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योग और व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने की अवश्यक क्रियाएँ हैं। आधुनिक समय मे शरीर को स्वस्थ रखने का रुझान बढा है। इसी लिए आज पूरा विश्व योग और व्यायाम दोनो को अपना रहा है। इन दोनो क्रियाओ को शरीर की फिटनैस और स्वस्थ्य के लिये किया जाता है। क्या ये दोनो क्रियाएँ एक समान है?

आमतौर पर योग और व्यायाम को एक समान मान लिया जाता है। ये दोनो क्रियाएँ शरीर को स्वस्थ तो रखती हैं लेकिन दोनो मे अन्तर है। आईए देखते है कि योग और व्यायाम मे क्या अन्तर है? Difference between Yoga and Exercise. दोनो मे क्रिया मे कोन सी उत्तम है?

योग और व्यायाम में अंतर

विषय सुची :-

  • योग और व्यायाम में अन्तर।
  • योग क्या है?
  • व्यायाम क्या है?
  • दोनों मे अन्तर।

(Read this article in English :- Difference between Yoga and Exercise.)

योग और व्यायाम में अन्तर। Difference between Yoga and Exercise.

ये दोनो शरीर को स्वस्थ रखने की क्रियाएँ हैं। लेकिन दोनो एक समान मान लेना गलत है। योग और व्यायाम मे अन्तर है। आमतौर पर योगासनों को व्यायाम मान लिया जाता है, यह पूर्णतया सही नही है। 

योग और व्यायाम मे क्या अन्तर है? यह जानने से पहले यह देखना होगा कि योग क्या है? तथा व्यायाम क्या है? इन की विधि तथा लाभ क्या हैं?

योग क्या है? What is Yoga?

आधुनिक समय में स्वास्थ्य के लिए योग एक उत्तम क्रिया है। यह बहुत सरल है तथा सुरक्षित है। वास्तव मे यह एक आध्यात्मिक क्रिया है। यह विश्व को भारत की एक अमुल्य देन है। प्राचीन समय से इसे ध्यान, साधना के लिए किया जाता रहा है। लेकिन आज के समय मे शरीर की फिटनेस के लिए यह उत्तम क्रिया है।

प्राचीन समय मे योग केवल भारत तक सीमित था। कई साधु-सन्यासी व योगियों ने विश्व को योग से परिचित करवाया। दुनिया ने योग के महत्व को समझा। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। लेकिन योग क्या है? केवल आसन, प्राणायाम मात्र योग नही है। सम्पूर्ण योग अष्टाँग योग है। आइये देखते है कि अष्टाँग योग क्या है?

अष्टाँग योग।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमारे ऋषियों ने अष्टाँग योग का प्रतिपादन किया है। यह सम्पूर्ण योग है। इसके आठ अंग बताये गये हैं। ये आठ अंग इस प्रकार हैं :-

  1. यम। 
  2. नियम।
  3. आसन।
  4. प्राणायाम।
  5. प्रत्याहार।
  6. धारणा।
  7. ध्यान।
  8. समाधी।

आज के समय मे स्वास्थ्य के लिये केवल आसन व प्राणायाम पर ही जोर दिया जाता है। लेकिन योग करते समय हमे आठों अंगों की जानकारी होनी चहाये।

  • यम प्रथम चरण है। इस में सामाजिक नैतिकता पर बल दिया जाता है। 
  • नियम अष्टाँगयोग का दूसरा चरण है। इसमे व्यक्तिगत नैतिकता के बारे मे बताया गया है।
  • आसन तीसरा अंग है। यह हमारे शरीर के अंगो को मजबूती देता है।
  • प्राणायाम चौथा अंग है। यह श्ववसनतंत्र व प्राणों को सुदृढ करता है। इसके नियमित अभ्यास से लंग्स एक्टिव रहते हैं। आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ती होने से हृदय स्वस्थ रहता है।
  • प्रत्याहार अष्टाँगयोग का पाँचवा चरण है। यह इंद्रियों को अंतरमुखी करता है।
  • धारणा छठा अंग है। यह चित्त को अंतरमुखी करता है।
  • ध्यान सातवाँ चरण है। इस स्थिति मे चित एकाग्र हो जाता है।
  • समाधि यह अष्टाँगयोग का आठवाँ अंग है। इस अवस्था मे चित्त वृतियों का निरोध हो जाता है।
स्वास्थ्य के लिये आसन-प्राणायाम को अधिक महत्व दिया जाता है। आइये इन के बारे मे जान लेते हैं।

आसन व प्राणायाम।

आसन और प्राणायाम  योग की महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं। ये अष्टाँगयोग का क्रमश: तीसरा व चौथा चरण हैं। ये दोनो शरीर के लिये लाभदायी हैं। इस लिये आधुनिक समय मे शारीरिक फिटनैस के लिए इन दोनो को ही किया जाता है।

आसन शरीर को मजबूती देते हैं। प्राणायाम से श्वसनतंत्र सुदृढ होता है तथा प्राणों की वृद्धि होती है। ऑक्सीजन की आपूर्ती पर्याप्त मात्रा मे होती है। ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा मे मिलने के कारण हृदय स्वस्थ रहता है।

व्यायाम क्या है? 

खेल-कूद, दौङ लगाना, जिम मे जाकर उपकरणो का प्रयोग, ये सब व्यायाम की श्रेणी मे आते है।

व्यायाम से शरीर की माँसपेसियों को मजबूती मिलती है। व्यायाम से शरीर बलिष्ट होता है। लेकिन योग और व्यायाम में बङा अन्तर है।

व्यायाम मे केवल शरीर की मजबूती पर ही ध्यान दिया जाता है। इस क्रिया मे अन्य विषयो पर ध्यान नही दिया जाता है जैसे प्राण, श्वास, मन तथा नाङी आदि।

दोनों अन्तर क्या है?

दोनो क्रियाएँ शरीर के लिए लाभकारी है। दोनों शरीर को मजबूती देती हैं। लेकिन इन दोनो मे काफी बङा अन्तर है।

1. दोनों की विधि में अंतर।

दोनों क्रियाओ की विधि मे अन्तर है। योग व्यायाम नही, अनुशासन है।

व्यायाम :-- यह निरंतर गति से किये जाने वाली क्रिया है, इस मे पशीना बहाया जाता है। इस कारण शरीर मे तनाव आता है। इस क्रिया से केवल शरीर व मासपेशियाँ ही प्रभावित होती हैं।

योग :--  यह सरलता से किये जाने वाली क्रिया है। योग मे किसी भी क्रिया को बलपू्र्वक करना वर्जित है। आसन और प्राणायाम अपने शरीर की क्षमता के अनुसार किये जाते है।

एक आसन या प्राणायाम करने के बाद विश्राम करना अवश्यक है। प्राणायाम करते समय श्वासो की गति को ध्यान मे रखा जाता है। 

2. नियम में अन्तर।

दोनों क्रियाओ के नियम मे भी अन्तर है। योग नियमपूर्वक की जाने वाली क्रिया है। इस मे नियम व अनुशासन का विशेष ध्यान रखा जाता है। योग मे अनुशासन और नियम बहुत महत्व रखते है।

व्यायाम में नियम का अधिक महत्व नही।

3. प्रभाव मे ंअन्तर।

योग और व्यायाम दोनो शरीर को प्रभावित करते है। लेकिन इन दोनो के कारण शरीर पर जो प्रभाव पङता है, उसमे काफी अन्तर है। 

व्यायाम : ---  व्यायाम से केवल स्थूल शरीर (Outer Body) को मजबूती मिलती है। इस से केवल बाहरी अंग ही प्रभाव मे आते है। इसका शरीर पर सीमित प्रभाव है। 

योग :--- योग का प्रभाव व्यापक है। योग न केवल शरीर बल्कि हमारे जीवन को भी प्रभावित करता है। इसका प्रभाव सर्वांगीण होता है। योग मे आसन शरीर को स्वस्थ रखते हैं। प्राणायाम से श्वासो की स्थिति सुदृढ होती है।

योग का प्रभाव शरीर, मन, मस्तिष्क, तथा प्राणों पर पङता है। जबकि व्यायाम का प्रभाव शरीर के बाहरी अंगों पर ही पङता है।

4. शारीरिक क्षमता।

शारीरिक क्षमता को लेकर भी दोनो क्रियाओं मे अन्तर है।

व्यायाम :--- व्यायाम केवल युवा ही कर सकते हैं। वृद्ध व्यक्ति सभी व्यायाम नही कर सकते। व्यायाम स्वस्थ व्यक्ति ही कर सकते हैं। किसी बिमारी से पीङित के लिए व्यायाम करना सम्भव नही है।

योग :--- योग को युवा वृद्ध सभी कर सकते हैं। वृद्ध व्यक्ति जो अभी योग आरम्भ कर रहे है वे पहले सरल आसन-प्राणायाम करें। और धीरे धीरे अभ्यास को बढाएँ। (देखें-- योग Senior Citizen के लिए)

बिमारी से पीङित व्यक्ति के लिये व्यायाम करना परेशानी का कारण बन सकता है। लेकिन कुछ सावधानियों के साथ योग किया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति धीमी गति से आसन प्राणायाम कर सकते हैं।

5. सुलभता मे अन्तर।

दोनो की सुलभता मे भी अन्तर है।

व्यायाम :---  व्यायाम करने के लिए उपकरणों (साधनों) की अवश्यकता होती है। या जिम को ज्वाईन करना पङता है। इस मे और कई खर्चे होते हैं। अत: इसकी सुलभता सभी के लिए नही है।

योग :---- योग सरल है तथा सभी के लिये सुलभ है। योग करने मे कोई लागत (खर्च) नही है। योग की जानकारियाँ ले कर आप इसे पार्क मे या घर पर फ्री मे कर सकते हैं।

योग लिए कोई उपकरण की अवश्यकता नही है। इसमे केवल अनुशासन की अवश्यकता है। 

6. लाभ-हानि में अन्तर।

दोनो क्रियाओ से मिलने वाले लाभ में भी अन्तर है। तथा असावधानी से होने वाली हानि मे भी फर्क है।

व्यायाम :---  व्यायाम से मिलने वाले लाभ सीमित हैं। इस क्रिया से केवल स्थूल अंग ही प्रभावित होते है। इस से अस्थि व मासपेशियाँ प्रभावित होती है। इस क्रिया से सूक्ष्म शरीर प्रभाव मे नही आता है।

इस क्रिया से मासपेशियों मे तनाव आता है यह कई बार हानिकारक होता है। व्यायाम से कई बार अस्थि-जोङों को भी हानि हो सकती है।

योग :----  योग से मिलने वाले लाभ सर्वांगीण हैं। यह स्थूल शरीरसूक्ष्म शरीर दोनो पर प्रभाव डालता है। योग शरीर को स्वस्थ रखता है तथा मानसिक शाँति देता है।

योग मे आसन शरीर के आन्तरिक अंग जैसे  किडनी, लीवर व पेनक्रयाज को प्रभावित करते हैं। आसन करने से सभी आन्तरिक अंग सक्रिय रहते हैं। इनके सक्रिय रहने से शरीर की राशायनिक क्रिया मे बैेलेंस बना रहता है।

प्राणायाम से फेफङे (Lungs) क्रियशील (एक्टिव) होते है। श्वसनतंत्र के अवरोध दूर होते हैं। प्राणिक नाङियों का शौधन होता है। Oxygen का लेवल उचित मात्रा मे बना रहता है। योग करने से रक्तचाप(BP) तथा सुगर सामान्य रहती है।

योग मे तनाव वर्जित है। आसन व प्राणायाम सरलता से किये जाते है। योग मे किसी भी क्रिया को बलपूर्वक करना मना है। इसलिए योग मे हानि की आशंका कम होती है। 

योग मे व्यायाम अपेक्षा हानि की आशंका कम होती है। 

7. अन्य अन्तर।

योग तथा व्यायाम मे अन्य और भी कई अन्तर हैं।

  • योग एक आध्यात्मिक क्रिया है। लेकिन यह शरीर को भी स्वस्थ रखती है। व्यायाम केवल एक शारीरिक क्रिया है।
  • योग मे आसन व प्राणायाम करते समय ध्यान को केंद्रित किया जाता है। व्यायाम मे ऐसा नही होता।
  • योग शरीर को लचीला बनाता है जबकि व्यायाम शरीर को सख्त बनाता है।

सारांश :-

योग और व्यायाम मे अन्तर है। व्यायाम केवल एक शारीरिक क्रिया है तथा इसके प्रभाव व लाभ सीमित हैं। योग शारीरिक क्रिया के साथ एक आध्यात्मिक क्रिया भी है। योग के प्रभाव तथा लाभ व्यापक हैं।

व्यायाम केवल शरीर को प्रभावित करता है। जबकि योग का प्रभाव सर्वांगीण है। यह शरीर के साथ श्वास, प्राण, मन, मस्तिष्क व नाङियो को भी प्रभावित करता है।

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