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प्राचीन काल मे योग को आध्यात्म की क्रिया माना जाता था। उस समय यह आश्रमों और गुरुकुलों मे ध्यान साधना के लिये किया जाता था। लेकिन आधुनिक समय में यह स्वास्थ्य लाभ के लिये महत्वपूर्ण हो गया है। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। यह सरलता से किये जाने वाली क्रिया है। योग को प्रत्येक व्यक्ति सरलता से कर सकता है। शुरुआती (नये व्यक्ति) योग कैसे करें? Yoga for beginners क्या है? और योगाभ्यास करते समय कोन सी सावधानियों  का ध्यान रखें? यह इस लेख में विस्तार से बताया जायेगा।

(Read this article in English :- Yoga For Beginners.)

विषय सुची :-

  • सरल आसन
  • सरल प्राणायाम
  • ध्यान
शुरुआती व्यक्तियो के लिए योग Yoga for Beginners
Pexels photo

योग आसन शुरुआती व्यक्तियों के लिये। Yoga for beginners.

योग सरल है, सुरक्षित है। इसे प्रत्येक स्त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। यह सभी के लिये लाभकारी है। लेकिन योग के शुरुआती व्यक्तियों को योगाभ्यास कुछ सावधानी से करना चाहिये।

योग का अभ्यास सभी व्यक्ति आसानी से कर सकते हैं। योगाभ्यास मे आसन व प्राणायाम अपनी क्षमता के अनुसार करने चाहिये। सभी क्रियाएं सरलता से करें, कोई भी क्रिया बलपूर्वक न करें। योगाभ्यास में पहले "आसन" का अभ्यास करे। आसन के बाद "प्राणायाम" और "ध्यान"(Meditation) का अभ्यास करें।

Beginners के लिए सरल योग

योगाभ्यास का आरम्भ आसन करें। आसन के बाद प्राणायाम और ध्यान करें। योगाभ्यास के लिए सुबह का समय उत्तम होता है। शाम के समय भी अभ्यास कर सकते हैं। खाली पेट हो तभी अभ्यास करे।

सरल आसन Beginners के लिए

सरलता से किये जाने वाले आसन लाभकारी होते हैं। जिस आसन को करने मे सुख का अनुभव हो वही आसन करें। आसन की पूर्ण स्थिति में धीरे-धीरे जाएं। पूर्ण स्थिति मे कुछ देर रुकें। और धीरे-धीरे वापिस आये।

आसन करते समय शरीर के साथ बल-प्रयोग न करें। गम्भीर रोग पीड़ित, अधिक वृद्ध व्यक्ति  तथा गर्भवती महिलाएं चिकित्सक की सलाह ले। चिकित्सक की सलाह से सूक्ष्म आसन करें।

आसन कैसे करें?

कपड़े की सीट, मैट या दरी को समतल जमीन मे बिछाएं। बिना आसन बिछाए योगाभ्यास न करें। खाना खाने के तुरंत बाद आसन न करें। सुबह का समय योगाभ्यास के लिये उत्तम होता है। योगाभ्यास इस क्रम से करें :-

खड़े हो कर सुक्ष्म व्यायाम :- आरम्भ में खड़े हो कर कुछ सुक्ष्म व्यायाम करें। हाथों को सामने सीधा करें। कोहनियां मोड़ते हुए कंधे स्पर्श करें, सीधा करे। हाथो को धीरे धीरे घुमाएं। जॉगिंग करते हुए शरीर को वार्म-अप करे। और पीठ के बल लेट जाएं। विश्राम करें।

बैठ कर आसन

कुछ देर विश्राम करने के बाद दोनो हाथ दांई तरफ रखें और हाथों का सहारा ले कर उठ कर बैठ जाएं। बैठ कर कुछ आसनों का अभ्यास करें।

1. कमर चक्रासन :

  • दोनो पैरों को अधिकतम दूरी पर खोल ले।
  • कमर से झुकते हुए माथा बाएं घुटने के पास तथा दांया हाथ बांये पैर के पास ले जाएं।
  • दूसरे हाथ को पीठ के पीछे ले जाएं।
  • ऊपर उठे।
  • झुकते हुए माथा दाँये घुटने पर, बाँया हाथ दाँये पैर के पास। दूसरा हाथ पीठ के पीछे रखें।
  • इस प्रकार बारी बारी माथा और हाथ बाँये व दाँये घुटने की तरफ ले जाएँ। दूसरा हाथ पीठ के पीछे रखें।
  • क्षमता के अनुसार 3 या 4 आवर्तियाँ करें।
  • आसन से वापिस आएँ। पैरो का अंतर कम करें। पीछे हाथो का सहारा ले कर विश्राम करे।

सावधानी :

आरम्भ में माथा माथा घुटने से लगाने का अधिक प्रयास न करें। केवल बांएं और दाएं कमर से झुकते हुए हाथों को घुटने के पास ले जाएं। कमर को अपनी सुविधा के अनुसार ही झुकाएं। अधिक प्रयास न करें।

2. पश्चिमोत्तान आसन

  • दोनो पैर मिलाएं। दोनों हाथ घुटनो पर रखें।
  • श्वास भरते हुए हाथों को धीरे से ऊपर उठाएं।
  • हाथो को ऊपर की ओर खींचे।
  • श्वास को बाहर छोड़ते हुए आगे झुकें। दोनो हाथो व सिर को घुटनो के पास ले जाएं।
  • कुछ देर रुकने के बाद श्वास भरते हुए ऊपर उठें।
  • हाथों को पीछे टिकाएं। विश्राम करें।

सावधानी :

  • कमर को अपनी क्षमता के अनुसार झुकाएं। अधिक प्रयास न करें।
  • कमर व रीढ की परेशानी वाले इस आसन को न करें।
  • आँत के रोगी को यह आसन नही करना चाहिए।
  • महिलाओ को मासिक पीरियड्स मे तथा गर्भावस्था मे यह आसन नही करना।

दोनो हाथ पीछे रखें। ऐड़ी, पंजे व घुटने मिला कर रखें। शरीर के मध्य भाग को ऊपर उठाएं। ऐड़ी व हाथो के सहारे शरीर को सीधा करे। कुछ देर रुके और वापिस आ जाएं। दोनो हाथ दांई तरफ रखें और बांई तरफ दोनो पैरो को मोड़ कर वज्रासन मे आ जाएं।

3. वज्रासन

शुरुआती योग साधकों (Beginners) के लिए यह एक सरल आसन है। यह नये साधकों के लिए एक लाभकारी और सरलता से किया जाने वाला आसन है।

विधि :- दोनो पैर मोड़ कर घुटनों के बल बैठें। घुटने मिला कर रखें। एड़ियां खुली रखे। दोनों एड़ियो के बीच मध्य भाग को टिका कर बैठें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। दोनो हाथ घुटनों पर रखें। कुछ देर स्थिति मे रुकें।

(विस्तार से देखें--वज्रासन-मुद्रा के आसन )

सावधानी :- यदि घुटने मोड़ कर बैठने मे परेशानी है तो यह आसन न करें।

सीने के बल लेट कर आसन

वज्रासन के बाद आगे की तरफ सीने के बल लेट जाये और इस स्थिती मे आसन करे।

1. भुजंग आसन :

  • कोहनियाँ मोङ कर हथेलियाँ सिर के दाँये बाँये रखे।
  • माथा नीचे आसन के पर लगा कर रखें।
  • दो पैर मिला कर रखें। पँजे सीधे रखें।
  • धीरे से सिर को ऊपर उठाएँ।
  • सिर ऊपर उठाने के बाद सीना ऊपर उठाएँ। सीना ऊपर उठते समय हाथो पर दबाव कम डाले। रीढ के सहारे ऊपर उठने का प्रयास करे। 
  • कुछ देर रुके। और धीरे धीरे वापिस आएँ।
  • पहले सीना और उसके बाद माथा नीचे टिकाएँ।
  • विश्राम बांई करवट से करे। बांया कान नीचे, बांये हाथ व पैर सीधे, दांये हाथ व पैरो को मोड़ कर रखें।

सावधानी :

आसन को क्षमता के अनुसार करे। रीढ की परेशानी है तो यह आसन न करें।

2. शलभ आसन : 

  • सीने के बल लेटें।
  • दोनों हाथ जंघाओं के नीचे रखें।

  • हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें।
  • ठुड्डी को आसन से लगाएँ।
  • पँजे खिंचे हुए, घुटने सीधे रखते हुए दोनो पैर थोङा सा ऊपर उठाएँ। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • वापसी के लिए धीरे से पैरो को नीचे टिकाएँ।
  • विश्राम दाँयी तरफ से करें।

पीठ के बल लेट कर आसन करे

करवट बदलते हुए धीरे से पीठ के बल आ जाएँ। कुछ सरल आसन इस स्थिति में करें।

1. मर्कटासन :

  • दोनो पैरों को मोङ कर ऐङियाँ मध्य भाग से लगाएँ।
  • दोनो हाथ दाँये-बाँये कंधो से सीधे करे।
  • श्वास भरें। मिले हुए घुटने दाँयी तरफ और गरदन को बाँयी तरफ घुमाएँ।
  • श्वास छोङते हुए घुटने व गरदन वापिस ले आये।
  • फिर श्वास भरें। घुटने बाँयी तरफ और गरदन दाँयी तरफ ले जाएँ।
  • श्वास छोङते हुए वापिस आएँ। यह एक आवर्ती (राउँड) हुई।
  • इस प्रकार दो या तीन आवर्तियाँ करें।
  • आसन पूरा करने के बाद धीरे से मिले हुए पैरो को ऊपर उठाएँ।
  • धीरे धीरे पैरो को नीचे ले आएँ।
  • पैरों मे थोङा गैप रख कर विश्राम करें।

सावधानी :

आँत के गम्भीर रोग और पेट के ऑपरेशन वाले इस आसन को न करे।

2. ताङ आसन :

  • दोनो पैरो को मिलाएँ।
  • हाथों को सिर की ओर ले जाएँ।
  • श्वास भरें। भरे श्वास मे हाथों को ऊपर की ओर तथा पैरों को नीचे की ओर खींचे।
  • श्वास को बाहर निकालते हुए शरीर को ढीला छोड़ दे।
  • हाथ नीचे कमर के साथ रखें।

3. शव आसन :-

  • यह विश्राम करने का आसन है।
  • यह आसन सभी आसन करने के बाद अंत मे किया जाता है।
  • शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें
  • श्वासो को सामान्य करे।

प्रत्येक आसन के बाद विश्राम

एक आसन करने के बाद विश्राम करें। दूसरे आसन मे जाने से पहले लम्बे गहरे श्वाँस लेकर विश्राम करें। कुछ आसनों के पूरक आसन होते है उनका ध्यान रखें। मन को एकाग्र रखने का प्रयास करें। इसके लिए ध्यान को शरीर पर केंद्रित करें।

प्राणायाम Beginners के लिए

शुरुआती (Beginners) प्राणायाम कैसे करें? पद्मासन या सुखासन मे बैठें। दोनो हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। लम्बा गहरा श्वाँस ले और धीरे धीरे श्वास पूरी तरह खाली कर दें। इस प्रकार चार पाँच आवर्तियाँ करे।

सरल प्राणायाम करे

शुरूआत में सरल प्राणायाम करें। आरम्भ में कुम्भक का प्रयोग न करे। अभ्यास बढने के बाद कुम्भक का प्रयास करें।

कुम्भक क्या है?

श्वास रोकने को "कुम्भक" कहते है। अस्थमा पीड़ित और हृदय रोगी व्यक्तियो के लिए कुम्भक वर्जित है। केवल स्वस्थ व्यक्ति ही कुम्भक लगाएं।

शुरुआती व्यक्तियों के लिये कुम्भक दो प्रकार के होते हैं :-

1.आन्तरिक कुम्भक

2.बाह्य कुम्भक

श्वास को अन्दर रोकना आन्तरिक कुम्भक  और श्वास को बाहर रोकना बाह्य कुम्भक कहलाता है।

सरल प्राणायाम की विधि

पद्मासन या सुखासन मे बैठें। लम्बा श्वाँस भरेे और सुविधा पूर्वक जितनी देर तक श्वाँस रोक सकते हैं रोकें और घुटन होने से पहले श्वाँस खाली करे। सुविधानुसार कुछ देर खाली श्वाँस मे रुके। यह एक आवर्ती हुई। 

इस प्रकार दो या तीन आवर्तियां करे। कुछ दिनो तक यह अभ्यास करने के बाद आगे प्राणायाम आरम्भ करें।

मुख्य प्राणायाम

1.कपालभाति प्राणायाम।

2.अनुलोम विलोम प्राणायाम।

3.नाडीशोधन प्राणायाम।

ये सभी सभी सरलता से किये जाने वाले प्राणायाम है। 

(प्राणायाम के बारे मे अधिक जानकारी के लिए हमारे अन्य आलेखों का अवलोकन करें।)


सावधानी :--- कुम्भक केवल स्वस्थ व्यक्ति ही लगाए। नये साधक श्वास को अधिक देर तक ना रोकें। कुम्भक का अभ्यास धीरे धीरे बढाएं।

ध्यान शुरुआती। Meditation for Beginners

पद्मासन या सुखासन मे बैठें। दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बन्ध कर लें।

ध्यान श्वास पर :- लम्बे-गहरे श्वास लें और छोङें। श्वासों पर ध्यान को केन्द्रित करें। आती-जाती श्वासों को अनुभव करें। श्वास किस प्रकार अंदर आ रही है और बाहर जा रही है, यह अवलोकन करते रहें। कुछ देर ध्यान को श्वासो पर केन्द्रित करने के बाद, आज्ञाचक्र मे ले जाएं।

ध्यान आज्ञा चक्र में :- ध्यान को श्वासो से हटाये और "आज्ञाचक्र" में केन्द्रित करें। यह स्थिति माथे के बीच मे होती है। बन्ध आँखों से माथे के मध्य वाले स्थान को निहारें। बन्ध आखों से ज्योती का अवलोकन करें। कुछ देर निर्विचार होकर बैठें। 

धीरे धीरे ध्यान से वापिस आ जाये। सीधे लेटे। शवासन मे विश्राम करें।

निष्कर्ष :

आरम्भ मे नये व्यक्ति (Beginners) सरल आसन करें। प्राणायाम में कुम्भक का प्रयोग सावधानी से करे। अपने शरीर की क्षमता का ध्यान रखें। क्षमता से अधिक कोई क्रिया न करें।

Disclaimer :- योग क्रियाएं अपनी क्षमता के अनुसार करें। अस्वस्थ होने पर योगाभ्यास न करें। शुरुआती व्यक्ति प्रशिक्षक के निर्देशन मे अभ्यास करें।

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