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मूलत: योग आध्यात्म का विषय है। आज के समय मे आध्यात्म और स्वास्थ्य दोनो के लिए योग को अपनाया जाता है। आधुनिक समय में स्वास्थ्य के लिए इसको अधिक महत्व दिया गया है। इसका अभ्यास सरल व सुरक्षित है, इसलिए आज पूरा विश्व इसको अपना रहा है। नए योगाभ्यासी प्राय: यह प्रश्न करते हैं कि योग कितनी देर तक करें? प्रस्तुत लेख मे इसी विषय पर विचार किया जायेगा।

विषय सुची :-

• योगाभ्यास कितनी देर तक करें?
• योग में आसन का अभ्यास 
• लाभदायी आसन 
• आसन स्थिरता और सुख पूर्वक करें
• प्राणायाम कितनी देर तक करें
• अंत में ध्यान का अभ्यास 

pexels photo   

योग कितनी देर तक करना चाहिए?

यदि यह पूछा जाए कि योग कितनी देर तक करें? तो इसका उत्तर है :- योग हर समय करना चाहिए। हमारा संपूर्ण दिन योगमय होना चाहिए। सुबह उठने से लेकर रात मे सोने तक जीवन का अनुशासित होना योग है। योग एक जीवन जीने की शैली है। सही समय पर सो कर उठना। स्नान आदि से निवृत होकर योगाभ्यास करना। संतुलित आहार तथा सही समय पर सोना, ये सब योग के अंग हैं। लेकिन योग का अभ्यास कितनी देर तक करें, प्रस्तुत लेख मे हम इस विषय पर आगे चर्चा करेंगे।

योग का अभ्यास कितनी देर तक करें?

संपूर्ण योग अष्टांग योग कहा गया है। इसके आठ अंग बताए गए हैं। लेकिन स्वास्थ्य हेतू योगाभ्यास में आसन, प्राणायाम और ध्यान का ही अभ्यास किया जाता है। 
योगाभ्यास मे आप कितनी संख्या में आसन या प्राणायाम करते हैं, यह महत्वपूर्ण नही है। आप अभ्यास कैसे कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण है। 

कुछ लोग यह सोचते है कि अधिक संख्या मे आसन-प्राणायाम करना अधिक लाभदायी होता है। और वे जल्दी-जल्दी कई अभ्यास कर लेते हैं। यह उचित नही है।  अभ्यास चाहे कम संख्या मे करें, लेकिन विधि पूर्वक करें। विधि पूर्वक तथा सही क्रम से किया गया अभ्यास ही लाभकारी होता है।

आसन का अभ्यास कितनी देर करें :

योगाभ्यास का आरम्भ आसनों से करना चाहिए। यह अभ्यास सरलता से करें। सभी आसनों का चयन अपने शरीर की स्थिति व क्षमता अनुसार करें। आसन का अभ्यास कितनी देर तक करना चाहिए? कोन से आसन लाभदायी होते हैं? आइए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

लाभदायी आसन :

कौन से आसन अधिक लाभदायी हैं? हमे कौन से आसन करने चाहिएं और कौन से नही करने चाहिएं? क्या अधिक देर तक अभ्यास करना अधिक लाभकारी होता है? ये सब जानने के लिए पतंजलि-योग के एक सूत्र के बारे मे जानना जरूरी है। महर्षि पतंजलि ने आसन को परिभाषित करते हुए एक सूत्र दिया हैं :- 
स्थिरसुखम् आसनम्।। 2.46।। 

अर्थात् स्थिरता से व सुख पूर्वक जिस पोज मे ठहरते हैं, वह आसन है। इसका अर्थ है कि जिस आसन को हम सरलता से कर सकते हैं, वही आसन करना उचित है।

आसन को समझने के लिए यह सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इस सूत्र मे बताया गया है कि "आसन" स्थिरता से तथा सुखपूर्वक करने चाहिए। इस सूत्र मे दो बातें मुख्य हैं :-

1. स्थिरता।
2. सुखपूर्वक।

प्रत्येक आसन करते समय इन दोनो विषयों को ध्यान मे रखना चाहिए। आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

आसन मे स्थिरता :

योगाभ्यास मे "आसन" स्थिरता से किए जाने चाहिए। जिस आसन की पूर्ण स्थिति मे पहुंच कर अधिक देर रुक सकते हैं, वह लाभदायी होता है। ऐसे आसन अवश्य करने चाहिएं। स्थिति मे ठहरने से आसन का पूरा लाभ मिलता है।

यदि किसी आसन की पूर्ण स्थिति मे पहुंचना सम्भव न हो तो अनावश्यक बल प्रयोग न करें। ऐसे आसन करते समय परेशानी अनुभव हो, तो उस आसन से वापिस आ जाएं। यह ध्यान रहे कि बलपूर्वक किये गये आसन हानिकारक हो सकते हैं।

आसन सुखपूर्वक करें :

कई बार यह धारणा बन जाती है की कठिन आसन अधिक लाभदायी होते हैं। यह सही नही है। सरल आसन अधिक लाभदायी होते हैं। कठिन क्रियाएं हानिकारक हो सकती हैं।

जिस आसन को करने मे सुख की अनुभूति हो वह अवश्य करना चाहिए। जिस अभ्यास मे कष्ट का अनुभव हो वह आसन न करें। चाहे कम संख्या मे आसन करें, लेकिन सुखपूर्वक करें।

कितने समय तक आसन करें :

योगासन व्यायाम नही है। योगासन तथा व्यायाम मे अन्तर है। व्यायाम बलपूर्वक किए जाने वाली क्रिया है। इसे केवल स्वस्थ युवा ही कर सकते हैं। लेकिन योगासन सभी व्यक्ति अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार कर सकते हैं।

योगाभ्यास कितनी देर तक करें, यह अभ्यासी की शारीरिक अवस्था व क्षमता पर निर्भर है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की स्थिति अलग-अलग होती है। अत: योगाभ्यास करते समय अपने शरीर की स्थिति का अवलोकन करें। अपने शरीर की स्थिति के अनुसार योगाभ्यास का समय निर्धारित करें।

प्राणायाम अभ्यास कितनी देर तक करें?

आसन के बाद प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। यह योग का एक श्वसन अभ्यास है। सभी व्यक्तियों के श्वास की स्थिति तथा क्षमता अलग अलग होती हैं। इस लिए अपने श्वास की क्षमता अनुसार इसका अभ्यास करना चाहिए।

प्राणायाम अवस्था में कितनी देर रुके?

प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। यह अभ्यास अपने श्वास की क्षमता तथा अवस्था के अनुसार ही करना चाहिए। प्राणायाम में श्वास की तीन अवस्थाएं बताई गई हैं:
  1. श्वास लेना
  2. श्वास बाहर निकालना
  3. श्वास को अंदर या बाहर रोकना

श्वास रोकने की अवस्था को कुम्भक कहा जाता है। प्राणायाम की यह महत्वपूर्ण स्थिति है। लेकिन इस अवस्था में श्वास की स्थिति अनुसार ही रुकना चाहिए। इस अभ्यास में कितनी देर तक रुके, यह आप के श्वास की क्षमता पर निर्भर है।

विस्तार से देखें :- प्राणायाम कितनी देर तक करें?

ध्यान का अभ्यास :

अंत में कुछ देर शांत मन से एकाग्र अवस्था में बैठें। इसको ध्यान अवस्था कहा जाता है। योगाभ्यास में ध्यान का विशेष महत्व है।

विस्तार से देखें :- ध्यान का अभ्यास कैसे करें?

लेख सारांश :-

योगाभ्यास कितनी देर तक करें यह महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि विधि पूर्वक नियम पूर्वक अभ्यास करना अधिक महत्व पूर्ण  है। आसन शरीर की क्षमता अनुसार तथा प्राणायाम श्वास की स्थिति के अनुसार ही करने चाहिए।

Disclaimer :--

योगासन स्वस्थ व्यक्तियों के लिए हैं। सभी योग क्रियाएं अपने शरीर की अवस्था व क्षमता के अनुसार करनी चाहिए। रोग पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक  की सलाह के बिना कोई अभ्यास न करें।

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