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कोरोना काल मे यह देखने मे आया था कि लोगों का Oxygen Level कम हो गया । बङी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। काफी लोग ने जान गवाँई और बहुत से अस्पतालों मे एडमिट हुये। शरीर का Oxygen Level कम क्यो होता है? इस से बचने का उपाय क्या है? इन सब के बारे हम इस लेख मे चर्चा करेगे।

लेख की विषय सूची :-

  • शरीर का Oxygen Level कम होने का कारण।
  • श्वसनतंत्र पर Corona का प्रभाव।
  • श्वसनतंत्र मे रुकावट के क्या कारण हैं?
  • योग द्वारा उपाय क्या हैं?
  • अचानक Oxygen Level कम होने पर कोनसा आसन करें?
  • आसन व प्राणायाम का श्वसन पर प्रभाव।

शरीर का Oxygen Level कम होने का कारण।

हमारे वातावरण आक्सीजन पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध है। फिर हमारे आक्सीजन का लेवल कम क्यो हो जाता है। इसके मुख्य कारण है-

  1. हमारे Lungs का ठीक से काम न करना।
  2. श्वसनतंत्र (Respiratory System)मे रुकावट आना।

जो वायु श्वास द्वारा हमारे Lungs मे जाती है उस मे ऑक्सीजन तो पर्याप्त मात्रा मे होती है।
लेकिन यदि हमारे फेफङे (Lungs) ठीक से काम नही करेगे और हमारा Respiratory System मे कोई अवरोध होगा तो Oxygen की सही मात्रा शरीर मे प्रवेश नही करेगी। और इसी कारण से Blood मे ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। 

यदि हमारा श्वसनतंत्र ठीक से काम करेगा, और इसमे कोई रुकावट नही आयेगी तो हमारे शरीर मे Oxygen की आपूर्ती होती रहेगी। श्वसनतंत्र मे Blockage होने से ऑक्सीजन हमारे शरीर मे सही मात्रा मे नही पहुँचती है। और इसी कारण हमारे शरीर मे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

हम योग द्वारा इस अवरोध को कैसे ठीक कर सकते है? और अचानक शरीर के आक्सीजन कम होने पर हमे क्या करना चहाए? ये सब तो आगे बताएँगे। लेकिन पहले यह जान लेते है कि Corona वायरस ऐसे व्यक्तियो को अधिक संक्रमित क्यो करता है?


श्वसनतंत्र पर Corona का प्रभाव।

मैडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना संक्रमण उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिनका श्वसनतंत्र ठीक नही है। जिन व्यक्तियों का श्वसनतंत्र ठीक है वे इस महामारी से कम प्रभावित होते है। और यदि प्रभावित होते भी है तो शिघ्र ठीक हो जाते है।

विशेषज्ञ यह भी मानते है कि यह महामारी सीधे हमारे श्वसनतंत्र को प्रभावित करती है। क्योकि यह श्वास से सम्बंधित वायरस है इस लिए यह ऐसे रोगियो को अधिक प्रभावित करता हैं।

आईये अब यह जान लेते है कि हमारे श्वसनतंत्र मे रुकावट क्यो आती है? इसके क्या कारण हैं?और इस रुकावट को दूर करने का उपाय क्या है?

श्वसनतंत्र मे रुकावट क्यों आती है?

श्वसनतंत्र मे रुकावट आने के कई कारण है। इन मे से मुख्य कारण हैं --

  • धुम्रपान करना।
  • प्रदूषण।
  • अव्यवस्थित जीवन

धुम्रपान Smoking.

धुम्रपान (स्मोकिंग) 'श्वास-रोग' का मुख्य कारण बनता है। हम सब यह अच्छी तरह जानते हैं कि स्मोकिंग से हमारे Lungs प्रभावित होते है और धीरे धीरे स्मोक से इन मे कार्बन जमा होता रहता है। इस कारण Lungs निष्क्रिय हो जाते है और ठीक से काम करना बंध कर देते है।

Lungs के निष्क्रिय होने के कारण शरीर की श्वसन प्रणाली मे रुकावट आती है। और शरीर की Oxygen बाधित हो जाती है।

प्रदूषण Pollution.

प्रदूषण भी हमारे Lungs को प्रभावित करता है। यह अस्थमा जैसे श्वास रोगों का कारण भी बनता है। हमारे शहरी क्षेत्रों मे प्रदूषण के दुष्प्रभाव ज्यादा देखे गये हैं। इस से बचने के भी उपाय करने चहाएँ।

अव्यवस्थित जीवन Wrong Life Style.

आज के समय मे हमारा जीवन अव्यवस्थित हो चुका है। सोने-जागने का समय और खाने-पीने का समय का डिस्टर्ब हो चुका है। व्यायाम और योगासन नही करते हैं। इन सब कारणों से हमारे शरीर के बाह्य व आंतरिक अंग निष्क्रिय हो जाते है। 

शरीर का रासायन निर्माण भी अव्यवस्थित हो जाता है। रक्तचाप(BP) अनियंत्रित होने लगता है। इस कारण हृदय भी प्रभावित होता है। ये सब भी हमारे श्वसनतंत्र को प्रभावित करते है।

 उपाय-- योग द्वारा।

योग एक ऐसी क्रिया है जो हमे इन परेशानियो से बचा सकती है। वैसे तो योग एक आध्यात्मिक क्रिया है जो "ध्यान-साधना" के लिए की जाती है। लेकिन आज के समय मे पूरा विश्व योग को शारीरिक "फिटनेश" के लिए अपना रहा है। 

आम जनमानस मे योग की दो क्रियाएँ ही अधिक प्रचलित है--

1.आसन।
2.प्राणायाम।

दोनो क्रियाएँ शरीर के लिए लाभकारी है। आसन से Immunity मे वृद्धि होती है।प्राणायाम से हमारा श्वसनतंत्र सुदढ होता है।

1.आसन।

आसन हमारे शरीर को फिट रखने मे सहायक है। इस क्रिया से शरीर के 'बाहरी अंग' तथा  'आंतरिक अंग' दोनों प्रभावित होते है। इस क्रिया से रक्तचाप(BP) व सुगर सामान्य रहते है। आसन द्वारा हम अपनी श्वसन क्रिया को भी सुदृढ कर सकते है। यदि अचानक किसी का Oxygen Level गिर जाता है तो हमे कौनसा आसन करना चहाये?

आसन--Oxygen Level कम होने पर

यदि अचानक Oxygen Level कम हो जाता है और श्वास लेने मे परेशानी लग रही है। ऐसी स्थिति मे जब तक चिकित्सा नही मिलती है, इस आसन को जरूर करे।

  • पेट के बल लेट जाएँ ।
  • एक तकिया मध्य भाग के नीचे रखें। दूसरा तकिया सीने के नीचे रखे।
  • तकियों की मोटाई पेट के अनुसार रखें। तकिये इस प्रकार लगाएँ की पेट पर दबाव न आए।
  • लम्बे-गहरे श्वास लें और छोङे। एक मिनट तक या (सुविधा के अनुसार) इस क्रिया को करें।
  • तकिये हटा कर बाँयी करवट से लेट जाएँ। लम्बे गहरे श्वास लेते हुए कुछ देर बाँयी करवट से लेटे रहे।
  • अब दाँयी करवट पर आ जाएँ। लम्बे-गहरे श्वास लेेते हुए कुछ देर दाँयी करवट से लेटे रहे।
  • यह एक आवर्ति हुई। इसी प्रकार क्रिया को फिर से दोहराये।
  • चिकित्सा सहायता मिलने तक इस क्रिया को दोहराते रहें।

सावधानी :-

  • इस क्रिया को गर्भवती महिलाएँ न करें।
  • पेट की सर्जरी हुई है या कोई आँत रोग है तो यह क्रिया न करें।
  • खाना खाने के तुरंत बाद इस क्रिया को न करें।
  • तकिये इस प्रकार लगाये जिस से कि पेट पर दबाव न आये।
  • यह क्रिया चिकित्सा सहायता मिलने तक ही करे। उसके बाद चिकित्सक की सलाह ले।

योगाभ्यास मे आसन।

योगाभ्यास मे सभी आसन लाभदायक है। यदि आप नियमित आसन करते है तो आपकी श्वसन क्रिया सुचारू रहेगी। नियमित आसन करने से आपके शरीर का Oxygen लेवल सही बना रहता है। योगाभ्यास मे आसन करते समय आप को कुछ बातों का ध्यान रखना चहाए।

  • प्रत्येक आसन मे श्वासों की स्थिती बताई जाती है इसका हमेशा ध्यान रखें।
  • कई आसनों मे बताया जाता है कि श्वास भरते हुये आसन की पूर्ण स्थिती मे जाएँ और श्वास खाली करते हुए वापिस आएँ।इस बात का विशेष ध्यान रखें।
  • कुछ आसन खाली श्वास मे तथा कुछ आसन भरे श्वास मे किये जाते है।
  • एक आसन करने के बाद दूसरे आसन से पहले श्वासो को सामान्य करे।

कुछ मुख्य आसन।

2.प्राणायाम।

प्राणायाम श्वासों की मजबूती के लिए एक उत्तम क्रिया है। इस क्रिया से प्राण-शक्ति की वृद्धि होती है। श्वसनतंत्र मे आने वाले अवरोध दूर होते है। प्राणायाम करने से हमारे Lungs सक्रिय रहते है और ठीक से काम करते हैं।

नियमित प्राणायाम के अभ्यासी को कभी श्वास रोग नही होते है। प्राणायाम करने से शरीर का Oxygen Level कभी कम नही होता। श्वसन क्रिया सुचारू रहने से हमारे हृदय को भी पुष्टि मिलती है।

प्राणायाम और श्वास।

प्राणायाम श्वासों पर आधारित क्रिया है।सामान्यत: हम दिन-रात बिना रुके श्वास लेते- छोङते रहते है। यह एक ऐसी क्रिया है जो आजीवन चलती रहती है।

लेकिन ये श्वास बहुत छोटे-छोटे होने के कारण हमारे शरीर के लिये पर्याप्त नही होते हैं। प्राणायाम मे श्वासो को उचित तरीके से लेना और छोङना बताया जाता है।

श्वास की स्थितियाँ।

प्राणायाम मे श्वास की तीन स्थितियाँ है।

  1. श्वास लेना (पूरक)
  2. श्वास छोङना (रेचक)
  3. श्वास को अंदर या बाहर रोकना (कुम्भक)

प्राणायाम मे तीनो स्थितियाँ महत्वपूर्ण है। पूरक करते समय लम्बा गहरा श्वास भरें।यथा शक्ति श्वास रोक कर आँतरिक कुम्भक लगाएँ। कुम्भक मे कुछ देर रुकने के बाद श्वास का पूरी तरह रेचक करें। और खाली श्वास में यथा शक्ति बाह्य कुम्भक लगाएँ।

प्राणायाम मे कुम्भक का महत्व।

प्राणायाम मे कुम्भक का विशेष महत्व है।प्राणायाम के वास्तविक लाभ कुम्भक से ही मिलते हैं।

  • जब हम लम्बा-गहरा श्वास ले कर पूरक और रेचक करते है तो हमारे Lungs फैलते और सिकुङते हैं। इस क्रिया से Lungs सक्रिय रहते है।
  • जब हम श्वास को अंदर रोक कर आँतरिक कुम्भक लगाते हैं तो हमारे शरीर मे Oxygen की पूर्ती अधिक होती है। श्वसनतंत्र के अवरोध दूर होते है।
  • श्वास का रेचक करने पर दुषित वायु बाहर आती है।

सावधानी :--
कुम्भक अपने शरीर की क्षमता के अनुसार लगाएँ। अस्थमा और हृदय रोगी कुम्भक न लगाएँ।

मुख्य प्राणायाम।
सारांश :-

नियमित आसन व प्राणायाम से हम अपने शरीर का Oxygen Level बनाये रख सकते है।

Disclaimer :--

योग द्वारा किसी रोग का उपचार करना हमारा उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य केवल योग की जानकारी देना है। योग द्वारा लोग स्वस्थ रहे यही हमारा उद्द्श्य है। बिमार होने पर या संक्रमित होने पर चिकित्सस से सलाह ले।

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