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स्वास्थ्य के लिए योग एक उत्तम विधि है। यह भारत की एक प्राचीन जीवन शैली है। यह ऋषियों द्वारा दी गई एक उत्तम विधि है। प्राचीन काल मे लोगों का जीवन योगमय था, इस लिए उनकी स्वस्थ और लम्बी आयु होती थी।  योग आज भी उतना ही प्रभावी है। नियमित योग हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है और आयु मे वृद्धि भी करता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास कैसे करे, प्रस्तुत लेख में यह विस्तार से बताया जायेगा।

लेख की विषय सुची :

• योग और स्वास्थ्य
• व्यायाम व योग मे फर्क
• स्वास्थ्य के लिए आसन
• स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम

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 योग और हमारा स्वास्थ्य

आज के समय में शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए व्यायाम तथा योग दोनो का अभ्यास किया जाता है। दोनो शरीर को स्वस्थ रखने वाली विधियां हैं। लेकिन इन दोनो मे योग एक उत्तम विधि है। क्योंकि यह सरल तथा सुरक्षित है। यह व्यायाम से अधिक प्रभावी है। इसी लिए आज पूरा विश्व इसको अपना रहा है। व्यायाम और योग दोनो मे फर्क है। इन दोनों मे क्या फर्क है, आईए पहले इसको समझ लेते हैं।

देखें :-- स्वस्थ जीवन के तीन आधार।

व्यायाम और योग मे फर्क

स्वास्थ्य के लिये व्यायाम और योग दोनों का अभ्यास किया जाता है। कई बार इन दोनो को एक समान मान लिया जाता है। लेकिन ये दोनों समान नही है। दोनो मे काफी बड़ा अन्तर है।

व्यायाम :

• व्यायाम के अभ्यास कठिन हैं।
• इनका अभ्यास स्वस्थ युवा ही कर सकते हैं।
• ये केवल शरीर को सुदृढ करते हैं।
• इनका प्रभाव तथा लाभ सीमित हैं।

योग :

• योग का अभ्यास सरल है।
• इसका अभ्यास युवा-वृद्ध, स्त्री-पुरुष सभी अपनी अवस्था के अनुसार कर सकते हैं।
• यह अभ्यास शरीर व मन दोनो को प्रभावित करता है।
• इसके प्रभाव तथा लाभ व्यापक हैं। इसके प्रभाव सर्वांगीण हैं।

स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास

स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास मे आसन व प्राणायाम दोनो का अभ्यास किया जाना चाहिए। आसन शरीर को तथा प्राणायाम प्राण तथा श्वास को सुदृढ करते हैं। पहले आसन का अभ्यास करना चाहिए। आसन के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें। आसन क्या है, इसकी विधि तथा लाभ क्या हैं, इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

आसन का अभ्यास 

आसन शरीर को प्रभावित करने वाली क्रिया है। यह शरीर के आन्तरिक व बाहरी अंगो को प्रभावित करता है। रीढ को फ्लैक्सीबल तथा स्वस्थ बनाये रखता है। रक्त-संचार को व्यवस्थित करता है। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। आरम्भ मे नये व्यक्ति को सरल आसन करने चाहिएँ।

आसन क्या है :

पताँजलि-योग मे आसन की परिभाषा दी गई है :--"स्थिर:सुखम् आसनम्"
अर्थात् "आसन" वह अभ्यास है जो स्थिरता पूर्वक और सुख पूर्वक किया जाए। इसलिए जो भी आसन करें, सरलता से करें। जिस आसन से कष्ट का अनुभव हो वह न करें। आसन की स्थिति मे स्थिरता से रुकने का प्रयास करें।

आसन के लाभ :

• आसन का अभ्यास शरीर के अंगों को सुदृढ करता है।
• रीढ को फ्लैक्सीबल तथा स्वस्थ रखता है।
• शरीर की मासपेशियों तथा अस्थि जोड़ो को सक्रिय करता है।
• रक्त संचार को व्यवस्थित करता है।
• पेट के आन्तरिक अंगो को प्रभावित करके पाचन तंत्र की वृद्धि करता है।

आसन की विधि :

• किसी समतल स्थान पर मैट बिछा कर अभ्यास करें।• आसनों का चयन अपने शरीर की स्थिति के अनुसार करें।
• सरलता से आसन आरम्भ करें, आसन की पूर्ण स्थिति मे धीरे धीरे जाएँ। पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें।
• एक आसन के बाद विश्राम करें। विश्राम के बाद दूसरा अभ्यास करें।
• सभी आसन अपनी क्षमता अनुसार करें। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक अभ्यास न करें।
• आसन का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम करें।
(विस्तार से देखें :- सरल आसन कैसे करें?)

आसन की सावधानियाँ :

आसन का अभ्यास करते समय इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए :-

• अपने शरीर की अवस्था तथा क्षमता अनुसार ही आसन का अभ्यास करें।
• बलपूर्वक, कठिन तथा कष्ट देने वाले आसन न करें।
• लगातार तथा जल्दबाजी मे अभ्यास न करें। एक आसन के बाद कुछ सैकिंड विश्राम करें। विश्राम के बाद अगला अभ्यास करें।
• सर्जरी के बाद, रोग की अवस्था मे, चोट लगने के बाद अस्थि या रीढ के क्षतिग्रस्त होने पर अभ्यास न करें।
• गर्भवति महिलाएँ आसन का अभ्यास न करें।

प्राणायाम का अभ्यास

आसन के बाद  प्राणायाम अवश्य करें। प्राणायाम का अर्थ है प्राणों को आयाम देना। यह योग का एक श्वसन अभ्यास है। इसे अपने श्वास की स्थिति के अनुसार  ही करें।

प्राणायाम क्या है :

श्वास को सही विधि से लेना, छोड़ना तथा कुछ समय के लिए रोकना ही प्राणायाम है। महर्षि पतंजलि इसको परिभाषित करते हुये सूत्र देते हैं :-
तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद: प्राणायाम:।अर्थात् श्वास लेने व छोड़ने की गति को कुछ देर रोकना ही प्राणायाम है।

प्राणायाम मे कुम्भक का महत्व :

प्राणायाम अभ्यास मे कुम्भक का विशेष महत्व है। श्वास को अपनी क्षमता अनुसार कुछ देर रोकने की अवस्था को कुम्भक कहा जाता है।

प्राणायाम के स्वास्थ्य-लाभ कुम्भक से ही प्राप्त होते हैं। लेकिन श्वासों की क्षमता अनुसार ही कुम्भक का प्रयोग किया जाना चाहिए। बल पूर्वक या अधिक देर तक श्वाँस को ना रोकें। इस अभ्यास को धीरे धीरे बढाएँ।

कमजोर श्वसन तथा नये अभ्यासी आरम्भ मे कुम्भक का प्रयोग न करें। केवल सरल अभ्यास करें।

प्राणायाम के लाभ :

• प्राणायाम का अभ्यास श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है।
प्राण शक्ति की वृद्धि करता है।
हृदय तथा फेफड़ों को स्वस्थ रखता है।
रक्तचाप को सन्तुलित करता है।
• शरीर के तत्वों तथा राशायनो को व्यवस्थित करता है।
• शरीर के लिए ऊर्जादायी है।
• रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) की वृद्धि करता है।

कौनसे प्राणायाम करें

प्राणायाम का अभ्यास अपनी शारीरिक अवस्था तथा क्षमता अनुसार ही करें। यदि श्वासो की स्थिति ठीक है तो कुम्भक का प्रयोग करें। नये अभ्यासी केवल सरल प्राणायाम का अभ्यास करें। कुछ मुख्य प्राणायाम अभ्यास ये हैं :-

• कपालभाति
• अनुलोम विलोम
• भस्त्रिका (केवल शरद ऋतु में)
• भ्रामरी
• चंद्रभेदी (गर्मी के मौसम में)
• सूर्यभेदी (सर्दी के मौसम में)
• नाड़ीशौधन

(विस्तार से देखें :- लाभदायी प्राणायाम। )

प्राणायाम की सावधानियाँ :

प्राणायाम अभ्यास मे इन सावधानियों को ध्यान मे रखा जाना चाहिए :-

• प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार ही करें।
• बलपूर्वक तथा अधिक समय तक श्वास न रोकें।
• एक प्राणायाम करने के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद अगला अभ्यास करें।
• श्वास रोगी तथा हृदय रोगी सरल अभ्यास करें। श्वास रोकने वाले प्राणायाम न करें।
• उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति तीव्र गति वाले अभ्यास न करें।

सारांश :

योगाभ्यास स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। इसके लिए आसन व प्राणायाम दोनो का अभ्यास करना चाहिए। योग की सभी क्रियाएँ अपने शरीर की क्षमता अनुसार करें।

Disclaimer :

लेख मे बताये गये अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए हैं। बलपूर्वक तथा क्षमता से अधिक अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं।



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