शरीर को स्वस्थ रखने के लिये योग एक लाभदायी क्रिया है। मूलत: योग एक आध्यात्मिक क्रिया है। प्राचीन समय मे इसे ध्यान-साधना के लिये किया जाता था। लेकिन आज के समय मे इसे स्वास्थ्य के लिये एक उत्तम विधि माना जाता है। "आसन" योग का महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर के अंगो को सक्रिय करता है। रक्त-संचार व पाचन क्रिया को सुचारू रखता है। लेकिन आसन नियमपूर्वक व सावधानी से किये जाने चाहिए। प्रस्तुत लेख में योगासन के नियम व सावधानियों के विषय मे बताया जायेगा।
विषय सुची :-
आसन के नियम व सावधानियां
शरीर को स्वस्थ रखने के लिये 'आसन' एक प्रभावी क्रिया है। नियमपूर्वक किये गये आसन अधिक प्रभावी होते है। अत: इस अभ्यास में कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखना चाहिए। असावधानी व बलपूर्वक आसन का अभ्यास हानिकारक हो सकता है।
कोन से योगासन प्रभावी हैं? क्या कठिन-आसन अधिक लाभदायी होते है? क्या सरल-आसन कम लाभदायी होते हैं? हमे कोन से योगासन करने चाहिएं और कोन से नहीं करने चाहिएं? Rules for Asana क्या हैं? ये सब जानने से पहले "आसन" के विषय मे जानना जरूरी है।
'आसन' पतंजलि योग में :
महर्षि पतंजलि ने अपने "योगसूत्र" के दूसरे अध्याय में "अष्टांगयोग" का वर्णन किया है। आसन इसका तीसरा चरण है। महर्षि पतंजलि इसे परिभाषित करते हुए एक सूत्र देते हैं :-
स्थिर: सुखम् आसनम्।। 2.46 ।। अर्थात् स्थिरता से और सुखपूर्वक स्थिति (Pose) मे ठहरना "आसन" है।
आसन में स्थिरता :
आप जो भी आसन करते हैं। स्थिरता से करें। धीरे-धीरे आरम्भ करें, आसन की पूर्ण स्थिति में पहुंचें और स्थिरता से कुछ देर रुकें। आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर ठहरना लाभदायी होता है। ठहरने की समय-सीमा अपनी क्षमता के अनुसार रखें। कुछ देर रुकने के बाद धीरे-धीरे वापिस पहले वाली स्थिति मे आ जाएं। और विश्राम करें।
आसन की पूर्ण स्थिति मे पहुंच कर ठहरना अधिक प्रभावी होता है। लेकिन ऐसा करते समय बल प्रयोग न करें। जितने समय तक आराम से रुक सकते हैं, उतनी देर ही रुकें।
आसन को सुख पूर्वक करें।
आप कोई भी आसन करें सुखपूर्वक करें। अर्थात् जो सुख की अनुभूति दे वही आसन करें। जिस आसन को करने मे परेशानी लगे तो रुक जाये, और धीरे से वापिस आ जाएं। सुखपूर्वक सरल क्रियाएं लाभदायी होता है। बलपूर्वक कठिन क्रियाए करना हानिकारक हो सकता है।
कठिन आसन अधिक प्रभावी होते हैं, यह सही नहीं है। जो सरलता से किये जाते हैं, वे अधिक प्रभावी होते हैं। आसन की स्थिति मे ठहरना लाभदायी होता है। अत: पूर्ण स्थिति मे ठहर कर सुख का अनुभव हो वही आसन करें।
नियम व सावधानियां :
योगासन करते समय कुछ नियम व सावधानियों को ध्यान मे रखें।
आसन के नियम :
"अनुशासन" योग का पहला कदम है। अनुशासित जीवन अपने आप मे योग है। अत: योगासन मे कुछ नियमो का पालन जरूरी है।
समय :- सुबह का समय योगासन के लिये उत्तम है। शाम के समय भी किया जा सकता है। विशेष आयोजन या स्थितियों मे दिन के समय मे भी किया जा सकता है। लेकिन योगासन खाली पेट किया जाना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद योगासन न करें।
स्थान :- योगासन के लिये खुले और हवादार स्थान का चयन करें। पार्क या प्राकृतिक वातावरण वाली जगह अच्छी होती है। योगाभ्यास घर पर भी किया जा सकता है।
आसन की विधि :- सुबह नित्य क्रियाओं से निवृत होकर, स्नान करके योगासन करें। यह उत्तम माना गया है। विशेष स्थिति मे इसके बिना भी कर सकते है। समतल स्थान पर दरी, चटाई या योगा-मैट बिछा कर योगासन करें।
पहले खड़े होकर कुछ आसन करें। इसके बाद बैठ कर किये जाने वाले आसन करें। बैठने की स्थिति मे आसन करने के बाद सीने व पेट के बल लेट जाएं। कुछ आसन इस स्थिति मे करें। इसके बाद पीठ के बल लेट कर कुछ आसन करें।
अंत मे शवासन करें :- सभी योगासन करने के बाद अंत मे शवासन करें। सीधे लेट कर शरीर को ढीला छोड़ दे। आये हुए तनाव को दूर करने के लिये कुछ देर विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
योग सभी के लिये लाभदायी है लेकिन योगासन करते समय कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखें।
क्षमता का ध्यान रखें :- महर्षि पतंजलि ने आसन की परिभाषा मे यह बताया है कि आसन को स्थिरता के साथ करें। लेकिन सुखपूर्वक करें। प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है। इस लिये अपने शरीर की क्षमता को ध्यान मे रखना चाहिए। अपनी क्षमता से अधिक आसन न करें।
बल प्रयोग न करें :-- योगासन करते समय शरीर के साथ अनावश्यक बल प्रयोग न करें। शरीर को सरलता से जितना झुका सकते हैं उतना ही झुकाएं। जितना मोड़ सकते हैं उतना ही मोड़ें। आसन की पूर्ण स्थिति मे जाने के लिये अधिक प्रयास न करें। अधिक बल प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
विश्राम :- एक क्रिया करने के बाद कुछ देर विश्राम करें। विश्राम के बाद अगला आसन करें। सभी आसन करने के बाद सीधे लेट कर शवासन में विश्राम करें।
(देखें :- पूरक आसन क्या है? )
शरीर की अवस्था के अनुसार आसन।
आसन सभी के लिये लाभदायक हैं। युवा-वृद्ध तथा स्त्री-पुरुष सभी योगासन कर सकते हैं। लेकिन योगासन सावधानी से और अपने शरीर की अवस्था के अनुसार करें।
वृद्ध अवस्था में :- वृद्ध व्यक्ति (Senior Citizen) योगासन सावधानी से करें। शरीर को कष्ट देने वाले आसन न करें। मांसपेशियों मे तनाव वाला आसन न करें। सरलता से करें। अधिक वृद्ध व्यक्ति को आसन नही करना चाहिए। पैदल चलना सूक्ष्म क्रियाएं करना उत्तम है।
अस्वस्थ होने पर :- अस्वस्थ अवस्था मे आसन न करें। रोग की स्थिति मे चिकित्सा सहायता लें। औषधि का सेवन करें। स्वस्थ होने के बाद योगासन करें।
महिलाएन मासिक पिरियड्स मे :- आसन महिलाओ के लिये विशेष लाभदायी होते हैं। लेकिन मासिक पीरियड्स मे 2-3 दिन कठिन आसन न करें। केवल सरल क्रियाएं ही करें।
आसन वर्जित :
कुछ व्यक्तियों के लिये आसन वर्जित हैं। अत: उनको ये नही करने चाहिएं। यदि करने ही हो तो चिकित्सक की सलाह से करें।
सर्जरी के बाद :- यदि किसी अंग की शाल्य क्रिया (सर्जरी) हुई है, तो उस अंग को प्रभावित करने वाली क्रिया न करें। स्वस्थ होने के बाद चिकित्सक की अनुमति से योगासन करें।
रोग की अवस्था में :- यदि कोई गम्भीर रोग है तो योगासन वर्जित हैं। आंत रोग या पेट मे कोई हर्निया जैसा कोई रोग है तो पेट के आसन न करें। रीढ के तनाव मे आसन न करें।
गर्भावस्था में :- गर्भावस्था मे पेट पर दबाव डालने वाली क्रियाएं वर्जित हैं। गर्भवती को झुकने वाले आसन नही करने चाहिएं। सूक्ष्म क्रियाएं चिकित्सक की सलाह से करें। (अधिक जानकारी के लिये देखें :- गर्भवती महिलाओं के लिये योग )
अधिक वृद्ध व्यक्ति :- अधिक वृद्ध व्यक्तियों को आसन नही करने चाहिएं। पैदल टहलना, सूक्ष्म क्रियाएं करना उत्तम है। हाथ-पैरों को धीरे-धीरे घुमाना सूक्ष्म क्रियाएं हैं।
लेख सारांश :
योग सभी के लिये लाभदायी है। लेकिन योगासन नियमपूर्वक व सावधानी से करने चाहिएं। योगासन करते समय अपनी क्षमता व शरीर की अवस्था को ध्यान मे रखना चाहिए।
Disclaimer :-
यह लेख किसी रोग का उपचार करने हेतू नही है। इस लेख का का उद्देश्य केवल योग की सही जानकारी देना है। योग क्रियाएं केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। योगासन नियम व सावधानी से करने चाहिएं। अस्वस्थ व्यक्ति को चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।