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असंतुलित आहार तथा अनियमित जीवनशैली के कारण हमारे शरीर में कई परेशानियां होने लगती हैं। शरीर में अतिरिक्त चर्बी का बढ़ना, रीढ़ व कमर का जाम होना मुख्य परेशानियां हैं। ये कमर दर्द का कारण भी बनते हैं। नियमित योगाभ्यास शरीर को ऊर्जावान और फिट रखने में सहायक होता है। इसके लिए योग में कई आसन बताए गए हैं। इनमें कमर की चर्बी कम करने के लिए कमर चक्रासन का विशेष महत्व है। इस आसन की सही विधि, लाभ और सावधानियां क्या हैं, प्रस्तुत लेख में हम आगे इसका विस्तार से वर्णन करेंगे।

विषय सूची :

  • कमर चक्रासन का महत्व
  • सही विधि
  • लाभ
  • सावधानियां 

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कमर चक्रासन विधि लाभ व सावधानियां

योग विज्ञान पर आधारित भारत की एक प्राचीन विधि है। (देखें :-  क्या योग एक विज्ञान है? ) योगाभ्यास में शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कई आसन बताए गए हैं। इनमें कमर चक्रासन एक लाभकारी आसन है। इसे कटिचक्रासन भी कहा जाता है। इसका मुख्य प्रभाव रीढ़, कमर, पेट तथा पैर की जांघों पर होता है। यह अभ्यास खड़े होकर, बैठ कर और लेट कर भी किया जा सकता है। इस अभ्यास को बैठ कर कैसे किया जाता है? इसके लाभ और सावधानियां क्या हैं? प्रस्तुत लेख में इसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा।

सही विधि :

यह बैठ कर किया जाने वाला महत्वपूर्ण आसन है। इसका नियमित अभ्यास कमर व पेट की चर्बी को कम करने में सहायक होता है। इसकी सही विधि इस प्रकार है :-

  • योग-मैट या दरी पर बैठ जाएं। दोनो पैरों को सीधा करें। पैरों मे अधितम दूरी बनाएं।
  • दायां हाथ ऊपर उठाएं। श्वास छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। दायां हाथ बाएं पैर के पंजे के पास, माथा घुटने के पास ले जाएं। बायां हाथ पीठ के पीछे की तरफ रखें।
  • श्वास भरते हुए ऊपर उठें। फिर कमर से आगे झुकें। बायां हाथ दाएं पैर के पंजे के पास और माथा घुटने के पास ले जाएं। दायां हाथ पीठ के पीछे ले जाएं।
  • यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार क्षमता के अनुसार या 4-5 आवृत्तियां करे।
  • अवश्यकता के अनुसार आवृत्तियां करने के बाद वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं। पैरों का अन्तर कम करें। दोनो हाथ पीछे टिकाएं। गर्दन को पीछे की तरफ ढीला छोड़ दें। विश्राम करें।

(शरीर को ऊर्जावान और फिट बनाए रखने के लिए विस्तार से देखें :- फिटनेस के लिए योग )

कमर चक्रासन के लाभ :

यह कमर व पेट की चर्बी को नियंत्रित करने वाला उत्तम आसन है। इसका मुख्य प्रभाव रीढ़, कमर, पेट तथा पैर की जांघों पर होता है। इस अभ्यास के अनेकों फायदे हैं। इसके मुख्य लाभ इस प्रकार हैं :-

  1. कमर व पीठ की जकड़न दूर होती है:- यह आसन कमर तथा पीठ की नसों व मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है और इनको मजबूती देता है। यह कमर-दर्द और पीठ-दर्द से राहत देने वाला अभ्यास है।
  2. रीढ़ की मजबूती :- इस अभ्यास में कमर को ट्विस्ट किया जाता है (घुमाया जाता है)। ऐसा करने से रीढ़ प्रभावित होती है। यह रीढ़ की लचक (फ्लैक्सिबिलिटी) बढ़ता है और मजबूती देता है।
  3. कमर और पेट की चर्बी :- कमर चक्रासन का नियमित अभ्यास कमर और पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में सहायक होता है।
  4. पैरों को मजबूती देता है :- यह आसन पैरों की मांसपेशियों को सुदृढ़ करता है।
  5. पाचन तंत्र :- इस अभ्यास से पेट के आंतरिक अंग (किडनी, लीवर, पैंक्रियाज तथा आंत) प्रभाव में आते हैं। दबाव पड़ने से ये अंग सक्रिय हो जाते हैं। इनके सक्रिय होने से पाचन तंत्र सुदृढ़ होता है।
  6. शरीर को ऊर्जावान बनाता है :- यह अभ्यास शरीर के सभी तत्वों (कफ वात पित्त) और रसायनों को संतुलित करता है। यह रक्तचाप (BP) को सामान्य करता है। ये सभी शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं।

आसन की सावधानियां :

कमर चक्रासन एक सरल और लाभदाई आसन है। लेकिन यह अभ्यास सावधानी से करना चाहिए। सावधानी से किया गया अभ्यास लाभकारी होता है। असावधानी या बल पूर्वक अभ्यास से हानि हो सकती है। आसन-अभ्यास में इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ,:-

  • यह अभ्यास जल्दबाजी में, झटका दे कर न करें। आगे झुकना, कमर को घूमना बलपूर्वक न करें।
  • कमर व पेट में अधिक चर्बी जमा होने के कारण आगे झुकने मे परेशानी है, तो यह आसन अपनी क्षमता अनुसार ही करें। 
  • आंत के गम्भीर रोगी इस आसन को न करें।
  • हर्निया पीड़ित व्यक्ति के लिए यह आसन हानिकारक हो सकता है।
  • यदि कोई सर्जरी हुई है, तो यह आसन  न करें।
  • गर्भवती महिलाओ को यह आसन नही करना चाहिए।
  • महिलाएं मासिक "पीरियड्स"  मे इस आसन को न करें।
  • हृदय रोगी तथा उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें।

सारांश :

कमर की चर्बी कम करने के लिए कमर चक्रासन एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। यह रीढ़ को मजबूती देता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।

Disclaimer :

यह आसन किसी प्रकार की चिकित्सा हेतु नहीं है। योग की सामान्य जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है । यह अभ्यास अपने शरीर की क्षमता ही करें। क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

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