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योग कब करना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि योग सदैव करना चाहिए। योग हर समय करना चाहिए। लेकिन आज का विषय यह है कि योग का अभ्यास कब नही करना चाहिए? योग सरल, सुरक्षित तथा स्वास्थ्य के लिए एक लाभदायी क्रिया है। इसलिए आज पूरा विश्व इसे स्वास्थ्य के लिये अपना रहा है। लेकिन नियमपूर्वक तथा सावधानी से किया गया योग-अभ्यास अधिक प्रभावी होता है। कुछ विशेष स्थितियां होती है, तब हमे योगाभ्यास से बचना चाहिए। प्रस्तुत लेख मे इसी विषय पर विचार किया जायेगा।

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योग का अभ्यास कब नही करना चाहिए?

योग सभी आयु-वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं। यह सभी के लिए लाभदायी है। लेकिन इसका अभ्यास अपनी आयु, शारीरिक क्षमताअवस्था के अनुसार ही किया जाना चाहिए। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

स्वास्थ्य के लिये योगाभ्यास मे पहले आसन का अभ्यास करें। आसन के अभ्यास के बाद प्राणायाम किया जाना चाहिये। ये दोनो क्रियाएं स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होती हैं। लेकिन कुछ अवस्थाओं मे ये क्रियाएं वर्जित हैं। अत: इन अवस्थाओं मे ये अभ्यास नही करने चाहिएं। योग का अभ्यास कब नही करना चाहिये, इसे विस्तार से समझ लेते हैं।

योग कब  वर्जित है

एक स्वस्थ व्यक्ति को नियमित तथा प्रतिदिन योगाभ्यास करे। लेकिन कुछ अवस्थाओं मे आसनप्राणायाम का अभ्यास हानिकारक हो सकता है। इस लिये इन अवस्थाओं मे योगाभ्यास नही करना चाहिये। आसन व प्राणायाम कब वर्जित हैं। आईये, इसको समझ लेते हैं।

आसन का अभ्यास कब नही करना चाहिए

"आसन" शरीर के अंगों को प्रभावित करने वाली क्रिया है। अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही योगासन का अभ्यास किया जाना चाहिए। इन प्रस्थितियों मे आसन का अभ्यास नही करना चाहिए :--

1. खाना खाने के तुरन्त बाद :- आसन का अभ्यास खाली पेट से करें। खाना खाने के तुरन्त बाद आसन का अभ्यास नही करना चाहिए।

2. रोग की अवस्था मे :-  गम्भीर रोग की अवस्था मे आसन का अभ्यास न करें। रोग की आरम्भिक अवस्था मे चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें। चिकित्सक की सलाह के बिना अभ्यास न करें।

3. चोट या अंग के क्षतिग्रस्त होने पर :- शरीर के चोटग्रस्त या किसी अंग के क्षतिग्रस्त होने पर योगासन न करें। स्वस्थ होने के बाद भी चिकित्सक की सलाह के बिना अभ्यास न करें।

4. शाल्य क्रिया (सर्जरी) के बाद :- यदि शरीर के किसी अंग, पेट या हृदय की शाल्य क्रिया (सर्जरी) हुई है, तो आसन का अभ्यास नही किया जाना चाहिए। स्वस्थ होने के बाद चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें।

5. महिलाएं महावारी पीरियड्स मे :- महावारी पीरियड्स मे महिलाओ को तीन-चार दिन कठिन आसनों का अभ्यास नही करना चाहिए। केवल सरल अभ्यास करें।

6. गर्भवती महिलाएं :- गर्भवती महिलाएं गर्भ की  पूर्ण अवस्था मे आसनों का अभ्यास न करें।

(देखें :- गर्भवति महिलाओ के लिये योग।)

7. अधिक वृद्ध व्यक्ति :- अधिक वृद्ध व्यक्तियों (Senior Citizens) को योगासन नही करने चाहिए।

(देखें :- योग Senior Citizens के लिये।)

प्राणायाम अभ्यास कब नही करना चाहिए

प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। श्वास इसका आधार है। श्वास को सही विधि से लेना-छोड़ना, तथा श्वास को कुछ देर अपनी क्षमता अनुसार रोकना, प्राणायाम कहा गया है। इस अभ्यास को अपने श्वासों की क्षमता अनुसार करना चाहिये। इन प्रस्थितियों मे प्राणायाम का अभ्यास न करें :--

1. भोजन करने के बाद :- भोजन करने के तुरन्त बाद प्राणायाम न करें। 

2. श्वास रोगी तथा हृदय रोगी :- श्वास रोगी तथा हृदय रोगी को कुम्भक-प्राणायाम नही करना चाहिये। (श्वास रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)

3. उच्च रक्त चाप मे :- उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को तीव्र गति वाले प्राणायाम न करें।

4. गर्भवती महिलाएं :- गर्भवती महिलाएं पेट पर दबाव डालने वाले तथा कठिन अभ्यास न करें।

5. कमजोर श्वसन तथा नये अभ्यासी :- कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति तथा नये अभ्यासी कठिन प्राणायाम न करें। ऐसे व्यक्तियों को कुम्भक प्राणायाम भी नही करना चाहिये।

6. वृद्ध व्यक्ति (Senior Citizen) :- कमजोर श्वसन तथा अधिक वृद्ध व्यक्ति को कठिन प्राणायाम नही करने चाहिए।

सारांश :

योगाभ्यास सभी के लिये लाभदायी होता है। लेकिन यह सावधानी तथा नियम से किया जाना चाहिये। अपनी क्षमता के अनुसार तथा सरलता से किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। बलपूर्वक तथा क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। कुछ अवस्थाओं मे योग का अभ्यास नही करना चाहिए।

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