आज के समय मे अधिकतर लोग कब्ज व गैस रोग से पीड़ित हैं। यह परेशानी गलत खान-पान तथा अनियमित जीवनशैली के कारण होती है। संतुलित आहार तथा योग इसके लिए प्रभावी हैं। इस आर्टिकल मे कब्ज व गैस के लिए योगासन के बारे मे बताया जायेगा। Constipation के लिए 5 आसन महत्वपूर्ण है। इनके बारे मे विस्तार से समझ लेते हैं।
विषय सुची :-
- 1. कटि चक्रासन
- 2. अर्ध मत्स्येन्द्र आसन
- 3. पादोत्तान आसन
- 4. पवन मुक्त आसन
- 5. मर्कटासन
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कब्ज (Constipation) के लिए योगासन
अनियमित तथा गलत खान-पान से हमारी पाचन क्रिया और आंतें प्रभावित होती हैं। इस कारण आंतों मे मल एकत्रित होता है और धीरे-धीरे यह सख्त होने लगता है। मल त्याग मे परेशानी होने लगती है। इसको कब्ज या Constipation कहा जाता है। आगे चल कर यह अन्य कई रोगों का कारण बनता है।
योग मे कई आसन बताए गए हैं जो कब्ज व गैस के लिए प्रभावशाली हैं। इस परेशानी से बचाने के लिए संतुलित आहार लें और ये 5 योगासन नियमित करें।
1. कटि चक्रासन
यह पेट के अंगों को प्रभावित करने वाला आसन है। इस आसन से आंतें प्रभाव मे आती हैं। कब्ज से राहत पाने के लिए यह महत्वपूर्ण आसन है। यह बैठ कर किया जाने वाला लाभदायी आसन है।
कटि चक्रासन की विधि :
• आसन (योगा मैट) पर बैठ जाएं। दोनो पैरों को सीधा करें। पैरो मे अधितम दूरी बनायें। कमर से आगे झुकते हुए दांया हाथ बांए पैर के पंजे के पास ले जाएं। बांया हाथ पीठ के पीछे ले जाएं।
• ऊपर उठें। फिर कमर से आगे झुकें। बायां हाथ दांये पैर के पंजे के पास ले जाएं। दांया हाथ पीठ के पीछे ले जाएं। यह एक आवर्ती पूरी हुई।
• इसी प्रकार क्षमता के अनुसार या 4-5 आवर्तियां करे।अवश्यकता के अनुसार आवर्तियां करने के बाद वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।
• पैरों का अन्तर कम करें। दोनो हाथ पीछे टिकाएं। गर्दन को पीछे की तरफ ढीला छोड़ दें। विश्राम करें।
आसन की सावधानियां :
1. आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करें। अपनी क्षमता से अधिक प्रयास न करें।
2. आसन को सरलता से करें। जितना आसानी से आगे झुक सकते हैं, उतना ही झुकें। अधिक बल प्रयोग न करें।
3. आसन करते समय घुटनों को सीधा रखें। माथा घुटने के पास ले जाने मे बल प्रयोग न करें।
4. सरलता से आसन को करना लाभदायी है। बलपूर्वक आसन को करना हानिकारक हो सकता है।
यह आसन किस के लिए वर्जित है?
यह आसन कुछ व्यक्तियों के लिए वर्जित है। अत: यह आसन इन व्यक्तियों को नही करना चाहिए।
- कमर से आगे झुकने मे परेशानी है तो यह आसन नही करना चाहिए।
- आंत के गम्भीर रोगी इस आसन को न करें।
- हर्निया पीड़ित व्यक्ति के लिए यह आसन हानिकारक हो सकता है।
- यदि कोई सर्जरी हुई है, तो यह आसन न करें।
- गर्भवती महिलाओ को यह आसन नही करना चाहिए।
- महिलाएं, रजोवृति (पीरियड्स) मे इस आसन को न करें।
2. अर्ध मत्स्येन्द्र आसन
यह पेट की आंतों को प्रभावित करने वाला आसन है। इस आसन का मुख्य प्रभाव लीवर तथा पेनक्रियाज (जठराग्नि) पर पड़ता है।
यह पाचनतंत्र को बढाने वाला आसन है। इस आसन को करने से आंतो मे जमा हुआ मल बाहर आता है। यह कब्ज व गैस मे लाभदायी आसन है।
अर्ध मत्स्येन्द्र आसन की विधि :
• यह बैठ कर किया जाने वाला आसन है। दोनो पैरो को फैला कर बैठें। दांया पैर मोड़ कर बांई जंघा के नीचे रखें। बायां पैर उठा कर दांई तरफ रखें।
• दोनो हाथों से बांया घुटना पेट की ओर दबाये। दांया हाथ ऊपर करें। दांए हाथ को लपेटते हुए घुटने को बाहर की तरफ करें तथा पैर का पंजा पकड़ें।
• बायां हाथ पीछे पीठ पर ले जाये। गरदन को बाई तरफ घुमाएं। स्थिति मे कुछ देर रुके। अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएं।
• पैरों को सीधा करें। यह क्रिया दूसरी तरफ से दोहराएं। बायां पैर मोड़ कर दांई जंघा के नीचे रखें। दांया पैर बांई ओर रखें।
• दोनो हाथों से दांया घुटना पेट की ओर दबाएं। बांया हाथ ऊपर उठाएं। दांए घुटने को दबाते हुए पंजा पकड़ें। दांया हाथ पीछे पीठ पर ले जाये। गरदन को दांई ओर घुमायें।
• स्थिति मे कुछ देर रुकें। क्षमता के अनुसार रुकने के बाद वापिस आ जाएं। पैरों को सीधा करें। हाथों को पीछे टिकाएं गरदन को पीछे ढीला छोड़ दें। कुछ देर विश्राम करें।
(अधिक जानकारी के लिए देखें :- अर्ध मत्स्येन्द्र आसन कैसे करें?)
अर्ध मत्स्येन्द्र आसन की सावधानियां :
1. आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करें।
2. घुटने को पेट की ओर अपनी क्षमता के अनुसार दबाएं।
3. नए अभ्यासी आसन की पूर्ण स्थिति मे नही पहुंच सकते हैं तो बल प्रयोग न करें।
आसन किसको वर्जित है?
यह कमर, रीढ तथा पेट को प्रभावित करने वाला आसन है। यह कुछ व्यक्तियो के लिए हानि कारक हो सकता है। इस लिए इन व्यक्तियों को यह नही करना चाहिए।
- कमर व रीढ के रोगी।
- पेट के गम्भीर रोगी।
- घुटनो की परेशानी वाले व्यक्ति।
- गरदन व कन्धो के रोगी।
- ऐसे व्यक्ति जिन की कोई सर्जरी हुई है।
- गर्भवति महिलाएं।
3. पादोत्तान आसन
पादोत्तान आसन पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन को करने से पेट की आंत सुदृढ होती हैं। यह कब्ज व गैस के लिये उत्तम आसन है। इस आसन के बाद पवनमुक्त आसन को करना जरूरी है।
पादोत्तान आसन की विधि :
इस आसन को 3 चरणों मे करें। पहले चरण में दांए पैर से, दूसरे चरण मे बांए पैर से और तीसरे चरण मे दोनों पैरों से करें। आसन करने से पहले ताड़ासन करें।
ताड़ासन :- समतल स्थान पर कपड़े का आसन या योगा मैट बिछाएं। पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरो को सीधा करें। दोनो पैरों को मिला कर रखें। दोनों हाथों का सिर की ओर ले जाएं। श्वास भरते हुए ताड़ासन में हाथों और पैरों में खिंचाव बनाएं। श्वास छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ें।हाथों को ऊपर ही रखें। आसन का पहला चरण करें।
• श्वांस भरते हुए दोनो पैरों को 2 या 3 ईंच ऊपर उठाएं।बांया पैर यही पर रखें। दांए पैर और बांए हाथ को ऊपर ले जाएं।
• क्षमता अनुसार रुकने के बाद हाथ व पैर को धीरे से नीचे ले आएँ। कुछ सैकिंड विश्राम करें।
• फिर से श्वास भरते हुए दोनों पैरों को 2 या 3 ईंच ऊपर उठाएं।
• दांए पैर को वही पर रखे। बांए पैर और दाएं हाथ को ऊपर आसमान की ओर ले जाएं।
• घुटने व पंजे सीधे व तने हुए रखें। स्थिति मे कुछ देर रुके। यथा शक्ति रुकने के बाद धीरे से हाथ व पैर को नीचे ले आएँ। कुछ सैकिंड विश्राम करें।
• श्वास भरते हुए धीरे-धीरे दोनो पैरों व हाथों को ऊपर उठाएं।
• घुटने व पंजे सीधे रखें। स्थिति मे कुछ देर रुकें।• अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे-धीरे हाथों व पैरों को नीचे ले आएँ।
• पैरों को नीचे ले कर आते समय घुटनों को सीधा रखें। धीरे से नीचे टिकाएं।
दोनों पैरों मे थोड़ा गैप बनाएं। हाथों को कमर के साथ रखें। शरीर को ढीला छोड़ दें। श्वास सामान्य रखें। कुछ दे विश्राम करें। आसन से आए हुए तनाव को दूर करें।
पादोत्तान आसन की सावधानियां :
यह आंतों को प्रभावित करने वाला आसन है। इसे कुछ सावधानियों के साथ किया जाना चाहिए।
1. इस आसन को करते समय घुटने व पंजों को सीधा और तनी हुई स्थिति में रखें।
2. पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे नीचे लेकर आएँ।
3. पैरों धीरे से नीचे टिकाएं। ऊपर से न पटकें।
4. यह तनाव वाला आसन है। प्रत्येक चरण के बाद कुछ सैकिंड विश्राम करे। तनाव दूर होने के बाद अगले चरण में जाएं।
आसन किसको वर्जित है?
यह आसन कुछ व्यक्तियों के लिए वर्जित है। उनको यह आसन नही करना चाहिए।
- अल्सर रोगी तथा हर्निया के रोगी इस आसन को न करें।
- गर्भवती तथा रजोवृति (पीरियड्स में) महिलाएं आसन को न करें।
- पेट की सर्जरी हुई है तो इस आसन को न करें।
- यह आसन अधिक वृद्ध व्यक्तियों को नही करना चाहिए।
4. पवन मुक्त आसन
पवन मुक्त आसन की विधि।
यह पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन को पादोत्तान आसन के बाद अवश्य करे। इस आसन को 3 चरणों मे करें। पहले चरण मे दांये पैर से, दूसरे चरण मे बांएं पैर से और तीसरे चरण मे दोनों पैरो से करें।
पहला चरण :-
• पीठ के बल लेटें। दोनों पैरो को एक साथ मिलाएं। दांया पैर मोड़ें। दोनो हाथों से दांये घुटने को सीने की ओर दबाएं।
• धड़ भाग को उठाते हुए नासिका को दांए घुटने के पास ले जाएं। बायां पैर सीधा रखें। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
• क्षमता के अनुसार रुकने के बाद दांया पैर सीधा करें। वापिस पूर्व स्थिति मे आ जायें।
• बांया पैर मोड़ें। दांया पैर सीधा रखें। दोनों हाथों से बांए घुटने को सीने की ओर दबाएं।
• धड़ ऊपर उठाते हुए नासिका बांए घुटने के पास ले जाएं। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
• क्षमता के अनुसार रुकने के बाद पैर सीधा करे। वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।
• दोनों पैरों को मोड़ें। दोनों घुटनो को सीने की ओर दबायें। धड़ ऊपर उठाकर नासिका को दोनो घुटनों के पास ले जाएं।
• स्थिति मे कुछ देर रुकें।क्षमता अनुसार रुकने के बाद पैर सीधा करें। धीरे-धीरे पैरो को नीचे टिकाएं।
• पैर नीचे आने के बाद दोनो पैरों मे थोड़ा गैप बनायें। शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ देर विश्राम करें।
पवन मुक्त आसन की सावधानियां :
2. पेट का आकार बढा हुआ है तो पूर्ण स्थिति मे जाने का अधिक प्रयास न करें।
3. आसन को धीमी गति से करें।
4. घुटने सीधा रखते हुए पैरों को धीरे-धीरे नीचे टिकाएं।
5. आसन करते समय जहां पीड़ा अनुभव हो, वही पर रुक जाएं। वहां से आगे न जाये। धीरे-धीरे वापिस आ जाये।
6. एक चरण पूरा करने के बाद विश्राम करे।
आसन किसको वर्जित है?
- रीढ की परेशानी है तो यह आसन न करें।
- पेट की सर्जरी हुई है या कोई गम्भीर आंत रोग है तो यह आसन न करें।
- गर्भवति महिलाओ के लिए यह आसन वर्जित है।
5. मर्कटासन
यह आसन आंतों को सुदृढ करने वाला आसन है। इसका नियमित अभ्यास कब्ज (Constipation) मे राहत देने वाला होता है। यह भी पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है।
मर्कटासन की विधि :
• पीठ के बल लेटें। दोनों पैरों को मोड़ें। एड़ियां मध्य भाग (नितम्ब) के पास रखे। एड़ी, पंजे व घुटने एक साथ रखें।
• दोनो हाथों को कंधो से एक लाइन मे सीधा रखें। हाथों मे खिंचाव बनाए रखें।
• लम्बा श्वास भरें। भरे हुए श्वास मे दोनो घुटनों को दांई ओर मोड़ते हुए नीचे टिकाएं। गरदन को बांई ओर मोड़ें।• कुछ देर स्थिति मे रुकें और श्वास छोड़ते हुए वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।
• फिर श्वास भरें। घुटने बांई तरफ और गरदन दांई तरफ मोड़ें घुटने नीचे टिकाने का प्रयास करे। स्थिति मे क्षमता के अनुसार रुके, और श्वास छोड़ते हुए वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।
• यह एक आवर्ती पूर्ण हुई। दूसरी आवर्ती के लिए क्रिया को उसी प्रकार दोहराएं। आरम्भ मे दो या तीन आवर्तियां करें।
• आसन पूर्ण करने के बाद दोनो पैरों को सीधा करें। धीरे धीरे पैरो को नीचे ले आएँ। हाथों को कमर के पास ले आएँ। शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ देर विश्राम करें।
आसन की सावधानियां
1. इस आसन को 'भरे श्वास' की स्थिति मे करना उत्तम है।2. आसन करते समय हाथो को खींच कर रखें।
3. पूरी क्रिया मे घुटनों को मिला कर रखें।
4. इस आसन में घुटने व गरदन विपरीत दिशा मे मोड़ें।
5. आसन अपनी क्षमता के अनुसार करें।
आसन किसको वर्जित है।
यह आसन कुछ लोगों के लिए वर्जित है। इस लिए इन व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- आंत व पेट की गम्भीर रोगी इस आसन को न करें।
- पेट की सर्जरी हुई है तो यह आसन न करें।
- यह आसन गर्भवती महिलाओ के लिए वर्जित है।
सारांश :-
अनियमित व गलत खान पान के कारण कब्ज व गैस रोग होता है। कब्ज (Constipation) के लिए योग एक प्रभावी क्रिया है।
Disclaimer :-
किसी प्रकार के रोग का उपचार करना इस लेख का उद्देश्य नहीं है। योग के विषय मे जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। किसी प्रकार के रोग से पीड़ित होने पर चिकित्सक से सलाह लें।