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रीढ या Backbone हमारे शरीर के लिये महत्वपूर्ण है। इसे मेरूदण्ड या Spine भी कहा गया है। शरीर का सम्पूर्ण नाङी-तंत्र यही पर स्थित है। शरीर के सभी अंगों पर नियंत्रण यही से होता है। अत: इसका का सुदृढ होना जरूरी है। प्रस्तुत लेख, Yoga for Backbone - in hindi मे इसके बारे में विस्तार से बताया जायेगा। कमर व रीढ के लिये 4 योगासन लाभदायी है। ये वज्रासन मुद्रा मे किये जाने वाले आसन हैं।

(इस लेख को अंग्रेजी भाषा मे देखें।
English version of this article :- Vajrasna Pose.)

विषय सुची:-
  • कमर व रीढ के लिये 4 योगासन।
  • 1. उष्ट्रासन :- आसन की विधि, लाभ व सावधानियाँ।
  • 2. शशाँक आसन :- विधि, लाभ व सावधानियाँ।
  • 3. सुप्त वज्रासन :- विधि, लाभ व सावधानियाँ।
  • 4. बालासन :- विधि, लाभ व सावधानियाँ।


कमर व रीढ (Backbone) के लिये आसन।

कमर व रीढ के लिये 4 आसन महत्वपूर्ण हैं। ये बहुत लाभकारी आसन हैं। ये वज्रासन पोज मे बैठ कर किये जाने वाले आसन हैं। इन आसनों को नियमित करने से कमर दर्द से राहत मिलती है। रीढ तथा नाङीतंत्र स्वस्थ रहता है। इन 4 प्रभावी आसनो के बारे मे जानने से पहले, वज्रासन के बारे मे जानना जरूरी है।

वज्रासन (Vajrasna) क्या है?

यह एक सरल आसन है। इसे आसानी से किया जा सकता है। यह एक मात्र आसन है जो भोजन करने के बाद किया जा सकता है। 4 महत्वपूर्ण आसन है जो इस पोज मे बैठ कर किये जाते हैं।

विधि :- 

  • वज्रासन के लिए दोनों घुटने मोङ कर बैठें।
  • दोनों घुटनें मिला कर रखें।
  • दोनो पैरों के अंगूठे स्पर्ष करते हुए रखें।
  • दोनों एङियाँ खुली हुई और एङियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठें।
  • कमर व गरदन को सीधा रखें।
  • हाथ घुटनों पर।

वज्रासन मुद्रा (Vajrasna Pose) मे किये जाने वाले आसन इस प्रकार हैं :--

  1. उष्ट्रासन।
  2. शशाँक आसन।
  3. सुप्त वज्रासन।
  4. बालासन।

1. उष्ट्रासन Camel Pose.

यह रीढ (Backbone) के लिए एक उत्तम आसन है। इस आसन में ऊँट(Camel) जैसी मुद्रा (Pose) बनती है। इस लिए इसका नाम उष्ट्रासन (Camel Pose) रखा गया है। वज्रासन की मुद्रा (Pose) मे सब से पहले इस आसन को करें।

उष्ट्रासन करने की विधि।

  • वज्रासन की स्थिती में बैठें।
  • मुङे हुये घुटनों से ऊपर उठें।
  • दोनो घुटनों मे लगभग एक फुट (सुविधा पूर्वक) अन्तर रखें।
  • पँजों की दूरी घुटनों के समानान्तर रखें। पँजे सीधे रखें।
  • दोनो हाथ कमर पर ले जाएँ।
  • अँगूठे रीढ की तरफ और उँगलियाँ कमर पर।
  • पहले गरदन को पीछे की तरफ झुकाएँ।

(नये व्यक्ति जो इस आसन को पहली बार कर रहे हैं, वे इस आसन को यहीं तक करे। और वापिस वज्रासन की स्थिती मे आ जाएँ। अन्य व्यक्ति आसन को जारी रखें)

  • अँगूठो से दबाव डालते हुए रीढ को पीछे की ओर झुकाएँ।
  • रीढ मे धनुषाकार झुकाव आने के बाद दाँया हाथ दाँयी एङी पर रखें।
  • बाँया हाथ बाँयी एङी पर रखें।
  • यह आसन की पूर्ण स्थिती है। इस स्थिती मे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार रुकें।
  • वापसी के लिए बारी-बारी दोनो हाथ कमर पर ले आएँ और कमर (रीढ) को धीरे-धीरे सीधा करें।
  • वज्रासन की स्थिती में बैठ कर विश्राम करें।

उष्ट्रासन के लाभ।

  • रीढ के लिए यह उत्तम आसन है। रीढ को पीछे की ओर झुकाने से रीढ की सख्ती दूर होती है। इस आसन से रीढ की लचक (फ्लैक्सिब्लिटी) बनी रहती है।
  • इस आसन को करने से पेट के अंग प्रभावित होते है।
  • आँतों के प्रभावित होने से कब्ज दूर होती है। पाचन शक्ति बढती है।
  • पीठ व कमर दर्द मे राहत मिलती है।
  • गरदन व कन्धो मे खिचाव आने से सर्वाइकल क्षेत्र प्रभावित होता है।
  • इस आसन से थायराइड ग्रंथी प्रभाव मे आती है।
  • पैर की जँघाओ पर अच्छा प्रभाव पङता है।

आसन की सावधानियाँ।

  • पहली बार आसन करने वाले व्यक्तियों के लिए यह आसन थोङा कठिन आसन है। इस लिए नये व्यक्ति आसन की पूर्ण स्थिती मे न जाएँ। पहले केवल गरदन को पीछे झुकाएँ। कुछ देर रुकें और वापिस आ जाएँ। अभ्यास को रोज थोङा-थोङा आगे बढाएँ।
  • यह आसन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार करें।
  • यह ध्यान रहे कि रीढ हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इस आसन को करते समय रीढ पर अधिक तनाव या बल प्रयोग न करें। जितना सरलता से कर सकते हैं, उतना ही करे। कम करने से भी लाभ मिलेगा। 
  • आसन की पूर्ण स्थिती मे बहुत धीरे-धीरे जाएँ। यदि पूर्ण स्थिती तक पहँचने मे परेशानी लगती हो तो वहीं से धीरे धीरे वापिस आ जाएँ।
  • पूर्ण स्थिती मे यथा शक्ति रुकने का प्रयास करें।

आसन किसको वर्जित है।

यह आसन कुछ व्यक्तियों के लिए वर्जित है। इसलिए इनको यह आसन नही करना चहाए।

  • रीढ, गरदन व कमर मे कोई परेशानी है तो इस आसन को न करें।
  • पेट का ऑपरेशन हुआ है या आँतो की कोई गम्भीर बिमारी है तो यह आसन न करें।
  • घुटनो के कारण वज्रासन मे नही बैठ सकते है तो इस आसन को न करें।
  • महिलाओ के लिए यह उत्तम आसन है। लेकिन गर्भावस्था तथा माहवारी पीरियड्स मे इस आसन को न करें।

2. शशाँक आसन। Hare Pose.

इस आसन मे खरगोश (शशाँक) जैसी मुद्रा (Pose) बनती है इस लिए इसका नाम शशाँक आसन दिया गया है। यह उष्ट्रासन का विपरीत आसन है। इस लिए उष्ट्रासन के बाद इस आसन को करने से लाभ मे वृद्धि होती है। कमर व रीढ के लिये यह उत्तम आसन है।

आसन करने की विधि।

  • वज्रासन की स्थिती में बैठें।
  • धीरे-धीरे दोनों हाथ ऊपर उठाएँ।
  • श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर खीचें।
  • श्वास खाली करते हुए आगे की तरफ झुकें। हाथ कानो के साथ लगे रहें।
  • पहले हथेलियाँ, फिर कोहनियाँ और उसके बाद माथा नीचे टिकाएँ।
  • पीछे मध्य भाग एडियों पर टिका रहे।
  • श्वास सामान्य लेते-छोङते हुए कुछ देर तक रुकें।
  • कुछ देर रुकने के बाद धीरे धीरे श्वास भरते हुए ऊपर उठें। हाथ कानों के साथ लगे रहें।
  • हाथ ऊपर आने के बाद ऊपर की ओर खिचाव दें।
  • श्वास छोङते हुए हाथ नीचे ले आएँ घुटनो पर।

शशाँक आसन के लाभ।

  • इस आसन से रीढ, कमर व पेट के अंग प्रभाव में आते है। यह उष्ट्रासन के लाभ बढाने वाला आसन है।
  • किडनी, लीवर तथा पेनक्रियाज प्रभाव मे आने से राशायन निर्माण का सही बैलैंस बना रहता है।
  • सुगर नियंत्रित रहता है।
  • आँतों के प्रभावित होने से कब्ज से राहत मिलती है। पाचनतंत्र सुदृढ होता है।
  • रक्त-प्रवाह मस्तिष्क की ओर होता है।

आसन की सावधानियाँ।

यह सरलता से किया जाने वाला आसन है। लेकिन इस आसन मे कुछ सावधानियाँ जरूरी है।

  • इस आसन मे श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचना है। और श्वास छोङते हुए आगे झुकना है।
  • पहले कुछ देर खाली श्वास मे रुके और उसके बाद श्वास सामान्य करके रुकें।
  • धीमी गति मे आसन की पूर्ण स्थिती मे जाएँ। यथा शक्ति रुकें। और धीमी गति से ऊपर उठे।

आसन किसको वर्जित है।

  • यदि पेट का कोई ऑपरेशन हुआ है तो इस आसन को न करे।
  • कमर या रीढ मे कोई परेशानी है तो यह आसन न करें।
  • आँत रोगी, गम्भीर अल्सर पीङित इस आसन को न करें।
  • महिलाएँ मासिक धर्म के पीरियड्स मे तथा गर्भावस्था मे इस आसन को न करे।

3. सुप्त वज्रासन।

यह कमर, गरदन व पैरों की पिंडली जंघाओं के लिए प्रभावकारी आसन है।


आसन करने की विधि।

  • वज्रासन कि मुद्रा में बैठें।
  • घुटने मिला कर रखें और पीछे से पँजो के बीच में थोङी दूरी बनाएँ।
  • मध्य भाग को दोनो पँजो के बीच मे टिकाएँ।
  • पीछे झुकते हुए दाँयी कोहनी को नीचे टिकाएँ।
  • बाँयी कोहनी को नीचे टिकाएँ।

(इस आसन को पहली बार करने वाले व्यक्ति यहाँ कुछ देर रुकें और यहाँ से वापिस आ जाएँ। जो व्यक्ति आगे आसन कर सकते हैं वे क्रिया जारी रखें)

  • धीरे-धीरे पीठ को नीचे टिकाते जाएँ। पूरी तरह लेटने के बाद हाथों को सीधा करें।
  • घुटनो को आसन से लगा कर रखें। अधिक देर रुकने के लिए हाथो को मोङ कर हथेलियाँ सिर के नीचे रखें।
  • अपने शरीर की क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीमी गति से वापिस वज्रासन में आएँ।

आसन के लाभ।

  • यह कमर व रीढ के लिये उत्तम आसन है।

  • इस आसन से पैरो की माँस-पेशियाँ प्रभावित होती है।
  • पेट आँतो मे खिंचाव आने से कब्ज से राहत मिलती है और पाचन शक्ति बढती है।
  • पेट के अन्य अंग भी प्रभाव मे आते है।

आसन की सावधानियाँ।

इस आसन को करते समय कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखे

  • नये व्यक्ति आसन की पूर्ण स्थिती मे न जाएँ। पूर्ण स्थिती मे जाने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढाएँ
  • अपने शरीर की क्षमता के अनुसार यह आसन करें।
  • यदि आसन करने मे परेशानी लगे तो वहाँ से धीरे धीरे वापिस आ जाएँ।
  • शरीर के साथ बल प्रयोग न करें। कम अभ्यास से भी लाभ मिलेगा। इसलिए सरलता से जितना हो सके उतना ही करें।

आसन किसको वर्जित है।

  • कमर, रीढ व गरदन की परेशानी वाले व्यक्ति पीछे अधिक न झुकें।
  • अल्सर या आँत के रोगी इस आसन को न करें।
  • पेट या पैर का ऑपरेशन हुआ है तो यह आसन न करें।
  • महिलाओं के लिए यह उत्तम आसन है। लेकिन माहवारी पीरियडस मे तथा गर्भावस्था में इस आसन को न करें।

4. बालासन। Child Pose.

  • वज्रासन की मुद्रा में बैठें।
  • दोनों हाथ पीछे ले जाएँ। बाँये हाथ से दाँये हाथ को पकङें।
  • हाथों को नीचे की ओर खींच कर रखें।
  • श्वास छोङते हुए आगे झुकें। हाथों मे नीचे की तरफ खिचाव बना रहे।
  • माथा नीचे आसन से लगाएँ।
  • अधिक देर रुकने के लिए श्वास सामान्य करके रुके।
  • वापसी के लिए श्वास भरते हुए धीरे धीरे ऊपर उठें।
  • वज्रासन मे श्वास सामान्य करें।

आसन करने के लाभ।

  • इस आसन को करने से शशाँक आसन वाले लाभ मिलते है।
  • यह कमर,रीढ व पेट के लिए लाभकारी आसन है।
  • इस आसन से मानसिक शांति मिलती है।
  • यह आसन ध्यान लगाने मे सहायक है।

आसन की सावधानी।

  • आसन की पूर्ण स्थिती मे माथा नीचे ले जाते समय मध्य भाग ऐङियो पर टिका कर रखे।
  • हाथों मे खिचाव बना रहे।
  • पूर्ण स्थिती मे जाने के लिए शरीर के साथ अधिक बल प्रयोग न करे।

लेख का सार :--

इस लेख मे कमर व रीढ के लिये 4 योगासन बताये हैं। ये वज्रासन मुद्रा मे बैठ कर किये जाते है। 

Disclaimer :- यह लेख किसी प्रकार के रोग उपचार का दावा नही करता है। आसन की जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। लेख मे बताये गये आसन केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। रोग की अवस्था मे चिकित्सक से सलाह लें।

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