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आहार, विचार और नियमित योग स्वस्थ जीवन के 3 आधार हैं। आहार हमारे शरीर को और विचार मन को प्रभावित करते हैं। नियमित योग शरीर को स्वस्थ रखता है और जीवन को अनुशासित करता है। ये तीनों स्वस्थ जीवन के आधार क्यों मानें गए हैं, प्रस्तुत लेख में इसका विस्तार से वर्णन किया जायेगा।

लेख की विषय सूची :

• स्वस्थ जीवन के लिए आहार का महत्व
• स्वस्थ जीवन के लिए विचार का महत्व
• स्वस्थ जीवन के लिए योग का महत्व

swasth jeewan ke 3 aadhar
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स्वस्थ जीवन शैली का आधार

स्वस्थ जीवन शैली के लिए अपनी दिनचर्या को अनुशासित करे। अपने खान पान में संतुलन बनाए रखें। नियमित योग का अभ्यास करें। ये स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। आइए आगे इसको और विस्तार से समझ लेते हैं।

1. आहार : स्वस्थ शरीर का आधार

आहार हमारे स्वस्थ जीवन का मुख्य आधार है। यह शारीरिक स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करता है। यह न केवल शरीर बल्कि मन (विचार) को प्रभावित करता है। कहा भी गया है कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। आहार तीन प्रकार के बताए गए हैं :-

1. सात्विक
2. राजसिक 
3. तामसिक


आहार के तीन प्रकार :

भोजन के तीन प्रकार ये हैं :-

सात्विक आहार : शुद्ध शाकाहार, ताजा, पौष्टिक, संतुलित और सुपाच्य भोजन को सात्विक आहार कहा जाता है। यह आहार स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है।

राजसिक आहार : मीठा, तीखा मसालेदार, तला हुआ भोजन राजसिक आहार कहलाता है। यह खाने में स्वादिष्ट होता है। लेकिन यह पाचन तंत्र के लिए सही नही है। यह पाचन क्रिया को खराब कर देता है।

तामसिक आहार : बासी, डिब्बा बंध भोजन तथा मांसाहार को तामसिक भोजन कहा गया है। यह शरीर के लिए सर्वथा अनुपयुक्त है। इसे शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है।

स्वस्थ जीवन के लिए सात्विक आहार लें। यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है‌।

2. विचार : मन का आधार 

विचार मन को प्रभावित करते हैं। मन का जुड़ाव शरीर से है। इसलिए विचार मन और शरीर दोनों को प्रभावित करते हैं। सद् विचार (अच्छे विचार) शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। क्रोध, ईर्ष्या तथा शत्रुता की भावना मन व शरीर को नकारात्मकता की ओर ले जाते हैं।

विचारों का प्रभाव स्वास्थ्य पर :

मन में उठने वाले विचार स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। ये हमारे शरीर के रक्तचाप, हार्मोंस तथा शरीर के रसायनों को असंतुलित करते हैं।

ईर्ष्या, द्वेष तथा क्रोध : ईर्ष्या, द्वेष तथा क्रोध आदि के विचार स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करते हैं। ईर्ष्या के कारण द्वेष की भावना पैदा होती है। द्वेष के कारण क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध के कारण हिंसा का भाव आता है। यह दूसरों को हानि पहुंचाने से पहले स्वयं को हानि पहुंचाता है। यह शरीर के रक्तचाप को प्रभावित करता है। इस लिए हमे इन विचारों से बचना चाहिए।

सुख व दुख का भाव : दुख और सुख दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। केवल दुख ही शरीर को प्रभावित नही करता है बल्कि सुख को भी हानिकारक माना गया है। इसलिए इन दोनों अवस्थाओं से बचना चाहिए और इन दोनों के बीच का भाव अपनाना चाहिए। इसी को सम भाव कहा गया है।

स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ विचार अपनाएं।

3. योग : अनुशासित जीवन का आधार :

योग स्वस्थ जीवन का मुख्य आधार है। वह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ जीवन को अनुशासित करता है। महर्षि पतंजलि ने अनुशासन को योग की पहली सीढ़ी बताया है। वे अपने "योगसूत्र" का आरम्भ अथ: योग अनुशासनम् से करते हैं। अर्थात् वे योग को एक अनुशासन मानते थे।

दैनिक जीवन में अनुशासन :

अनुशासन के बिना योग सम्भव नहीं है। अनुशासन ही योग का पहला कदम है। योग केवल हमारे स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन को भी प्रभावित करता है। यह हमारे दैनिक जीवन को अनुशासित करता है। 

  • सुबह सही समय सोकर उठना।
  • स्नानादि नित्य कार्यों से निवृत्त होकर योगाभ्यास करना।
  • सही समय पर सही भोजन करना।
  • अपने दैनिक कार्यों को ईमानदारी से पूरा करना।

नैतिक आचरण में शुद्धता :

हमारा आचरण हमारे शरीर को प्रभावित करता है। इसी लिए अष्टांगयोग में यम-नियम को रखा गया है। ये "यम-नियम" हमारे व्यक्तिगत तथा नैतिक आचरण में सुधार करते हैं। आचरण की शुद्धता हमारे शरीर तथा जीवन दोनों को प्रभावित करती है।

विस्तार से देखें :- यम नियम क्या हैं?

शारीरिक स्वास्थ्य:

योग का मुख्य प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर ही होता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर स्वस्थ रहता है। यह शरीर को सीधा प्रभावित करने वाली क्रिया है। शरीर पर योग के प्रभाव बहुआयामी होते हैं। योगाभ्यास में आसन, प्राणायाम और ध्यान तीनों का अभ्यास करना चाहिए।

विस्तार से देखें :- शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग

आसन : आसन का अभ्यास शरीर के अंगों को सुदृढ़ करता है। आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है। पाचन।क्रिया को स्वस्थ रखता है।

प्राणायाम : यह शरीर को ऊर्जा देने वाला अभ्यास है। यह श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है और प्राण शक्ति की वृद्धि करता है। यह रक्तचाप को संतुलित रखने वाला अभ्यास है।

ध्यान : ध्यान या मेडिटेशन मन व मस्तिष्क को प्रभावित प्रभावित करने वाला अभ्यास है। यह मानसिक शांति देने वाली क्रिया है।

विस्तार से देखें :- ध्यान की सही विधि

नियमित योग शरीर को स्वस्थ एवं निरोग बनाए रखने में सहायक होता है। यह स्वस्थ जीवन का मुख्य आधार है।

सारांश :

शरीर को स्वस्थ रखने के तीन मुख्य आधार हैं :
1. संतुलित व सात्विक आहार।
2. उत्तम विचार।
3. नियमित योग।
संतुलित आहार लें, विचारों में शुद्धता बनाए रखें और नियमित योग करें।

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