विषय सुची :-
- अनुशासन योग है।
- दिनचर्या मे अनुशासन।
- पतंजलि योगसुत्र और अनुशासन।
- योग में अनुशासन का महत्व।
अनुशासन योग है। Discipline is Yoga.
"अनुशासन" और "योग" दोनो में गहरा सम्बन्ध है। बल्कि ये दोनो एक दूसरे के पूरक हैं। अनुशासन के बिना योग सम्भव नहीं है। योग में इसका क्या महत्व है, यह समझने के लिए पहले हमे इन दोनो के विषय को समझना होगा।
पतंजलि योगसूत्र मे योग को परिभाषित करते हुए कहा गया है:- "योश्चित्तवृतिनिरोध:।" अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। लेकिन यह अनुशासित जीवन से ही सम्भव है। आइए इसको और विस्तार से समझ लेते हैं।
अनुशासन और योग :
योग केवल सीमित समय के लिए नहीं है। एक घण्टे या दो घण्टे का अभ्यास करना मात्र योग नही है। अनुशासित जीवन शैली योग है। सुबह सूर्योदय से पूर्व सो कर उठना, स्नान आदि नित्य कार्यों से निवृत्त होकर योगाभ्यास करना, संतुलित आहार तथा व्यवस्थित दिनचर्या योग के अंग हैं।
साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि अनुशासित जीवन ही योग है। अनुशासित जीवन से सकारात्मक परिवर्तन आता है। यह हमारे शरीर व जीवन दोनो को प्रभावित करता है।
शासन और अनुशासन :- शासन और अनुशासन क्या है? कोई व्यक्ति या सरकार हमारे ऊपर नियम लागू करता है, तो यह शासन है। यदि हम अपने ऊपर नियम लागू करते है, तो यह अनुशासन है। यह स्वयं को स्वयं से जोड़ता है।
यह स्वयं का, स्वयं पर शासन है। यह आत्म-नियन्त्रण है। 'चित्त वृति का निरोध' इसी से ही सम्भव है। अनुशासित जीवन तप के समान है। इस लिए अनुशासन को "योग" कहा गया है।
दिनचर्या मे अनुशासन :
हमारी दिनचर्या सुबह सो कर उठने से लेकर, रात को सोने तक अनुशासित होनी चाहिए। अनुशासन का दैनिक जीवन मे भी महत्व है।
दैनिक अनुशासन :
- सुबह सुर्योदय से पहले सोकर उठना।
- नित्य क्रिया से निवृत हो कर स्नान करना।
- नियमित योगाभ्यास करना।
- योगाभ्यास के एक घण्टा बाद हल्का नाश्ता लेना।
- सात्विक व सकारात्मक सोच रखना।
- सात्विक आहार लेना।
- दैनिक जीवन मे 'यम नियम' आदि का पालन करना।
- रात को सोने से एक घंटा पहले भोजन करना।
- जल्दी सोना और जल्दी उठना।
पतंजलि योगसूत्र और अनुशासन :
यदि हम नियमित आसन-प्राणायाम करते हैं लेकिन हमारी दिनचर्या अनुशासित नहीं है तो वह योग की श्रेणी मे नहीं है। बिना अनुशासन के किये गये आसन-प्राणायाम को केवल व्यायाम तो कहा जा सकता है, लेकिन योग नहीं।
आहार मे अनुशासन :
योग मे आहार बहुत महत्व रखता है। इसलिए आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- संतुलित आहार लें।
- भोजन सात्विक हो।
- सुबह खाली पेट योगाभ्यास करें।
- योगाभ्यास के एक घण्टा बाद भोजन करें।
- रात का भोजन सोने से एक घण्टा पहले करे।
अनुशासन योगाभ्यास में :
योगाभ्यास चाहे पार्क मे करें या घर पर करें, अनुशासन जरूरी है। अनुशासित क्रम से किया गया योगाभ्यास ही लाभकारी होता है। पहले आसन करें। आसन के बाद प्राणायाम करें। प्राणायाम के बाद ध्यान करें। सभी क्रियाएं सही क्रम से करनी चाहिएं।
- दरी या मैट बिछा कर योगाभ्यास करें।
- आसन से पहले सुक्ष्म व्यायाम करें।
- सरल व सुविधाजनक आसन करें।
- आसन की पूर्ण स्थिति मे धीरे-धीरे जाएं और धीरे-धीरे ही वापिस आएं।
- एक आसन करने के बाद विश्राम करें।
- क्षमता के अनुसार आसन का अभ्यास करें।
- आसन के बाद थोड़ी देर विश्राम करें। उसके बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।
- प्राणायाम क्षमता के अनुसार करें।
- श्वासों की स्थिति ठीक है तो बंध व कुम्भक का प्रयोग करें। (देखें :- बंध कैसे लगाएँ?)
- प्राणायाम के बाद कुछ देर ध्यान की स्थिति में बैठें।
योग में अनुशासन का महत्व है। बिना अनुशासन के योग असम्भव है। पतंजलि योगसुत्र के अनुसार यह योग की पहली सीढी है। दैनिक जीवन मे भी इसका महत्व है।