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योगाभ्यास स्वास्थ्य के लिए एक उत्तम विधि है। प्राचीन समय मे योग आध्यात्म का विषय रहा है। ध्यान-साधना के लिये शरीर का स्वस्थ रहना आवश्यक होता है। इसी लिए प्राचीन समय मे हमारे ऋषियों ने योग क्रियाओं को अविष्कृत किया। आज स्वास्थ्य के लिए पूरा विश्व ऋषियों द्वारा बताई गई उसी विधि को अपना रहा है। योग सरल है तथा लाभदायी है। लेकिन कुछ असावधानियां हानिकारक हो सकती हैं, इस लिए योग अभ्यास मे ये गलतियां न करें। योगाभ्यास मे प्राय: होने वाली कुछ गलतियों का इस लेख में वर्णन किया जायेगा।

(Read this article in English :- Common mistakes in Yoga.)

विषय सुची :-

• योगाभ्यास में होने वाली सामान्य गलतियां।
• गलतियां योगासन में।
• गलतियां प्राणायाम अभ्यास में।

mistakes in yoga
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योगाभ्यास में होने वाली सामान्य गलतियां

योग सरल, सुरक्षित तथा विज्ञान सम्मत विधि है। यह ऋषियों द्वारा अविष्कृत एक उत्तम अभ्यास है। नियमित योगाभ्यास शरीर को मज़बूती देता है। यह शरीर का रोगों से बचाव करता है, शरीर के लिए ऊर्जादायी है। लेकिन योग के अभ्यास में नये अभ्यासी प्राय: कुछ गलतियां करते हैं। यह हानिकारक हो सकता है। अत: योगाभ्यास में ये गलतियां न करें।

गलतियां योगासन में

योगाभ्यास में पहले आसन का अभ्यास करें। योगासन शरीर को स्वस्थ रखने वाला अभ्यास है। इस अभ्यास को अपने शरीर की अवस्था के अनुसार ही करें। योग आसनों में ये गलतियां न करें :-- 

1. गलत स्थान का चयन :- 

गलत स्थान पर स्थान पर आसन न करें। प्रदूषित वातावरण वाले स्थान पर अभ्यास न करें। प्राकृतिक वातावरण या पार्क जैसा स्थान उत्तम होता है। समतल स्थान पर मैट बिछा कर ही अभ्यास करें। मैट या कपड़ा बिछाए बिना अभ्यास न करें।

2. गलत आसनों का चयन :-

सभी व्यक्तियों के शरीर की अवस्थास्थिति अलग-अलग होती है। एक आसन किसी के लिए लाभदायी होता है, तो वही दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए सही आसनों का चयन करें। कष्टदायी आसन को बलपूर्वक करना हानिकारक हो सकता है। जिस आसन से शरीर सुख की अनुभूति हो उसका अभ्यास लाभदायी होता है। 

3. जल्दबाजी में आसन करना :-

कई अभ्यासी जल्दबाजी मे योगासन करते हैं। योगाभ्यास मे यह गलती न करें। सभी आसन सरलता से करें। धीरे-धीरे आसन की पूर्ण स्थिति में जाएं। पूर्ण स्थिति में पहुंचने के बाद कुछ दे रुकें और धीरे से वापिस आ जाएं। अगला आसन करने से पहले कुछ सैकिंड विश्राम करें। सभी आसन करने के बाद सीधे पीठ के बल लेट कर विश्राम करें।

4. आसनों को गलत क्रम से करना:-

गलत क्रम से किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। अत: सभी आसन सही क्रम से करें। आसन का आरम्भ सूक्ष्म-अभ्यास से करें। शरीर को वार्म अप करने के बाद कुछ आसन खड़े हो कर करें। इसके बाद बैठ कर अभ्यास करें। बैठ कर किये जाने वाले अभ्यास के बाद पेट के बल लेट कर अभ्यास करें। इन आसनों के बाद पीठ के बल सीधे लेट कर आसन करें। सभी आसनों के अंत में शवासन मे विश्राम करें।

( देखें :- आसन का सही क्रम क्या है?)

5. असन्तुलित अभ्यास न करें :-

योगाभ्यास मे असन्तुलित आसन का अभ्यास हानिकारक हो सकता है। कुछ आसन शरीर के अंगो को एक ओर ही प्रभावित करते हैं। ऐसे आसनों के सहायक आसन होते हैं। इन आसनों को पूरक आसन या विपरीत आसन कहा जाता है। इन का अभ्यास अवश्य करें। जैसे उष्ट्रासन के बाद शशांक आसन तथा सर्वांगासन के बाद मत्स्य आसन का अभ्यास करें।

(देखें :- पूरक आसन क्या है?)

6. क्षमता से अधिक अभ्यास करना :-

क्षमता से अधिक अभ्यास की गलती न करें। सभी व्यक्तियों के शरीर की क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए सभी आसन अपनी क्षमता अनुसार ही करें। कठिन आसन न करे। सरल आसन लाभदायी होते हैं। जिस आसन की स्थिति मे सुखपूर्वक अधिक देर रुक सकते हैं, वही आसन करें।

गलतियां प्राणायाम अभ्यास में :-

योगाभ्यास में प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। यह श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है, प्राण-ऊर्जा की वृद्धि करता है। "श्वास" इस क्रिया का आधार है। अत: प्राणायाम का अभ्यास श्वास की क्षमता अनुसार ही करें। प्राणायाम अभ्यास में ये गलतियां न करें :-

1. गलत पोज मे बैठना :-

प्राणायाम अभ्यास मे गलत पोज मे बैठना हानिकारक हो सकता है। पद्मासन या सुखासन प्राणायाम के लिए सही पोज है। लेकिन जो व्यक्ति घुटने मोड़ कर नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर बैठ कर अभ्यास करें। रीढ को सीधा रखें। रीढ को झुका कर नहीं बैठना चाहिये।

2. शरीर की अवस्था अनुसार अभ्यास न करना :- प्राणायाम अभ्यास अपने शरीर की अवस्था के अनुसार करें। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति तीव्र गति के अभ्यास न करें। ऐसे व्यक्ति धीमी गति वाले अभ्यास करें। गर्भवती महिलाएं सुविधा जनक पोज मे बैठें तथा सरल अभ्यास करें। वृद्ध व्यक्ति कठिन अभ्यास न करें।

3. क्षमता से अधिक अभ्यास :-

सभी व्यक्तियों के श्वास की क्षमता एक जैसी नही होती है। इसलिए प्राणायाम अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार करें। क्षमता से अधिक अभ्यास करने की गलती न करें। क्षमता से अधिक देर श्वास न रोकें। नये अभ्यासी आरम्भ में सरल प्राणायाम करें। धीरे-धीरे अभ्यास बढाएं। 

4. मौसम के विपरीत अभ्यास :-

मौसम के विपरीत अभ्यास न करें। कुछ अभ्यास शरद ऋतु मे, तथा कुछ गर्मी के मौसम मे हानिकारक होते है। अत: सर्दी तथा गर्मी के मौसम मे जो प्राणायाम वर्जित हैं उनका अभ्यास न करें। कुछ प्राणायाम सर्दी मे तथा कुछ अभ्यास गर्मी मे लाभदायी होते हैं, उनका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

(देखें:- मौसम के अनुसार प्राणायाम कोनसे हैं?)

5. रोग की अवस्था मे अभ्यास :-

यदि श्वास की स्थिति ठीक नही है, तो श्वास रोकने का अभ्यास न करे। सरल प्राणायाम करें। श्वास रोगी प्राणायाम अभ्यास मे श्वास रोकने की गलती न करें। श्वास रोगी तथा हृदय रोगी सावधानी से केवल सरल अभ्यास सही निर्देशन मे करें।

6. लगातार अभ्यास न करें :-

योगाभ्यास मे प्राणायाम करते समय यह ध्यान रहे कि लगातार अभ्यास न करें। एक अभ्यास करने के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद ही अगला प्राणायाम करें।

सारांश :-

योग स्वास्थ्य के लिए लाभदायी क्रिया है। लेकिन इसे कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए। नये योग अभ्यासी प्राय: कुछ गलतियां करते हैं। योगाभ्यास मे ये हानिकारक हो सकती हैं। अत: योग अभ्यास मे ये गलतियां न करें।

Disclaimer :-

योग एक लाभदायी क्रिया है लेकिन इसे कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए। योग अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार करना चाहिए। सरल व नियम से किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। गलत अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

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