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वज्रासन एक सरल आसन है। इस आसन को सभी आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध कर सकते हैं। यही एकमात्र आसन है जो भोजन करने के तुरंत बाद किया जा सकता है। यह  पाचन तंत्र बढाने वाला आसन है। इस लेख मे आपको यह बताया जायेगा कि वज्रासन कैसे करें? और इसके क्या लाभ हैं?


लेख में जानकारियां :-
  • वज्रासन क्या है?
  • वज्रासन कैसे करें?
  • वज्रासन के लाभ।
  • वज्रासन में सावधानी।
  • वज्रासन की स्थिति मे किये जाने वाले आसन।


वज्रासन क्या है? और कैसे करें? Vajrasna kya hai?

• यह आसन शरीर को वज्र के समान मजबूत बनाता है इसलिए इसका नाम वज्रासन रखा गया है। इस आसन में दिन में किसी भी समय बैठ सकते है।

• भोजन करने के बाद यदि टहलने का समय नही है तो इस आसन मे बैठें। यह भोजन को पचाने में सहायक है। भोजन करने के बाद कुछ देर इस आसन मे अवश्य बैठे। 

• यह एकमात्र ऐसा आसन है जिसको दिन मे कभी भी किया जा सकता है। जो दुकानदार गद्दी पर पूरा दिन बैठते हैं वे इस आसन की स्थिति में बैठकर अपनी थकान को दूर कर सकते है।

• यह पैरों की थकान दूर करने वाला तथा पैरो की मासपेशियों को मजबूत करने आसन है। योग मे यह एक ध्यानात्मक आसन भी है।

• इस पोज मे रीढ के लाभदायी आसन भी किये जाते हैं।

वज्रासन की सही विधि :

  • वज्रासन के लिये दोनो घुटने मोड़ कर बैठें।
  • दोनों पैरों के पंजे सीधे, और अंगूठे मिला कर रखें।
  • खुली एड़ियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठें।
  • दोनो हाथ घुटनों पर रखें।
  • दोनों घुटनों को मिला कर रखें।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें।
  • आँखें कोमलता से बन्द करें।
  • यथा-शक्ति आसन में रुकें।
  • वज्रासन की स्थिति मे किये जाने वाले आसनों का अभ्यास भी करें (इस पोज मे किये जाने वाले आसनों का विवरण आगे दिया गया है।)

वज्रासन के लाभ :

  • यह आसन पाचन शक्ति को बढाता है।  अपचन, गैस व कब्ज जैसे रोगों के दूर होने से पेट के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • इस आसन में कमर से नीचे पैरों का स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। जंघाएं और पिंडलियां सुडौल होती है।
  • घुटने व पिंडलियों के दर्द से मुक्ति मिलती  है।
  • वज्र नाड़ी प्रभावित होने से वीर्य ऊर्ध्वगामी होता है।
  • महिलाओ के लिए लाभकारी है। मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है।
  • मन की चंचलता दूर होकर एकाग्रता बढती है। मानसिक स्थिरता आती है। यह आसन ध्यान लगाने मे सहायक है।
  • इस अभ्यास से रीढ मजबूत होती है।
  • पैरों की थकान मिटाने के लिये यह उत्तम आसन है।

वज्रासन में सावधानी :

यद्यपि यह आसन बहुत सरल है लेकिन फिर भी इस आसन को करते समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं।

  • यदि घुटने मोड़ने मे कोई परेशानी है तो यह आसन नहीं करें।
  • पैरों का ऑपरेशन हुआ है,  तो यह आसन ना करें या चिकित्सक से सलाह लें।
  • रीढ मे कोई परेशानी है तो बिना चिकित्सक की सलाह के यह आसन ना करें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को ना करें।
  • यदि आप यह आसन पहली बार कर रहे हैं तो आरम्भ मे 10-15 सैकिंड तक करे और धीरे धीरे समय बढाएं।
  • आसन करते समय रीढ को सीधा रखें।

वज्रासन की स्थिति में किये जाने वाले आसन:

कुछ आसन वज्रासन की स्थिति मे किये जाते है। इस स्थिति मे किये जाने वाले आसन ये हैं :-

  1. उष्ट्रासन
  2. शशांक आसन
  3. सुप्त वज्रासन
(विस्तार से देखें :-वज्रासनमुद्रा के आसन)

सारांश :

वज्रासन पाचन शक्ति बढाने वाला, पैरों के स्नायु तंत्र को सुदृढ करने वाला उत्तम आसन है। दिन के समय इस आसन की स्थिति मे बैठ सकते है। यह पैरों की थकान मे आराम देने वाला आसन है।

Disclaimer :

अपने शरीर की क्षमता अनुसार अभ्यास करें। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

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