योगाभ्यास में कपालभाति प्राणायाम एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। मूलत: यह अभ्यास योग की एक शुद्धि क्रिया है। योग में शरीर की शुद्धि के लिए "छः क्रियाएं" बताई गई हैं, इनको षट् कर्म कहा गया है। कपालभाति इसी षट् कर्म की एक क्रिया है। लेकिन प्राणायाम में इसका अभ्यास करना लाभकारी होता है। कपालभाति प्राणायाम कैसे करें, इसके लाभ व सावधानियां क्या हैं?प्रस्तुत लेख में यह विस्तार से बताया जाएगा।
- कपालभाति प्राणायाम क्या है?
- कपालभाति की विधि
- लाभ
- सावधानियां
कपालभाति प्राणायाम क्या हैं?
कपालभाति योग की एक महत्वपूर्ण शुद्धि क्रिया है। शरीर को शुद्ध करने के लिए 6 क्रियाएं बताई गई हैं। इनमें यह एक विशेष शुद्धि क्रिया है, जो कपाल भाग को शुद्ध करती है। यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला अभ्यास है। प्राणायाम अभ्यास में यह श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करने वाली क्रिया है। प्राणायाम में इसका अभ्यास कैसे करना चाहिए? इसकी सही विधि, लाभ तथा सावधानियां क्या हैं? इसका लेख में आगे वर्णन किया जायेगा।
कपालभाति की सही विधि, लाभ व सावधानियां
कपालभाति दो शब्दों से मिल कर बना है- कपाल और भाति। 'कपाल' का अर्थ है शीर्ष या खोपड़ी और 'भाति' का अर्थ है तेज करना या मांजकर साफ करना। इस क्रिया से कपाल भाग की शुद्धि होती हैं, इसलिए इसे कपालभाति कहा गया है। मूलतः यह एक शुद्धि क्रिया है। कुछ विद्वान इसे शुद्धि क्रिया के साथ एक प्राणायाम भी मानते हैं।
(देखें :-- क्या कपालभाति एक प्राणायाम नहीं है?)
कपालभाति को एक शुद्धि क्रिया के रूप मे किया जाये या प्राणायाम के रूप मे, ये दोनों अवस्थाओं में लाभकारी है। प्राणायाम में कपालभाति का अभ्यास कैसे करें? इसके लाभ तथा सावधानियां क्या हैं? आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।
कपालभाति की सही विधि :
- दरी या चटाई पर पद्मासन या सुखासन मे बैठ जाएं।
- आँखें कोमलता से बंद रखें।
- दोनो हथेलियों से घुटनो को पकड़ लें।
- रीढ व गर्दन को सीधा रखें।
- लम्बा सांस भरें। मूल बन्ध लगाएं (मूलबंध :- मलद्वार पर दबाव बना कर ऊपर की ओर खिंचाव)।
- दोनो नासिकाओं से बलपूर्वक श्वांस को बाहर फेंके। श्वांस लेना सामान्य रहे। श्वांस छोड़ते समय पेट को पीछे ले जाएं।
- सामर्थ्य के अनुसार श्वास को पम्पिंग करते हुए बाहर फेकते रहे।
- अंत मे श्वास को बाहर छोड़ कर खाली श्वास मे रुकें। और फिर श्वास को सामान्य करे।
- यह एक आवर्ती हुई। इस प्रकार सामर्थ्य अनुसार अन्य आवर्तियां करे।
कपालभाति के लाभ :
- इस क्रिया से कपाल भाग का शुद्धिकरण होता है। इस क्रिया को करने के बाद शीर्ष भाग शुद्ध हो जाता है।
- कपालभाति से मस्तिष्क सक्रिय होता है।
- कफ, वात व पित्त दोष को संतुलित रखता है। ये त्रिदोष शरीर मे बिमारी का मुख्य कारण बनते हैं । इस क्रिया से कफ, वात व पित्त तीनो मे बैलेंस बना रहता है।
- श्वसनतंत्र को सुदृढ होता है।
- इसके नियमित अभ्यास से रक्तचाप (BP) संतुलित रहता है।
- फेफड़े (Lungs) सक्रिय होते है।
- शरीर मे Oxygen की पूर्ति होती है। यह क्रिया शरीर के Oxygen लेवल की वृद्धि करती है।
- हृदय को स्वस्थ रखने मे सहायक होता है।
- प्राण शक्ति ऊर्ध्व गामी होती है।
- इस क्रिया से इम्युनिटी मे वृद्धि होती है।
कपालभाति में सावधानियां :
- इस अभ्यास में रीढ और गर्दन की सीधा करके बैठें। रीढ को झुका कर न बैठें।
- पद्मासन में बैठना उत्तम स्थिति है। लेकिन यदि नीचे बैठना सम्भव न हो, तो कुर्सी पर बैठ कर इस अभ्यास को कर सकते हैं।
- धीमी गति से अभ्यास को आरम्भ करें। धीरे धीरे गति को बढ़ाएं।
- प्राणायाम के अंत में गति को धीमा करें। और श्वास की सामान्य अवस्था में आ जाएं।
- एक आवर्ती पूरी करने के बाद श्वासो को सामान्य करें।
- श्वास सामान्य होने के बाद दूसरी आवर्ती करें।
- प्राणायाम पूरा करने के बाद कुछ देर विश्राम करें।
यह अभ्यास किसे वर्जित है?
- अस्थमा पेशंट तथा श्वास के गंभीर रोगी इस अभ्यास को न करें। आरम्भिक श्वास रोगी कुशल निर्देशन में यह प्राणायाम कर सकते हैं।
- हृदय रोगी इस क्रिया को न करें। ऐसे व्यक्ति केवल अनुलोम विलोम करें।
- उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति इसे तीव्र गति से न करें। यदि ऐसे व्यक्ति इस अभ्यास को करना चाहते हैं, तो धीमी गति से करें।
- गर्भवती महिलाएं अपने गर्भकाल की पूर्ण अवस्था में यह अभ्यास न करें। आरम्भिक अवस्था में अपने चिकित्सक की सलाह से यह प्राणायाम करें। बैठने के लिए सुविधाजनक स्थिती का चयन करें।
- अल्सर जैसे आंत रोगी इस क्रिया को न करें।
- पेट की कोई सर्जरी हुई है तो यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
कपालभाति करने के बाद श्वास सामान्य करें और इसके बाद अनुलोम विलोम अवश्य करें। अनुलोम विलोम इस प्राणायाम से मिलने वाली ऊर्जा को संतुलित करता है।
सारांश :
कपालभाति प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। यह शुद्धि क्रिया तथा प्राणायाम दोनों में लाभकारी है। इसके बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास किया जाना चाहिए।
Disclaimer :
लेख में बताया गया अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए है। इसका अभ्यास अपनी शारीरिक क्षमता तथा श्वास की स्थिति के अनुसार ही करना चाहिए।