(Read English version of this article:- Cow-Pose. )
- गोमुख आसन कैसे करें?
- गोमुख आसन के लाभ।
- सावधानियां।
गोमुख आसन क्या है? विधि, लाभ व सावधानियां
यह आसन रीढ के ऊपरी भाग को विशेष प्रभावित करता है। सर्वाइकल क्षेत्र को प्रभावित करने वाला यह महत्वपूर्ण आसन है। गर्दन तथा कंधों के लिए यह एक उत्तम आसन है। इसका नियमित अभ्यास सर्वाईकल, कंधे व गर्दन की पीड़ा से राहत देता है।
यह बैठ कर किया जाने वाला अभ्यास है। इस आसन की सही विधि क्या है? तथा लाभ और सावधानियां क्या है? इसको आगे विस्तार से समझ लेते हैं।
गोमुख आसन कैसे करें?
- दांया पैर मोड़ें तथा एडी को दोनो नितम्बों के बीच मे रखें। यदि एडी को मध्य भाग के नीचे रखने मे परेशानी लगे, तो एडी को बांए नितम्ब (कुल्हे) के पास रखें।
- बांया पैर मोड़ें और एड़ी को दांए नितम्ब के पास रखें।दांया घुटना नीचे और बांया घुटना ऊपर रखें। दोनो घुटनो को ऊपर नीचे बराबर करें।
- बांया हाथ ऊपर उठाएं तथा कोहनी को मोड़ते हुए हाथ पीठ की ओर ले जाएं। दांया हाथ नीचे रखते हुए पीठ की ओर ले जाएं। बांया हाथ ऊपर से तथा दांया हाथ नीचे से रखें। दोनो हाथों से हुक बना कर हाथो को मिलाने का प्रयास करें।
- बांएं हाथ की कोहनी को सिर के साथ लगा कर रखें।रीढ व गरदन को सीधा रखें। श्वास को सामान्य रखे। स्थिति में कुछ देर रुकें।
- यथा शक्ति रुकने के बाद धीरे से वापिस आएँ। पैरों को सीधा करे। हाथ पीछे टिकाएं। कुछ क्षण विश्राम करे।यही क्रिया दूसरी तरफ से दोहराएं।
- दूसरी आवर्ती में बांया घुटना नीचे और दांया घुटना ऊपर रखें। पीठ पर बांया हाथ नीचे से तथा दांया हाथ ऊपर रखें। हुक बना कर हाथ मिलाने का प्रयास करें। यथा शक्ति स्थिति मे रुकें।
- कुछ देर रुकने के बाद धीरे से पूर्व स्थिति मे वापिस आ जाएं। दोनो हाथ पीछे टिकाएं। गरदन को पीछे ढीला छोड़ दें। पैर खोल कर सीधा करें। कुछ देर विश्राम करें।
गोमुख आसन की सावधानियां
- यह आसन अपनी क्षमता के अनुसार करे। आसन करते समय यदि हाथ आपस मे नही मिल रहे हो, तो अधिक प्रयास न करें।
- घुटने मोड़ने परेशानी है तो यह आसन न करें। पैर की अस्थि का कोई ऑपरेशन हुआ है, या पैरों को मोड़ने मे कठिनाई हो तो इस अभ्यास को न करें।
- हाथों व कंधो मे कोई परेशानी है तो यह आसन नही करना चाहिए। रीढ की परेशानी वाले व्यक्तियों को भी यह अभ्यास नही करना चाहिए।
गोमुख आसन के लाभ :
- यह आसन कंधों, गरदन व पीठ को प्रभावित करता है।कंधे व पीठ की पीड़ा दूर करता है। यह रीढ के ऊपरी भाग को अधिक प्रभावित करता है।
- इस आसन का मुख्य प्रभाव सर्वाईकल क्षेत्र पर पड़ता है। अत: यह सर्वाईकल के लिए प्रभावी आसन है।
- पैरो की जंघाएं व पिंडलियां सुडोल व सुदृढ होती हैं। पैरों की नाड़ियां प्रभाव मे आती हैं।
- रीढ के लिए यह उत्तम आसन है।
कंधों व गरदन के लिए योगासन - गोमुख आसन एक लाभकारी क्रिया है। इसके अनेकों लाभ है। यह कधों, गरदन, पीठ व सर्वाईकल क्षेत्र पर विशेष प्रभावकारी है।
Disclaimer :--
किसी प्रकार के रोगों का उपचार करना हमारा उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य "योग की जानकारी देना" तथा "योग के लाभ व सावधानियों" के बारे मे बताना है। किसी प्रकार के रोग से पीड़ित होने पर योगाभ्यास न करे। और चिकित्सा सहायता लें।