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हम सर्दी के मौसम मे ठण्ड से बचने के लिए गर्म वस्त्र पहनते हैं। लेकिन यह ध्यान रहे कि "गर्मी" वस्त्र मे नहीं बल्कि हमारे शरीर मे होती है। वस्त्र तो केवल उस ऊर्जा को रोकते हैं जो हमारे शरीर मे है। यही ऊर्जा हमारे शरीर को सर्दी के दुष्प्रभाव से बचाने मे सहायक होती है। योग इसी ऊर्जा का संरक्षण करता है। सर्दी से बचाव के लिए योग कैसे प्रभावी है? प्रस्तुत लेख मे इसी विषय का वर्णन किया जायेगा।

विषय सुची :-

• सर्दी से बचाव के लिए योग।
• सर्दी से बचाव करे योगासन।
• सर्दी से बचाव के लिए प्राणायाम।

yoga
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सर्दी से कैसे बचाव करता है योग?

योग केवल न केवल सर्दी, अपितु यह प्रत्येक मौसम को सहन करने की शक्ति देता है। यह केवल मौसम ही नही बल्कि यह सभी द्वन्द्वों से मुक्त करता है। इस विषय मे महर्षि पतंजलि एक सूत्र देते हैं :- ततोद्वन्द्वानभिधात:।। 2.48।। 

अर्थात् :- योग के सिद्ध हो जाने के बाद शरीर पर सर्दी-गर्मी आदि द्वन्द्वो का प्रभाव नही होता।

प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को एक ऐसी ऊर्जा प्रदान की है जो उसे सभी प्रकार के मौसम को सहन करने की शक्ति देती है। प्रकृति ने मानव-शरीर को भी ऐसी ही ऊर्जा दी है। लेकिन इस ऊर्जा का या तो ह्रास हो जाता है, या यह सुप्त अवस्था मे होती है। शरीर का मौसम से प्रभावित होने का यही कारण होता है। योगाभ्यास इसी ऊर्जा को जागृत करता है।

योग हमे ऊर्जावान बनाए रखता है। यह ऊर्जा का संरक्षण तथा वृद्धि करता है। सर्दी के मौसम मे हमारे शरीर को अधिक उर्जा की अवश्यकता होती है। योग मे आसनप्राणायाम दोनो इसके लिये लाभदायी होते हैं। आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

सर्दी मे लाभदायी आसन व प्राणायाम

नियमित योगाभ्यास हमारे शरीर को सशक्त बनाता है। योगाभ्यास मे "आसन" शरीर के सभी अंगों व अस्थि जोड़ों को सक्रिय बनाये रखते हैं। येे पेट के आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाए रखने मे सहायक होते हैं। 

"प्राणायाम" प्राण-ऊर्जा की वृद्धि करते हैं। रक्त संचार को व्यवस्थित रखते हैं। ये रक्तचाप को सन्तुलित रखने मे सहायक होते हैं। कुछ विशेष प्राणायाम शरद ऋतु मे अधिक लाभदायी होते हैं। ये हमे सर्दियों के दुष्प्रभाव से बचाते हैं। 

आसन का प्रभाव सर्दी के मौसम में

वैसे तो आसन का अभ्यास प्रत्येक मौसम मे किया जा सकता है, लेकिन ये शरद ऋतु मे विशेष लाभदायी होते हैं।

आसन का प्रभाव :

• नियमित योगासन  हमारे शरीर को मौसम के कुप्रभाव से बचाते हैं। ये मौसम को सहन करने की क्षमता देते हैं।

• आसन के अभ्यास से शरीर के आन्तरिक अंग जैसे किडनी, लीवर व पैनक्रियाज प्रभाव मे आते हैं।

• आन्तरिक अंगों के प्रभावित होने से शरीर का सुगर व रशायन सन्तुलन व्यवस्थित रहता है।

प्रभावी आसन :

शरद ऋतु मे ये आसन ऊर्जादायक होते हैं :-
• सूर्य नमस्कार।
• कटि चक्रासन।
• पश्चिमोत्तान आसन।
• वज्रासन।
• उष्ट्रासन।
• शशांक आसन।
• भुजंग आसन।
• हलासन।
• चक्रासन।

सभी आसन अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करने चाहिये। सरलता से अभ्यास करें। आसन का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम अवश्य करें।

प्राणायाम का प्रभाव सर्दी के मौसम में

शरद ऋतु मे प्राणायाम का विशेष महत्व है। कुछ प्राणायाम तो केवल सर्दी के मौसम मे ही किए जाते हैं। ये हमारे शरीर को सर्दी के दुष्प्रभाव से बचाते हैं

प्राणायाम का शरीर पर प्रभाव :-

• नियमित प्राणायाम शरीर को ऊर्जा देते हैं। यह ऊर्जा सर्दी से बचाव करने मे सहायक होती है।
• इसका नियमित अभ्यास रक्तचाप (BP) को नियंत्रित रखता है।
• प्राणायाम शरीर सभी तत्वों व रसायनों को सन्तुलित रखते हैं।
• ये कफ, वात तथा पित्त मे सन्तुलन बनाये रखते है।

सर्दी के मौसम का विशेष प्राणायाम :- भस्त्रिका

भस्त्रिका शरद ऋतु मे किया जाने वाला एक विशेष प्राणायाम है। यह शरद ऋतु मे ऊर्जा देने वाला प्राणायाम  है। इसे केवल सर्दियों के मौसम मे ही किया जाना चाहिये।

भस्त्रिका प्राणायाम की विधि

इस प्राणायाम का अभ्यास तीन चरणों मे किया जाना उत्तम है। पहले चरण मे क्रमश: दांई व बांई नासिका से करें। दूसरे चरण मे गतिपूर्वक दांई तरफ से श्वास भरे, बांए से खाली करें तथा बांए से श्वास भरके दांये से खाली करें। तीसरे चरण मे दोनो नासिकाओं से श्वास लें और छोड़े।
(यदि एक चरण मे अभ्यास करना है तो केवल तीसरा चरण ही करें )

आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

पहला चरण :- 

पहले चरण मे पहले दांई नासिका से अभ्यास करें। उसके बाद बांयी नासिका से अभ्यास करें।

• पद्मासन या सुखासन मे बैठें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। बांया हाथ बांए घुटने पर रखें। दांया हाथ नासिका के पास रखें।

• दांए अंगुठे के साथ वाली दो उंगलियां मोड़ लें। तीसरी उंगली से बांई नासिका को बंध करें।

• दांई नासिका से गति पूर्वक श्वास ले और छोड़ें 5 या 10 श्वासों मे अभ्यास करने के बाद वापिस आ जायें। श्वासों को सामान्य करें।

• श्वास सामान्य होने के बाद यही क्रिया दाँई नासिका बंध करके बाँई नासिका से करें। 5 या 10 श्वासो मे अभ्यास करने के बाद वापिस आ जाएं। श्वास सामान्य करें।

दूसरा चरण :

पहला चरण पूरा करने के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद दूसरे चरण का अभ्यास करें। इसके लिए फिर से दाया हाथ नासिका के पास ले जाएं।

• बांई नासिका बंध करके दांए से श्वास भरें, बांई  तरफ से श्वास छोड़े तथा दांई नासिका बंध करके बांए से श्वास भरें, दांई तरफ से श्वास खाली करें। यह क्रिया गति पूर्वक करें।

• आवर्तियां क्षमता अनुसार करें और वापिस आ जाये। श्वासों को सामान्य करें।

तीसरा चरण :

दूसरा चरण पूरा करने के बाद श्वासो को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद तीसरा चरण करें।

• तीसरे चरण मे दोनो हाथों को घुटनों पर रखें। रीढ को सीधा रखें।

• दोनो नासिकाओं से गति पूर्वक श्वास भरें और छोड़ें। अभ्यास को धीमी गति से आरम्भ करें। धीरे धीरे गति को बढाये।

• अपनी क्षमता के अनुसार आवर्तियां करने के बाद गति कम करते हुए वापिस आ जाएं। श्वासों को सामान्य करें।

इस आसन की सावधानियां 

• यह अभ्यास केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये है। श्वास रोगी इस अभ्यास को न करें।

• प्रत्येक चरण पूरा करने के बाद श्वासों को सामान्य करें। श्वास सामान्य होने के बाद ही अगला चरण करें।

• आवर्तियां अपने क्षमता के अनुसार करें। बलपूर्वक अभ्यास  न करें।

• उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति इसको धीमी गति से करें। ऐसे व्यक्ति केवल अन्तिम चरण का अभ्यास ही करें। पहले व दूसरे चरण को न करें।

सर्दी के मौसम मे किये जाने वाले अन्य प्राणायाम

कुछ अन्य प्राणायाम भी करें। ये सर्दी के मौसम मे लाभदायी होते हैं।

• कपालभाति।
• अनुलोम विलोम।
• सूर्यभेदी।
• नाड़ी शौधन।

शरद ऋतु मे ये प्राणायाम न करें।

सर्दी के मौसम मे कुछ प्राणायाम हानिकारक हो सकते है। शरद ऋतु मे इनका अभ्यास वर्जित है। अत: इनका अभ्यास सर्दियों मे न करें।

• शीतली प्राणायाम।
• शीतकारी प्राणायाम।
• चंद्रभेदी प्राणायाम।

सारांश :

प्रकृति ने हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान की है। यह हमे प्रत्येक मौसम को सहन करने की शक्ति देती है। शरद ऋतु मे हमे अधिक ऊर्जा की अवश्यकता होती है। योगाभ्यास इसके लिए प्रभावी होता है।

Disclaimer :

लेख मे बताई गई क्रियाएं केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। सभी क्रियाएं अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। नये अभ्यासी आरम्भ मे योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन मे अभ्यास करें। रोग प्रभावित व्यक्ति अपने चिकित्सक की सलाह के बिना कौई योग क्रिया न करें।

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