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आज के व्यस्त जीवन में शरीर को स्वस्थ रखना एक चुनौतीपूर्ण विषय है। स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कई कारण होते हैं। इन मे जीवन-शैली तथा खान-पान अधिक प्रभावित करते हैं। शरीर को कैसे स्वस्थ रखें? इसके लिए प्रस्तुत लेख मे कुछ Health Tips के बारे मे बताया जायेगा।

लेख की विषय सुची :

• शरीर के अस्वस्थ होने के कारण।
• स्वस्थ्य के लिए Health Tips.

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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए Tips

Health Tips के बारे मे जानने से पहले उन कारणों को समझना होगा जो शरीर को अस्वस्थ कर सकते हैं।

शरीर को अस्वस्थ करने वाले कारण

शरीर को अस्वस्थ करने वाले कारणों से बचना चाहिए।इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमे से कुछ मुख्य कारण ये हैं :-

1. गलत आहार :- आहार का शरीर पर विशेष प्रभाव होता है। संतुलित आहार शरीर को पोषण देता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है। तला हुआ, बासी भोजन तथा असंतुलित आहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। समय पर भोजन न करना भी शरीर को अस्वस्थ करने का कारण बनता है।

2. अनियमित जीवन-शैली :- दैनिक दिनचर्या शरीर को प्रभावित करती है। रात को देर से सोना, सुबह देर से उठना तथा योगाभ्यास न करना शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इन कारणों से शरीर अस्वस्थ हो जाता है।

3. मानसिक स्थिति :- मन की स्थिति भी शरीर को प्रभावित करती है। क्रोध, ईर्ष्या, लोभ तथा हिंसा का विचार शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। ये शरीर के रक्तचाप तथा शरीर के रसायनों को असंतुलित कर देते हैं। ये रोग का कारण बनते हैं।

4. बाहरी वायरस :- बाहरी वायरस शरीर को रोग ग्रस्त कर सकते हैं। वायरस का मुकाबला हमारे शरीर की Immunity करती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। कमजोर Immunity शरीर को वायरस-जनित रोगों से बचाने मे विफल रहती है। इम्युनिटी के लिए  नियमित योग करें, संतुलित आहार लें और चिकित्सकों द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें। 

स्वास्थ्य के लिए उपाय। Health Tips

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, अनुशासित जीवन-शैली तथा नियमित योग जरूरी है। स्वास्थ्य के लिये कुछ टिप्स को अवश्य फोलो करें।

1. अनुशासित दिनचर्या :- दैनिक दिनचर्या का शरीर पर विशेष प्रभाव पड़ता है। अपनी दिनचर्या को अनुशासित रखें। रात को जल्दी सोना, सुबह सूर्योदय से पहले उठना तथा नियमित योग करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होता है।

2. संतुलित आहार :- नियमित योग के साथ संतुलित आहार लें। स्वास्थ्य के लिये आहार का विशेष महत्व है। सही समय पर भोजन करना चाहिए। हल्का और सुपाच्य भोजन लें।

3. उत्तम विचार :- विचार शरीर को सीधा प्रभावित करते है। उत्तम विचार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। क्रोध, ईर्ष्या व लोभ का भाव मन मे न रखें। प्राणी मात्र से प्रेम का भाव रखें। उत्तम विचार शरीर को स्वस्थ रखने मे सहायक होते हैं।

4. चिकित्सक सलाह :- शरीर को स्वस्थ रखने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूरी है। बढ़ती आयु के व्यक्तियों को शरीर की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए। चिकित्सक की सलाह के अनुसार औषधि सेवन तथा शारीरिक अभ्यास करें।

5. नियमित योग :- नियमित योग शरीर को स्वस्थ रखने मे सहायक होता है। यह शरीर को ऊर्जावान बनाये रखता है। योग शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इस क्षमता को Immunity कहा गया है। योग मे "आसन" शरीर को, "प्राणायाम" श्वास व प्राण को सुदृढ करते हैं तथा "ध्यान (Meditation)" मानसिक शांति देता है।

योग शरीर को स्वस्थ रखने मे कैसे सहायक होता है, इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

स्वास्थ्य पर योग का प्रभाव

स्वास्थ्य के लिये योग एक प्रभावी क्रिया है। योगाभ्यास मे  आसन, प्राणायाम व ध्यान स्वास्थ्य के लिये लाभदायी क्रियाएं हैं। अपने शरीर की क्षमता अनुसार इनका अभ्यास किया जाना चाहिए। आईए, इन तीनो क्रियाओं को विस्तार से समझ लेते हैं।

स्वास्थ्य के लिये आसन

आसन शरीर के अंगों को मजबूती देते हैं। शरीर के रक्त संचार को व्यवस्थित करते हैं और शरीर के रसायनों को संतुलित करते हैं। पेट के आन्तरिक अंगो को प्रभावित करके पाचनतंत्र को स्वस्थ रखते हैं। नियमित योगासन सुगर व BP को सामान्य रखने मे सहायक होते हैं। 

नियम व सावधानियां :

योग-आसन कुछ नियम व सावधानियों के साथ करे। नियम तथा सावधानी से किया गया अभ्यास स्वास्थ्य के लिये लाभदायी होता है।

सरल आसन करे, कठिन आसन न करें। सरल आसन लाभदायी होते हैं। कठिन आसन हानिकारक हो सकते हैं।

योग-आसन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार करें। अपनी क्षमता से अधिक कोई अभ्यास न करें।

योगासन का सही समय सुबह का है। यदि दिन मे किसी और समय योगासन करने हैं तो खाली पेट अभ्यास करें। भोजन करने के तुरंत बाद अभ्यास न करें।

आसन के बाद कुछ देर शवासन मे लेट कर विश्राम करें।

विश्राम के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

(विस्तार से देखे :- स्वस्थ रखे योग।)

शरीर को स्वस्थ रखने के लिये - प्राणायाम

प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। यह श्वसन के अवरोधों को दूर करता है और श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है। लंग्स को एक्टिव करता है। प्राणायाम 'प्राण-ऊर्जा' की वृद्धि करता है। यह प्राणिक नाड़ियों का शोधन करता है। यह रक्तचाप को संतुलित रखने मे प्रभावी होता है। इस क्रिया से शरीर को oxigen पर्याप्त मात्रा मे मिलती है। नियमित प्राणायाम हृदय को स्वस्थ रखने के लिये प्रभावी है।

प्राणायाम एक लाभदायी क्रिया है, लेकिन इसका अभ्यास कुछ नियम व सावधानियों के साथ करना चाहिए।

प्राणायाम के नियम व सावधानियां :

• 'आसन' के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

• प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वांसो की क्षमता के अनुसार ही करें। क्षमता से अधिक कोई अभ्यास न करें।

नये अभ्यासी आरम्भ मे सरल प्राणायाम करें। कठिन अभ्यास न करें।

• हृदय रोगी, श्वास रोगी तथा कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति कुम्भक* का प्रयोग न करें। नियमित अभ्यासी तथा सुदृढ श्वसन वाले व्यक्ति अपने श्वास की क्षमता के अनुसार कुम्भक लगाएं। श्वास रोकने मे अनावश्यक बल प्रयोग न करें।

(*कुम्भक :- अपनी  क्षमता अनुसार श्वास रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)

एक अभ्यास के बाद श्वांसों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद दूसरा अभ्यास करें।

प्राणायाम के बाद "ध्यान" (Meditation) का अभ्यास करें।

ध्यान (Meditation)

"ध्यान" मन व मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। यह मानसिक शान्ति देने वाली क्रिया है। इस क्रिया के द्वारा मन को एकाग्र किया जाता है। एकाग्र मन शरीर को स्वस्थ रखने मे सहायक होता है।

विधि :- आसन व प्राणायाम के बाद पद्मासन, सुखासन या किसी भी आरामदायक स्थिति मे बैठें। आँखें कोमलता से बन्ध रखें। विचारों को शांत करते हुए मन को एकाग्र करे। कुछ देर शान्त स्थिति मे बैठें। ध्यान की स्थिति के बाद सीधे लेट कर शवासन मे विश्राम करें।

(ध्यान के विषय मे विस्तार से देखें :- ध्यान योग क्या है?)

लेख सार :

शरीर को स्वस्थ रखने के लिये अनुशासित दिनचर्या,  संतुलित आहार व नियमित योग आवश्यक Tips हैं।

Disclaimer :

यह लेख चिकित्सा हेतू नही है। केवल स्वास्थ्य हेतू सामान्य जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। अस्वस्थ होने की स्थिति मे चिकित्सा सहायता लें।

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