आधुनिक समय में शारीरिक फिटनेस के लिए योग को अधिक महत्व दिया जाता है। योग सरल, सुरक्षित तथा विज्ञान सम्मत विधि है। सभी व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार इसका अभ्यास कर सकते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए यह एक प्रभावी क्रिया है। शारीरिक फिटनेस के लिए योग का अभ्यास कैसे करना चाहिए, प्रस्तुत लेख मे इसी का वर्णन किया जाएगा।
लेख की विषय सूची:
फिटनेस के लिए योग|Yoga for fitness
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आसन : शारीरिक अंगों की फिटनेस के लिए
योगाभ्यास में 'आसन' शरीर के अंगों को सुदृढ़ करते है । इसका नियमित अभ्यास शरीर के आंतरिक अंगों तथा अस्थि जोड़ों को सक्रिय करते हैं। इसका नियमित अभ्यास शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। योगासन के क्या प्रभाव है, आइए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।
आसन का प्रभाव:
योगाभ्यास आसन का विशेष महत्व है। इसका नियमित अभ्यास शरीर के सभी अंगों की स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसके प्रभाव बहुआयामी होते हैं।
1. अंगों को मजबूती : योगाभ्यास में आसन शरीर के सभी अंगों को मजबूती देते हैं। इसका नियमित अभ्यास मासपेशियों को सक्रिय करता है।
2. पाचन तंत्र : आसन के अभ्यास से पेट के आंतरिक अंग प्रभाव में आते हैं। यह किडनी, लिवर, पेंक्रियाज तथा आंतों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
3. रीढ़ की फिटनेस : योगासन रीढ़ को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। ये रीढ़ को फ्लेक्सिबल बनाए रखते हैं। नियमित आसन कमर दर्द और पीठ दर्द से राहत देते हैं।
4. रक्त संचार : आसन शरीर के रक्त संचार को व्यवस्थित करते हैं।
5. इम्यूनिटी की वृद्धि :- यह अभ्यास रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) की वृद्धि करता है।
आसन की सावधानी:
योगासन सभी के लिए लाभदायी होते हैं, लेकिन यह अभ्यास कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए। आसन के अभ्यास में इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए :-
• शारीरिक क्षमता :- आसन का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार करना चाहिए। क्षमता से अधिक अभ्यास न करें। बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।
• शारीरिक अवस्था :- योगाभ्यास में आसन का अभ्यास करते समय शरीर की अवस्था का ध्यान रखें । वृद्धावस्था में कठिन आसन न करें। सरल आसन का अभ्यास करें। शरीर के किसी अंग में चोट लगने या तनाव आने पर ये अभ्यास न करें। रजस्वला महिलाएं मासिक धर्म (पीरियड्स) में कुछ आसन न करें।
• सही क्रम में अभ्यास :- आसन का अभ्यास सही क्रम से किया जाना चाहिए। सही क्रम से किया गया अभ्यास ही लाभकारी होता है। (देखे :- आसन का सही क्रम )
कोन से आसन लाभदायी होते हैं:
स्थिर: सुखम् आसनम्। अर्थात् आसन का अभ्यास "स्थिरता" व "सुखपूर्वक" करना चाहिए।
इस सूत्र का भावार्थ यह है कि आप जिस आसन की पूर्ण स्थिति में स्थिरता से अधिक देर तक रुक सकते हैं, वह लाभकारी होता है। जिस आसन का अभ्यास करने में सुख की अनुभूति होती है, वही आसन करना चाहिए। शरीर को कष्ट देने वाले आसन का अभ्यास नही करना चाहिए।
प्राणायाम : प्राण व श्वास की फिटनेस के लिए
प्राणायाम के प्रभाव:
योगाभ्यास में प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। शरीर की फिटनेस के लिए यह एक प्रभावी क्रिया है। शरीर पर इसके प्रभाव बहुआयामी होते हैं। शरीर पर इसके क्या प्रभाव होते हैं, आगे इसको विस्तार से समझ लेते हैं।
1. श्वसन तंत्र :- प्राणायाम का अभ्यास श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है। इसका नियमित अभ्यास श्वसन तंत्र के अवरोधों को हटाता है। यह अभ्यास फेफड़ों को सक्रिय करता है।
2. शरीर के लिए ऊर्जादायी :- यह शरीर को ऊर्जा देने वाला अभ्यास है। यह प्राण शक्ति को उर्ध्वगामी करता है।
3. रक्तचाप नियंत्रण :- प्राणायाम का अभ्यास रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होता है।
4. शारीरिक तत्वों का संतुलन :- यह अभ्यास कफ, वात, पित्त तथा शरीर के अन्य रसायनों को संतुलित करता है।
5. ऑक्सीजन की आपूर्ति :- यह अभ्यास शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है।
6. हृदय के लिए लाभदायी :- प्राणायाम का नियमित अभ्यास हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
प्राणायाम की सावधानियां:
• श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास : प्राणायाम का अभ्यास करते समय अपने श्वासो की स्थिति का अवलोकन करें। श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास करे। यदि श्वास की स्थिति ठीक नहीं है तो श्वास रोकने वाले प्राणायाम न करे। ऐसे व्यक्ति केवल सरल अभ्यास ही करे।
• शारीरिक अवस्था :- अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार प्राणायाम का अभ्यास करें। अधिक वृद्ध व्यक्ति सरल प्राणायाम करे। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति तीव्र गति वाले प्राणायाम न करे।
• मौसम के अनुरूप अभ्यास :- कुछ प्राणायाम का अभ्यास मौसम के अनुसार किया जाना चाहिए। कई प्राणायाम किसी एक मौसम में वर्जित होते हैं, उनका अभ्यास नही करना चाहिए। कई प्राणायाम किसी एक मौसम में लाभकारी होते हैं, उनका अभ्यास अवश्य करना चाहिए। (देखें :- प्राणायाम मौसम के अनुसार )
• वर्जित अभ्यास :- कुछ व्यक्तियो के लिए प्राणायाम का अभ्यास वर्जित है। इसलिए इन व्यक्तियो को प्राणायाम का अभ्यास या तो सावधानी से करना चाहिए या इसे बिलकुल नहीं करना चाहिए :-
लाभदायी प्राणायाम
( विशेष :- यह अभ्यास केवल अनुभवी अभ्यासियों के लिए है। कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति यह अभ्यास न करें। )
नए अभ्यासी के लिए प्राणायाम :- नए अभ्यासी आरंभ में केवल बिना कुम्भक का सरल प्राणायाम करे। अभ्यास में बलपूर्वक अधिक देर तक श्वास न रोकें।
मुख्य प्राणायाम:
योगाभ्यास में किए जाने वाले कुछ मुख्य प्राणायाम अभ्यास इस प्रकार हैं :-
सभी प्राणायाम अपने शरीर की स्थिति अनुसार करे।
ध्यान Meditation : मानसिक फिटनेस के लिए
आसन प्राणायाम के बाद तीसरे क्रम में ध्यान (Meditation) का अभ्यास किया जाना चाहिए। यह क्रिया शरीर को मानसिक फिटनेस देती है।
ध्यान की विधि:
आसन और प्राणायाम का अभ्यास पूरा करने के बाद कुछ देर सीधे लेट कर विश्राम करें। विश्राम के बाद उठ कर बैठ जाएं और ध्यान का अभ्यास करें।
ध्यान को केंद्रित करें :- मन को अंतर्मुखी करते हुए ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें। आती जाती श्वसो का अवलोकन करें। कुछ देर बाद ध्यान को श्वासो से हटा कर मस्तक के बीच (आज्ञा चक्र) में केंद्रित करें। कुछ देर निर्विचार भाव से बैठने के बाद ध्यान अवस्था से बाहर आएं। आंखे खोलें और कुछ देर सीधे लेट कर विश्राम करे।
ध्यान के लाभ :- ध्यान मन को एकाग्र करने वाली क्रिया है। यह मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है।
सारांश :
शारीरिक फिटनेस के लिए योग एक प्रभावी क्रिया है। इसके लिए आसन प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास किया जाना चाहिए।
Disclaimer :
योग स्वास्थ्य के लिए एक लाभदाई क्रिया है। लेकिन इसका अभ्यास अपने शरीर की स्थिति के अनुसार करना चाहिए। क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।