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प्राणायाम योग की एक विशेष क्रिया है। यह एक श्वसन अभ्यास है। यह अभ्यास श्वसनतंत्र को मजबूत करता है तथा रक्तचाप को नियंत्रित करने मे सहायक होता है। यह शरीर की एक ऊर्जादायी क्रिया है। लेकिन इसे कुछ सावधानियों के साथ किया जाना चाहिये। प्राणायाम अभ्यास मे सावधानियां क्या हैं, यह इस लेख का विषय है।

विषय सुची :

• प्राणायाम के सामान्य नियम।
• एकाग्रता।
• प्राणायाम का सही क्रम।
• क्षमता व अवस्था के अनुसार अभ्यास।
• मौसम के अनुसार अभ्यास।

प्राणायाम अभ्यास सावधानी से करें

प्राणायाम क्रिया का आधार 'श्वास' है। इसको नियम व सावधानी से करना चाहिए। नये अभ्यासी प्राणायाम में कुछ गलतियां कर देते हैं। असावधानी से किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। इसलिये प्राणायाम अभ्यास मे इन सावधानियों को ध्यान मे रखा जाना चाहिये।

प्राणायाम के सामान्य नियम

प्राणायाम अभ्यास के कुछ सामान्य नियम हैं। अभ्यास करते समय इनका पालन करना जरूरी है। नियमपूर्वक किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। अत: अपने अभ्यास मे इन नियमों का पालन अवश्य करें।

1. प्राणायाम का समय :

• प्राणायाम का सही समय सुबह का होता है। यदि दिन मे या शाम के समय अभ्यास करते हैं तो कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखें।

• खाली पेट से प्राणायाम अभ्यास करें।

 भोजन करने के तुरंत बाद अभ्यास न करें।

यदि किसी कारणवश खाना खाने के बाद अभ्यास करना है, तो खाने के बाद कम से कम 2 घंटे बाद अभ्यास करें।

पहले 'आसन' का अभ्यास करें। आसन के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

2. सही स्थान के चयन में सावधानी।

• प्राणायाम अभ्यास के लिये सही स्थान का चयन करें। इसके लिये पार्क जैसा प्राकृतिक वातावरण उत्तम है। यदि अभ्यास घर पर करना हो तो खुले व हवादार स्थान का चयन करें।

• घुटन व प्रदूषण वाले स्थान पर अभ्यास न करें।

• शान्त वातावरण मे अभ्यास करें।

• समतल स्थान पर दरी, चटाई या योगा-मैट बिछा कर अभ्यास करें। 

3. बैठने मे सावधानी :

प्राणायाम अभ्यास बैठ कर करना उत्तम है। प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक अवस्था अलग-अलग होती है। अत: बैठने की स्थिति का चयन अपने शरीर के अनुसार करें।

पद्मासन :- प्राणायाम के लिए पद्मासन पोज मे बैठना उत्तम है। पद्मासन के लिये दांया घुटना मोड़ कर दांया पैर बांई जंघा पर रखें। बांया पैर मोड़ कर दांई जंघा पर रखे। दोनो हाथ घुटनों पर 'ज्ञान-मुद्रा' मे रखें। रीढ को सीधा रखें।

सुखासन :- यदि 'पद्मासन' लगाने मे परेशानी है तो, सुख पूर्वक पैर मोड़ कर 'सुखासन' मे बैठें। हाथ ज्ञान मुद्रा मे और रीढ को सीधा रखें।

गर्भवती महिलाएं तथा घुटनों के रोग से पीड़ित :-- गर्भवती महिलाएं सरल प्राणायाम करें। सुविधा पूर्वक पोज मे बैठें। नीचे बैठने मे कठिनाई का अनुभव हो तो आराम से कुर्सी पर बैठे। घुटनों की पीड़ा वाले व्यक्ति जो नीचे नही बैठ सकते हैं, वे भी कुर्सी पर बैठ कर सरल प्राणायाम करें।

4. प्राणायाम के अभ्यास मे एकाग्रता :

बैठने की स्थिति का सही चयन करने के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें। पूरे अभ्यास मे एकाग्रता बनाये रखें। सम्पूर्ण योगाभ्यास मे एकाग्रता का बहुत महत्व है। एकाग्रता बनाए रखने के लिये ये बातें ध्यान मे रखें :-

आँखें कोमलता से बन्ध रखें।
ध्यान को श्वासों पर, चक्रों पर या अपने शरीर पर केन्द्रित करें।
रीढ को झुका कर न बैठें। रीढ व गर्दन को तनाव रहित व सीधा रखें।
हाथों की स्थिति प्राणायाम के अनुसार रखें।

 5. सही क्रम की सावधानी :

सभी योग क्रियाएं सही क्रम से करनी चाहिए। योगाभ्यास मे पहले आसन का अभ्यास करना चाहिये। आसन करने के बाद कुछ देर विश्राम करें। विश्राम के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

प्राणायाम का सही क्रम :- प्राणायाम अभ्यास को सही क्रम से करें। सही क्रम से किया गया अभ्यास अधिक लाभकारी होता है।

अभ्यास का आरम्भ श्वांस-प्रश्वास से करें। धीरे-धीरे लम्बा-गहरा श्वास भरें और धीमी गति से पूरा श्वांस खाली  करें। 4-5 श्वासों मे यह क्रिया करें।

'श्वांस-प्रश्वांस' के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद कपालभाति का अभ्यास करें।

कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम करें।

'अनुलोम विलोम' के बाद अवश्यकता अनुसार अन्य अभ्यास करें जैसे :-  भ्रामरी, शीतली, चंद्रभेदी या सूर्यभेदी (मौसम के अनुसार)।

अन्त मे नाङीशौधन प्राणायाम करें। और श्वासों को सामान्य करें।

शरीर की अवस्था व क्षमता अनुसार अभ्यास करें:

प्राणायाम का अभ्यास अपने शरीर की अवस्थाक्षमता के अनुसार किया जाना चाहिए। 

1. अवस्था के अनुसार प्राणायाम करें।

प्राणायाम सभी आयु-वर्ग के व्यक्ति कर सकते है। यह स्त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध सब के लिए लाभदायी है। लेकिन इस क्रिया को अपनी आयु तथा शरीर की स्थिति के अनुसार अभ्यास करना चाहिये।

सावधानी, वृद्ध अवस्था मे :- नये प्राणायाम अभ्यासी को वृद्धावस्था मे विशेष सावधानी रखनी चाहिए। सरल प्राणायाम करें। कुम्भक का प्रयोग न करें।

सावधानी, गर्भवती महिलाओ के लिये :- गर्भवती महिलाएं प्राणायाम अभ्यास मे विशेष सावधानी रखें। पेट पर दबाव डालने वाली कोई क्रिया न करें। सरलता से अभ्यास करें।

सावधानी, रोग-पीड़ित व्यक्तियों के लिये :- श्वास रोगी व हृदय रोगी को प्राणायाम अभ्यास सावधानी से करना चाहिये। ऐसे व्यक्ति कुम्भक न लगाएं। बिना कुम्भक सरल प्राणायाम करें। चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें।

सावधानी, उच्च रक्तचाप (High BP) में :- उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति तीव्र गति के प्राणायाम न करें। धीमी गति से अभ्यास करें। एक अभ्यास करने के बाद अगला अभ्यास करने से पहले श्वासों को सामान्य करें। 

2. प्राणायाम अभ्यास शारीरिक क्षमता अनुसार करें।

यह श्वास पर आधारित क्रिया है। सभी व्यक्तियों के श्वास की स्थिति अलग अलग होती है। इसलिए एक प्राणायाम अभ्यासी को अपने श्वास की स्थिति का अवलोकन करना चाहिये।

कुम्भक सावधानी से लगाएं :- प्राणायाम अभ्यास मे कुम्भक का विशेष महत्व है। प्राणायाम के वास्तविक लाभ कुम्भक से ही प्राप्त होते हैं। लेकिन यह क्रिया केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है।

( कुम्भक :- प्राणायाम में श्वास रोकने की क्रिया को कुम्भक कहा गया है )

नये अभ्यासी (Beginners) सावधानी से करें :- नये अभ्यासी अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करें। आरम्भ मे सरल प्राणायाम करें तथा कम आवर्तियां करें। अभ्यास को धीरे-धीरे बढाएं। श्वांसों के साथ अनावश्यक बल प्रयोग न करें।

मौसम के अनुसार प्राणायाम करें :

प्राणायाम अभ्यास मे मौसम की विशेष सावधानी रखें। मौसम के अनुसार प्राणायाम अधिक लाभदायी होते हैं। मौसम के विपरीत अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

शरद ऋतु मे किए जाने वाले प्राणायाम :- ये प्राणायाम शरीर को गर्मी (ऊर्जा) देने वाले होते हैं। ये शरद ऋतु मे लाभदायी होते हैं और गर्मी के मौसम मे वर्जित होते हैं :--

• भस्त्रिका
• सूर्यभेदी

गर्मी के मौसम मे किये जाने वाले प्राणायाम :- ये प्राणायाम शरीर को शीतलता देने वाले होते हैं। अत: ये गर्मी के मौसम मे लाभदायी होते हैं। ये सर्दी के मौसम मे वर्जित हैं :-

• चन्द्रभेदी
• शीतली
• शीतकारी

सारांश : 

प्राणायाम अभ्यास में सावधानियां जरूरी है। नियम व सावधानी से किये गये अभ्यास लाभदायी है।

Disclaimer :

अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार अभ्यास करें। क्षमता से अधिक प्राणायाम हानिकारक हो सकते हैं। लेख मे बताए गए अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। रोग पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक की सलाह से योग क्रिया करें।

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