ad-1

Dosplay ad 11may

दैनिक कार्य करते समय हमारे मन में विचारों की एक श्रृंखला चलती रहती है। हमारा शरीर उस कार्य को कर रहा होता है, लेकिन मानसिक रूप से हम कहीं और होते हैं। उदाहरण के लिए गाड़ी चलते समय ड्राइविंग तो हम कर रहे होते हैं, लेकिन हमारी चेतना कहीं और होती है। हमारे हाथ, पैर अपना - अपना काम कर रहे होते हैं, आँखें सब कुछ देख रही होती हैं, लेकिन हमारी चेतना कहीं और होती है। ऐसा क्यों होता है? इसका कारण हमारी सचेतनता या माइंडफुलनेस है। इसको विकसित करने के लिए योगाभ्यास एक प्रभावी क्रिया है। योग और माइंडफुलनेस क्या है? यह मानसिक शांति और तनाव मुक्ति के लिए सर्वोत्तम अभ्यास क्यों है? प्रस्तुत लेख में हम इसी विषय पर विचार करेंगे।

Yoga and mindfulness
pexels photo 

माइंडफुलनेस क्या है और योग इसमें कैसे मदद करता है?

योग एक अभ्यास है। माइंडफुलनेस मन की एक अवस्था है, जिसे 'सचेतनता' कहा जाता है। ये दोनों हमारे शरीर व मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। योग भारतीय ऋषियों द्वारा बताई गई एक प्राचीन विधि है। इसका नियमित अभ्यास शरीर को ऊर्जावान और स्वस्थ बनाए रखता है। योगाभ्यास हमारे शरीर की सचेतनता का विकास करता है। योग और माइंडफुलनेस क्या है, आगे लेख में इसका विस्तार से वर्णन किया जाएगा।

माइंडफुलनेस (सचेतनता) क्या है?

Mindfulness या सचेतनता का अर्थ है, वर्तमान क्षण में स्थित होना। यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें हम अपने विचारों, भावनाओं और आसपास की दुनिया के प्रति जागरूक होते हैं।

माइंडफुलनेस के लक्षण :

यह हमारे मन की चेतना है। इसके गुण अथवा लक्षण इस प्रकार हैं :-

  • वर्तमान (क्षण) स्थिति में रहना : वर्तमान में हम जो भी काम कर रहे हैं उस पर ध्यान को केंद्रित करना, उसको देखना, और अनुभव करना इसका मुख्य लक्षण है। इस स्थिति में भविष्य तथा अतीत का चिंतन किए बिना केवल वर्तमान को अनुभव करना चाहिए।
  • बिना किसी निर्णय का अवलोकन : अच्छा या बुरे का निर्णय किए बिना अपने विचारों और भावनाओं का अवलोकन करें।
  • जागरूकता : mindfulness के इस लक्षण का अर्थ है अपने आसपास की दुनिया और अपने शरीर पर ध्यान देना। इसको जागरूकता कहा गया है।
  • क्या यह Meditation है? : "ध्यान" योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। माइंडफुलनेस (सचेतनता) मन की एक स्थिति है। नियमित योग (ध्यान) इसके लिए प्रभावी होता है। 

योग और माइंडफुलनेस से मानसिक शांति 

योग भारत की एक प्राचीन जीवन शैली है। मूलतः यह एक आध्यात्मिक क्रिया है। लेकिन आज के समय में  स्वास्थ्य के लिए इसे एक उत्तम विधि माना जाता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने वाला और मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है। इस अभ्यास में आठ अंग बताए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए इस अभ्यास में केवल तीन चरणों को ही अपनाया जाता है। (योग के आठ अंग कौनसे हैं? विस्तार से देखें :- अष्टांगयोग)

स्वास्थ्य के लिए योग में ये तीन महत्वपूर्ण अभ्यास हैं:-

  1. आसन :- यह अभ्यास शारीरिक स्वास्थ्य देता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर को ऊर्जावान और सुदृढ़ करता है। यह अभ्यास शरीर के आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है और रक्त संचार को व्यवस्थित करता है। इस अभ्यास से मन की एकाग्रता बढ़ती है।
  2. प्राणायाम :- यह अभ्यास श्वास व प्राण को सुदृढ़ करता है। शरीर के सभी तत्वों तथा रक्तचाप को संतुलित करता है। यह मानसिक एकाग्रता की वृद्धि करता है।
  3. ध्यान (Meditation) :- आसन और प्राणायाम के बाद इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। यह मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है।

माइंडफुलनेस : योगाभ्यास के तीन चरण 

योग मन को नियंत्रित करने की एक महत्वपूर्ण विधि है। "मन की एकाग्रता" योग का मुख्य उद्देश्य है। महर्षि पतंजलि ने "चित्तवृत्तियों का निरोध करना" योग कहा है। सचेतनता से किए गए अभ्यास अधिक लाभदाई होते हैं। माइंडफुलनेस के साथ योग कैसे करें, आइए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

1. आसन और माइंडफुलनेस : 

आसन का अभ्यास करते समय मन का भटकाव नहीं होना चाहिए। ऐसा कई बार होता है, कि हम आसन का अभ्यास तो कर रहे हैं, लेकिन हमारा मन कहीं और होता है। यह स्थिति सही नहीं है। हमें एकाग्रता से अभ्यास करना चाहिए।

सही विधि:

  • अभ्यास करते समय आंखे कोमलता से बंद रखें।
  • अभ्यास करते समय हमें शरीर के चक्रों पर ध्यान को केंद्रित करना चाहिए। सभी आसनों को प्रभावित करने वाले अलग अलग चक्र होते हैं।
  • जिन साधकों को चक्रों की जानकारी नहीं है, वे अपना ध्यान शरीर पर केंद्रित करें। आप जिस आसन का अभ्यास कर रहे हैं, उसका प्रभाव कौनसे अंग पर हो रहा है, इसका सावधानी से अवलोकन करें।
  • सभी आसनों का अभ्यास करने के बाद पीठ  के बल लेट कर शव आसन की स्थिति में विश्राम करें। इस अवस्था में बंद आंखों से संपूर्ण शरीर का अवलोकन करें। पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक, सभी अंगों का निरीक्षण करें।

कौनसे आसन का अभ्यास करें?

  • आसन का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही करें।
  • नए अभ्यासी आरम्भ मे सरल आसन करें। कठिन अभ्यास का अभ्यास न करें।
  • जिस आसन के अभ्यास में शरीर के अंगों को आराम मिलता हो वह अवश्य करें।
  • कष्ट देने वाले अभ्यास न करें। रोग की अवस्था में आसन न करें।
  • प्रत्येक आसन के बाद कुछ देर विश्राम अवश्य करें।
आसन के विषय में अधिक जानकारी के लिए देखें:-  सरल आसन का अभ्यास कैसे करें?

2. प्राणायाम और माइंडफुलनेस :

आसन का अभ्यास करने के बाद मन की एकाग्रता बढ़ती है। आसन का अभ्यास करने के बाद मन एकाग्र होने लगता है। सचेतनता की आवश्यकता प्राणायाम अभ्यास में भी होती है। माइंडफुलनेस से यह अभ्यास करना चाहिए।

सही विधि :

  • सुविधा पूर्वक स्थिति में बैठें। पद्मासन की स्थिति उत्तम है।
  • रीढ़ को सीधा और आंखे कोमलता से बंद रखें।
  • ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें। 
  • सभी प्राणायाम अभ्यासों में ध्यान को "श्वास"  अथवा "शरीर" पर केंद्रित करें।

प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें:

  • यह अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार करना चाहिए।
  • श्वास रोगी व हृदय रोगी को कठिन आभास नहीं करने चाहिए।
  • कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति सांस रोकने वाले अभ्यास न करें।
  • बलपूर्वक अधिक देर तक श्वास न रोकें।

मुख्य प्राणायाम अभ्यास

साधारणतया किए जाने वाले मुख्य अभ्यास :-
  1. कपालभाति
  2. अनुलोम विलोम
  3. भ्रामरी
  4. नाड़ी शोधन

प्राणायाम अभ्यास की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम

3. ध्यान Meditation और माइंडफुलनेस :

आसन और प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद अंत में ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। यह योग का महत्वपूर्ण अंग है। Meditation ही योग का मुख्य उद्देश्य होता है। यह मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है।

ध्यान की सही विधि:

  • आसन प्राणायाम करने के बाद सुविधा पूर्वक स्थिति में बैठें।
  • रीढ़ को सीधा रखते हुए आंखों को कोमलता से बंद करें।
  • ध्यान श्वासों पर। आते-जाते श्वासों का अवलोकन करें।
  • कुछ देर बाद ध्यान को 'श्वास' से हटा कर 'शरीर' पर केंद्रित करें।
  • कुछ देर यहां ठहरने के बाद ध्यान को आज्ञा चक्र (माथे के मध्य भाग) पर केंद्रित करें।
  • कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद ध्यान अवस्था से बाहर आ जाएं।
अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :-  ध्यान क्या है?

माइंडफुलनेस दैनिक जीवन में

माइंडफुलनेस का लाभ केवल योग और मेडिटेशन में ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में भी होता है। अपनी दिनचर्या में प्रत्येक गतिविधि को जागरूकता से करना ही माइंडफुलनेस है। यह तनाव को कम करता है और काम करने की क्षमता बढ़ाता है।

दैनिक दिनचर्या में इसका अभ्यास कैसे करें?

  • खाना खाते समय : भोजन करते समय केवल खाने पर ध्यान दें। खाना खाते समय मोबाइल व  TV का प्रयोग न करें। भोजन के स्वाद और गंध को अनुभव करें। खाना चबाने की क्रिया को महसूस करें।
  • पैदल चलते समय : पैदल चलते समय एक एक कदम को अनुभव करें। रास्ते का तथा आसपास की वस्तुओं घटनाओं का सजगता से अवलोकन करें।
  • ड्राइविंग करते समय : गाड़ी चलाते समय ध्यान पूरी तरह ड्राइविंग पर केंद्रित करें। हमारे हाथों में स्टीयरिंग है, पैरों के नीचे क्लच, गियर व ब्रेक हैं, यह सजगता से अवलोकन करें।
  • अन्य कार्य करते समय : आप ऑफिस वर्कर हैं या ग्रह कार्य करते हैं, अपना ध्यान उसी काम पर केंद्रित करें।
  • तनाव में : तनाव की स्थिति में लम्बे गहरे श्वास लें और छोड़ें। ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें।

माइंडफुलनेस के लाभ :

  • कार्य क्षमता में वृद्धि : काम के प्रति एकाग्रता होने से कार्य क्षमता बढ़ती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य : तनाव दूर होता है और मानसिक शांति मिलती है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य : मानसिक स्वास्थ्य शरीर को भी प्रभावित करता है। इस अभ्यास से शरीर के सभी तत्वों का संतुलन होता है, रक्त चाप सामान्य होता है और नींद कम आने की शिकायत दूर होती है।

लेख सार

योग और माइंडफुलनेस हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। योग का नियमित अभ्यास शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है और मानसिक चेतना की वृद्धि करता है।

Disclaimer

योग की सामान्य जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। यह लेख किसी प्रकार की चिकित्सा हेतु नहीं है।

Post a Comment