प्राचीन समय मे लोगों का जीवन योगमय था। इसलिए वे स्वस्थ तथा दीर्घायु होते थे। योग आज भी उतना ही प्रभावी है। स्वास्थ्य के लिए यह एक प्राचीन एवम् उत्तम विधि है। योग का जनक भारत को ही माना जाता है। प्राचीन समय मे यह केवल भारत तक सीमित था। लेकिन आज पूरा विश्व इसको अपना रहा है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नही है। बल्कि इसके प्रभाव व्यापक हैं। यह शरीर के साथ श्वास, प्राण, मन व मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्रिया है। प्रस्तुत लेख मे बताया जायेगा कि योग के प्रभाव क्या हैंं?
विषय सुची :-
योग के क्या प्रभाव हैं?
साधारणतया योग को एक शारीरिक व्यायाम मान लिया जाता है। यह सही नही है। योग शरीर व मन-मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह सर्दी-गर्मी, सुख-दुख तथा जय-पराजय आदि द्वन्दो को समाप्त करता है। अर्थात् योग के सिद्ध हो जाने के बाद साधक को सर्दी-गर्मी आदि के मौसम प्रभावित नही करते हैं। उसे सुख-दुख तथा जय-पराजय की स्थिति मे समता का भाव मे हो जाता है।
योग व्यायाम से अधिक प्रभावी है। व्यायाम के प्रभाव सीमित है, लेकिन योग के प्रभाव बहु-आयामी हैं। योग शरीर को कैसे प्रभावित करता है, यह जानने से पहले योग के विषय मे जानना होगा।
योग क्या है? स्वास्थ्य के लिये कैसे प्रभावी है?
योग मूलत: एक आध्यात्मिक क्रिया है। लेकिन आधुनिक समय मे स्वास्थ्य के लिये इस को विशेष महत्व दिया जाता है। योग सरल व सुरक्षित है। स्वास्थ्य के लिए इसे एक उत्तम विधि माना गया है। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। युवाओ के लिये यह विशेष लाभदायी होता है।
देखें :- युवाओं के लिये लाभदायी योग।
योग क्या है :- महर्षि पतंजलि ने "चित्तवृति निरोध" को योग कहा है। इसका सीधा अर्थ है कि मन को अन्तर्मुखी करना योग है। लेकिन इसके लिये शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिये अष्टाँग योग बताया है। आसन, प्राणायाम व ध्यान इसी के अंग हैं।
शरीर पर योग के प्रभाव।
(देखें :- शरीर क्या है? )
योग के मुख्य प्रभाव इस प्रकार है :--
1. प्रभाव, अंगों पर :- योग शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। यह सभी अस्थि-जोङों व मासपेशियों को सक्रिय करता है।
2. रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) :- योग हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) की वृद्धि करता है। यह रोगों से बचाव करने मे सहायक होती है।
3. प्रभाव, रक्त-संचार पर :- योग रक्त संचार को व्यवस्थित करता है। यह रक्त-चाप (BP) को नियन्त्रित करने मे सहायक होता है।
4. प्रभाव, शरीर के तत्वों पर :- योग शरीर के सभी तत्वो, राशायनों को संतुलित करता है। यह शरीर के कफ, वात व पित्त मे संतुलन बनाये रखता है। यह मधुमेह (सुगर) को नियंत्रित करने मे सहायक होता है।
5. प्रभाव, श्वसन तंत्र पर :- योगाभ्यास मे प्राणायाम श्वासों को सुदृढ करते हैं। यह क्रिया हृदय तथा फेफङो को स्वस्थ बनाये रखती है।
6. प्रभाव, प्राणिक ऊर्जा पर :- प्राण शरीर का आधार है। प्राणिक नाङियों से प्राणों का प्रवाह पूरे शरीर मे होता है। योग प्राण-ऊर्जा की वृद्धि करता है। और प्राणिक-नाङियों को शौधन करता है।
7. प्रभाव, मन-मस्तिष्क पर :- योग शरीर के साथ मन व वस्तिष्क को भी प्रभावित करता है।
8. मौसम के कुप्रभाव से बचाव :- योग मौसम के कुप्रभाव से बचाव करता है। यह शरीर को प्रत्येक मौसम को सहन करने की क्षमता प्रदान करता है।
योग स्वास्थ्य के लिये एक प्रभावी क्रिया है लेकिन इसे सही क्रम व नियम से करना चाहिए।
योग का सही क्रम।
योगाभ्यास मे पहले आसन का अभ्यास करें, आसन के बाद प्राणायाम करें। और अंत मे ध्यान का अभ्यास करें इन तीनो को विस्तार से समझ लेते हैं।
1. आसन तथा इसके प्रभाव।
आसन योग का महत्वपूर्ण अंग है। यह अष्टाँग योग का तीसरा चरण है। यह शरीर को सीधा प्रभावित करने वाली क्रिया है। इसके प्रभाव जानने से पहले आसन क्या है? इसको समझ लेते हैं।
लाभदायी आसन :- साधारणतया यह धारणा होती है कि कठिन आसन अधिक प्रभावी होते हैं। लेकिन यह सही नही है। इसके विपरीत सरल आसन अधिक प्रभावी होते हैं। कठिन आसन हानिकार भी हो सकते हैं। पतंजलि योग मे भी सरलता व सुख पूर्वक आसन के लिये कहा गया है।
आसन के प्रभाव।
योग मे आसन शरीर को सीधा प्रभावित करते हैं। ये शरीर के आन्तरिक व बाह्य अगों को मजबूती देते हैं। रक्त संचार को व्यवस्थित रखते हैं।
2. प्राणायाम तथा इसके प्रभाव।
योगाभ्यास मे "आसन" के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें। यह एक श्वसन अभ्यास है। अष्टाँगयोग का यह चौथा चरण है। यह शरीर के लिये ऊर्जादायी क्रिया है। श्वसनतंत्र, हृदय, लंग्स तथा रक्त संचार के लिये यह प्रभावी क्रिया है। आईये विस्तार से समझ लेते हैं कि प्राणायाम क्या है?
प्राणायाम क्या है? :- यह एक श्वास पर आधारित क्रिया है। यह "श्वसनतंत्र" तथा "प्राण-ऊर्जा" को सुदृढ करती है। पतंजलि योग मे इसको परिभाषित करने के लिए सुत्र दिया है :- तस्मिन्सति श्वासप्रश्वासयोर्गति विच्छेद: प्राणायाम:।
इसका भावार्थ है कि प्राणायाम मे श्वास की तीन स्थितियाँ हैं :--
लाभदायी प्राणायाम :- सरलता से किये गये प्राणायाम लाभदायी होते हैं। अपने श्वास की स्थिति व शारीरिक अवस्था के अनुसार किया गया प्राणायाम प्रभावी होता है।
प्राणायाम के प्रभाव :- प्राणायाम योग की प्रभावी क्रिया है। इसका मुख्य प्रभाव श्वास व प्राण पर पङता है। यह हृदय, लंग्स व रक्त चाप के लिये लाभदायी है।
3. "ध्यान" तथा इसके प्रभाव।
आसन और प्राणायाम के बाद "ध्यान" का अभ्यास करना चहाये।
ध्यान (Meditation) क्या है? :- यह योग की उत्तंम स्थिति है। यह मानसिक शान्ति देने वाली क्रिया है। यह मन व मस्तिष्क के लिए प्रभावी है।
"ध्यान" (Meditation) के लिये पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें। आँखे बंध रखेंं। निर्विचार अवस्था मे कुछ देर बैठें। यह ध्यान की स्थिति है।
ध्यान का प्रभाव :- महर्षि पतंजलि ने योग का उद्देश्य "चित्त वृत्ति निरोध" बताया है। यह मन को एकाग्र करके इसे अन्तर्मुखी करता है।
सारांश :-
स्वास्थ्य के लिए योग एक प्रभावी क्रिया है। योग के प्रभाव व्यापक हैं। आसन शरीर को, प्राणायाम श्वास को तथा ध्यान मन-मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं।
Disclaimer :-
यह लेख चिकित्सा हेतू नही है। योग की जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। योग केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। सभी क्रियाएँ अपनी क्षमता के अनुसार करें।