति बिना कुम्भ्क प्राणायाम करें। अपनी क्षमता के अनुसार प्राणायाम करे।
(प्राणायाम के बारे मे विस्तार से जानने के लिए हमारे अन्य लेख भी देखें)

ध्यान Meditation        

  • आसन और प्राणायाम के बाद कुछ देर ध्यान की स्थिती मे बैठें।
  • इसके लिए पद्मासन लगाएँ या पलाथी लगा कर सुखासन मे बैठ जाएँ। 
  • दोनों हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखे। 
  • बंद आँखों से माथे के मध्य टीका लगाने वाले स्थान को निहारें।
  • कुछ देर निर्विचार होकर बैठे।
  • अंत में लम्बी गहरी साँस भरें और ओम् कार ध्वनी करें।

सारांश :-

"इम्युनिटी" शरीर को रोगों से लङने की शक्ति देती है। मजबूत इम्युनिटी शरीर को वायरस से बचाती है। योग शरीर को पुष्टि देता है। तथा इसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाता है। अत: Immunity बढाने के लिए  नियमित योग करे।

Disclaimer :--

इस लेख का उद्देश्य किसी रोग का उपचार करना नही है। इस लेख का उद्देश्य योग की जानकारी देना है। तथा योग से मिलने वाले लाभ से अवगत कराना है।

1 टिप्पणियाँ

Mr Manish ने कहा…
आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही ज्ञानवर्धक है