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सुगर (मधुमेह) नियंत्रण के लिए अर्ध मत्स्येन्द्र आसन एक महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन से पेट के सभी अंग, विशेषकर "लीवर" और "अग्नाश्य" (Pancreas) प्रभावित होते हैं। Pancreas के प्रभावित होने से शरीर का सुगर नियंत्रित रहता है। इस आसन से पाचनतंत्र सुदृढ होता है। यह आसन कैसे किया जाता है, इसके लाभ व सावधानियां क्या हैं? यह जानकारी इस लेख मे दी जायेगी।

इस लेख मे जानकारियां :-

  • अर्ध मत्स्येन्द्र आसन क्या है?
  • अर्धमत्स्येन्द्र आसन कैसे करें?
  • आसन की सावधानी। 
  • आसन के लाभ। 

अर्ध मत्स्येन्द्र आसन क्या है?

इस आसन का नाम महान योगी गुरु मत्स्येन्द्र के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि वे इसी आसन मे साधना किया करते थे।

अर्धमत्स्येन्द्र आसन नए साधकों के लिए थोड़ा कठिन तो है लेकिन बहुत लाभकारी है। नए साधक यदि आसन की पूर्ण स्थिति तक पहुंचने मे असमर्थ हो, तो आसन को सरलता से जितना कर सकते हैं, उतना ही करें। अभ्यास को धीरे धीरे बढ़ाएं।

अर्धमत्स्येन्द्र आसन कैसे करें? लाभ व सावधानियां

बैठ कर किए जाने वाले आसनों।में यह एक महत्वपूर्ण आसन है। यह एक लाभकारी आसन है। इसके करने से पैरो की जंघाएं व पिंडलियां प्रभावित होती हैं। इसका विशेष प्रभाव पेट के आंतरिक अंगों पर होता है। इसी कारण यह सुगर (मधुमेह) को नियंत्रण करने सहायक है।

आसन की विधि

यह आसन दो चरणों में किया जाता है। इस आसन को पहले दांई तरफ से करें। उसके बाद में बांई तरफ से करें।

अर्ध मत्स्येंद्र आसन

आसन दांई ओर से

  • बिछे हुए आसन पर बैठें। दोनों पैरों को सीधा करें।
  • दांया पैर मोड़ें और बांए पैर की जंघा के नीचे रखें।
  • बांए पैर को मोड़ कर दांई तरफ रखे।
  • दोनो हाथों से बांए घुटने को सीने की ओर दबाव बनाए (चित्र में देखें)
  • दायां हाथ ऊपर उठाएं। कोहनी से बांए घुटने पर दबाव बनाते हुए बांए पंजे को पकड़ें।
  • बाया हाथ कमर के पीछे ले जाएं।
  • गरदन बांई तरफ और बांए कंधे पर ले जाये।
  • पूर्ण स्थिती मे यथा शक्ति रुके।
  • धीरे धीरे वापिस आ जाएं। पैर सीधे करे।
  • हाथो को पीछे रख कर कुछ सेकंड विश्राम करे।

आसन बांई ओर से

 (इसके बाद यही क्रिया दूसरी तरफ से दोहराए।) 

  • पैरों को सीधे करें।
  • बांया पैर मोङें, दांई जंंघा के नीचे रखें।
  • दाँया पैर मोड़ कर बाँई तरफ रखें।
  • दोनो हाथों से दाँये घुटने को सीने की ओर दबाएं।
  • बांया हाथ से घुटने को दबाते हुये पँजे को पकड़े। (चित्र मे देखें)
  • दाँया हाथ पीठ के पीछे ले जायें।
  • गरदन दाँयी दाँयी तरफ घुमाये। ठुड्डी को दाँये कंधे पर ले जाये।
  • इस स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • यथा शक्ति रुकने के बाद स्थिति से वापिस आए और दोनों पैरों को सीधा कर लें।
  • दोनों हाथ पीछे टिकाए। पैर खोल कर विश्राम करे।

आसन की सावधानी

आरम्भ मे यदि नए साधको को पूर्ण स्थिति तक जाने मे परेशानी हो तो शरीर के साथ बल प्रयोग ना करें। आसन जितना आसानी से कर सकते है उतना ही करे और अभ्यास धीरे धीरे बढ़ाएं।

यह आसन केवल स्वस्थ व्यक्ति ही करें। कुछ व्यक्तियों के लिए यह आसन वर्जित है। इस लिए उनको यह आसन नही करना चाहिए।

  • ऐसे व्यक्ति जिनके पेट का आपरेशन हुआ है, वे अभी इस आसन को न करें। बाद मे चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही इस आसन को करें।
  •  रीढ सम्बंधित परेशानी वाले व्यक्ति इस आसन को सावधानी से करें।
  • आंत रोगी इस आसन को चिकित्सक की सलाह से करें। यदि आंतों मे अल्सर जैसा कोई गम्भीर रोग है, या कोई जख्म है तो इस आसन को न करे।
  • नए व्यक्ति, जो पहली बार इस आसन को कर रहे है, वे इस आसन को सावधानी से करें।
  • नए व्यक्ति इस आसन की पूर्ण स्थिती मे जाने  के लिए बल-प्रयोग न करें।
  • आसन सरलता से जितना कर सकते है, उतना ही करे। यदि आसन की पूर्ण स्थिती मे नही पहुंच सकते है, तो भी लाभ मिलेगा।
  • अनावश्यक "बल-प्रयोग" हानिकारक हो सकता है। इसलिए शरीर के साथ अधिक बल प्रयोग न करें।

आसन के लाभ

Ardha Matsyendra Asana एक लाभकारी आसन है। इस आसन से पेट के अंग, कमर, रीढ, गरदन तथा कमर से नीचे का भाग प्रभावित होते है। इस आसन से मिलने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं।

  • सुगर को सामान्य रखने के लिए यह एक उत्तम आसन है। इस आसन को करने से शरीर का सुगर सामान्य रहता है।
  • लीवर तथा पैंक्रियाज प्रभाव मे आते है। पाचन तंत्र सुदृढ होता है।
  • पेट की आते प्रभावित होने से कब्ज से राहत मिलती है।
  • कमर के प्रभाव मे आने से कमर-दर्द मे आराम मिलता है।
  • पैरो की नाड़िया प्रभावित होती है। पैरों की थकान दूर होती है।
  • रीढ को मजबूती मिलती है।
  • कंधे व गरदन के प्रभावित होने से सर्वाइकल व थायराइड मे लाभ मिलता है।

लेख सार :-

शरीर की सुगर को सामान्य रखने के लिए   अर्धमत्स्येन्द्र आसन एक उत्तम आसन है।  इस आसन से पेट के अंग तो प्रभावित होते ही है। इस से कमर, कमर के नीचे का भाग, रीढ, कंधे तथा गर्दन भी प्रभाव मे आते है।

Disclaimer :- 

किसी प्रकार के रोग का उपचार इस लेख का उद्देश्य नही है। इस आसन के लाभ से अवगत करवाना इस लेख का उद्देश्य है। रोग की अवस्था मे चिकित्सा सहायता अवश्य लें।

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