ad-1

Dosplay ad 11may

प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। योगाभ्यास प्रत्येक मौसम मे लाभदायी होता है। इसी प्रकार प्राणायाम का अभ्यास भी प्रत्येक मौसम मे किया जा सकता है। लेकिन कुछ विशेष प्राणायाम हैं, जो गर्मी के मौसम मे लाभदायी होते हैं। ये प्राणायाम शरीर को शीतलता देते है तथा ऊर्जादायी होते हैं। गर्मी के मौसम मे लाभदायी प्राणायाम कौन से हैं, इस लेख मे यह विस्तार से बताया जायेगा।

pexel photo

गर्मी के मौसम मे प्राणायाम

नियमित 'योग-अभ्यासी' तथा 'सिद्ध योगी' मौसम से प्रभावित नही होते हैं। इस लिए वे सभी योग क्रियाएं प्रत्येक मौसम मे कर लेते हैं। लेकिन एक सामान्य योग- साधक को मौसम के अनुसार अभ्यास करना चाहिए। कुछ अभ्यास गर्मी के मौसम मे वर्जित होते है, अत: इनको इस मौसम मे नही करना चाहिए।

इस मौसम मे शरीर को शीतलता की अवश्यकता होती है। इसलिये योगाभ्यास मे शीतलता देने वाले प्राणायाम अवश्य करने चाहिए। लेख मे इस विषय को आगे बताया जायेगा।

गर्मी में शीतलता देने वाले प्राणायाम

सर्दी, गर्मी या बरसात सभी मौसम मे प्राणायाम किया जा सकता है। लेकिन कुछ प्राणायाम किसी एक मौसम मे विशेष लाभदायी होते हैं। इसी प्रकार गर्मी के मौसम मे भी कुछ प्राणायाम लाभदायी होते हैं। इसके लिये तीन प्राणायाम मुख्य हैं।

1. शीतली प्राणायाम
2. शीतकारी प्राणायाम
3. चन्द्रभेदी प्राणायाम

इस मौसम में ये तीनो प्राणायाम लाभदायी व ऊर्जादायी होते हैं। आईये इन के विषय मे विस्तार से समझ लेते हैं।

1. शीतली प्राणायाम 

यह गर्मी के मौसम का लाभदायी प्राणायाम है। यह शरीर को शीतलता देने वाला महत्वपूर्ण अभ्यास है।

विधि :-

आरामदायक स्थिति मे बैठें। पद्मासन की स्थिति मे बैठना उत्तम है।

रीढ व गर्दन सीधा रखें। दोनो हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। आँखें कोमलता से बन्ध करें।

जीभ को बाहर निकालें। दोनो किनारों को मोङ कर जीभ से नली की आकृति बनाये।

जीभ की नली से मुँह के द्वारा लम्बा श्वास भरेंं। पूरा श्वास भरने के बाद मुँह को बन्ध करें। यथा शक्ति श्वास को अन्दर रोकें।

अपनी क्षमता अनुसार श्वास रोकने के बाद नासिका से श्वास बाहर छोङें। यह एक आवर्ती हुई।

दूसरी आवर्ती के लिये फिर से वही क्रिया दोहरायें। जीभ को मोङ कर मुँह से श्वास लें और नासिका से श्वास बाहर छोङें। ये 5 से 10 आवर्तियाँ करें।

आवर्तियाँ पूरी करने के बाद श्वासो को सामान्य करें।

सावधानी :-

यह अभ्यास शरद ऋतु मे नही करना चहाये।
निम्न रक्तचाप (Low BP) वाले व्यक्ति यह अभ्यास न करें।
अपनी क्षमता अनुसार श्वास रोकें।
अपनी अवश्यकता अनुसार आवर्तियाँ करें।

2. शीतकारी प्राणायाम

यह गर्मी के मौसम का प्रभावी प्राणायाम है। 

विधि :-

पद्ममासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें।

रीढ को सीधा रखें। दोनों हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। आँखें कोमलता से बन्ध करें।

दाँतों को आपस मे मिला कर रखें।

दाँतो के बीच से मुँह के द्वारा श्वास अन्दर भरें।

पूरा श्वास भरने के बाद मुँह को बन्ध करें। यथा शक्ति श्वास को रोकें।

अपनी क्षमता अनुसार श्वास रोकने के बाद नासिका से श्वास बाहर छोङें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार अन्य आवर्तियाँ करें।

आवर्तियाँ पूरी करने के बाद श्वासों को सामान्य करें।

सावधानियाँ :-

यह अभ्यास सर्दी की मौसम मे न करें।
श्वास रोगी, हृदय रोगी तथा निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति यह अभ्यास न करें।
अपनी क्षमता अनुसार अभ्यास करें।

3. चन्द्रभेदी प्राणायाम

हम नासिका से श्वास लेते और छोङते हैं। इसमे दो नासिका द्वार हैं। दाँयी नासिका शरीर को गर्मी देती है, इसे सूर्यनाङी कहा गया है। बाँयी नासिका शरीर को शीतलता देती है, इसे चन्द्रनाङी कहा गया है।

चन्द्रभेदी प्राणायाम से चन्द्रनाङी को प्रभावित किया जाता है। इसका अभ्यास गर्मी के मौसम लाभदायी होता है।

विधि :- 

पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें। रीढ व गर्दन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बन्ध करें।

बाँया हाथ बाँये घुटने पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। दाँया हाथ  प्राणायाम-मुद्रा मे नासिका के पास।
(प्राणायाम मुद्रा :-  दाँये हाथ की अंगूठे के साथ वाली दो उँगलियाँ मोङ लें। अँगूठा दाँयी नासिका के पास तथा अनामिका उँगली बाँयी नासिका के पास रहे।)

अंगूठे से दाँयी नासिका को बन्ध करें। बाँयी तरफ से श्वास भरें।

पूरा श्वास भरने के बाद बाँयी नासिका को बन्ध करें। दाँयी तरफ से श्वास खाली करें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। दूसरी आवर्ती के लिये फिर बाँये से श्वास भरें और दाँये से खाली करें।

पाँच से दस आवर्तियाँ या अपनी अवश्यकता अनुसार अभ्यास करने के बाद श्वासों को सामान्य करें।

(और अधिक जानकारी के लिये देखें :- चंद्रभेदी प्राणायाम क्या है? )

सावधानी :-

यह अभ्यास केवल गर्मी के मौसम मे किया जाना चहाए।

निम्न रक्तचाप वाले इस अभ्यास को न करें।

लेख सारांश :-

शीतलता देने वाले प्राणायाम गर्मी के मौसम मे लाभदायी होते हैं। अन्य प्राणायाम के साथ इनका अभ्यास लाभदायी होता है।

Disclaimer :-

सभी व्यक्तियों की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है। अत: प्राणायाम का अभ्यास अपने श्वासों की क्षमता के अनुसार ही करें। बलपूर्वक कोई क्रिया न करें।

Post a Comment