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योग भारत की एक प्रचीन जीवन शैली है। हमारे ऋषि मुनि व योगियों ने शरीर की शुद्धी के लिए कुछ क्रियाएँ बताई है। जलनेति (JALNETI) इन मे एक शुद्धि क्रिया है। योग का अभ्यास करने वाले साधकों को शुद्धि क्रियाओं को जरूर करना चाहिए। जलनेति योग क्रिया क्या है? लाभ और सावधानी क्या हैं, प्रस्तुत लेख मे यह विस्तार से बताया जाएगा।

लेख में जानकारियाँ :-

  • जलनेति (Jalneti) क्या है?
  • जलनेति के लिये सामग्री।
  • जलनेति कैसे करें?
  • लाभ और सावधानी।

जलनेति क्रिया क्या है? Jalneti Kriya.

प्राणायाम करते समय यदि नासिका मे कोई रुकावट आती है तो प्राणायाम सही तरीके से नही होता है। इसलिए प्राणायाम के अभ्यासी को जलनेती (JalNeti) नियमित करनी चहाए। इस क्रिया से नासिका मे आये अवरोध दूर होते है। श्वसन क्रिया सुचारू होती है।

"जलनेति" के लिए सामग्री

जलनेति क्रिया के लिए इन वस्तुओ की जरूरत होती है।

  • जलनेति-लोटा।
  • हल्का गर्म पानी।
  • थोङा सादा नमक।

"जलनेति" कैसे करें ? JalNeti Kaise Kare?


विधि :--

  • नालीदार लोटे मे हल्का गर्म पानी लें।
  • एक चम्मच सादा नमक मिलाएँ।
  • खङे होकर आगे की तरफ झुके। (उकङु बैठ कर भी कर सकते है।)
  • लोटे की नाली बाँयी नासिका मे लगाएँ।
  • मुँह खोल कर रखें।

  • जब तक यह क्रिया करते हैं तब तक श्वास मुँह से ले। नासिका से श्वास न लें।
  • बाँयी नासिका मे पानी डालें और दाँयी नासिका से बाहर आने दें।
  • लोटा नासिका से हटाएँ। पानी को सिनक कर बाहर निकालें।

  • यही क्रिया दाँयी तरफ से करे। दाँयी नासिका मे पानी डाले और बाँयी तरफ से बाहर आने दें।
  • लोटा हटा कर नासिका को सिनकते हुये साफ करें।
  • इसी क्रिया को दो-तीन बार बारी-बारी दोहराएँ।
  • अंत मे लोटा एक तरफ रख दें। कमर से आगे की तरफ झुकें। दोनों हाथ घुटनो पर रखें। भस्त्रिका करते हुए नासिका मे रुके हुए पानी को बाहर निकालें।
  • पानी पूरी तरह बाहर आ जाने के बाद नासिका को कपङे से साफ करें।

यह क्रिया सावधानी से करें। पानी श्वास नली मे न जाने पाये। क्रिया पूरी करने के बाद यह सुनिश्चित करले की नासिका से पानी पूरी तरह बाहर आ गया है।

"जलनेति" के लाभ। Jalneti ke labh.

  • नासिका मे आई रुकावट दूर होती है।
  • रुकावट दूर होने से श्वसन क्रिया सुचारू होती है। शरीर को Oxygen पर्याप्त मात्रा मे मिलती है।
  • नमक से नासिका स्वच्छ होती है।
  • आँख, नाक और गले के लिए उत्तम है।
  • नजला, जुकाम मे लाभकारी।
  • नासिका बाधा रहित होने से प्राणायाम मे विशेष लाभ।

सावधानियाँ

  • साफ पानी का प्रयोग करें।
  • पानी अधिक गर्म नही होना चहाए।
  • जबतक यह क्रिया करते है, श्वास मुँह से ले और छोङें।
  • अंत मे पानी नासिका से पूरी तरह बाहर निकाले। पानी नासिका से पूरी तरह बाहर आ जाए तब नाक से श्वास लेना आरम्भ करें।
  • यदि नाक मे कोई जख्म है, खून आता है तो इस क्रिया को ना करें।
  • अस्थमा पीङित तथा नाक मे कोई गम्भीर बिमारी है तो चिकित्सक की सलाह से करें।
  • यह क्रिया आरम्भ मे किसी प्रशिक्षक की देखरेख मे करें, अधिक जानकारी के लिए हम सम्पर्क करें।

सारांश :-

नासिका में आने वाले अवरोध (रुकावट) को दूर करने के लिये जलनेति अवश्य करनी चहाए। आरम्भ मे यह क्रिया विशेषज्ञ की देख-रेख मे ही करें।

Disclaimer :- किसी प्रकार के रोग का उपचार करना इस लेख का उद्देश्य नही है। केवल योग क्रिया की जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है। यदि किसी रोग से पीङित है तो इस क्रिया को न करें। आरम्भ मे यह क्रिया कुशल प्रशिक्षक के निर्देशन मे ही करें।

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