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युवाओं के लिए योग का महत्व
युवाओं के लिए योग विशेष महत्व रखता है। यह शरीर को स्वस्थ, सुदृढ तथा ऊर्जादायी बनाए रखता है। यह युवा अवस्था मे आने वाली यौन परेशानियों को दूर करने मे सहायक होता है। युवक एवम् युवतियां योग कैसे करें, तथा इसके क्या लाभ है? इसको विस्तार से समझ लेते हैं।
युवाओं के लिए योग का प्रभाव :
योग केवल शारीरिक व्यायाम नही है। योग एक अनुशासन भी है। यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ जीवन को अनुशासित भी करता है। इसके प्रभाव व्यापक होते हैं।
शारीरिक स्वास्थ्य :- शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग को एक उत्तम विधि माना गया है। योग मे 'आसन' शरीर के अंगो को मजबूती देते हैं। 'प्राणायाम' श्वास व प्राण को सुदृढ करते हैं। 'ध्यान' मानसिक शांति व एकाग्रता देता है। नियमित योगाभ्यास युवा अवस्था मे आने वाली कई परेशानियों को दूर करता है।
मस्तिष्क का विकास :- योग मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्रिया है। इसका नियमित अभ्यास स्मरण शक्ति की वृद्धि करता है।
एकाग्रता :- योग युवाओं व विद्यार्थियों की एकाग्रता को बढाता है। मानसिक एकाग्रता विद्या-अध्यन (Study) मे सहायक होती है।
अनुशासन :- अनुशासन योग का पहला चरण है। योग दैनिक जीवन को अनुशासित करता है।
चरित्र निर्माण :- केवल आसन-प्राणायाम योग नही है। सम्पूर्ण योग अष्टांगयोग है। इस मे यम-नियम चरित्र निर्माण करने मे सहायक होते है।
योग क्या है? और योग कैसे करें?
योग भारत की एक प्राचीन विधि है, जिसे स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है। आसन, प्राणायाम और ध्यान इसके महत्वपूर्ण अंग हैं। स्वास्थ्य के लिये इनका अभ्यास किया जाता है।
(देखें :- सम्पूर्ण योग, अष्टाँगयोग।)
आसन :
"आसन" योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। अष्टांगयोग का यह तीसरा चरण है। यह शरीर के अंगों को सुदृढ करता है। रीढ को लचीला व स्वस्थ बनाता है। रक्त संचार की स्थिति को उत्तम बनाये रखता है।
युवाओं के लिए लाभदायी आसन :- सरल आसन सदैव लाभदायी होते हैं। नये अभ्यासियों को आरम्भ मे सरल आसन ही करने चाहिए। आसन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही किये जाने चाहिए। बलपूर्वक आसन का अभ्यास हानिकारक हो सकता है।
आसन कैसे करें? :- योगाभ्यास का आरम्भ "आसन से किया जाना चाहिए। इसके लिए सही स्थान का चयन करे। पार्क जैसा प्राकृतिक वातावरण वाला स्थान उत्तम माना गया है। योगाभ्यास के लिये सुबह का समय सही होता है। दिन मे किसी और समय आसन का अभ्यास करना है तो खाना खाने के तुरंत बाद न करें। योगा-मैट, चटाई, दरी या कपड़ा बिछा कर ही अभ्यास करें।
मुख्य आसन :- सभी आसन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार किये जाने चाहिए। युवाओं के लिए लाभदायी मुख्य आसन इस प्रकार हैं :-
प्राणायाम :
प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। यह अष्टांगयोग का चौथा चरण है। इसका नियमित अभ्यास श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है। लंग्स को एक्टिव करता है। श्वास रोगों से बचाव करने मे सहायक होता है। शरीर मे आक्सीजन की आपूर्ति करके हृदय को स्वस्थ रखता है। यह शरीर के लिए ऊर्जादायी क्रिया है।
युवाओं के लिए लाभदायी प्राणायाम :- यह श्वास पर आधारित अभ्यास है। इसलिये इसका अभ्यास अपने श्वासों की क्षमता के अनुसार ही किया जाना चाहिए। नये योग अभ्यासी को आरम्भ मे सरल प्राणायाम करने चाहिएं। बलपूर्वक किया गया प्राणायाम हानिकारक हो सकता है।
प्राणायाम कैसे करें :- आसन का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम का अभ्यास किया जाना चाहिए। इसके लिये पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठ कर प्राणायाम का अभ्यास करें। यदि श्वासो की स्थिति ठीक है तो कुम्भक* का प्रयोग करें। कमजोर श्वसनतंत्र वाले व्यक्ति कुम्भक न लगाएं। केवल सरल प्राणायाम करें।
(*कुम्भक :- श्वास को कुछ देर रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)
मुख्य प्राणायाम :- प्राणायाम का अभ्यास करते समय अपने श्वासों की स्थिति का अवलोकन करें। श्वास की स्थिति के अनुसार अभ्यास करें। बलपूर्वक कोई प्राणायाम न करें। युवाओं के लिए कुछ मुख्य प्राणायाम इस प्रकार हैं :-
ध्यान
आसन-प्राणायाम के बाद ध्यान (Meditation) का अभ्यास करना चाहिए। यह मन-मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्रिया है।
ध्यान की विधि :- ध्यान (Meditation) के लिए पद्मासन, सुखासन या किसी भी आरामदायक पोज मे बैठें। आँखें कोमलता से बन्ध रखें। ध्यान को श्वासों पर केन्द्रित करें। कुछ देर बाद ध्यान को माथे के बीच आज्ञा चक्र मे केन्द्रित करें। विचार रहित होकर बैठें। ध्यान की स्थिति से वापिस आने के बाद कुछ दे लेट कर विश्राम करें।
लेख सारांश :-
युवाओं के लिए योग ऊर्जादायी होता है। आसन शरीर के अंगों को मजबूती देते हैं। प्राणायाम श्वसनतंत्र को सुदृढ करते है। ध्यान मन-मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
Disclaimer :-
योग अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार किये जाने चाहिएं। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। यह लेख चिकित्सा हेतू नही है।