शरीर में अधिकतर रोग कमजोर पाचन शक्ति के कारण होते हैं। पाचन तंत्र के लिए अग्निसार क्रिया एक उत्तम अभ्यास है। इस के अभ्यास से जठराग्नि एक्टिव होती है। इस क्रिया से पेट के सभी अंगों को प्राभावित होते हैं। यह पाचनतंत्र को मजबूत करने वाला, कब्ज व एसिडिटी से राहत देने वाला अभ्यास हैं। इस क्रिया की सही विधि, लाभ और सावधानियां क्या हैं? प्रस्तुत लेख में आगे इसका विस्तार से वर्णन किया जाएगा।
विषय सूची :-
- अग्निसार क्रिया
- अग्निसार कैसे करे
- अग्निसार के लाभ
- सावधानियां
अग्निसार क्रिया Agnisar kriya
अग्निसार शब्द 'अग्नि' और 'सार' से मिल कर बना है, इसका अर्थ है अग्नि-तत्व। 'अग्नि' हमारे शरीर के पांच तत्वों मे से एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह तत्व पाचन क्रिया मे सहायक होता है। इसके कमजोर होने पर शरीर मे कई परेशानियां होने लगती है जैसे-भूख न लगना, कब्ज, गैस तथा आंत रोग।
इस क्रिया से अग्नि-तत्व सक्रिय होता है। इस क्रिया से पेट की आंतें, पैनक्रियाज (जठराग्नि), लीवर प्रभावित होते है। इस क्रिया से शरीर के सभी राशायनों का संतुलन (बैलैंस) बना रहता है। यह अभ्यास पेट की बढ़ी हुई अतिरिक्त चर्बी को कम करने में सहायक होता है। (देखें:-- Yoga for weight loss)
अग्निसार क्रिया की विधि, लाभ व सावधानियां :
- बैठ कर।
- खड़े होकर।
दोनो विधियां लाभकारी है। इस क्रिया को बैठ कर किया जाना अधिक उत्तम है। यदि आप बैठ कर इस क्रिया को करने मे असमर्थ है तो खड़े होकर कर सकते हैं।
अग्निसार क्रिया - बैठ कर:
- पद्मासन या सुखासन में बैठें।
- रीढ को सीधा रखें।
- दोनो हाथों से घुटनों को पकड़े।
- आंखें कोमलता से बन्द रखें।
- श्वास भरेंं और पूरी तरह श्वास खाली कर दें।
- मूल बंध लगाएं (मल निष्कासन अंगों को दबाव बना कर ऊपर की ओर खींचना)। (देखें :- मूलबंध क्या है?)
- खाली श्वास में पेट को पीछे ले जाएं और ढीला छोड़ें। खाली श्वास मे पेट को बार बार आगे-पीछे करते रहें।
- श्वांसों मे घुटन होने पहले धीरे से श्वास भरें।
- भरे श्वास मे फिर से मूल बंध लगाएं। यथा शक्ति भरे श्वास में कुछ देर रुकें और वापिस आएं।श्वास सामान्य करें।
- यह अग्निसार की एक आवर्ति पूरी हई। इस प्रकार अपनी क्षमता के अनुसार अन्य आवर्तियां करे।
- दूसरी आवर्ती करने से पहले श्वांसों को सामान्य कर लें।
अग्निसार क्रिया - खड़े हो कर :
- आसन पर खड़े हो जाएं।
- दोनो पैर एक-डेढ फुट दूरी पर रखें।
- कमर से आगे की तरफ झुकते हुए दोनो हाथ घुटनों पर ले आएं।
- श्वांस भरें और पूरी तरह खाली कर दें।
- खाली श्वास मे पेट को पीछे ले जाएं और ढीला छोड़ें।खाली श्वास मे पेट को पीछे ले जाना और ढीला छोड़ना यह क्रिया करते रहे।
- श्वास मे घुटन होने से पहले श्वास भरते हुए वापिस आ जाएं।
- दूसरी आवर्ती करने से पहले श्वास सामान्य करें।
- अपनी क्षमता के अनुसार चार-पांच आवर्तियां करे।
- अन्त मे श्वास को सामान्य करें।
अग्निसार क्रिया के लाभ:
अग्निसार क्रिया के कई लाभ है। इन में से कुछ इस प्रकार हैं :--
- इस क्रिया से पाचक-रस का स्राव होता है।पाचन शक्ति मे वृद्धि होती है।
- आंतें प्रभावित होने से कब्ज से राहत मिलती है।
- पैनक्रियाज, लीवर प्रभावित होते है। सुगर तथा अन्य रासायनिक तत्व उचित मात्रा मे रहते है।
- नाभी-क्षेत्र सुदृढ होता है।
- आंतें मल रहित होकर स्वच्छ हो जाती हैं।
- पेट की चर्बी कम होती है।
सावधानी:
इस क्रिया को करते समय सावधानी आवश्यक है।
- यह अभ्यास खाली श्वांस मे किया जाता है। इस क्रिया को अपने श्वांसों की क्षमता के अनुसार करे।
- नये व्यक्ति श्वास को अधिक देर न रोकें।अभ्यास को धीरे-धीरे बढाएं।
- अस्थमा पीड़ित, हृदय रोगी जो श्वास रोकने मे असमर्थ हो वे इस क्रिया को न करें।
- आरम्भ मे नये व्यक्ति कम आवर्तियां करें।
- दूसरी आवर्ती में जाने से पहले श्वांसों को सामान्य करें।
- यह अभ्यास करते समय मूलबंध लगाने पर अधिक लाभ मिलता है।
कुछ व्यक्तियों के लिए यह क्रिया वर्जित है।इसलिए उन को यह क्रिया नही करनी चाहिए।
- पेट का सर्जिकल ऑपरेशन हुआ है तो यह क्रिया न करें।
- अलसर, कोलाइटिस जैसे आंत रोगी इस क्रिया को न करें।
- पेट मे हर्निया है तो इस क्रिया को न करें।
- इस क्रिया को गर्भवति महिलाएं न करे।
- महिलाएं मासिक पीरियड्स मे इस क्रिया को न करें।
- श्वास रोग है या श्वांसों की स्थिती ठीक नही है तो यह क्रिया न करें।
अग्निसार क्रिया पेट के लिए एक उत्तम क्रिया है। इस क्रिया में श्वांस खाली करके पेट को अधिकतम पीछे ले जाएं और ढीला छोड़ें। सरलता से जितनी देर तक खाली श्वास रुक सकते है उतनी देर पेट को आगे-पीछे करे। एक आवर्ती करने के बाद श्वास सामान्य करे।
Disclaimer :-
यह लेख किसी प्रकार के रोग को ठीक करने का दावा नही करता है। योग के प्रति जागरूक करना ही इस लेख का उद्देश्य है। यह लेख केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए है। अन्य व्यक्ति चिकित्सक की सलाह से क्रिया को करें।