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तनाव (Stress) हमारे मन की एक स्थिति है। मानसिक अशान्ति तनाव का कारण बनती है। योग मानसिक शाँति देने वाली क्रिया है। मन को शान्त करना ही योग है। चित्त वृतियों का निरोध करना, योग कहा गया है। आसन, प्राणायाम और ध्यान योग के तीन मुख्य अंग हैं। ये तीनो तनाव (Stress) दूर करने सहायक होते है। इस लेख मे हम यह जानेगे कि तनाव दूर करने के लिये योग, Yoga For Stress कैसे करें।

विषय सुची :-

• तनाव दूर करने के लिये आसन।
• तनाव दूर करने के लिये प्राणायाम।
• तनाव दूर करने के लिये ध्यान।

yoga for stress relief

मानसिक तनाव और योग।

शरीर और मन दोनो एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ तन मे स्वस्थ मन का वास होता है। यदि मन ठीक नही है तो शरीर भी प्रभावित होता है। तनाव मानसिक परेशानी के कारण होता है। तनाव (Stress) दूर करने मे योग महत्वपूर्ण क्रिया है।

आसन, प्राणायाम और ध्यान योग के महत्व पूर्ण अंग है। ये तीनों शरीर व मन को प्रभावित करते हैं। 

आसन-प्राणायाम :-- योग मे आसन शरीर को स्वस्थ रखते है। प्राणायाम प्राण शक्ति को सुदृढ करते हैं। ये दोनो शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाये हैं। ये क्रियाएँ शरीर के रक्त-चाप (BP), सुगर व अन्य राशायनो को संतुलित रखते हैं।

ध्यान :- यह मानसिक शान्ति देने वाली महत्वपूर्ण क्रिया है। इस क्रिया से मन अन्तरमुखी हो जाता है। यह अशान्त मन को शान्त करने वाली क्रिया है।

आसन, प्राणायाम और ध्यान ये तीनो शरीर व मन को कैसे प्रभावित करते है। आईये इसे विस्तार से जान लेते हैं।

तनाव (Stress) दूर करने के लिये "आसन"।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिये आसन बहुत महत्वपूर्ण हैं। स्वस्थ "मन" के लिये स्वस्थ "तन" का होना जरूरी है। आसन शरीर को सीधा प्रभावित करते है। इसका प्रभाव आन्तरिक व बाह्य अंगों पर पङता है।

नियमित आसन शरीर के रक्त-चाप को नियंत्रित रखते है। आसन हमारे शरीर का सुगर तथा अन्य राशायनो को सन्तुलित रखते हैं। आसन अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करें। आरम्भिक अभ्यासी को सरल आसन करने चहाये। आसन सही विधि से करें।

आसन करने की विधि।

योगाभ्यास के लिये सुबह का समय उत्तम माना गया है। स्नान आदि नित्य क्रियाओ से निवृत होकर योगाभ्यास करें। दिन मे योगाभ्यास करना हो तो भौजन करने के तुरंत बाद अभ्यास न करें। आसन करते समय कुुछ बातो को ध्यान मे रखें :--

स्थान का चयन :- आसन करने के लिये सही स्थान का चयन करें। योग के लिये पार्क जैसा प्राकृतिक स्थान उत्तम होता है। घर पर करना हो तो खुला व हवादार स्थान का चयन करें। समतल स्थान पर दरी, चद्दर या मैट बिछा कर योगाभ्यास करें।

मन को अन्तर्मुखी रखें :- आसन करते समय आँखे कोमलता से बन्ध रखें। मन को बाहर न भटकने दें। पूरे आसनो मे ध्यान को शरीर पर केन्द्रित रखें। सभी विचारो का त्याग करते हुये केवल प्रभावित अंगो पर ध्यान केन्द्रित करें।

सही आसनो का चयन :- आसन का चयन अपने शरीर की क्षमता व अवस्था के अनुसार करे। कठिन आसन अधिक लाभदायी हैं, यह सही नही है। सरल आसन लाभदायी होते हैं। जिस आसन को करने मे आराम अनुभव हो, वह अवश्य करें।

आसन सही क्रम से करें :- आसनो को सही क्रम से करें। पहले खङे होकर कुछ आसन करे। उसके बाद पैरो को फैला कर बैठ जाये और बैठ कर आसन करें। इसके बाद वज्रासन की स्थिति मे आ जाये। कुछ आसन वज्रासन पोज मे करें। ये आसन करने के बाद सीने के बल लेट कर आसन करें। और अन्त मे पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसन करें।

देखें :- आसन प्राणायाम का सही क्रम।

आसन की सावधानियाँ।

• आसन अपनी क्षमता के अनुसार करें। क्षमता से अधिक आसन न करें। अपनी अवस्था के अनुसार आसनो का चयन करें।

सरलता से किये जाने वाले आसन करें। कठिन आसन न करें। सरल आसन लाभदायी होते हैं।

आसन की पूर्ण स्थिति मे धीरे धीरे जाये। पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकने का प्रयास करें। और धीरे-धीरे वापिस आ जाएँ।

जिस आसन को करने मे परेशानी का अनुभव हो वँही पर रुक जाये और धीरे से वापिस आ जाये। अधिक बल प्रयोग न करें।

बिमारी की स्थिति मे आसन न करे। किसी अंग की सर्जरी हुई है तो आसन न करे। गर्भवती महिलाएँ कुछ आसन न करें।

सभी आसनो के अंत मे शवासन मे विश्राम करें।

मुख्य आसन।

खङे होकर किये जाने वाले आसन :-

2. त्रिकोण आसन।
3. हस्त पाद आसन।
4. ताङासन।

बैठ कर किये जाने वाले आसन :-

1. कटिचक्रासन।
2. पश्चिमोतान आसन।
3. गो मुखासन।
4. अर्ध मत्स्येन्द्र आसन।

वज्रासन पोज मे किये जाने वाले आसन :-

1. उष्ट्रासन।
2. शशाँक आसन।
3. सुप्त वज्रासन।
4. बालासन।

(विस्तार से देखें :- वज्रासन पोज के आसन।)

सीने के बल लेट कर किये जाने वाले आसन :-

1. भुजंग आसन।
2. धनुरासन।
3. शलभ आसन।
4. नौकासन।

पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसन :-

1. मकरासन।
2. पवन मुक्तासन।
3. सर्वांग आसन।
4. हलासन।

(सभी आसनो को  विस्तार से जानने के लिये हमारे अन्य लेख देखें।)

तनाव (Stress) दूर करने के लिये "प्राणायाम"।

तनाव दूर करने के लिये प्राणायाम बहुत महत्वपूर्ण है। प्राणायाम का आधार श्वास है। यह क्रिया प्राण शक्ति की वृद्धि करती है। यह हृदय, मन-मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्रिया है।

प्राणायाम शरीर व मन को प्रभावित करता है। यह श्वासो पर आधारित क्रिया है। इस लिये अपने श्वास की स्थिति के अनुसार ही प्राणायाम करें। क्रिया करते समय श्वासों के साथ बल प्रयोग न करें। सरल प्राणायाम करें।

प्राणायाम की विधि।

आसन करने के बाद कुछ देर शवासन मे विश्राम करें। कुछ देर विश्राम करने के बाद प्राणायाम करें। प्राणायाम करते समय कुछ बातो को ध्यान मे रखना चहाये :--

आसन का चयन :- प्राणायाम आरम्भ करने से पहले सही आसन का चयन करें। पद्मासन की स्थिति प्राणायाम के लिये उत्तम मानी गई है। यदि पद्मासन मे बैठना सम्भव न हो तो किसी भी सुविधाजनक पोज मे बैठे। घुटनो की परेशानी वाले कुर्सी पर बैठ कर प्राणायाम कर सकते है।

बैठने की स्थिति :- पद्मासन, सुखासन या किसी आरामदायक स्थिति मे बैठें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखे कोमलता से बन्ध कर ले।

प्राणायाम मे मन को अन्तरमुखी करें :- प्राणायाम करते समय आँखो को बन्ध रखे। मन को बाहर भटकने न दें। किसी विचार को मन मे न आने दे। ध्यान श्वासो पर केन्द्रित रखें। मन को अन्तरमुखी करने का प्रयास करें।

सही प्राणायाम का चयन :- प्राणायाम का चयन अपने श्वासो की स्थिति के अनुसार ही करें। यदि श्वास को रोकने की क्षमता न हो तो कुम्भक न लगाये। श्वासो की स्थिति ठीक है तो कुम्भक का प्रयोग करें।

सावधानियाँ।

प्राणायाम करते समय कुछ सावधानियाँ रखी जानी चहाये। सावधानी से किया गया प्राणायाम लाभदायी होता है।

• अपनी क्षमता के अनुसार प्राणायाम करें। क्षमता से अधिक कोई क्रिया न करें। आरम्भ मे सरल प्राणायाम करें।

कुम्भक का प्रयोग अपने श्वासो की स्थिति के अनुसार करें। श्वास की स्थिति ठीक नही है तो कुम्भक न लगाएँ।

एक प्राणायाम करने के बाद श्वास सामान्य करे। श्वास सामान्य होने के बाद अगले प्राणायाम मे जाएँ।

हृदय रोगी, श्वास रोगी कुम्भक का प्रयोग न करे। सरल प्राणायाम प्रशिक्षक के निर्देशन मे करें। गम्भीर रोगी प्राणायाम न करें।

उच्च रक्त चाप (High BP) वाले व्यक्ति तीव्र गति वाले  प्राणायाम न करें।

मुख्य प्राणायाम।

1. कपालभाति।
2. अनुलोम विलोम।
3. भस्त्रिका।
4. भ्रामरी।
5. नाङीशौधन।

(विस्तार से देखें :- प्राणायाम कैसे करें? )

तनाव दूर करने के लिये "ध्यान"।

ध्यान अष्टाँग योग का महत्वपूर्ण अंग है। यह मानसिक शान्ति देने वाली क्रिया है। आसन प्राणायाम के बाद कुछ देर के लिये मन को अन्तरमुखी करते हुये ध्यान अवस्था मे बैठें।

ध्यान की विधि।

पद्मासन या सुखासन मे बैठें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखे कोमलता से बन्ध रखें। दोनो हाथ घुटनो पर ज्ञान मुद्रा मे। ध्यान को आज्ञाचक्र (माथे के मध्य) मे केन्द्रित करे। तिलक लगाने वाले स्थान पर ध्यान को एकाग्र करें। यहाँ अपने किसी आराध्य को ध्यान मे लाये या ज्योति का दर्शन करते हुये रुके।

दूसरे चरण मे ध्यान को आज्ञाचक्र से हटा कर श्वासो पर केन्द्रित करें। आती-जाती श्वासो को अनुभव करे। ध्यान केवल श्वासो पर रखें। कोई विचार मन मे न आने दे। निर्विचार भाव से बैठे।

धीरे धीरे ध्यान की स्थिति से बाहर आ जाएँ। लम्बा गहरा श्वास भरें। ॐ का उच्चारण करे। शवासन मे सीधे लॅेट जाये। कुछ देर विश्राम करे। योग के प्रभाव को अनुभव करें।

सारांश :--

योग शरीर व मन-मस्तिष्क को प्रभावित करता है। शरीर व मन दोनो एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। आसन शरीर को स्वस्थ रखते है। प्राणायाम प्राण शक्ति की वृद्धि करते है। इस लिये तनाव दूर करने के लिये योग महत्वपूर्ण विधि है।

Disclaimer :-

योग एक लाभदायी क्रिया है। इसे सावधाानी से किया जाना चहाये। योगाभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार करे। किसी प्रकार के रोग से पीङित अपने चिकित्सक से सलाह ले। लेख मे बताई गई क्रियाएँ केवल स्वस्थ व्यक्तियो के लिये हैं। यह लेख चिकित्सा हेतू नही है।

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