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यह आर्टिकल उन लोगों (Beginners) के लिए है, जो योग की शुरुआत करना चाहते हैं। यह सरल, सुरक्षित तथा शरीर विज्ञान पर आधारित अभ्यास है। इसी लिए आज पूरा विश्व इसको अपना रहा है। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति अपने शरीर की क्षमता अनुसार कर सकते हैं। नए व्यक्तियों के लिए योग, सरल आसन, प्राणायाम और ध्यान (yoga for beginners) क्या है? योगाभ्यास में कौनसी सावधानी का ध्यान रखना चाहिए? प्रस्तुत लेख में इन विषयों की पूरी जानकारी दी जाएगी।

(Read this article in English :- Yoga For Beginners.)

विषय सुची :-

  • सरल आसन Beginners के लिए 
  • सरल प्राणायाम नए अभ्यासियों के लिए 
  • ध्यान शुरुआती व्यक्तियों के लिए 
शुरुआती व्यक्तियो के लिए योग Yoga for Beginners.
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नए व्यक्तियों के लिए योग : शुरुआत कैसे करें Yoga for beginners.

योग सरल है, सुरक्षित है। इसे प्रत्येक स्त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। यह सभी के लिए लाभकारी है। लेकिन योग के शुरुआती व्यक्तियों (Beginners) को योगाभ्यास कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए। सरलता से किया गया अभ्यास लाभकारी होता है। कठिन अभ्यास नहीं करने चाहिए।

यह अभ्यास सभी व्यक्ति आसानी से कर सकते हैं। सभी लोगों को आसन व प्राणायाम का अभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार करना चाहिए। सभी क्रियाएं सरलता से करें, कोई भी क्रिया बलपूर्वक न करें। योगाभ्यास में पहले "आसन" का अभ्यास करे। आसन के बाद "प्राणायाम" और "ध्यान"(Meditation) का अभ्यास करें। ये योग के तीन महत्वपूर्ण अंग हैं। योग क्या है और नए अभ्यासियों को इसका अभ्यास कैसे करना चाहिए? आईए आगे इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

योग क्या है और Beginners को कैसे शुरू करना चाहिए 

योग भारत की एक प्राचीन विधि है। यह ऋषियों द्वारा बताया गया उत्तम अभ्यास है। इसके आठ अंग बताए गए हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए हम केवल तीन चरणों का अभ्यास करते हैं। ये तीन चरण हैं :-

1. आसन : यह योग का एक शारीरिक अभ्यास है।
2. प्राणायाम : यह श्वसन अभ्यास है।
3. ध्यान Meditation : मन को एकाग्र करके मानसिक शांति देता है।

योग के प्रभाव बहुआयामी होते हैं। यह शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखता है। यह अभ्यास श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है। इसका नियमित अभ्यास रक्तचाप को संतुलित करता है। जो व्यक्ति पहली बार अभ्यास कर रहे हैं उनको कौनसे अभ्यास करने चाहिए? आईए इसको विस्तार से समझ लेते हैं।

Beginners के लिए सरल आसन :

सरलता से किए जाने वाले आसन लाभकारी होते हैं। जिस आसन को करने मे सुख का अनुभव हो वही आसन करें। आसन की पूर्ण स्थिति में धीरे-धीरे जाएं। पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें। और धीरे-धीरे वापिस आ जाएं ।

आसन करते समय शरीर के साथ बल-प्रयोग न करें। गम्भीर रोग पीड़ित, अधिक वृद्ध व्यक्ति  तथा गर्भवती महिलाएं चिकित्सक की सलाह ले। चिकित्सक की सलाह से केवल सूक्ष्म आसन करें।

Asana अभ्यास का सही क्रम और विधि :

कपड़े की सीट, मैट या दरी को समतल जमीन मे बिछाएं। बिना आसन बिछाए योगाभ्यास न करें। खाना खाने के तुरंत बाद आसन न करें। सुबह का समय योगाभ्यास के लिए उत्तम होता है। योगाभ्यास इस क्रम से करें :-

अभ्यास का आरम्भ खड़े हो कर सुक्ष्म व्यायाम से : आरम्भ में खड़े हो कर कुछ सुक्ष्म व्यायाम करें। हाथों को सामने सीधा करें। कोहनियां मोड़ते हुए कंधे स्पर्श करें, सीधा करे। हाथो को धीरे धीरे घुमाएं। जॉगिंग करते हुए शरीर को वार्म-अप करे। और पीठ के बल लेट जाएं। विश्राम करें।

बैठ कर किए जाने वाले सरल आसन :

कुछ देर विश्राम करने के बाद दोनो हाथ दांई तरफ रखें और हाथों का सहारा ले कर उठ कर बैठ जाएं। बैठ कर कुछ आसनों का अभ्यास करें।

1. कमर चक्रासन :

यह कमर (पीठ) को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण आसन है।

विधि :-

  • दोनो पैरों को अधिकतम दूरी पर खोल ले।
  • कमर से झुकते हुए माथा बाएं घुटने के पास तथा दांया हाथ बांए पैर के पास ले जाएं।
  • दूसरे हाथ को पीठ के पीछे ले जाएं।
  • ऊपर उठे।
  • झुकते हुए माथा दांए घुटने पर, बायां हाथ दांए पैर के पास। दूसरा हाथ पीठ के पीछे रखें।
  • इस प्रकार बारी बारी माथा और हाथ बांए व दांए घुटने की तरफ ले जाएं। दूसरा हाथ पीठ के पीछे रखें।
  • क्षमता के अनुसार 3 या 4 आवृत्तियां करें।
  • आसन से वापिस आएं। पैरों का अंतर कम करें। पीछे हाथो का सहारा ले कर विश्राम करे।

सावधानी चक्रासन में :

  • आरम्भ में माथा घुटने से लगाने का अधिक प्रयास न करें।
  • केवल बांएं और दाएं कमर से झुकते हुए हाथों को घुटने के पास ले जाएं।
  • कमर को अपनी सुविधा के अनुसार ही झुकाएं।
  • अधिक प्रयास न करें।
  • अधिक प्रयास करना हानिकारक हो सकता है।

2. पश्चिमोत्तान आसन :

यह रीढ़ को लचीला बनाने वाला अभ्यास है। यह रीढ़, कमर व पैर की जंघाओं के लिए लाभदाई होता है।

विधि :-

  • दोनो पैर मिलाएं। दोनों हाथ घुटनो पर रखें।
  • श्वास भरते हुए हाथों को धीरे से ऊपर उठाएं।
  • हाथो को ऊपर की ओर खींचे।
  • श्वास को बाहर छोड़ते हुए आगे झुकें। दोनो हाथो व सिर को घुटनो के पास ले जाएं।
  • कुछ देर रुकने के बाद श्वास भरते हुए ऊपर उठें।
  • हाथों को पीछे टिकाएं। विश्राम करें।

सावधानी पश्चिमोत्तान आसन में :

  • कमर को अपनी क्षमता के अनुसार झुकाएं। अधिक प्रयास न करें।
  • कमर व रीढ की परेशानी वाले इस आसन को न करें।
  • आंत के रोगी को यह आसन नही करना चाहिए।
  • महिलाओ को मासिक पीरियड्स मे तथा गर्भावस्था मे यह आसन नही करना।

दोनो हाथ पीछे रखें। ऐड़ी, पंजे व घुटने मिला कर रखें। शरीर के मध्य भाग को ऊपर उठाएं। ऐड़ी व हाथो के सहारे शरीर को सीधा करे। कुछ देर रुके और वापिस आ जाएं। दोनो हाथ दांई तरफ रखें और बांई तरफ दोनो पैरो को मोड़ कर वज्रासन मे आ जाएं।

3. वज्रासन :

शुरुआती योग साधकों (Beginners) के लिए यह एक सरल आसन है। यह नए साधकों के लिए एक लाभकारी और सरलता से किया जाने वाला अभ्यास है।

विधि :-

  • दोनो पैर मोड़ कर घुटनों के बल बैठें।
  • घुटने मिला कर रखें।
  • एड़ियां खुली रखे।
  • दोनों एड़ियों के बीच मध्य भाग को टिका कर बैठें।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें।
  • दोनो हाथ घुटनों पर रखें। कुछ देर इस स्थिति मे रुकें।

(और विस्तार से देखें :--वज्रासन-मुद्रा के आसन )

सावधानी वज्रासन में :-

यदि घुटने मोड़ कर बैठने मे परेशानी है, तो यह अभ्यास न करें। घुटनों या पैरों में कोई सर्जरी हुई है तो यह अभ्यास न करें।

सीने के बल लेट कर किए जाने वाले आसन:

वज्रासन के बाद आगे की तरफ सीने के बल लेट जाएं और इस स्थिती मे आसन का अभ्यास करें।

1. भुजंग आसन :

  • कोहनियां मोड़ कर हथेलियां सिर के दांए बांए रखे।
  • माथा नीचे टिका कर रखें।
  • दो पैर मिलकर सीधे रखें।
  • धीरे से सिर को ऊपर उठाएं।
  • सिर ऊपर उठाने के बाद सीना (Chest) ऊपर उठाएं। सीना ऊपर उठते समय हाथों पर दबाव कम डालें। रीढ के सहारे ऊपर उठने का प्रयास करें।
  • कुछ देर रुकें। और धीरे धीरे वापिस आएं।
  • पहले सीना और उसके बाद माथा नीचे टिकाएं।
  • विश्राम बांई करवट से करे। बायां कान नीचे, बांए हाथ व पैर सीधे, दाएं हाथ व पैरो को मोड़ कर रखें।

सावधानी भुजंग आसन में :

आसन को क्षमता के अनुसार करे। रीढ व पेट की परेशानी है, तो यह अभ्यास न करें।

2. शलभ आसन : 

  • सीने के बल लेटें।
  • दोनों हाथ जंघाओं के नीचे रखें।
  • हथेलियां ऊपर की ओर रखें।
  • ठोडी को आसन से लगाएं।
  • पंजे खिंचे हुए, घुटने सीधे रखते हुए दोनो पैर थोड़ा सा ऊपर उठाएं। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • वापसी के लिए धीरे से पैरो को नीचे टिकाएं।
  • विश्राम दांई करवट से करें।

पीठ के बल लेट कर आसन करे

करवट बदलते हुए धीरे से पीठ के बल आ जाएं। कुछ सरल आसन इस स्थिति में करें।

1. मर्कटासन :

  • दोनो पैरों को मोड़ कर एड़ियां मध्य भाग से लगाएं।
  • दोनो हाथ दांए-बांए कंधो से सीधे करे।
  • श्वास भरें। मिले हुए घुटने दांई तरफ और गर्दन को बांई तरफ घुमाएं।
  • श्वास छोड़ते हुए घुटने व गरदन वापिस ले आएं।
  • फिर श्वास भरें। घुटने बांई तरफ और गरदन दांई तरफ ले जाएं।
  • श्वास छोड़ते हुए वापिस आएं। यह एक आवर्ती (राउंड) हुई।
  • इस प्रकार दो या तीन आवृत्तियां करें।
  • अभ्यास पूरा करने के बाद धीरे से मिले हुए पैरो को ऊपर उठाएं।
  • धीरे धीरे पैरो को नीचे ले आएं।
  • पैरों मे थोड़ा गैप रख कर विश्राम करें।

सावधानी मर्कट आसन में :

आंत के गम्भीर रोग और पेट के ऑपरेशन वाले इस आसन को न करे।

2. ताड़ आसन :

  • दोनो पैरों को मिलाएं।
  • हाथों को सिर की ओर ले जाएं।
  • श्वास भरें। भरे श्वास मे हाथों को ऊपर की ओर तथा पैरों को नीचे की ओर खींचे।
  • श्वास को बाहर निकालते हुए शरीर को ढीला छोड़ दे।
  • हाथ नीचे कमर के साथ रखें।

3. शव आसन :

  • यह विश्राम करने का आसन है।
  • यह आसन सभी आसन करने के बाद अंत मे किया जाता है।
  • पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
  • दोनों पैरों में थोड़ा गैप रखें।
  • दोनों हाथ शरीर के दाएं बाएं रखें।
  • शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें।
  • श्वासों को सामान्य करे।
  • बंद आंखों से संपूर्ण शरीर का अवलोकन करें।
  • कुछ देर विश्राम के बाद उठ कर बैठ जाएं। प्राणायाम का अभ्यास करें।
इस आसन का अभ्यास अंत में शरीर को विश्राम देने के लिए किया जाता है। सभी आसन करने के बाद इसका अभ्यास अवश्य करें।

आसन के लाभ :

योगाभ्यास में आसन शारीरिक अभ्यास है। यह सभी के लिए लाभदाई होता है। इसके लाभ इस प्रकार हैं:-

  • यह शरीर मजबूती देता है।
  • आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है।
  • शरीर के रक्त संचार को व्यवस्थित करता है।
  • पाचन क्रिया को सुदृढ़ करता है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
आसन के बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

प्राणायाम Beginners के लिए :

प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह एक श्वसन अभ्यास है। आसन के बाद इसका अभ्यास अवश्य करें। यह अभ्यास श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है, रक्तचाप को संतुलित करता है और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है।

यह अभ्यास सभी व्यक्तियों के लिए लाभदाई होता है। लेकिन प्राणायाम अभ्यास अपने श्वास की स्थिति व क्षमता अनुसार करना चाहिए। क्षमता अनुसार और सही विधि से किया गया अभ्यास लाभदाई होता है। नए व्यक्तियों (Beginners) को यह अभ्यास कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए।

प्राणायाम : सही विधि, और सावधानियां :

शुरूआत में केवल सरल प्राणायाम करें। आरम्भ में श्वास रोकने वाले अभ्यास न करे।

सरल प्राणायाम की विधि :

  • आराम दायक पोज में बैठें। पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठना उत्तम माना जाता है।
  • दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखे। रीढ़ व गर्दन को सीधा रखें।
  • आखों को कोमलता से बंद करें।
  • पहले श्वास प्रश्वास का अभ्यास करें।
  • श्वास प्रश्वास के बाद अन्य अभ्यास करें।

मुख्य प्राणायाम :

नए अभ्यासियों के लिए मुख्य प्राणायाम इस प्रकार हैं:-

1. श्वास प्रश्वास :

प्राणायाम का अभ्यास श्वास प्रश्वास से आरम्भ करें। 

विधि :

  • लम्बा गहरा श्वास लें।
  • पूरा श्वास भरने के बाद धीरे धीरे सांस की बाहर निकलें।
  • यह एक आवर्ती पूरी हुई।
  • इसी प्रकार चार या पांच आवृत्तियां करें।
  • आवृत्तियां पूरी करने के बाद अन्य अभ्यास करें।

2. कपालभाति :

यह कपाल भाग (मस्तिष्क) को प्रभावित करने वाला अभ्यास है। यह श्वसन तंत्र को मजबूत करता है और हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

विधि :

  • सुविधा पूर्वक स्थिति में बैठें। दोनों हाथ घुटनों पर रखें।
  • गतिपूर्वक सांस बाहर छोड़ें, सामान्य गति से श्वास भरें।
  • सांस छोड़ते समय पेट अंदर की ओर दबाएं।
  • क्षमता अनुसार आवृत्तियां करने के बाद वापिस आ जाएं।
  • सांस को सामान्य करें।
इस अभ्यास की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :-  कपालभाति प्राणायाम।

3. अनुलोम विलोम :

कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास करना चाहिए। यह कपालभाति से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को संतुलित करता है। यह सरलता से किया जाने वाला अभ्यास है।

विधि :

  • सुविधा पूर्वक अवस्था में बैठें।
  • बायां हाथ बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
  • दायां हाथ नासिका के पास रखें।
  • अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें।
  • बाईं ओर से श्वास भरें।
  • पूरा श्वास भरने के बाद बाईं नासिका को बंद करें। दाईं ओर से श्वास बाहर निकलें।
  • पूरा श्वास बाहर निकालने के बाद दाईं ओर से श्वास भरें और बाईं तरफ से श्वास बाहर निकलें।
  • यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार अन्य आवृत्तियां करें।

इस प्राणायाम की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- अनुलोम विलोम प्राणायाम।

4. नाड़ी शोधन :

हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार करने वाली प्राणिक नाड़ियों का शोधन करने वाला यह महत्वपूर्ण अभ्यास है।

विधि :

पद्मासन या आरामदायक पोज में बैठें। बायां हाथ बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में और दायां हाथ नासिका के पास रखें। अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें। बाईं तरफ से श्वास भरें। पूरा श्वास भरने के बाद बाईं नासिका को बंद करें। कुछ देर भरे श्वास की स्थिति में रुकें। कुछ देर रुकने के बाद दाईं तरफ से श्वास बाहर निकलें। पूरा श्वास खाली होने के बाद दाईं ओर से श्वास भरें। कुछ देर भरे हुए श्वास की स्थिति में रुकें। कुछ देर रुकने के बाद बाईं तरफ से श्वास बाहर निकलें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी तरह दो व तीन आवृत्तियां करें। अभ्यास पूरा करने के बाद श्वास को सामान्य करें।

इस अभ्यास की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें :- नाडीशोधन प्राणायाम।

प्राणायाम अभ्यास में सावधानियां :

हम सब के श्वास की स्थिति व क्षमता अलग अलग होती है। इसलिए हमें प्राणायाम अभ्यास करते समय अपने श्वास की स्थिति का अवलोकन कर लेना चाहिए। नए अभ्यासियों को इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए :-

  • श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास करें।
  • हृदय रोगी तथा श्वास रोगी कठिन अभ्यास न करें।
  • बलपूर्वक अधिक आवृत्तियां न करें।
  • नए अभ्यासी कुम्भक का प्रयोग सावधानी से करें। बलपूर्वक कुंभक न लगाएं।

कुम्भक क्या है :-  क्षमता अनुसार श्वास रोकने की अवस्था को "कुम्भक" कहा जाता है। यह खाली और भरे श्वास दोनों स्थितियों में लगाया जाता है।

अस्थमा पीड़ित और हृदय रोगी व्यक्तियो के लिए कुम्भक वर्जित है। केवल स्वस्थ व्यक्ति ही कुम्भक लगाएं।

नए व्यक्ति (Beginners) आरम्भ में कम अवधि का कुम्भक लगाएं।

ध्यान शुरुआती। Meditation for Beginners

योग का मुख्य उद्देश्य ध्यान या मेडिटेशन ही है। यह योग का महत्वपूर्ण अंग है। यह मन को एकाग्र करने वाला और मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है। आसन और प्राणायाम के बाद अंत में इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

ध्यान की सही विधि :

पद्मासन या सुखासन मे बैठें। दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बन्ध कर लें।

ध्यान श्वास पर :- लम्बे-गहरे श्वास लें और छोड़ें। श्वासों पर ध्यान को केन्द्रित करें। आती-जाती श्वासों को अनुभव करें। श्वास किस प्रकार अंदर आ रही है और बाहर जा रही है, यह अवलोकन करते रहें। कुछ देर ध्यान को श्वासों पर केन्द्रित करने के बाद, आज्ञा चक्र मे ले जाएं।

ध्यान आज्ञा चक्र में :- ध्यान को श्वासों से हटाएं और "आज्ञा चक्र" में केन्द्रित करें। यह स्थिति माथे के बीच मे होती है। बंद आंखों से माथे के मध्य वाले स्थान को निहारें। बंद आखों से ज्योती (प्रकाश) का अवलोकन करें। कुछ देर निर्विचार होकर बैठें। 

धीरे धीरे ध्यान की स्थिति से वापिस आ जाएं। सीधे लेटें। शवासन मे विश्राम करें।

निष्कर्ष :

आरम्भ मे नए व्यक्ति (Beginners) सरल आसन करें। प्राणायाम में कुम्भक का प्रयोग सावधानी से करे। अपने शरीर की क्षमता का ध्यान रखें। क्षमता से अधिक कोई क्रिया न करें।

Disclaimer :- योग क्रियाएं अपनी क्षमता के अनुसार करें। अस्वस्थ होने पर योगाभ्यास न करें। शुरुआती व्यक्ति प्रशिक्षक के निर्देशन मे अभ्यास करें।

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