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Meditation या ध्यान  योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह योग की एक उत्तम स्थिति है। मेडिटेशन ही योग का मुख्य उद्देश्य होता है। यह अष्टांगयोग का सातवां चरण है। प्राचीन समय में यह आध्यात्म का विषय रहा है। लेकिन आज के समय में यह स्वास्थ्य के लिए उत्तम विधि माना जाता है। यह मन व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने वाली क्रिया है।  मेडिटेशन कैसे करें, इसकी सही विधि तथा लाभ (Meditation Benifit) क्या हैं, प्रस्तुत लेख मे इसको विस्तार से बताया जायेगा।

लेख की विषय सूची :

  • मेडिटेशन (ध्यान) क्या है?
  • आसन के अभ्यास में ध्यान का महत्व।
  • प्राणायाम के अभ्यास में ध्यान का महत्व।
  • ध्यान की सही विधि।

Meditation Benifit
Pixabay photo

मेडिटेशन क्या है, इसकी सही विधि तथा लाभ :

साधारणतया हमारा मन बहिर्मुखी (बाहर की ओर विचरण करने वाला) होता है। ध्यान या मेडिटेशन इसे एकाग्र करके अंतर्मुखी (अंदर की ओर) करता है। पतंजलि योग में चित्त को एक स्थान पर एकाग्र करना ही ध्यान कहा गया है। इस सम्बंध में महर्षि पतंजलि एक सूत्र देते हैं :- तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्।।२.३।।अर्थात् मन को एकाग्र करना ही ध्यान है।

ध्यान केवल आध्यात्म के लिए ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह मन व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने वाला तथा मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है। लेकिन Meditation के लिए शरीर का स्वस्थ रहना जरूरी है। एक स्वस्थ शरीर ही मन को एकाग्र कर सकता है। इस लिए पहले आसनप्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इन दोनो क्रियाओं में भी ध्यान का विशेष महत्व है।

मेडिटेशन (ध्यान) की विधि :

ध्यान साधना ही सम्पूर्ण योग का उद्देश्य है। लेकिन एक अस्वस्थ शरीर से ध्यान साधना सम्भव नहीं है, इसलिए पहले शरीर को स्वस्थ रहना जरूरी है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सम्पूर्ण योग अपनाएं। आठ अंगों वाला अष्टांगयोग को सम्पूर्ण योग कहा गया है।

आसन, प्राणायाम और ध्यान इसके महत्वपूर्ण अंग हैं। आज के समय में इन तीनों को ही अपनाया जाता है।

यही कारण है कि पहले आसन और प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। ये दोनो क्रियाएं शरीर को स्वस्थ एवम् ऊर्जावान बनाए रखते हैं। इनका अभ्यास सही विधि तथा सही क्रम से किया जाना चाहिए।

सही क्रम :-

  1. आसन
  2. प्राणायाम
  3. ध्यान (Meditation)

आसन व प्राणायाम के अभ्यास में भी ध्यान को एकाग्र करना चाहिए। 

1. आसन के अभ्यास में ध्यान का महत्व :

योगाभ्यास का आरम्भ आसन से करना चाहिए। आसन शरीर के अंगों को मजबूती देते हैं, रक्तचाप को व्यवस्थित करते हैं और पाचन क्रिया को स्वस्थ रखते हैं। आसन का अभ्यास शरीर की क्षमता अनुसार करना चाहिए। सभी आसन करते समय ध्यान को अपने शरीर पर केंद्रित करना चाहिए।

आसन की विधि :

  • योगा मेट या कपड़े की सीट बिछाएं।
  • सभी आसन अपने शरीर की स्थिति व क्षमता अनुसार करें।
  • आसन का अभ्यास करते समय ध्यान चक्रों पर या शरीर के प्रभावित अंगों पर केंद्रित करें। (शरीर के सात चक्र:- मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहद, विशुद्धि,आज्ञा चक्र, सहस्रार चक्र।)
  • सभी आसन करने के बाद सीधे लेट कर शव आसन में कुछ देर तक विश्राम करें। इस आसन में सीधे लेट कर शहरी के सभी अंगों की ढीला छोड़ दें। ध्यान को सम्पूर्ण शरीर पर केंद्रित करें।

(विस्तार से देखें :- आसन क्या है? )

कुछ देर विश्राम के बाद अगले क्रम में प्राणायाम का अभ्यास करें।

2. प्राणायाम अभ्यास में ध्यान का महत्व :

आसन के बाद दूसरे क्रम में प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। यह अभ्यास श्वासो को सुदृढ़ करता है, हृदय तथा फेफड़ों को स्वस्थ रखता है। यह रक्तचाप को संतुलित करने वाला ऊर्जादायी अभ्यास है। इस अभ्यास को अपने श्वांसों की क्षमता अनुसार करना चाहिए। प्राणायाम में ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करना चाहिए।

प्राणायाम की विधि :

  • आसन का अभ्यास करने के बाद उठ कर बैठ जाएं।
  • पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठें।
  • रीढ व गर्दन को सीधा करके बैठें।
  • आंखें कोमलता से बंध कर लें।
  • सभी प्राणायाम अपने शरीर की स्थिति और श्वासो की अवस्था अनुसार करने चाहिएं।
  • प्राणायाम अभ्यास में ध्यान को श्वासो पर केंद्रित करना चाहिए।

( प्राणायाम कैसे करें तथा कोनसे अभ्यास लाभदायी होते हैं, अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- लाभदायी प्राणायाम )

सभी अभ्यास पूरे करने के बाद श्वासो को सामान्य करे। तीसरे क्रम में ध्यान का अभ्यास करें।

3. ध्यान का अभ्यास :

आसन और प्राणायाम के बाद ध्यान (Meditation) का अभ्यास करें।

ध्यान की सही विधि :

  • पद्मासन, सुखासन या किसी अन्य आरामदायक पोज में बैठें।
  • रीढ व गर्दन को सीधा रखें। 
  • दोनो हाथों को घुटनों पर ज्ञान-मुद्रा में रखें।
  • आंखें कोमलता से बंध कर लें।
  • आंखें बंद करने के बाद ध्यान को श्वासों पर केंद्रित करें।आते जाते श्वासों पर ध्यान को एकाग्र करें।
  • कुछ देर बाद ध्यान को श्वासों से हटाएं और आज्ञा चक्र में केंद्रित करें।(मस्तक के मध्य का स्थान आज्ञा चक्र कहा जाता है)।
  • आज्ञा चक्र में बंद आंखों से प्रकाश ज्योति का अवलोकन करें या अपने किसी आराध्य का ध्यान करें।
  • कुछ देर आज्ञा चक्र में ठहरने के बाद सभी विचारों को छोड़ने का प्रयास करें और निर्विचार भाव से बैठें।
  • कुछ देर स्थिति में ठहरने के बाद ध्यान की स्थिति में वापिस आ जाएं। लंबा श्वास भरें और ओम ध्वनि का उच्चारण करें। लेट कर कुछ देर विश्राम करें।

ध्यान के लाभ Benefits of Meditation :

ध्यान योग की एक उत्तम अवस्था है। योग जन प्राचीन समय में आध्यात्म के लिए इस क्रिया को करते थे। उसी क्रिया को आज स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इस अभ्यास के कई लाभ हैं :--

  • मानसिक तनाव को दूर करता है।
  • मानसिक एकाग्रता देता है।
  • मस्तिष्क का विकास होता है।
  • अनिंद्रा को दूर करता है
  • शरीर के लिए ऊर्जादायी है।
  • शरीर के सभी तत्वों तथा रसायनों को संतुलित करता है।
  • शरीर की सहन शक्ति तथा प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है।

सारांश :

ध्यान (मेडिटेशन) योग का एक महत्वपूर्ण एवं उच्च श्रेणी का अभ्यास है। आसन और प्राणायाम के बाद इसका अभ्यास किया जाना चाहिए।

Disclaimer :

यह लेख चिकित्सा हेतू नही है । इस लेख का उद्देश योग की सामान्य जनकारी देना है।

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