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प्राय: नये योग अभ्यासी केवल आसनों को ही योग मान लेते हैं। यह सही नही है। योगाभ्यास मे पहले "आसन" का अभ्यास करें। आसन के बाद प्राणायामध्यान का अभ्यास अवश्य करें। योग मे प्राणायाम का महत्व बहुत अधिक है। आसन के बाद इसका अभ्यास अधिक लाभदायी होता है। यह श्वसनतंत्र की मजबूती देता है, प्राणों की वृद्धि करता है तथा रक्तचाप को सन्तुलित करता है। यह शरीर को ऊर्जा देने वाली क्रिया है। योग मे प्राणायाम का क्या महत्व है, यही इस लेख का विषय है।

विषय सुची :-

• प्राणायाम क्या है?
• योगाभ्यास में प्राणायाम का महत्व।
• प्राणायाम कैसे करे?
• कौनसे प्राणायाम लाभदायी हैं?
• प्राणायाम किसे नही करना चाहिये?

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योग में प्राणायाम का महत्व। Importance Of Pranayama.

योग मे प्राणायाम का विशेष महत्व है। यह प्राण-ऊर्जा को प्रभावित करने वाली क्रिया है। प्राणायाम का आधार "श्वास" है। यह हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है, यह जानने के लिये पहले हमे प्राणायाम के विषय को समझना होगा।

प्राणायाम क्या है? :- यह योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। यह प्राण और आयाम दो शब्दों से मिल कर बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है- प्राणों को आयाम देना। इस अभ्यास से प्राण-शक्ति को आयाम (उंचाई तक ले जाना) दिया जाता है। यह अष्टांगयोग का चौथा चरण है।

परिभाषा पतंजलि योग में :- महर्षि पतंजलि ने अपने "योगसूत्र" मे प्राणायाम को परिभाषित किया है। वे इसके लिये एक सूत्र देते हैं :- 
तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद: प्राणायाम:।
अर्थात् - (आसन के बाद) श्वास लेने व छोड़ने की गति को कुछ देर के लिये रोकना ही प्राणायाम है।

इसका भावार्थ यह है कि भरे श्वास या खाली श्वास की स्थिति मे अपनी क्षमता अनुसार कुछ देर रुकना "प्राणायाम" है। इस क्रिया मे श्वास की तीन अवस्थाएं हैं।

प्राणायाम में श्वास की तीन अवस्थाएं :- प्राणायाम एक श्वसन-अभ्यास है। सामान्यत: श्वास की दो ही अवस्थाएं होती हैं :- " श्वास लेना" और "श्वास छोड़ना"। लेकिन प्राणायाम मे ये तीन अवस्थाएं होती हैं :-
1. श्वास लेना (पूरक)।
2. श्वास छोड़ना (रेचक)।
3. श्वास रोकना (कुम्भक)।

(विस्तार से देखें :- रेचक, पूरक व कुम्भक क्या हैं?)

योगाभ्यास मे प्राणायाम का महत्व।

योगाभ्यास में आसन के बाद प्राणायाम का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लाभ व प्रभाव बहुआयामी हैं। इसके महत्व को विस्तार से समझ लेते हैं :-

1. प्राणायाम का महत्व प्राणों के लिये :- शरीर के लिये प्राण का विशेष महत्व है। इसके बिना शरीर का अस्तित्व नही है। प्राणायाम का मुख्य प्रभाव प्राणों पर ही होता है। प्राण एक ऊर्जा है। इसका संचार पूरे शरीर मे प्राणिक नाड़ियों द्वारा किया जाता है। लेकिन कई बार इन मे अवरोध आ जाते हैं। इन मे अवरोध आने के कारण शरीर रोग-ग्रस्त होने लगता है। प्राणायाम-अभ्यास से प्राणिक-नाड़ियोंं के अवरोधों को हटाया जा सकता है।

2. प्राणायाम का महत्व श्वसनतंत्र के लिये :- "श्वास" शरीर के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन इसके लिये श्वसनतंत्र का सुदृढ होना जरूरी है। श्वसनतंत्र का कमजोर होना श्वास-रोग का कारण बनता है। प्राणायाम का अभ्यास श्वसनतंत्र को सुदृढ तथा फेफड़ों (Lungs) को सक्रिय बनाये रखता है। इसका नियमित अभ्यास श्वास-रोग से बचाए रखने में सहायक होता है।

सावधानी :- श्वास-रोगी तथा कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति कुछ सावधानियों के साथ अभ्यास करें।

3. प्राणायाम का महत्व रक्तचाप (BP) के लिये :- शरीर मे रक्तचाप (BP) एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इसी के कारण शरीर मे रक्त का संचार होता है। स्वस्थ शरीर के BP का सन्तुलित रहना जरूरी है। नियमित प्राणायाम शरीर के रक्तचाप को सन्तुलित रखने मे सहायक होता है।

सावधानी :- उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति तीव्र गति का अभ्यास न करें।

4. प्राणायाम ऊर्जादायी है :- नियमित प्राणायाम शरीर को ऊर्जा देता है। यह शरीर की ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी (ऊपर की ओर उठने वाली) करता है।

5. शरीर मे आक्सीजन लेवल की वृद्धि :- इस अभ्यास से शरीर मे आक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा मे होती है। यह आक्सीजन लेवल को बनाये रखने मे सहायक होता है।

6. प्राणायाम का महत्व हृदय के लिये :-  इस अभ्यास से रक्तचाप सन्तुलित रहता है तथा आक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। इस लिये यह अभ्यास हृदय को स्वस्थ रखने मे सहायक होता है।

7. रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) :- प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता की रक्षा करता है तथा इसकी वृद्धि करता है।

प्राणायाम कैसे करें?

योगाभ्यास मे प्राणायाम का विशेष महत्व है। लेकिन आसन के बाद इस अभ्यास को किया जाना चाहिए। पहले आसनों का अभ्यास करे, अभ्यास पूरा करने के बाद कुछ देर सीधे लेट कर विश्राम करें। विश्राम के बाद प्राणायाम करें। इस अभ्यास मे कुछ बातो को ध्यान मे रखें :--

बैठने की स्थिति :- योगासन पूरे करने के बाद प्राणायाम के लिये बैठ जाये। पद्मासन की स्थिति मे बैठना उत्तम है। इस पोज मे नही बैठ सकते हैं तो सुविधा अनुसार सुख पूर्वक किसी अन्य पोज मे बैठें। यदि घुटने मोड़ कर नीचे नही बैठ सकते हैं तो कुर्सी पर बैठें। रीढ को सीधा रखें। आंखें बन्ध तथा दोनों हाथ घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रखें।

• कोन से प्राणायाम करें? :- योग की सभी क्रियाएं अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार करनी चाहिए। प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वासों की स्थिति के अनुसार करें। नये अभ्यासी तथा कमजोर-श्वसन वाले व्यक्ति सरल प्राणायाम करें। सामान्यत: किये जाने वाले प्राणायाम ये हैं :-

• सावधानियां :- प्राणायाम अभ्यास मे इन सावधानियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए :-

  1. एक अभ्यास करने के बाद श्वासों को सामान्य  करें। श्वास सामान्य होने के बाद अगला अभ्यास करें।
  2. नये अभ्यासी सरल प्रणायाम करें। आरम्भ मे कुम्भक* का प्रयोग न करें।
  3. उच्च रक्तचाप (High BP) से प्रभावित व्यक्ति धीमी गति से अभ्यास करें।
  4. प्राणायाम की आवर्तियां क्षमता अनुसार करें।
(*कुम्भक :- भरे श्वास और खाली श्वास मे कुछ देर रुकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)

कौनसे प्राणायाम लाभदायी हैं ?

अपने श्वासों की स्थिति व क्षमता अनुसार किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

1. नियमित अभ्यासी :- नियमित तथा सुदृढ श्वसन वाले अभ्यासी बंध कुम्भक सहित प्राणायाम करें। बंध व कुम्भक सहित किया गया प्राणायाम लाभदायी होता है।

2. नये अभ्यासी :- आरम्भ मे सरल अभ्यास करें। नये अभ्यासी के लिये सरल प्राणायाम लाभदायी होते हैं। धीरे-धीरे अभ्यास बढाएं। अभ्यास बढने के बाद कुम्भक का प्रयोग करें।

प्राणायाम किसे नही करना चहाये?

प्राणायाम अभ्यास का महत्व सभी के लिये है। सभी आयु-वर्ग के स्त्री-पुरुष इसका अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार कर सकते हैं। लेकिन कुछ व्यक्तियों के लिये प्राणायाम वर्जित है। अत: इन व्यक्तियों को यह अभ्यास नही करना चाहिए :--

  1. श्वास के गम्भीर रोगी।
  2. हृदय के गम्भीर रोगी।
  3. अधिक वृद्ध.व्यक्ति।

यदि उपरोक्त प्रकार के व्यक्तियों प्राणायाम का अभ्यास करना है, तो पहले अपने चिकित्सक से सलाह ले। चिकित्सक की अनुमति से कुशल निर्देशन मे अभ्यास करें। तथा सरल प्राणायाम करें। उपरोक्त व्यक्ति बिना चिकित्सक की अनुमति के प्राणायाम न करें।

सारांश :-

योग मे प्राणायाम का महत्व बहुत अधिक है। आसन के बाद इसका अभ्यास करना चाहिए। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार कर सकते हैं।

Disclaimer :-

यह लेख चिकित्सा हेतू नहीं है। योग की सामान्य जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। रोग पीड़ित होने पर अपने चिकित्सक से सलाह ले तथा योगाभ्यास न करें।

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