ad-1

Dosplay ad 11may

"स्वस्थ शरीर" के लिए "स्वस्थ पाचन तंत्र" का होना आवश्यक है। कई बार गलत आहार के कारण हमारे आमास्य में अतिरिक्त अम्ल (Acid) बन जाता है, और यह आहार नली मे एकत्रित हो जाता है। यही एसिडिटी का कारण बनता है। योग में इसके लिए शुद्धि क्रियाएं बताई गई हैं। एसिडिटी से राहत के लिए कुंजल क्रिया एक महत्व पूर्ण शुद्धि क्रिया है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने वाली क्रिया है। यह आहार-नली मे एकत्रित हुए अम्ल (Acid) व पित्त को बाहर निकालने मे सहायक होती है। कुंजल क्या है? इसकी विधि, लाभ व सावधानियां क्या है? प्रस्तुत लेख मे इसकी जानकारी दी जायेगी।

(English version of this article :- Kunjal Kriya.)


विषय सुची :-

  • कुंजल क्रिया (Kunjal Kriya) क्या है?
  • कुजल क्रिया क्यो करें?
  • विधि, लाभ व सावधानियाँ।

कुंजल क्रिया क्या है? इसकी विधि, लाभ व सावधानियां क्या हैं?

इस योग क्रिया को शरीर की शुद्धियों के लिए किया जाता है। इसको गजकरणी या वमन धौति भी कहा गया है।कुंजल क्रिया योग को षट्कर्म मे भी किया जाता है।

शुद्धि क्रियाओं मे कुंजल क्रिया एक सरल विधि है। इस क्रिया के द्वारा कण्ठ से नीचे भोजन नली का शोधन किया जाता है। इस क्रिया से अतिरिक्त अम्ल व पित्त (एसिड) को बाहर निकाला जाता हैं। यह एसिडिटी के लिये लाभकारी है।

कुंजल क्रिया क्यों करें?

जब हम भोजन करते हैं, आमास्य जाकर इसकी पाचन क्रिया होती है। पाचन क्रिया के लिये आमास्य मे अम्ल व पित्त (Acid) का निर्माण होता है। लेकिन कई बार गलत खान-पान के कारण ये अधिक मात्रा मे बन जाते हैं। ये अतिरिक्त तत्व हमारी भोजन-नली मे एकत्रित हो जाते हैं।

अधिक मात्रा मे Acid का बनना Acidity कहा जाता है। इस कारण खट्टी डकार आती है और गले मे जलन लगती है। कुंजल इसके लिये एक प्रभावी क्रिया है।

कुंजल क्रिया की विधि, लाभ व सावधानियां

योग मे शरीर की शुद्धि के लिये 'षट-कर्म' बताये गये हैं। 'षट-कर्म' मे 6 शुद्धि क्रियाएं होती हैं। इनमे "कुंजल"  एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इसकी विधि बहुत सरल है। इसको सुबह के समय बिना कुछ खाये खाली पेट करना चहिए। भोजन या नाश्ता करने के बाद इसे नही करना चाहिए।

विधि :-

  • जग, लोटा या किसी बर्तन मे पीने का सादा पानी ले।घुटनों के बल उकड़ू बैठ जाएं। बांया हाथ पेट पर रखें हल्का दबाव बनाएं। दांए हाथ मे पानी का बर्तन पकड़ें।
  • बर्तन को मुह लगा कर जितना पानी पी सकते है, पी लें।पानी पीने के बाद बर्तन रख दें। पीठ से आगे की तरफ झुक कर खड़े हो जाएं।
  • बांए हाथ से पेट पर हल्का दबाव बनाये। दांए हाथ की उंगली मुंह मे डाल कर जीभ के पीछे (कण्ठ के पास) टच करे। जितना पानी पीया था वह वमन (उल्टी) द्वारा बाहर निकाल दे।
  • पीया हुआ लगभग सारा पानी बाहर आ जाये तो साफ पानी से कुल्ला करे। वमन (उल्टी) करने से पानी के साथ सभी हानिकारक तत्व बाहर आ जाते है।

लाभ क्या है?

  • कुंजल क्रिया से भोजन नली का शोधन हो जाता हैं हानिकारक तत्व बाहर आ जाते है।
  • इस क्रिया से अतिरिक्त अम्ल, कफ व पित्त बाहर आ जाते है।
  • पाचन तंत्र सुचारू रहता है।
  • यह क्रिया गैस व एसिडिटी मे लाभकारी है।
  • यह कफ व पित्त दोष को दूर करती है।

 सावधानियां :

  • यह क्रिया बहुत सरल है। लेकिन इस क्रिया को करने कुछ सावधानी बरते ।
  • इस क्रिया को प्रतिदिन न करे। महिने मे एक बार या दो बार ही करें।
  • सुबह शौच आदि से निवृत होने के बाद बिना कुछ खाए खाली पेट इस क्रिया को करे। भोजन करने के तुरंत बाद इसे नही करना चाहिए।
  • क्रिया के तुरंत बाद स्नान न करे। कुछ समय रुक कर स्नान करें।
  • कम से कम एक घंटे के बाद भोजन या नाश्ता करें।
  • हल्का व सुपाच्य भोजन करे।

किसको नही करना :

यह क्रिया बहुत सरल है क्योंकि इसमे केवल सादा पानी पी कर वमन (उल्टी) करना होता है। लेकिन कुछ व्यक्तियों को यह क्रिया नही करनी चाहिए। रोगी को चिकित्सक की सलाह से इस क्रिया को करना चाहिए।

हृदय रोगी, अस्थमा पीड़ित, हर्निया के रोगी, आंत रोगी  इस क्रिया को न करे, या चिकित्सक की सलाह से करें। गर्भवती महिलाएं इसे बिलकुल न करें।

सारांश :-

एसिडिटी व गैस के लिये कुंंजल क्रिया योग एक लाभकारी क्रिया है। यह भोजन-नली का शोधन करती है।इस क्रिया से अतिरिक्त अम्ल, पित्त तथा हानिकारक पदार्थों  बाहर निकाला जाता हैं। इस क्रिया को रोजाना न करे। महिने मे एक बार या दो बार ही करें।

Disclaimer :-

रोग का उपचार हमारा उद्देश्य नही है। योग-क्रियाओ के प्रति जागरूकता ही हमारा उद्देश्य है। प्रस्तुत लेख मे बताई गई विधि एक सामान्य शुद्धि क्रिया है। इसे चिकित्सा के तौर पर नही किया जाना चाहिए। किसी प्रकार के रोग से पीड़ित होने पर इस क्रिया को न करें, चिकित्सा सहायता अवश्य लें।

Post a Comment