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आज के समय मे स्वास्थ्य के लिए योग को एक उत्तम विधि माना जाता है। इसका कारण है कि यह एक सरल एवम् विज्ञान सम्मत विधि है। व्यायाम का अभ्यास केवल स्वस्थ तथा युवा ही कर सकते हैं। लेकिन योग का अभ्यास कुछ सावधानियों के साथ सभी व्यक्ति कर सकते हैं। प्रस्तुत लेख मे कुछ Yoga Tips बताए जायेंगे कि योग का अभ्यास कैसे करें? 

लेख की विषय सुची :-

• योग क्या है?
• योग का इतिहास।
• Yoga Tips.
• टिप्स, आसन के लिए।
• टिप्स, प्राणायाम के लिए।

Yoga Tips
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योगाभ्यास के लिए Tips.

योग स्वास्थ्य के लिए एक प्राचीन व सुरक्षित विधि है। यह पूर्णतया "शरीर-विज्ञान" पर आधारित है। भारतीय ऋषियों द्वारा विकसित की गई यह एक उत्तम क्रिया है। योग का अभ्यास करने के लिए Yoga Tips क्या हैं, यह जानने से पहले योग के विषय मे जानना जरूरी है। योग क्या है तथा इसका इतिहास क्या है, पहले इसको समझ लेते हैं।

योग, तथा योग का इतिहास।

आज के समय मे केवल आसनप्राणायाम को ही योग मान लिया जाता है। यह पूर्ण सत्य नही है। ये तो केवल योग के महत्वपूर्ण अंग हैं। योग केवल एक शारीरिक अभ्यास मात्र नही है, यह एक उत्तम जीवन शैली है। अनुशासित जीवन, सही खान-पान तथा उत्तम विचार भी योग के अंग हैं।

योग क्या है :- योग का शाब्दिक अर्थ है, जुड़ना। स्वयं का स्वयं से जुङाव तथा आत्म तत्व का परमात्म तत्व से जुङाव योग है। इसका मार्ग अष्टांगयोग बताया गया है। महर्षि पतंजलि ने 'चित्त की वृत्तियों के निरोध' को ही योग कहा है। इसके लिए अष्टांगयोग बताया गया है।आसन व प्राणायाम इसी के अंग हैं।

योग का इतिहास :- योग की उत्पत्ति भारत से मानी गई है। भारत के प्राचीन ग्रंथों मे इसका वर्णन मिलता है। बाद मे महर्षि पतंजलि ने इन ग्रंथों से संकलित करके योग को आम जन तक पहुंचाया। उनके द्वारा लिखित "योगसूत्र" आज भी योग का मार्ग दर्शन करता है।

मूलत: योग एक आध्यात्म का विषय रहा है। आरम्भ मे इसका अभ्यास ऋषियों द्वारा ध्यान-साधना के लिए किया जाता था। वे ध्यान साधना हेतू शरीर को स्वस्थ एवम् फिट रखने के लिए योगाभ्यास करते थे। उसी विधि को उन्होने आम जन तक पहुंचाया है। वही योग आज आध्यात्मस्वास्थ्य दोनो के लिए किया जाता है।

Yoga Tips.

योग का अभ्यास सभी व्यक्ति सरलता से अपने शरीर की क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। इसके लिए कुछ  Tips को ध्यान मे रखना चाहिए।

स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास :-  आसन, प्राणायाम व ध्यान तीनो का सही क्रम से अभ्यास करें।

सही क्रम :-  पहले क्रम मे आसन का अभ्यास करे। आसन का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम करें। अन्त मे ध्यान का अभ्यास करें।

क्षमता अनुसार अभ्यास :- योग का अभ्यास करते समय अपने शरीर की क्षमता को ध्यान मे रखें। अपनी क्षमता से अधिक कोई अभ्यास न करें। क्षमता से अधिक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता हैं।

अभ्यास कब करें :- योग के लिए सुबह का समय उत्तम होता है। दिन मे किसी और समय भी योगाभ्यास कर सकते हैं। लेकिन खाना खाने के तुरन्त बाद अभ्यास न करें।

अभ्यास कहां करें :- योगाभ्यास के लिए पार्क जैसे वातावरण का स्थान उत्तम है। घर पर अभ्यास करना है तो खुला व हवादार स्थान का चयन करें। दूषित वातावरण वाले स्थान पर अभ्यास न करें।

रोग की अवस्था में :- रोग की अवस्था मे योगाभ्यास चिकित्सक की सलाह से ही करें। चिकित्सक की सलाह के बिना कोई अभ्यास न करें।

शरीर की शाल्य क्रिया (सर्जरी) के बाद :- यदि शरीर के किसी अंग की सर्जरी हुई है, तो योगाभ्यास न करें। रिकवरी होने के बाद चिकित्सक की सलाह अनुसार ही अभ्यास करें।

• महिलाएं :- योग स्त्री-पुरुष सभी के लिए लाभदायी है। महिलाओं के लिए  यह विशेष लाभदायी होता है। लेकिन गर्भ-अवस्था तथा महावारी पीरियड्स मे कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखें। इन दिनो मे कुछ क्रियाएं वर्जित है। अत: ये क्रियाएं न करें।

वृद्ध व्यक्ति :- वृद्ध व्यक्ति केवल सरल आसन व सरल प्राणायाम करें। कठिन अभ्यास न करें। अधिक वृद्ध तथा रोग पीड़ित व्यक्ति योगाभ्यास न करें।

Yoga Tips : आसन के लिए।

स्थान :- समतल स्थान पर दरी, मैट या मोटा कपड़ा बिछाकर आसन का अभ्यास करें। बिना कुछ बिछाए अभ्यास न करें।

कोन सा आसन करें? :- सरल आसन करें। कठिन आसन न करें। सरलता से व स्थिरता से किया गया अभ्यास लाभदायी होता है। कठिन तथा बलपूर्वक किए गए आसन हानिकारक हो सकते हैं।

लाभदायी आसन कोन सा है? :- जिस आसन के अभ्यास से शरीर को सुख की अनुभूति होती है, वही लाभदायी होता है। ऐसे आसन की पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकने का प्रयास करें।

आसन करने की सही विधि :- जिस आसन का आप चयन करते हैं, उसको धीरे से आरम्भ करें। धीरे धीरे उसकी पूर्ण स्थिति मे जाएं, पूर्ण स्थिति मे पहुंच कर अपनी क्षमता अनुसार कुछ देर रुकें और धीरे धीरे वापिस आ जाएं । वापिस आने के बाद विश्राम करे।

• नए अभ्यासी :- योग के नए  अभ्यासी आरम्भ मे सरल आसन ही करें। जिस आसन की पूर्ण स्थिति मे पहुंचना कठिन लगे, तो उसे बलपूर्वक न करें।

विश्राम :- एक आसन पूरा  करने के बाद कुछ सेकिड विश्राम करें। उसके बाद अगला अभ्यास करें।

सही क्रम व सन्तुलन से अभ्यास करें :- सही समन्वय से अभ्यास करें।

Yoga Tips : प्राणायाम के लिये।

बैठने की स्थिति :- प्राणायाम के लिए  पद्मासन की स्थिति मे बैठना उत्तम है। पद्मासन के पोज मे बैठना सम्भव न हो तो किसी आरामदायक पोज मे बैठें। रीढ को सीधा रखें।

श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास करें :- प्राणायाम श्वास पर आधारित अभ्यास है। इसका अभ्यास अपने श्वासो की क्षमता के अनुसार करें। क्षमता से अधिक अभ्यास न करें।

कुम्भक का प्रयोग :- प्राणायाम मे बन्ध व कुम्भक का विशेष महत्व है। लेकिन कमजोर श्वसन वाले तथा नये अभ्यासी कुम्भक का प्रयोग न करें। ऐसे व्यक्ति बिना कुम्भक का सरल प्राणायाम करें।
(श्वास को कुछ देर अन्दर या बाहर रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।
विस्तार से देखें :- रेचक,पूरक व कुम्भक क्या है?)

शारीरिक अवस्था के अनुसार अभ्यास :- अपने शरीर की स्थिति के अनुसार अभ्यास करें। उच्च रक्तचाप से प्रभावित व्यक्ति तीव्र गति वाले प्राणायाम न करें। 

मौसम के अनुकूल अभ्यास करें :- प्राणायाम का अभ्यास प्रत्येक मौसम मे लाभदायी होता है। लेकिन कुछ अभ्यास मौसम के अनुसार किए जाने चाहिए। कुछ अभ्यास किसी विशेष मौसम मे वर्जित होते हैं, तथा कुछ अभ्यास लाभदायी होते हैं।

प्राणायाम किसे नही करना चाहिए? :- गम्भीर श्वास रोगी तथा हृदय रोगी को प्राणायाम का अभ्यास नही करना चाहिए। आरम्भिक रोगी अपने चिकित्सक की सलाह से सही निर्देशन मे अभ्यास करें।

अन्त मे "ध्यान" का अभ्यास करें :- सभी प्राणायाम अभ्यास के बाद कुछ देर शान्त मन से ध्यान की स्थिति मे बैठें।

लेख सार :-

योगाभ्यास स्वास्थ्य के लिए लाभदायी क्रिया है। यह भारत की एक प्राचीन विधि है। आसन, प्राणायाम व ध्यान इसके महत्वपूर्ण अंग हैं।

Disclaimer :-

यह लेख किसी प्रकार के रोग उपचार हेतू नही है। केवल योग की जानकारी देना इसका उद्देश्य है। योग की सभी क्रियाएं स्वस्थ व्यक्तियो के लिए है। नए अभ्यासी आरम्भ मे कुशल निर्देशन मे सरल अभ्यास करें।

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