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प्रायः यह प्रश्न पूछा जाता है कि क्या वृद्धावस्था में योग करना चाहिए? योग के लिए आयु की सीमा का बंधन नहीं है। इसका अभ्यास सभी आयु वर्ग के लिए लाभदायी होता है। युवा-वृद्ध, स्त्री-पुरुष सभी व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते हैं। यह युवाओं की युवा-शक्ति को संरक्षित करता है और वृद्धों के लिए ऊर्जादायी होता है। लेकिन बुजुर्गों को योगाभ्यास में कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए। प्रस्तुत लेख में हम इन विषयों पर विचार करेंगे :-

  • क्या वृद्ध लोगों को योगाभ्यास करना चाहिए?
  • क्या वृद्धावस्था में योगाभ्यास लाभदायी होता है?
  • बुजुर्गों को कौन से अभ्यास करने चाहिए?
  • कौनसी सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए?
Vridhavasyha me yog
Pexels photo 

वृद्ध अवस्था में योग का अभ्यास

जो व्यक्ति अपनी युवा अवस्था से योगाभ्यास करते आ रहे हैं, उनको अपनी वृद्धावस्था में कोई विशेष कठिनाई नहीं होती है। वे सरलता से अभ्यास कर लेते हैं। लेकिन जो वृद्ध व्यक्ति पहली बार योग का अभ्यास करना चाहते हैं, उनको कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए। योगाभ्यास के क्या लाभ है? बुजुर्गों को कौन से अभ्यास करने चाहिए और कौन से नहीं करने चाहिए? आगे लेख में इसी विषय पर विचार करेंगे।

वृद्धावस्था में योगाभ्यास के लाभ

योग सभी के लिए लाभदाई होता है। वृद्धों के लिए यह विशेष लाभकारी होता है। इस अवस्था में योग शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शक्ति देता है। इसके लाभ बहुआयामी होते हैं :-

1. शारीरिक स्वास्थ्य :- आयु की वृद्धि के साथ शारीरिक शक्ति क्षीण होने लगती है। शरीर के अंगो, मांसपेशियों में शिथिलता आने लगती है। घुटनों व कमर दर्द बुजुर्गों के लिए परेशानी का कारण बनता है। नियमित योग आसन इसके लिए प्रभावी होते हैं। आसन का अभ्यास शरीर के अंगो को सक्रिय करता है, मांसपेशियों की स्थिलता को दूर करता है और जोड़ो के दर्द से राहत देता है।

2. रोगों से बचाव :- उम्र के साथ हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होने लगती है। इस कारण कई रोगों की संभावना हो जाती है। नियमित योग का अभ्यास इस क्षमता की वृद्धि करता है। इसके लिए आसन और प्राणायाम दोनो लाभदाई हैं। इनका नियमित अभ्यास इम्युनिटी की रक्षा करता है और वृद्धि करता है।

3. पाचन तंत्र :- आयु के साथ पाचन तंत्र भी कमजोर होने लगता है। नियमित योग का अभ्यास पेट के आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है। यह बुजुर्गों के पाचन तंत्र को मजबूती देता है।

4. ऊर्जादायी :- योग-अभ्यास वृद्धों के लिए ऊर्जादायी होता है। यह अभ्यास शारीरिक-ऊर्जा का संरक्षण तथा वृद्धि करता है। यह शरीर को ऊर्जावान बनता है और दैनिक कार्य करने की क्षमता देता है।

5. मानसिक स्वास्थ्य :- योग का अभ्यास शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी देता है। आम तौर पर बढ़ती आयु में स्मरण शक्ति (मैमोरी) कम होने लगती है। योगाभ्यास इसके लिए प्रभावी होता है।

6. आध्यात्मिक विकास  :- योग आध्यात्मिक विकास करता है। आध्यात्म ही योग का उद्देश्य होता है। 

वृद्धों को कौन से अभ्यास करने चाहिए :

जो व्यक्ति योग के नियमित अभ्यासी हैं, वे अपनी वृद्धावस्था में सरलता से अभ्यास कर लेते हैं। लेकिन नए बुजुर्ग योग अभ्यासी को कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। योगाभ्यास में पहले कुछ सरल आसन का अभ्यास करें। आसन के बाद सरल प्राणायाम का अभ्यास करें। अंत में कुछ देर ध्यान का अभ्यास करें।

सावधानी आसन में :

  • सरल आसन करे :- सभी बुजुर्गों को सरल आसन करने चाहिए। कठिन आसन के अभ्यास से बचना चाहिए। जो आसन आपके शरीर के अंगो को आराम देता है, वह अभ्यास अवश्य करें। जो आसन शरीर को कष्ट देता है, उसका अभ्यास न करें। सरलता से तथा सुखपूर्वक किए गए सभी आसन लाभदाई होते हैं। कठिन और कष्ट देने वाले आसन हानिकारक हो सकते हैं। (देखें :- सरल आसन)
  • क्षमता अनुसार अभ्यास करे :- वृद्धावस्था में शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। इसलिए अभ्यास करते समय अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें। क्षमता से अधिक अभ्यास न करे।
  • शारीरिक स्थिति का ध्यान रखें :- सभी के शरीरों की स्थिति अलग अलग होती है। यदि शरीर के किसी अंग की सर्जरी हुई है, या जोड़ो मांसपेशियों में तनाव या विकार है तो आसन का अभ्यास न करे। 
  • रोग की स्थिति में चिकित्सक की सलाह :- रोग की अवस्था में चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। कोई भी अभ्यास चिकित्सक की सलाह के बिना न करें। 

सावधानी प्राणायाम में :

  • सरल प्राणायाम करे :- वृद्धावस्था में केवल सरल प्राणायाम का अभ्यास करें। कठिन अभ्यास न करे। (देखें : - प्राणायाम सीनियर सिटीजन के लिए)
  • श्वास की क्षमता अनुसार :- सभी बुजुर्गों की श्वसन क्षमता एक जैसी नहीं होती है। इसलिए प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वास की क्षमता अनुसार ही करें। 
  • श्वसन रोग (कमजोर श्वसन) :- प्राणायाम एक श्वास पर आधारित क्रिया है। लेकिन यदि श्वास रोग है या श्वसन तंत्र कमजोर है, तो सांस रोकने वाले अभ्यास न करें। ऐसी अवस्था में केवल सरल प्राणायाम करे।
  • रोग की अवस्था में :- रोग की स्थिति में चिकित्सक की सलाह ले। चिकित्सकीय सलाह लिए बिना अभ्यास न करें।

अंत में ध्यान का अभ्यास :

आसन और प्राणायाम के बाद ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास करें। इसके लिए पद्मासन या आराम दायक स्थित में बैठें। आंखे कोमलता से बंध करे। दोनो हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखे। शांत भाव से निर्विचार स्थिति रुके। कुछ देर ध्यान अवस्था में बैठने के बाद वापिस आए। सीधे पीठ के बल लेट जाए और कुछ देर विश्राम करें।

सारांश :

वृद्धावस्था में भी योग का अभ्यास किया जा सकता है। लेकिन नए अभ्यासियों को कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। वृद्ध व्यक्ति (सीनियर सिटीजन) सरल अभ्यास करे, कठिन अभ्यास न करें। सरलता से किए गए अभ्यास लाभकारी होते हैं। बलपूर्वक किए गए अभ्यास हानिकारक हो सकते हैं।

Disclaimer :

योग का अभ्यास सभी के लिए लाभदाई है। यह वृद्धों के लिए भी लाभकारी है। यह लेख केवल एक सामान्य जानकारी के लिए है। योग का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अवस्था अनुसार करना चाहिए। सभी नए अभ्यासियों को पहले किसी अनुभवी प्रशिक्षक के निर्देशन में ही अभ्यास करना चाहिए। बलपूर्वक क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। 



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