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शरीर के वजन की अत्याधिक वृद्धि (मोटापा) होना, कई अन्य रोगों का कारण बनता है। आधुनिक समय में बहुत से लोग इस परेशानी से पीड़ित हैं। अनियमित जीवनशैली और असंतुलित आहार इसका मुख्य कारण बनते हैं। Weight Loss: वजन कम करने के लिए योगाभ्यास का विशेष महत्व होता है। इसके लिए संतुलित आहार लें और नियमित योग का अभ्यास करें। वजन घटाने के लिए योग कैसे प्रभावी होता है, तथा योगाभ्यास कैसे करना चाहिए, प्रस्तुत लेख में इसी विषय पर विचार किया जाएगा।

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वजन नियंत्रण के लिए योगाभ्यास

योग भारत की एक प्राचीन विधि है। यह ऋषियों द्वारा बताई गई उत्तम विधि है। इसका नियमित अभ्यास शरीर के अंगो को सक्रिय बनाए रखता है और शरीर के बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता। योगाभ्यास के साथ आहार का भी विशेष महत्व है। गलत खानपान मोटापे का कारण बनता है। इसलिए संतुलित आहार लें और नियमित योगाभ्यास करें।

आहार :- शरीर के वजन को संतुलित रखने के लिए आहार का बहुत महत्व है। सात्विक और शाकाहार को प्राथमिकता देनी चाहिए। आहार में फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज तथा हल्का भोजन लेना चाहिए। भूख से अधिक भोजन न करें। तला हुआ, अधिक चिकनाई युक्त तथा पैकेजिंग फूड से बचें। धूम्रपान, मद्यपान या कोई अन्य नशे का सेवन न करें।

योगाभ्यास :- शरीर को निरोग और संतुलित बनाए रखने के लिए योग का विशेष महत्व है। नियमित योगाभ्यास आहार से प्राप्त कैलोरी को संतुलित करता है। यह अभ्यास मांसपेशियों को सुदृढ़ करता है, चयापचय (Metabolism) की वृद्धि करता है और अतिरिक्त चर्बी को कम करने में सहायक होता है। इस अभ्यास में आसन और प्राणायाम दोनों महत्वपूर्ण हैं।

(Read this article in English:- Yoga for weight loss 

वजन नियंत्रित करने के लिए योगासन

योगाभ्यास के लिए किसी उपयुक्त स्थान का चयन करें। पार्क जैसा प्राकृतिक वातावरण योग के लिए उत्तम होता है। यदि घर पर अभ्यास करना है तो खुला और हवादार स्थान का चयन करें। कपड़ा, दरी अथवा योगा-मेट बिछा कर अभ्यास करें। योगाभ्यास की सही विधि क्रमशः इस प्रकार है :--

  1. खड़े हो कर अभ्यास
  2. बैठ कर 
  3. लेट कर 
आइए इनको विस्तार से समझ लेते हैं।

खड़े होकर किए जाने वाले आसन :

1. सुक्ष्म आसन : बिछे हुए आसन (सीट) पर खड़े हो जाएं। क्रमशः दायां और बायां पैर उठते हुए वार्मअप करे। कोहनियों से हाथों को मोड़ कर हाथों का भी संचालन करें। धीमी गति से आरम्भ करें धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। क्षमता अनुसार क्रिया करने के बाद सामान्य अवस्था आ जाएं। खड़े होकर विश्राम करें। श्वासो को सामान्य करे।

सावधानी : उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति धीमी गति से अभ्यास करें।

प्रभाव : रक्त संचार व्यवस्थित होता है। शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है।

2. अग्निसार क्रिया : दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं। आगे की तरफ झुकते हुए दोनों हाथ घुटनों पर रखें। लंबा श्वास भरें। धीरे से पूरा श्वास खाली करें। खाली श्वास की स्थिति में पेट को आगे पीछे करें। क्षमता अनुसार अभ्यास करने के बाद श्वास भरें, कमर को सीधा करते हुए ऊपर उठें। खड़ी अवस्था में कुछ देर विश्राम करें।

सावधानी : आंत तथा पेट के गंभीर रोगी इस अभ्यास को न करें।

प्रभाव : पाचन क्रिया को स्वस्थ करता है। पेट के फैट को कम करने में सहायक होता है। आंतों को सुदृढ़ करता है।

3. सूर्य नमस्कार आसन : कुछ देर विश्राम करने के बाद सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें। यह बारह चरणों में किया जाने वाला अभ्यास है। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करने वाला आसन है।

आसन की पूरी जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- सूर्य नमस्कार की सही विधि

आसन का अभ्यास करने के बाद पीठ के बल सीधे लेट कर विश्राम करें।

सावधानी : आसन का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही करें।

प्रभाव : इस आसन के अभ्यास से शरीर के सभी अंग प्रभाव में आते हैं। शरीर के वजन को संतुलित करने में सहायक होता है।

बैठ कर किए जाने वाले अभ्यास:

कुछ देर विश्राम करने के बाद उठ कर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सीधा रखें। बैठ कर किए जाने वाले अभ्यास करें।

1. कटिचक्रासन : दोनों पैरों को अधिकतम दूरी पर सीधा रखें। आगे की ओर झुकते हुए क्रमशः बायां हाथ दाएं पंजे के पास तथा दायां हाथ बाएं पंजे के पास ले जाएं। दूसरा हाथ पीछे पीठ की ओर रखें। क्षमता अनुसार अभ्यास करने के बाद वापिस आएं। पैरों का अंतर कम करें, दोनों हाथों को पीछे टिका कर कुछ देर विश्राम करें।

सावधानी : पेट का आकार अधिक बढ़ा हुआ है, अथवा आगे की तरफ झुकने में परेशानी है, तो बलपूर्वक अभ्यास न करें। जितना सरलता से अभ्यास कर सकते हैं उतना ही करें।

प्रभाव : कटि चक्रासन से कमर, रीढ़ तथा पैरो की जंघाएं प्रभावित होती हैं। कमर तथा जंघाओं की बढ़ी हुई चर्बी को कम करता है।

 2. तितली आसन : दोनों पैरों के पंजे मिलाएं। दोनों हाथों से पंजों को पकड़ कर एड़ियों को मध्य भाग (जननांग) के पास ले जाने का प्रयास करें। रीढ़ को सीधा रखें। घुटनों को तितली की पंखों की तरह ऊपर नीचे करें। क्षमता अनुसार करने बाद वापिस आएं। पैरों को सीधा करें, हाथों को पीछे टिका कर विश्राम करें।

सावधानी : घुटनों की परेशानी वाले व्यक्ति क्षमता अनुसार पैरों को मोड़ें।

प्रभाव : पैरों की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।

3. वज्रासन: दोनों पैरों को मोड़ कर घुटनो के बल बैठें। दोनों घुटने मिले हुए, एड़ियां खुली हुई, एड़ियों के बीच  में मध्य भाग (Hips) टिका कर बैठे। दोनों हाथ घुटनों पर रखें। रीढ़ को सीधा रखें।

सावधानी: घुटनों की परेशानी वाले व्यक्ति इस आसन को न करें।

प्रभाव : इस आसन से पाचन क्रिया स्वस्थ होती है। यह अभ्यास पैरों की मांसपेशियो तथा जंघाओ को प्रभावित करता हैं।

4. बालासन : वज्रासन की स्थिति में बैठ कर दोनों पीठ के पीछे ले जाएं। दाएं हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़े। आगे की ओर झुकें। सिर को घुटनों के पास ले जाने का प्रयास करें। यथा शक्ति पूरी तरह झुकने के बाद कुछ देर स्थिति में रुकें। क्षमता अनुसार रुकने के बाद ऊपर उठें। रीढ़ को सीधा करे, हाथों को घुटनों पर रखें।

सावधानी : आगे की तरफ अपनी क्षमता अनुसार ही झुकें। क्षमता से अधिक झुकने का प्रयास न करें।

प्रभाव : रीढ़, कमर, पेट और जंघाओं पर विशेष प्रभाव होता है। पेनक्रियाज, लीवर और आंतें सक्रिय होती हैं। संतुलित रासायनिक निर्माण वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

लेट कर किए जाने वाले आसन :

1. अधोमुखासन : वज्रासन के बाद दोनों हाथों को आगे की ओर टिकाएं। शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं। पैरों की एडी-पंजे मिलाएं। एड़ियां नीचे टिकने का प्रयास करें। नितम्ब (मध्य भाग) ऊपर की ओर रखें। शरीर का भार हथेलियों व पैर के पंजों पर रखे। स्थिति में कुछ देर रुकने के बाद घुटने और माथा नीचे टिकाए। पेट के बल लेट कर विश्राम करें।

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सावधानी : क्षमता अनुसार अभ्यास करें।

प्रभाव : मुख्य प्रभाव पैरों की मांसपेशियो पर।

2. भुजंग आसन : पेट के बल लेटें। दोनों पैरों को सीधा रखें। घुटने, एड़ी और पंजे मिलाएं। माथा नीचे टिकाए, कोहनियां मोड़ें और हथेलियां सिर के पास रखे। माथा ऊपर की ओर उठाएं। श्वास भरते हुए चेस्ट को ऊपर उठाएं। भरे श्वास की स्थिति में कुछ देर रुकें। हथेलियों पर शरीर का भार कम से कम रखें। स्थिति में कुछ देर रुकने के बाद धीरे-धीरे वापिस आ जाएं। सीना (चेस्ट) और माथा नीचे टिकाए। विश्राम करें।

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सावधानी : चेस्ट अपनी क्षमता अनुसार ऊपर उठाएं।गर्दन व सर्वाइकल पीड़ित व्यक्ति सावधानी से करे।

प्रभाव : पेट, चेस्ट, गर्दन पर विशेष प्रभाव। हार्मोन्स को संतुलित करता है।

3. धनुरासन : पेट के बल लेटें। घुटनों से दोनों पैरों को मोड़ें। दोनों हाथों से पैरों को टखनों के पास पकड़े। घुटने मिला कर रखे। हाथों से खींचते हुए घुटनों को ऊपर उठाएं। आगे से चेस्ट को भी ऊपर उठाएं। आगे पीछे से शरीर को उठाने के बाद स्थिति में कुछ देर तक रुकें। क्षमता अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएं। सीना नीचे टिकाए, पैरों को सीधा करें और कुछ देर विश्राम करें।

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सावधानी : रीढ़ व पेट के रोगी यह अभ्यास न करें।

प्रभाव : रीढ़ और पेट प्रभावित होते हैं। पेट का फैट कम करने में सहायक होता है।

4 पादोत्तान आसन : करवट बदलते हुए पीठ के बल लेटें। दोनों पैरों को सीधा रखें। घुटने, एड़ी और पंजे मिलाएं। दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें। घुटने सीधे रखते हुए दोनों पैरों को थोड़ा ऊपर उठाएं। कमर से ऊपर का भाग ऊपर उठते हुए दोनों हाथों को घुटनों के पास ले जाएं। मध्य भाग पर कुछ देर रुकें। क्षमता अनुसार रुकने के बाद वापिस पूर्व स्थिति में आ जाएं। विश्राम करें।

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सावधानी : आंत के रोगी इस अभ्यास को न करें।

प्रभाव : इस अभ्यास से पेट के सभी अंग प्रभावित होते हैं। यह पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने वाला आसन है। इसका नियमित अभ्यास पेट के आकार को कम करने में सहायक होता है।

5. पवन मुक्तासन : पवन मुक्तासन पेट के लिए एक उत्तम अभ्यास है। इसका अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेटें। दोनों घुटनों को मोड़ें। दोनों हाथों से घुटनों को पकड़े। घुटनों को पेट की तरफ दबाए। पीठ को ऊपर उठते हुए सिर घुटनों के पास ले जाएं। स्थिति में कुछ देर तक रुकें। कुछ देर रुकने के बाद वापिस आ जाएं। पीठ और पैरों को नीचे टिकाएं। कुछ देर तक विश्राम करें।

सावधानी : घुटनों को क्षमता अनुसार पेट की तरफ दबाए। आंत व पेट के रोगी इस अभ्यास को न करें।

प्रभाव : पेट के आंतरिक अंग प्रभावित होते हैं। कब्ज से राहत तथा पाचन तंत्र की वृद्धि होती है। बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है 

6. शव आसन : सभी अभ्यास करने के बाद शव आसन में विश्राम करें। पीठ के बल सीधे लेटें। पैरों में कुछ दूरी (गैप) रखें। दोनों हाथ शरीर के साथ रखें। आंखे कोमलता से बंध करें। शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। श्वासों को सामान्य करें।

विश्राम करने के बाद प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें।शरीर का वजन संतुलित रखने के लिए प्राणायाम विशेष लाभकारी होता है। पूरी जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- प्राणायाम का महत्व

सारांश :

शरीर का वजन कम करने के लिए योगाभ्यास एक प्रभावी क्रिया है। योगाभ्यास के साथ आहार का संतुलन भी जरूरी होता है। गलत खानपान अनियमित जीवनशैली मोटापे का कारण बनते हैं।

Disclaimer :

यह लेख चिकित्सा हेतु नहीं है। इस लेख का उद्देश्य योग की सामान्य जानकारी देना है। रोग की अवस्था में योगाभ्यास न करें और चिकित्सक से सलाह लें। लेख में बताए गए सभी अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए है। सभी अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही करें। क्षमता से अधिक अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

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