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pranayam tips
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योगाभ्यास मे प्राणायाम एक महत्वपूर्ण क्रिया है। यह एक श्वसन अभ्यास है। अष्टांगयोग का यह चौथा चरण है। योगासन के बाद इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिये। यह श्वसन तंत्र को सुदृढ करता है तथा शरीर को ऊर्जा देता है। प्राणायाम कितनी देर करें? कौनसे प्राणायाम करने चाहिए तथा कौनसे नही करने चाहिएं? ये सब प्रस्तुत लेख मे बताया जायेगा।

प्राणायाम कितनी देर करें, कब और कैसे करें? 

प्राणायाम कितनी देर करें, यह महत्वपूर्ण नही है। इसको सही विधि से किया जाये, यह महत्वपूर्ण है। प्राणायाम करने की समय अवधी क्या होनी चाहिए? इस क्रिया को कब और कैसे किया जाना चाहिए? ये सब जानने से पहले प्राणायाम के विषय मे जानना होगा।

प्राणायाम क्या है? इसका अभ्यास कैसे करें?

यह योग की एक उत्तम क्रिया है। 'श्वास' इसका आधार है। अष्टांग योग मे इसका चौथा क्रम है। "आसन" का अभ्यास करने के बाद इस क्रिया को करना चाहिए। यह क्रिया श्वसन प्रणाली को सुदृढ करती है। हृदय को स्वस्थ रखती है। रक्तचाप को सामान्य करने मे सहायक होती है।

प्राणायाम की परिभाषा :- प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ  है :- प्राण-शक्ति को आयाम देना। अर्थात् प्राण-शक्ति को एक निश्चित आयाम तक ले जाना "प्राणायाम" है। महर्षि पतंजलि के अनुसार यह श्वास की एक अवस्था है। पतंजलि योगसूत्र मे प्राणायाम को परिभाषित करने के लिये एक सूत्र दिया गया है :- 

तस्मिन्सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद: प्राणायाम:। अर्थात् श्वास की सामान्य गति को अपनी क्षमता अनुसार कुछ देर रोक देना "प्राणायाम" है।

प्राणायाम मे श्वास की तीन अवस्थाएं :

सामान्यत: हमारे श्वास की दो ही स्थितियां हैं :- 'श्वास लेना' और 'श्वास छोड़ना'। यह दोनो क्रियाएं आजीवन निरन्तर चलती रहती हैं। लेकिन प्राणायाम मे श्वास की तीन अवस्थाएं बताई हैं :-

1. रेचक :- श्वास बाहर छोड़ने की अवस्था को"रेचक" कहते हैं।

2. पूरक :- श्वास को अन्दर लेना "पूरक" कहा गया है। 

3. कुम्भक :- श्वास को अपनी क्षमता के अनुसार कुछ देर रोकने की स्थिति को "कुम्भक" कहते हैं। ये दो प्रकार के हैं :-  आन्तरिक  बाह्य कुम्भक।

आन्तरिक कुम्भक :- श्वास अन्दर भरने के बाद, श्वास को अंदर रोकना आन्तरिक कुम्भक है।
बाह्य कुम्भक :- श्वास को बाहर छोड़ कर खाली श्वास की स्थिति मे कुछ देर रुकना बाह्य कुम्भक है।

(कुम्भक श्वांसों की क्षमता के अनुसार लगाया जाना चाहिए। बलपूर्वक व क्षमता से अधिक प्रयास हानिकारक हो सकता है)

प्राणायाम की समय सीमा कितनी होनी चाहिए?

प्राय: यह धारणा बन जाती है कि अधिक प्राणायाम करना, या अधिक आवर्तियां करना ज्यादा लाभदायी होते हैं। यह सही नही है। प्रत्येक व्यक्ति के 'शरीर' व 'श्वास' की अवस्था एक जैसी नही होती है। अत: प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वांसों के 'स्थिति' तथा शारीरिक 'अवस्था' के अनुसार ही किये जाने चाहिएं। आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

श्वांसों की स्थिति के अनुसार प्राणायाम करें :

प्राणायाम अभ्यास कितनी देर करें, इसके लिये अपने श्वांसों की स्थिति को देखें। उसी के अनुसार अभ्यास करें।

सुदृढ श्वसनतंत्र वाले नियमित अभ्यासी :- नियमित योग के अभ्यासी प्राणायाम की आवर्तियान अपनी सुविधा अनुसार करें। बन्ध व कुम्भक का प्रयोग अवश्य करें। प्राणायाम के वास्तविक लाभ कुम्भक से ही प्राप्त होते हैं। कुम्भक लगाने मे अनावश्यक बल प्रयोग न करें।

नये योग अभ्यासी व कमजोर श्वसनतंत्र वाले :- नये योग अभ्यासी तथा कमजोर श्वसनतंत्र वाले व्यक्ति सरल प्राणायाम करें। कम आवर्तियाँ करें। कुम्भक का प्रयोग न करें। अपनी क्षमता से अधिक कोई क्रिया न करें।

शारीरिक अवस्था के अनुसार प्राणायाम करें :

प्राणायाम का अभ्यास कितनी देर तक करें तथा कोन से प्राणायाम करें यह आपकी शारीरिक अवस्था पर निर्भर है। शारीरिक अवस्था के अनुसार ही अभ्यास करें।

युवा :- स्वस्थ युवा व्यक्ति नियमित योग करें। प्राणायाम के आरम्भिक अभ्यास मे कम आवर्तियाँ करे। धीरे-धीरे समय सीमा बढाएं। आरम्भ मे कुम्भक कम समय के लिये लगाएं। धीरे-धीरे कुम्भक का समय बढाएं। श्वास रोकने मे अधिक बल प्रयोग न करें।

वृद्ध व्यक्ति :- यदि वृद्ध व्यक्ति योग नये अभ्यासी (Beginner) हैं, तो सरल प्राणायाम करें। कम आवर्तियाँ करें। कुम्भक न लगाएं। यदि वृद्ध व्यक्ति किसी रोग से पीड़ित हैं तो चिकित्सक की सलाह से योग क्रिया करें।

श्वास रोगी व हृदय रोगी :- श्वास रोगी व हृदय रोगी यदि आरम्भिक स्टेज पर है तो अपने चिकित्सक की सलाह से प्राणायाम करें। चिकित्सक की सलाह के बिना कोई अभ्यास न करें। बिना कुम्भक का सरल प्राणायाम करे। कम आवर्तियाँ करें। गम्भीर रोगी को प्राणायाम नही करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति लम्बे-गहरे श्वास लेने व छोड़ने का अभ्यास करें।

उच्च रक्तचाप :- उच्च रक्तचाप (High BP) मे तीव्र गति के अभ्यास नही किये जाने चाहिएं। अभ्यास धीमी गति से करें। कम आवर्तियाँ करें। 

प्राणायाम कब और कैसे करें?

योगाभ्यास के लिए सुबह का समय उत्तम माना गया है। यदि दिन मे किसी और समय अभ्यास करना हो, तो खाना खाने के तुरंत बाद न करें। प्राणायाम योगाभ्यास का ही अंग है। पहले आसन का अभ्यास करें। 'आसन' के बाद प्राणायाम करें। अभ्यास करते समय कुछ नियमों का पालन अवश्य करें।

प्राणायाम के सामान्य नियम :

सुबह के समय स्नान आदि नित्य क्रियाओं से निवृत होकर अभ्यास करना उत्तम है। विशेष अवसर पर इसको दिन मे किसी और समय भी किया जा सकता है।

प्राणायाम सदैव खाली पेट से किया जाना चाहिए। यदि भोजन करने के बाद अभ्यास करना हो तो कम से कम दो घंटे के बाद अभ्यास करें।

पहले 'आसन' का अभ्यास करें। आसन के बाद कुछ देर सीधे लेट कर विश्राम करे। विश्राम के बाद प्राणायाम करें।

बैठने की स्थिति :

बैठने की स्थिति का चयन अपने शरीर की अवस्था के अनुसार करें।

उत्तम स्थिति :- "पद्मासन" या "सुखासन" पोज मे बैठ कर प्राणायाम करना उत्तम माना गया है।

वृद्ध व्यक्ति :- जो व्यक्ति घुटने मोड़ कर नीचे नही बैठ सकते हैं, वे कुर्सी पर बैठ कर अभ्यास करें।

रीढ व गर्दन को सीधा रखें :- पद्मासन, सुखासन या किसी आरामदायक पोज मे बैठने के बाद रीढ व गर्दन को सीधा रखें। पीठ को झुका कर न बैठें।

प्राणायाम की विधि :

आरम्भ :- प्राणायाम का आरम्भ श्वांस-प्रश्वास से आरम्भ करें। इसके लिये धीरे-धीरे लम्बा गहरा श्वास लें और छोड़ें। पांच श्वांसों मे यह क्रिया करें। श्वांस-प्रश्वास के बाद अन्य प्राणायाम अपनी शारीरिक अवस्था अनुसार करें।

जल्दबाजी न करें :- एक अभ्यास करने के बाद श्वांसों को सामान्य करें। श्वांसों के सामान्य होने के बाद दूसरा अभ्यास करें। जल्दबाजी मे कोई क्रिया न करें।

सरलता से करें :- प्राणायाम करते समय अनावश्यक बल प्रयोग न करें। सरलता से अभ्यास करें।

सरल प्राणायाम :

सरलता से किये जाने वाले कुछ प्राणायाम इस प्रकार हैं :-

• कपालभाति
• अनुलोम-विलोम
• भ्रामरी
• नाड़ी शोधन

सभी क्रियाएं करने के बाद शवासन मे सीधे लेट जाएं। कुछ देर विश्राम करें।

सारांश :

प्राणायाम योग की एक लाभदायी क्रिया है। लेकिन इसे अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार करना चाहिए। प्राणायाम कितनी देर किया जाये, यह महत्वपूर्ण नही है। इस को सही विधि तथा सरलता से करना महत्वपूर्ण है। इसलिये अपनी क्षमता अनुसार तथा सरलता से अभ्यास करें।

Disclaimer :

यह लेख किसी प्रकार के रोग का उपचार करने का दावा नही करता है। इस लेख का उद्देश्य केवल प्राणायाम की सही विधि, लाभ व सावधानियों के बारे मे बताना है। लेख मे बताई गई सभी क्रियाएं अपनी क्षमता के अनुसार करें।

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