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उत्तम स्वास्थ्य के लिए पाचनतंत्र का सुदृढ होना जरूरी है। शरीर में अधिकतर रोग कमजोर पाचनतंत्र के कारण होते हैं। सुदृढ पाचनतंत्र के लिए आंतों का मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए योग मे कई आसन बताए गए हैं। इस लेख मे आंतों की मजबूती के लिए 3 योगासन बताए जायेंगे। आंतों के लिए ये तीनों लाभदायी आसन हैं।

विषय सुची :-

आंतों के लिए 3 आसन:
• पादोत्तान आसन।
• पवन मुक्तासन।
• मर्कटासन।



आंतों की मजबूती के लिये आसन।

योग मे आंतों की मजबूती के लिये कुछ आसन बताये गये हैं। ये योगासन आंतों को सुदृढ करते हैं और मल को बाहर निकालने मे सहायक होते है। ये आसन कब्ज, गैस व एसिडिटी रोगों मे सहायक होते हैं।

वैसे तो योग मे कई आसन बताये गये हैं, जो आंतों को स्वस्थ रखते है। लेकिन इन मे तीन महत्वपूर्ण आसन हैं।

1. पादोत्तान आसन।
2. पवन मुक्तासन।
3. मर्कटासन।
आइए इन तीनो के विषय मे विस्तार से जान लेते हैं।

1. पादोत्तान आसन।

यह आंतों को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन से आंत सुदृढ होती है। यह कब्ज के लिये लाभदायी आसन है। यह सीधे लेट कर किया जाने वाला आसन है।

इस आसन को तीन चरणों मे करें। पहले चरण मे दांए पैर से, दूसरे चरण मे बांए पैर से तथा तीसरे चरण मे दोनो पैरो से करें।

पादोत्तान आसन की विधि।

इस आसन को करने के लिए सीधे पीठ के बल लेटें। एडी, पंजे व घुटने एक साथ मिला कर रखें। हाथों को पीछे सिर की ओर ले जा कर सीधे करें। लेटे ताड़ासन लें। श्वास भरते हुए हाथो को ऊपर की ओर तथा पैरो को नीचे की ओर खींचे।आसन का पहला चरण करे। 

पहला चरण :-

ताड़ासन से वापिस आएँ। हाथों को वहीं पर रहने दें। श्वास भरते हुए दोनो पैरो को थोड़ा (दो या तीन इंच) ऊपर उठाएं। घुटने सीधे रखें। पंजों को खींच कर रखें। बांया पैर वहीं पर रहने दें। दांया पैर और बांया हाथ ऊपर आसमान की ओर उठाएं। कुछ देर रुकें। क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे धीरे हाथ व पैर नीचे ले आएँ।

दूसरा चरण :-

श्वास भरते हुए एक बार फिर से दोनो पैरों को दो-तीन इंच ऊपर उठाएं। घुटने सीधे रखें। पंजों को खींच कर रखें। दांया पर यही पर रहने दें। बांया पैर तथा दाया हाथ ऊपर आसमान की ओर करे। स्थिति मे कुछ देर रुकें। क्षमता के अनुसार रुकने के बाद हाथ व पैर नीचे ले आएँ।

तीसरा चरण :-

श्वास भरते हुए दोनो पैरो को दो-तीन इंच ऊपर उठा कर रुकें। घुटने सीधे रखें। धीरे-धीरे दोनो पैरों तथा दोनो हाथो को ऊपर आसमान के ओर ले जाएं। कुछ देर स्थिति मे रुकें। क्षमता के अनुसार रुकने के बाद हाथों व पैरों को नीचे ले आये। हाथो को कमर के साथ रखें। पैरो मे दूरी बनाए। शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ देर विश्राम करें। आये हुए तनाव को दूर करें।

पदोतान आसन की सावधानियां

  • आसन करते समय घुटनों को सीधा रखें। पंजों को खींच कर रखें।
  • आसन की स्थिति में अपनी क्षमता के अनुसार रुकें। अपनी क्षमता से अधिक न करें।
  • पैरों को जोर से नीचे न गिराए।
  • हाथों व पैरों को धीरे-धीरे ऊपर ले जाये और धीरे-धीरे नीचे लेकर आएँ।

यह आसन किसको नही करना

यह आसन तनाव वाला आसन है। कुछ व्यक्तियों के लिये यह आसन वर्जित है। यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है। अत: इन व्यक्तियों को यह आसन नही करना चाहिए।

आंत के गम्भीर रोगी।

हृदय रोगी।

हर्निया रोगी।

किसी प्रकार की सर्जरी के बाद।

• गर्भवती महिलाएं।

• महिलाएं माहवारी (पीरियड्स) में।

(इस आसन के बाद पवन मुक्तासन करें।)

2. पवन मुक्तासन।

यह आसन पादोतान आसन का पूरक आसन है। यह पादोतान आसन के लाभ की वृद्धि करता है। यह दूषित वायु को बाहर निकालने मे सहायक आसन है। आंतों को मजबूती देने वाला यह लाभदायी आसन है।

इस आसन को पादोत्तान आसन के बाद किया जाना चाहिए।


पवन मुक्तासन की विधि।

• सीधे पीठ के बल लेटें। दोनों पैरों को एक साथ रखें। दांया घुटना मोड़ें। श्वास भरते हुए दोनों हाथों से दांए घुटने को पेट की ओर दबाये। श्वास छोड़ते हुए माथा या सिर दाएं घुटने के पास ले जाएं। श्वास सामान्य करते हुए कुछ देर स्थिति मे रुकें।

• अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे से वापिस आ जाएं। दांया पैर सीधा करें। धीरे-धीरे दांया पैर नीचे ले आयें। पीठ को भी नीचे टिकाये।

• बांया घुटना मोड़े। श्वास भरते हुए दोनो हाथों से बांए घुटने को पेट की ओर दबायें। श्वास छोड़ते हुए सिर या माथा बांए घुटने के पास ले जायें। श्वास सामान्य करते हुए स्थिति मे रुकें।

• अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे से वापिस आ जायें। बांया पैर सीधा करें। घुटना सीधा रखते हुए बांया पैर नीचे ले आयें। पीठ व सिर को नीचे टिकाये।

• दोनों घुटनो को मोड़ें। श्वास भरते हुए दोनो हाथो से घुटनों को पेट की ओर दबायें। श्वास छोड़ते हुए सिर या माथा घुटनों के पास ले जाये। श्वास सामान्य करके आसन की स्थिति मे रुकें।

• अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद धीरे से वापिस आ जाएं। दोनों पैरों को सीधा करें। घुटनें सीधे रखते हुए दोनो पैरों को नीचे ले आयें। पीठ नीचे टिकाये। हाथो को कमर पास रखें। दोनो पैरो के बीच थोड़ी दूरी बनायें। शरीर को ढीला छोड़ें। तनाव को दूर करने के लिये थोड़ी देर विश्राम करें।

पवन मुक्तासन की सावधानियां

  • आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करें।
  • घुटनो का पेट पर अधिक दबाव न बनायें।
  • माथा घुटनो के पास ले जाते समय अधिक बल प्रयोग न करें। सरलता से जितना कर सकते है, उतना ही करें।
  • वापसी मे घुटनों के सीधा रखते हुए नीचे ले कर आएँ।
  • पैरों को जोर से न गिराए। धीरे से नीचे टिकाये।
  • सरलता से किया गया आसन लाभदायी होता है। बल पूर्वक तथा क्षमता से अधिक किया जाना हानिकारक हो सकता है।

यह आसन किसको नहीं करना

यह आसन कुछ व्यक्तियों के लिये वर्जित है। अत: यह आसन इन व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।

आंत के गम्भीर रोगी।

• हृदय रोगी।

हर्निया पीड़ित।

• ऐसे व्यक्ति जिनकी अभी सर्जरी हुई है।

महिलाएं, गर्भावस्था तथा माहवारी पीरियड्स मे।

मर्कटासन

आंतों की मजबूती के लिये मर्कटासन एक महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन को करने से आंतों मे घुमाव (ट्विस्ट) आता है। इस कारण आंतों मे जमा हुआ मल अपना स्थान छोड़ता है। यह कब्ज मे लाभदायी आसन है।

यह भी लेट कर किया जाने वाला आसन है।

आसन की विधि

• सीधे पीठ के बल लेटें। दोनो पैरों को सीधा रखें। ऐड़ी, पंजे व घुटने एक साथ मिला कर रखें। दोनों पैर मोड़ कर एड़ियां नितम्ब पास रखें। घुटने ऊपर की ओर रखें।

• दोनों हाथों को दांएं-बांएं फैलाये। दोनो हाथों को सीधा रखें। हाथों को खींच कर रखें। श्वास भरें। भरे हुए श्वास में दोनो घुटने दांई तरफ और गरदन को बांई ओर घुमायें। कुछ देर रुकने का प्रयास करें।

• अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद श्वास छोड़ते हुए वापिस आयें। घुटने व गरदन को पहले वाली स्थिति मे ले आये।

• फिर श्वास भरें। भरे हुए  श्वास मे घुटने बांई ओर तथा गरदन दांई ओर घुमायें। हाथों को खींच कर रखें। स्थिति मे कुछ देर रुकें।

• अपनी क्षमता के अनुसार कुछ देर रुकने के बाद वापिस आ जाये। घुटने व गरदन को पूर्व स्थान पर ले आयें। यह एक आवर्ती पूरी हुई। इसी प्रकार अपनी क्षमता के अनुसार अन्य आवर्तियां करें।

• आसन के अंत मे घुटने सीधे करते हुए  दोनों पैरों को ऊपर उठायें। घुटने सीधे रखते हुए धीरे-धीरे पैरो को नीचे ले आयें। पैरो के बीच सुविधाजनक दूरी बनायें। शरीर को ढीला छोड़ें। आये हुए तनाव को दूर करने के लिये कुछ देर विश्राम करें।

 मर्कटासन की सावधानियां

  • इस आसन मे घुटने व गरदन को विपरीत दिशा में घुमायें।
  • घुटनों को नीचे टिकाने का प्रयास करें।
  • गरदन को घुटनों की विपरीत दिशा मे रखें।
  • पूरे आसन के समय हाथों को खींच कर रखें।
  • आसन के अंत मे पैरों को धीरे-धीरे नीचे ले कर आयें।
  • पैरों को धीरे से नीचे रखें।

यह आसन किसको नही करना चाहिए?

• गम्भीर आंत रोगी, हृदय रोगी तथा हर्निया पीड़ित व्यक्ति।

• ऐसे व्यक्ति जिनकी अभी कोई सर्जरी हुई है।

• गर्भवती महिलाएं।

• महिलाएं माहवारी पीरियड्स में।

लेख सारांश :- 

स्वास्थ्य के लिये आंतों का सुदृढ होना जरूरी है। आंतों की मजबूती के लिये 3 योगासन महत्वपूर्ण हैं। पादोत्तान आसन, पवन मुक्तासन तथा मर्कटासन आंतो के लिये प्रभावी आसन हैं।

Disclaimer :- 

यह लेख योग गुरुओं तथा योग साहित्य के आधार पर लिखा गया है। प्रस्तुत लेख का उद्देश्य केवल योग की जानकारी देना है। यह लेख किसी प्रकार के रोग का उपचार करने का दावा नही करता है। लेख में बताये गये आसन केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए हैं। अस्वस्थ व्यक्ति चिकित्सक से सलाह लें।

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