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आज के समय मे उत्तम स्वास्थ्य के लिये योग का सर्वाधिक प्रचलन है। प्राणायाम योग का ही एक अंग है। यह एक श्वसन अभ्यास है। इसका नियमित अभ्यास श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है और शरीर को ऊर्जावान बनाये रखता है। लेकिन प्राणायाम को सही विधि से करना चाहिए। इसके अभ्यास मे सामान्यत: कुछ गलतियां हो जाती हैं। इन गलतियों के कारण प्राणायाम का पूरा लाभ नही मिलता है। कई बार तो यह हानिकारक भी हो जाता हैं। प्राणायाम मे होने वाली सामान्य गलतियां कोन सी हैं? यही प्रस्तुत लेख का विषय है।

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प्राणायाम अभ्यास मे होने वाली गलतियां

प्राणायाम एक लाभदायी क्रिया है। लेकिन नये योग-अभ्यासी कुछ गलतियां कर देते हैं। इन गलतियों के कारण प्राणायाम का पूरा लाभ नही मिलता है। ऐसा करना कई बार नुकसानदायक भी हो जाता है। अत: प्राणायाम का अभ्यास सावधानी से करना चाहिए।

अधिकतर नये (Beginners) अभ्यासियों द्वारा ये गलतियां हो जाती है :-

1. गलत स्थान का चयन।
2. गलत स्थिति मे बैठना।
3. एकाग्रता भंग होना।
4. बलपूर्वक श्वास रोकना।
5. मौसम के विपरीत अभ्यास।
6. रोग की अवस्था मे अभ्यास।
7. क्षमता से अधिक अभ्यास।
8. जल्दबाजी मे किया गया अभ्यास।

आईये इन को विस्तार से समझ लेते हैं।

1. गलती, स्थान चयन में :

प्राणायाम के अभ्यास मे सही स्थान का चयन करना चाहिए। गलत स्थान पर अभ्यास करना हानिकारक हो सकता है। स्थान का चयन करते समय कुछ बातों को ध्यान मे रखना चाहिए:- 

• प्रदूषित वातावरण :- प्रदूषित वातावरण मे  प्राणायाम का अभ्यास हानिकारक होता है। अत: अधिक ध्वनि, प्रदूषण या दुर्गंध वाले स्थान पर अभ्यास न करें।

• प्राकृतिक वातावरण उत्तम :- अभ्यास के लिये पार्क जैसा प्राकृतिक वातावरण उत्तम होता है। यदि पार्क उपलब्ध न हो, तो खुले व हवादार स्थान पर अभ्यास करें।

• मैट बिछा कर अभ्यास करें :- जमीन पर बिना आसन बिछाये किया गया अभ्यास लाभदायी नही होता है। दरी, चटाई या योगा मैट बिछा कर अभ्यास करें।

2. गलत स्थिति मे बैठना :

प्राणायाम का अभ्यास स्थिर आसन मे बैठ कर किया जाना चाहिए। अभ्यासी प्राय: बैठने मे गलतियां कर देते हैं। गलत स्थिति मे बैठना हानिकारक हो सकता है। अत: अभ्यास करते समय इन बातों को ध्यान मे रखें :-

• सुखपूर्वक बैठें :- प्राणायाम अभ्यास के लिये पद्मासन मे बैठना उत्तम है। यदि पद्मासन की स्थिति मे बैठना सम्भव न हो तो सुखासन या किसी आराम दायक स्थिति मे बैठें।

• रीढ को सीधा रखें :- कमर झुका कर बैठना गलत है। रीढ व गर्दन को सीधा करके बैठें। झुक कर बैठना हानिकारक होता है। रीढ को तनाव रहित सामान्य सीधा रखें। हाथो की स्थिति प्राणायाम क्रिया के अनुसार रखें। आँखें कोमलता से बंध करें।

3. एकाग्रता का भंग होना :

प्रणायाम के पूरे अभ्यास मे एकाग्रता को बनाये रखना चाहिए। एकाग्रता के टूटने से सही लाभ नही मिलते हैं। अत: अभ्यास मे इन बातों को ध्यान मे रखें :-

• आँखें बंध रखें :- सम्पूर्ण योगाभ्यास मे आँखों को बंध रखना चाहिए। आँखें बार-बार खोलने से एकाग्रता भंग होती है। आँखें अधिक कस कर बंध न करें, कोमलता से बंध करें।

• ध्यान को केद्रित करें :- अभ्यास करते समय ध्यान को श्वासो पर या शरीर के अंगो पर केन्द्रित करें।

4. बलपूर्वक श्वास रोकना :

प्राणायाम मे श्वास रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा गया है। यह "खाली श्वास" और "भरे श्वास" दोनो अवस्थाओं मे लगाया जाता है। लेकिन नये अभ्यासी कई बार कुम्भक लगाने मे गलतियां कर देते हैं। 

बलपूर्वक श्वास रोकना हानिकारक :- प्राणायाम मे कुम्भक का विशेष महत्व है। लेकिन श्वास की क्षमता के अनुसार ही कुम्भक लगाना चाहिए। अधिक देर तक या बलपूर्वक श्वास रोकना हानिकारक हो सकता है।

कुछ अभ्यासियों के लिये कुम्भक वर्जित :- नये योग अभ्यासी, कमजोर श्वसन वाले, श्वास रोगी व हृदय रोगी कुम्भक न लगाये। ऐसे व्यक्तियो के लिये श्वास रोकना हानिकारक हो सकता है। वे केवल चिकित्सक की सलाह से सरल प्राणायाम करें।

5. मौसम के विरुद्ध अभ्यास करना :

मौसम के विपरीत किया गया अभ्यास हानिकारक होता है। कुछ प्राणायाम सर्दियों मे तथा कुछ गर्मियों मे वर्जित होते हैं। अत: इन का अभ्यास मौसम के अनुसार ही करें।

शरद ऋतु मे वर्जित प्राणायाम :- कुछ प्राणायाम शीतलता देने वाले होते हैं। इस लिये सर्दी के मौसम मे इनका अभ्यास नही किया जाना चाहिए। 

गर्मी के मौसम मे वर्जित प्राणायाम :- कुछ प्राणायाम शरीर को गर्मी देने वाले होते हैं। अत: इनका अभ्यास गर्मी के मौसम मे नही करना चाहिए।

देखें :- मौसम के अनुसार प्राणायाम कोन से हैं?

6. रोग की अवस्था मे अभ्यास :

रोग की अवस्था मे किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। अत: रोग की अवस्था मे सावधानी से अभ्यास करना चाहिए।

उच्च रक्तचाप मे :- उच्च रक्तचाप मे तीव्र गति से प्राणायाम करना गलत होता है। ऐसे व्यक्ति धीमी गति से अभ्यास करें।

श्वास रोग व हृदय रोग मे :- श्वास व हृदय रोगी के लिये कठिन प्राणायाम तथा कुम्भक लगाना हानिकारक हो सकता है। अत: ऐसे व्यक्तियों को बिना चिकित्सक की सलाह के अभ्यास नही करना चाहिए।

7. क्षमता से अधिक अभ्यास :

क्षमता से अधिक अभ्यास करने की गलती न करें। प्राणायाम करते समय अपने शरीर व श्वासो की स्थिति का अवलोकन करें। क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।

शारीरिक क्षमता :- प्राणायाम का अभ्यास अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही करें। अधिक वृद्ध तथा रोग ग्रस्थ व्यक्ति को प्राणायाम नही करना चाहिए।

श्वास की क्षमता :- कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति तीव्र गति के प्राणायाम न करे। धीमी गति से सरल अभ्यास करें। श्वास रोकने (कुम्भक) का प्रयास न करें।

8. जल्दबाजी मे किया गया अभ्यास :

नये अभ्यासी अधिकतर यह गलती करते है। कम समय मे अधिक अभ्यास करने की इच्छा से जल्दबाजी मे अभ्यास करते हैं। ऐसा करना उचित नही है। अभ्यास मे इन बातो को ध्यान मे रखें :-

शांत मन से अभ्यास करें :- शांत मन से प्राणायाम करें। समय का अभाव है तो कम अभ्यास करेें। जल्दबाजी मे अभ्यास न करें। प्राणायाम से पहले योगासन अवश्य करें।

विश्राम करते हुए अभ्यास करें :- एक प्राणायाम करने के बाद कुछ देर विश्राम करें। श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद अगला प्राणायाम करें।

लेख सारांश :-

नये योग-अभ्यासियों द्वारा प्राणायाम के अभ्यास मे कुछ गलतियां हो जाती हैं। इन से बचना चाहिए। सावधानी से अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करना चाहिए।

Disclaimer :-

यह लेख रोग उपचार हेतू नही है। यह केवल योग की जानकारी के लिये है।


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