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आज के समय मे स्वास्थ्य के लिए योग का सर्वाधिक प्रचलन है। योग केवल मात्र एक शारीरिक अभ्यास नहीं है। यह एक उत्तम जीवन शैली है। भारत मे यह विधि  प्राचीन काल से चली आ रही है। यह ऋषियों द्वारा बताई गई उत्तम विधि है। उसी विधि को आज पूरा विश्व अपना रहा है। हमें योग क्यों करना चाहिए, क्या यह सभी के लिए लाभदायी है? यह अभ्यास किस के लिए वर्जित है? प्रस्तुत लेख मे यह विस्तार से आगे बताया जायेगा।

विषय सूची :

• योगभ्यास क्यों करें?
• योग किस के लिए है?
• योग किस के लिए वर्जित है।

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योग का अभ्यास क्यों करना चाहिए? 

योग मुख्यत: एक आध्यात्मिक क्रिया है। प्राचीन काल मे यह धार्मिक और आध्यात्मिक विषय रहा है। उस समय ऋषि-मुनि ध्यान-साधना (Meditation) के लिए योग का अभ्यास करते थेे। ध्यान-साधना के लिए शरीर का स्वास्थ रहना, तथा मन का एकाग्र होना जरूरी है। इस लिए ऋषियों द्वारा असन-प्राणायाम को आविष्कृत किया गया। आधुनिक समय मे उसी विधि को शारीरिक फिटनेस तथा स्वास्थ्य के लिए अपनाया जाता है। 

योग का अभ्यास क्यों?:- अब प्रश्न यह है कि योग क्यों जरूरी है। आधुनिक समय मे योग का अभ्यास दो उद्देश्यों के लिए किया जाता है :-

1. आध्यात्म 
2. स्वास्थ्य 

योगी जन का उद्देश्य आज भी ध्यान-साधना ही है। इसी हेेेेतु वे योग का अभ्यास करते हैं। लेकिन अधिकतर लोग स्वास्थ हेतु योगभ्यास करते हैं। योगभ्यास करने का कारण कोई भी हो, उद्देश्य 'स्वास्थ्य' ही होता है। शरीर को स्वास्थ रखना ही योग का उद्देश्य है। स्वास्थ्य के लिए यह क्यो महत्वपूर्ण है और इसके लाभ हैँ? आइये आगे इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

स्वास्थ्य के लिए योग का महत्व :

ऋषियों द्वारा बताये गये योग को आज पूरा विश्व  स्वास्थ्य के लिए अपना रहा है। यह एक प्राचीन एवम् उत्तम विधि है। शरीर पर इसके प्रभाव सर्वांगीण होते हैं। इसके लाभ बहुआयामी होते हैं। नियमित योग क्यो करना चाहिए, इन कारणों को आगे समझ लेते हैं।

1. योग उत्तम विधि है :- योगभ्यास स्वास्थ्य के लिए एक उत्तम विधि है। यह ऋषियों द्वारा बताई गई, शरीर विज्ञान पर आधारित विधि है। यह सरल तथा सुरक्षित अभ्यास है। इस लिए हमे योग का अभ्यास करना चाहिए। 

2. सरल अभ्यास : - यह सरलता से किया जाने वाला अभ्यास है। सरलता से किया गया अभ्यास ही लाभकारी होता है। यही योग की विशेषता है। इसलिए यह अभ्यास सरलता से करना चाहिए। 

3. बहु आयामी प्रभाव :- व्यायाम के प्रभाव सीमित होते हैं। लेकिन योग के प्रभाव बहुआयामी होते हैं। योगभ्यास में आसन शरीर के अंगों को सुदृढ़ करते हैं और आंतरिक अंगों को सक्रिय करते हैं। प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं। ध्यान (Meditation) का अभ्यास मानसिक शांति देता है। 

4. सभी के लिए लाभदायी :- योग का अभ्यास सब के लिए है। सभी व्यक्ति इसका अभ्यास आपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। यह सभी के लिए लाभदायी है। लेकिन यह अभ्यास अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार ही करना चाहिए।

क्या योग सभी के लिए है?

योग का अभ्यास सभी के लिए है। सभी व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन इस अभ्यास मे कुछ बातों को ध्यान मे रखना चाहिए :-

1. क्षमता अनुसार अभ्यास :- योगभ्यास अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए। क्षमता से अधिक कोई अभ्यास न करें। आसन शरीर की स्थिति के अनुसार तथा प्राणायाम अपने श्वासों की क्षमता अनुसार करने चाहिए।

2. अवस्था अनुसार अभ्यास :- युवा-वृद्ध सभी व्यक्तियों के लिए योग लाभकारी होता है। लेकिन अपने शरीर की अवस्था अनुसार ही अभ्यास करना चाहिए। वृद्धा अवस्था मे कठिन आसन-प्रणायाम नहीं करने चाहिए।

3. रोग की अवस्था मे अभ्यास :- योग का अभ्यास स्वास्थ व्यक्तियों के लिए है। रोग प्रभावित व्यक्ति योग का अभ्यास सावधानी से करें। रोग की आरम्भिक अवस्था मे अभ्यास सावधानी से करे। रोग प्रभावित होने पर चिकित्सा सहायता लें, और चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें। अपने चिकित्सक की सलाह के बिना कोई अभ्यास न करें।

और विस्तार से देखें :- रोग की अवस्था में योग।

4.  महिलाओं के लिए :- महिलाओं (नव-युवतियों) के लिए योग विशेष लाभदायी होता है। लेकिन योगभ्यास मे उनको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। मासिक पीरियड्स मे 3 या 4 दिन केवल सरल योगासन करने चाहिए। कठिन आसन न करें। गर्भवस्था मे विशेष ध्यान रखें। गर्भ काल की पूर्ण अवस्था मे आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 

और विस्तार से देखें :- योगभ्यास गर्भवती महिलाओं के लिए।

योग का अभ्यास किस को नहीं करना चाहिए?

योगभ्यास मे आसन और प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। सभी स्वास्थ व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन कुछ अवस्थाओं मे ये अभ्यास वर्जित है। इन अवस्थाओं मे आसन-प्राणायाम का अभ्यास हानिकारक हो सकता है। ये अवस्थाएं कोन सी हैं, इसको विस्तार से समझ लेते हैं। 

1. कोन सी अवस्था में आसन का अभ्यास मना है?

आसन एक शारीरिक अभ्यास है। यह अपने शरीर की अवस्था अनुसार करना चाहिए। शरीर कुछ अवस्थाओं मे आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  1. भोजन करने के तुरंत बाद।
  2. बीमारी की स्थिति मे।
  3. चोट लगने, हड्डी टूटने की अवस्था मे।
  4. शरीर की सर्जरी होने पर।
  5. अधिक वृद्ध व्यक्ति।
  6. गर्भवती महिलाएँ।

बीमार व्यक्ति सरल आसन अपने चिकित्सक की सलाह से करें। गर्भवती महिलाएँ गर्भ काल के आरम्भ में  केवल सरल अभ्यास चिकित्सक की सलाह से करें। गर्भ कल की पूर्ण अवस्था में अभ्यास न करें।

2. कोन सी अवस्था में प्राणायाम मना है?

प्राणायाम योग का एक श्वसन अभ्यास है। जब श्वास की स्थिति ठीक नहीं हो, तो यह अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस अवस्था मे प्राणायाम हानिकारक हो सकता है। इन व्यक्तियों को प्राणायाम नहीं करना चाहिए। (प्रशिक्षक के कुशल निर्देशन मे सरल प्राणायाम कर सकते हैं।)

  1. श्वास रोगी।
  2. अस्थमा पीड़ित।
  3. हृदय रोगी।
  4. उच्च रक्तचाप मे तीव्र गति वाले अभ्यास। (धीमी गति वाले अभ्यास कर सकते हैं।)
  5. अधिक वृद्ध व्यक्ति। 

ऐसे व्यक्ति अपने चिकित्सक की सलाह से सरल प्राणायाम कर सकते हैं।

लेख सारांश :

सभी स्वास्थ व्यक्ति योग का अभ्यास कर सकते हैं। वृद्ध व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ तथा बीमार व्यक्ति सावधानी से योगभ्यास करें। अपने शरीर की क्षमता तथा अवस्था के अनुसार अभ्यास करना चाहिए। रोग की अवस्था मे चिकित्सक की सलाह के बिना कोई अभ्यास नहीं करना चाहिए।

Disclaimer :

यह लेख किसी प्रकार के रोग उपचार का दावा नहीं करता है। योग की जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। रोग की अवस्था में चिकित्सा सहायता लें, योग का अभ्यास न करें। बिमार होने पर अपने चिकित्सक की सलाह के बिना कोई अभ्यास न करें। शारीरिक क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। 

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