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"ध्यान" का महत्व केवल आध्यात्म के लिये ही नही है, बल्कि सामान्य जीवन मे भी इसका बहुत अधिक महत्व है। यह मन की एकाग्रता तथा मानसिक शान्ति देता है। "एकाग्रता" और "मानसिक शान्ति" दोनो हमारे दैनिक जीवन मे महत्वपूर्ण हैं। ध्यान योग (Meditation) क्या है? योग मे इसका क्या महत्व है? यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है? इस लेख मे हम इन सब विषयों का अवलोकन करेंगे।

विषय सुची :--
  • ध्यान योग (Meditation).
  • ध्यान का महत्व।
  • ध्यान की बाधाएँ।
  • ध्यान योग कैसे करें।

   

ध्यान योग। Meditation.

ध्यान (Meditation) का योग मे एक महत्वपूर्ण स्थान है। अष्टाँगयोग का यह सातवाँ अंग है। चित्त को एकाग्र करके एक बिंदु (Point) पर केंद्रित करना ही ध्यान की स्थिति है। ध्यान एक विश्राम की स्थिति भी है।मन मे उठने वाली विचारों को विराम देना ध्यान है।

यह क्रिया योग को अंतिम चरण की ओर ले जाने वाली क्रिया है। इस क्रिया का साधना के लिए तो महत्व है ही, लेकिन इसका महत्व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी है।

इस अवस्था मे पहुँचने पर चित्त की वृतियो का निरोध होने लगता है। मन की एकाग्रता साधना की ओर ले जाती है।

ध्यान का महत्व Importance of meditation.

योग का मूल उद्देश्य मन की एकाग्रता है। उद्देश्य चाहे "ध्यान-साधना" हो या "स्वास्थ्य", Meditation दोनो के लिये महत्वपूर्ण है। इसका महत्व दैनिक जीवन मे भी है। 'ध्यान' शरीर, मन व मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है। यह मानसिक शाँति देने वाली क्रिया है।

ध्यान का महत्व योग साधना में।

प्राचीन काल से योग का मूल उद्देश्य "साधना" ही रहा है। "साधना" के लिए ध्यान का एकाग्र होना अवश्यक है। और 'ध्यान' एकाग्र तभी होगा जब चित्त की वृतियों का निरोध होगा। इस के लिए अष्टाँगयोग का प्रतिपादन किया है।

अष्टाँगयोग मे धारणा के बाद ध्यान और समाधी का क्रम बताया गया है। लेकिन यहाँ तक पहुँचने के लिए यह अवश्यक है कि हमारा शरीर स्वस्थ हो। शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए योग में शुद्धि क्रियायें बताई गई है। शुद्धि क्रियाओ का पालन करने के बाद अष्टाँगयोग का पालन जरूरी है।

ध्यान के लिए स्थूल शरीर के साथ शुक्ष्म शरीर का स्वस्थ होना भी अवश्यक है। इसके लिए संतुलित आहार और विचारों के शुद्धि जरूरी है।

(भौतिक शरीर या फिजिकल बोडी को स्थूल शरीर तथा  मन, बुद्धि आदि को सूक्ष्म शरीर कहा जाता है।)

अष्टाँगयोग मेंं विचारों की शुद्धि के लिए  यम - नियम का प्रावधान है। और स्थूल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आसन, तथा प्राणों की पुष्टि के लिए प्राणायाम बताये गये है।

ध्यान का महत्व दैनिक जीवन मे।

दैनिक जीवन में भी ध्यान का महत्व है। साधना के और भी कई प्रकार है। 

भक्तियोग--भक्ति साधना है।
कर्मयोग--कर्म साधना है।
उसी प्रकार एक संगीतकार के लिए 'संगीत', नृतक के लिए 'नृत्य', कलाकार के लिए 'कला' तथा विद्यार्थी के लिये 'अध्ययन' भी एक साधना है।

कर्मयोग साधना।

आप चाहे कोई भी कार्य कर रहे है आप को सफलता तभी मिलेगी जब उस कर्म को "साधना" मान कर करते है। संगीतकार अपने संगीत मे, कलाकार अपनी कला मे तथा एक विद्यार्थी अपनी Study मे लीन हो जाये यह साधना ही है। लेकिन यह कर्म-साधना तभी सम्भव है जब ध्यान की एकाग्रता हो।

ध्यान का व्यापक अर्थ है। ध्यान का अर्थ Meditation तो है ही। ध्यान का अर्थ सावधानी भी है। दैनिक जीवन मे हम कोई भी कार्य करते है जैसे कि Driving करते है, Office-work करते है या किसी मशीन पर काम करते है, हमे ध्यान की अवश्यकता है। इसके लिए मन का एकाग्र होना जरूरी है। यदि मन की एकाग्रता नही है तो वह कार्य बे-ध्यानी से किया जायेगा। और उस कार्य मे सफलता मिलनी कठिन है।

ध्यान की बाधाएँ।

ध्यान योग मे रुकावट डालने वाली बाधाएँ कौन सी हैं? ध्यान मे रुकावट डालने वाली कई बाधाएँ है। लेकिन इसका मुख्य कारण हमारा "मन" है। मन चंचल है। बहिर्मुखी से अन्तर्मुखी होना ही ध्यान का उद्देश्य है। ध्यान योग मे मुख्य दो बाधाएँ है।

  1. शारीरिक व्याधि।
  2. मानसिक अस्थिरता।

शारीरिक व्याधि।

शरीर का अस्वस्थ होना ध्यान की सबसे बङी बाधा है। ध्यान के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है। रोग की अवस्था मे ध्यान असम्भव है।

ध्यान करने से पहले शरीर को स्वस्थ रखना जरूरी है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ही पहले आसन व प्राणायाम किये जाते हैं। अत: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आसन और प्राणायाम नियमित करें। संतुलित आहार ले

मानसिक अस्थिरता।

यदि मन:स्थिति ठीक नही है तो यह भी ध्यान योग में बाधक है। 'शरीर' और 'मन' दोनो एक दूसरे को प्रभावित करते है। यदि 'मन' की स्थिति ठीक नही है तो शरीर अवश्य प्रभावित होगा। यदि 'शरीर' मे कोई रोग है, अस्वस्थता है तो मन भी ठीक नही रहेगा।

मन के विचलित होने के अन्य और भी कई कारण हैं। चिंता, भय, ईर्ष्या, लोभ, क्रोध, व मोह आदि मन को विचलित करने का कारण बनते है।

मन की स्थिरता के लिये यम-नियम का पालन  करें। शुद्ध आचरण रखे। नियमित योग करें।

योगाभ्यास मे ध्यान योग।Meditation in Yoga.

योगाभ्यास में ध्यान योग (Meditation) क्या है? ध्यान योग कैसे करें?

  • योगाभ्यास मे सब से पहले आसन का अभ्यास करें।
  • आसन के बाद प्राणायाम करें।
  • प्राणायाम के बाद ध्यान करें। यही योगाभ्यास मे ध्यान का सही क्रम है।

'ध्यान' योगासन में।

योगासन मे भी ध्यान का महत्व है। आसन करते समय ध्यान को चक्रो पर केंद्रित रखें। नये व्यक्ति आसन करते समय ध्यान को अपने शरीर के प्रभावित अंगों पर केंद्रित करे।

ध्यान से पहले आसन व प्राणायाम करे। आसन व प्राणायाम के बाद ही ध्यान करें। 

आसन क्या है? :--- पतंजलि योग सुत्र में आसन के बारे मे कहा गया है "स्थिरसुखम् आसनम्"। इसका अर्थ है कि स्थिरता पूर्वक और सुख पूर्वक किये जाने वाले पोज को आसन कहा जाता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि आसन हमेशा स्थिरता से सुखपूर्वक किये जाने चहाएँ।

देखें :- योग मे आसन का महत्व।

  • खुले, हवादार, प्राकृतिक वातावरण मे योग करे।
  • कपङा या चटाई का आसन बिछाएँ।
  • सरलता से किये जाने वाले आसन ही करें।
  • नये व्यक्ति कठिन आसन न करें।
  • जिस आसन को करने मे सहजता लगे और सुख की अनुभूति हो वह अवश्य करें। तथा उस आसन की पूर्ण स्थिति मे रुकने का प्रयास करें।
  • आसन की पूर्ण-स्थिति मे धीरे-धीरे जाएँ। और धीरे-धीरे ही वापिस आएँ। झटके से आसन मे जाना या झटके से वापिस आना हानिकारक होता है।
  • आसन करते समय आँखे कोमलता से बँद रखें।
  • नये व्यक्ति ध्यान को अपने शरीर पर केन्द्रित रखें। अनुभवी साधक ध्यान को चक्रों पर केंद्रित करें।
  • आसनों के अंत में शव आसन करें। बंद आँखों से सम्पूर्ण शरीर पर ध्यान केंद्रित करे।
देखें----(आसन कैसे करें)

'ध्यान' प्राणायाम में।

प्राणायाम का अर्थ है प्राणों को आयाम देना।इस क्रिया से प्राण शक्ति की वृद्धि होती है।श्वसन प्रणाली सुदृढ होती है। प्राणायाम में श्वासो को उचित तरीके से लेना, रोकना तथा छोङना बताया जाता है। यह क्रिया ध्यान लगाने मे सहायक होती है।

  • प्राणायाम करने के लिए पद्मासन मे बैठना उत्तम है। यदि पद्मासन मे नही बैठ सकते है तो सुखासन या आरामदायक स्थिति मे बैठें।
  • पीठ व गरदन को सीधा रखे। रीढ को झुका कर न रखें।
  • हाथ घुटनों पर ज्ञानमुद्रा मे रखें।
  • आँखें कोमलता से बंध करें और ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें।
  • प्राणायाम अपनी क्षमता के अनुसार करे।
  • नियमित साधक बन्ध व कुम्भक का प्रयोग करें।
  • नये साधक श्वास को अधिक देर तक न रोके।केवल सरल प्राणायाम करें।
  • प्राणायाम मे ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें।
देखें---(प्राणायाम कैसे करें)

ध्यान योग।

आसन और प्राणायाम करने के बाद हमारा शरीर ध्यान के लिए तैयार हो जाता है।प्राणायाम करते समय जिस आसन मे बैठे है, उसी स्थिति मे बैठें।

  • ध्यान योग के लिए भी पद्मासन की स्थिति मे बैठना उत्तम है। पद्मासन मे नही बैठ सकते है तो आरामदायक स्थिति में बैठे।
  • दोनों हाथ ज्ञानमुद्रा मे रखें।
  • आँखे कोमलता से बंद करें।
  • सबसे पहले श्वासों का अवलोकन करें।आसन-प्राणायाम से प्रभाव को अनुभव करें।
  • ध्यान को श्वासों पर ले आएँ। आती-जाती श्वासों को अनुभव करें। मन मे उठने वाले सभी विचारो को छोङ कर ध्यान केवल श्वास पर केंद्रित रहे।
  • कुछ देर तक इस स्थिति मे रुकने के बाद ध्यान को 'आज्ञा चक्र' मे केंद्रित करे। आज्ञा चक्र की स्थिति हमारे माथे के मध्य मे है। बंद आँखों से माथे के मध्य भाग का अवलोकन करें।
  • आज्ञा चक्र मे ध्यान की स्थिति बहुत महत्व पूर्ण है। इसको तीसरा नेत्र भी कहा गया है।इस स्थिति मे पहले साकार भाव मे ठहरें। इस स्थिति मे आप अपने किसी भी आराध्य (जिसकी आप आराधना करते हैं) के दर्शन कर सकते है। या इस तीसरे नेत्र से ज्योति पुञ्ज का अवलोकन करें। इसी स्थिति में आप किसी प्राकृतिक वातावरण (जैसे कि नदी, झरना, आदि) का अवलोकन कर सकते हैं।
  • कुछ देर इस स्थिति मे ठहरने के बाद निराकार भाव मे आ जाएँ। सभी विचारों को छोङ कर निर्विचार अवस्था मे बैठें।
  • स्थिति मे कुछ देर ठहरने के बाद धीरे धीरे ध्यान की अवस्था से बाहर आएँ। दोनो हथेलियों को आपस में रगङे और हाथो से पलको को सहलाएँ।

ध्यान योग के लाभ।

  • ध्यान योग करने से शरीर मे ऊर्जा एकत्रित होती है। इससे विशेषत: मस्तिष्क प्रभावित होता है।
  • स्मृति (मेमोरी पावर) मे वृद्धि होती है।
  • यह मानसिक परेशानियों को दूर करने मे सहायक है।
  • रक्तचाप (BP) सामान्य रहता है। तनाव को दूर करता है।
  • चेतना जागृत होती है तथा आत्मिक बल मिलता है।
  • यह क्रिया स्वयं को स्वयं से जोङती है। इस मे अत्मावलोकन (Self Study) किया जाता है।
  • यह एक आध्यात्मिक क्रया है। यह साधना मे सहायक है।

लेख सारांश :-

ध्यान योग अष्टाँगयोग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे जीवन को प्रभावित करता है। शरीर व मन की अस्वस्थता ध्यान की बाधाएँ हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पहले आसन व प्राणायाम करें।

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