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योग प्राचीन भारत की जीवनशैली है। आरम्भ मे यह केवल भारत तक सीमित था। लेकिन आज इसे पूरा विश्व अपना रहा है। योग सरल व सुरक्षित है। इसका अभ्यास सभी व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। योग कैसे करें? योग के क्या लाभ हैं? यह जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि योग क्या है? 



लेख में जानकारियाँ :-

  • योग कैसे करें?
  • योग क्या है?
  • अष्टाँगयोग क्या है?
  • योग के लाभ।

योग क्या है और कैसे करें?

मूलत: योग एक आध्यात्मिक क्रिया है। प्राचीन समय मे इसे ध्यान साधना के लिये किया जाता था। लेकिन आज के समय मे यह शरीर को स्वस्थ रखने की एक उत्तम विधि मानी जाती है। आज पूरा विश्व इसे स्वास्थ्य के लिये अपना रहा है। योग बहुत सरल, सुरक्षित और सुलभ है। इसको सभी स्वस्थ स्त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध कर सकते है। 

नियमित योग शरीर को निरोग रखने मे सहायक होता है। योगाभ्यास की सही विधि जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि योग क्या है?

योग क्या है?

योग भारत की एक प्राचीन जीवन शैली है। योग का अर्थ है 'जोङना'। स्वयं को स्वयं से जोङना योग है। आत्मा को 'परम-आत्मा' से जोङना योग है। योग बताता है कि शरीर क्या है? प्राण क्या हैं? योग मे यह भी बताया जाता है कि शरीर व प्राण को स्वस्थ कैसे रखें? 

यह भारतिय ऋषियों द्वारा विश्व को दी गई  एक अमुल्य देन है। प्राचीन काल मे योग केवल ऋषि मुनियों के आश्रमों तक सीमित था। धार्मिक ग्रंथो मे इसका विस्तार से वर्णन है। इसको एकत्रित करने और आम लोगों तक पहुँचाने का श्रेय महर्षि पतञ्जली दिया जाता है।

उन्होने 'योग सूत्र' की रचना की जिसमें योग को परिभाषित किया है। तथा अष्टाँगयोग के बारे मे बताया है।

पतंजलि के अनुसार योग

महर्षि पतंजलि अपने योगसूत्र के आरम्भ मे लिखते हैं:-

 "अथ योग अनुशासनम्" अर्थात् - "आईए अब हम योग अनुशासन आरम्भ करते हैं।"  

इसका अर्थ है कि योग में सब से पहले "अनुशासन" जरूरी है। यदि जीवन अनुशासित है, तो योग है।

आगे वे योग की परिभाषा देते हैं :--"योगश्चितवृतिनिरोध:" 
अर्थात् चित्त की वृतियों पर रोक लगाना ही योग है। चित्त की वृत्तियों का निरोध करके मन को एकाग्र करना ही योग है। इसका मार्ग अष्टाँगयोग बताया है।

अष्टाँग योग सम्पूर्ण योग

महर्षि पतंजलि ने योग का मार्ग "अष्टाँग योग" बताया है। योगसूत्र मे इसको विस्तार से परिभाषित किया है। इसके आठ अंग बताये गये हैं। ये आठ अंग इस प्रकार हैं--

  1. यम 
  2. नियम 
  3. आसन 
  4. प्राणायाम
  5. प्रत्याहार
  6. धारणा
  7. ध्यान
  8. समाधी

महर्षि पतंजलि के अनुसार अष्टाँगयोग सम्पूर्ण योग है। लेकिन आज के समय मे स्वास्थ्य के लिये केवल आसन व प्राणायाम का ही अभ्यास किया जाता है।

योग से लाभ

योग शरीर की फिटनैस के लिए सरल और सुलभ क्रिया है। योग पूर्ण रूप से विज्ञान-सम्मत है। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। इसके अनेकों लाभ है।

  • शारीरिक फिटनेस।
  • मानसिक शांति।
  • रोग प्रति रोधक क्षमता (IMMUNITY) मे वृद्धि।
  • शरीर के आन्तरिक अंगो (हृदय, लंग्स, किडनी लीवर) को स्वस्थ रखना।
  • रक्तचाप का सन्तुलन।
  • श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है।
  • शरीर के लिये ऊर्जादायी है।

योग के नियम।

वस्त्र :- योग करते समय ढीले वस्त्र पहनने चहाएँ। ऐसे वस्त्र पहने जिस से बैठने मे सुविधा हो।

समय:- योग के लिए सही समय सुबह सुर्योदय से पहले का है। लेकिन इसे साँय काल मे भी किया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों मे दिन मे भी किया जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रहे कि योग हमेशा खाली पेट हो तभी करे।

स्थान :- योग के लिए खुला स्थान सही रहता है। पार्क जैसे प्राकृतिक स्थान पर योग करना सर्वोत्तम है। घर पर करते है तो स्थान खुला और हवादार होना चहाए।

ऋतु :- योग सभी मौसम में किया जा सकता है। वर्षा ऋतु मे योग छत के नीचे करें। इस ऋतु मे खुले मे योग बिलकुल ना करें।

भोजन :- योगाभ्यास करने वाले को भोजन पर विशेष ध्यान देना चहाए।भोजन हल्का, पौष्टिक और सात्विक होना चहाए। शाकाहार उत्तम है।

आसन क्या है? 

"स्थिरसुखम् आसनम्" जिस पोज में सरलता से और सुखपूर्वक बैठ सकते है वही आसन है। आरम्भ में नये व्यक्तियों को कठिन आसन नही करने चहाएँ। सरल आसन करें। सरल आसन लाभदायी होते हैं। कठिन आसन हानिकारक हो सकतेहैं।

यदि कोई कठिन आसन करते है, तो उसकी पूर्ण स्थिति में बलपूर्वक जाने का प्रयास न करें। आसन करते समय जहाँ परेशानी लगे तो उस से आगे ना जाँए और धीरे से वापिस आ जायें।

ध्यान रहे प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता अलग-अलग होती है। अत: अपनी क्षमता के अनुसार आसन करें। एक आसन करने के बाद कुछ देर विश्राम करें फिर अगले आसन मे जाएँ। विश्राम किये बिना लगातार अभ्यास न करें।

आसन कैसे करें?

  • दरी,चटाई या कपङे का आसन जमीन पर बिछाएँ।
  • बिछे हुए आसन पर खङे हो जाएँ।
  • खङे हो कर कुछ देर शरीर को वार्म-अप करें
  • आसनों में सब से पहले सूर्यनमस्कार आसन करे। सूर्यनमस्कार के बाद पीठ के बल लेट कर कुछ देर विश्राम करें।
  • उठ कर बैठ जाएँ। बैठ कर किये जाने वाले दो या तीन आसन करें।

बैठ कर किये जाने वाले आसन।

पेट के बल लेट कर किये जाने वाले आसन

  • भुजंग आसन
  • शलभ आसन

पीठ के बल लेट कर आसन करें।

कुछ देर के विश्राम के बाद पीठ के बल आ जाएँ और दो-तीन आसन इसी स्थिति में करें। पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले कुछ आसन इस प्रकार हैं :--

सभी आसनों के बाद शव आसन अवश्य करें। यह विश्राम करने की स्थिति है।

सावधानी :-

  • आसन करते समय अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें।
  • वृद्ध व्यक्ति कठिन आसन ना करें। केवल सूक्ष्म व्यायाम करें या सरल आसन करें।
  • गर्भवति महिलाएँ आसन ना करें। खङे होकर सूक्ष्म व्यायाम करें। पैदल वाक करना उचित है।
  • शरीर के किसी भाग का ऑपरेशन हुआ है तो आसन कुछ समय बाद चिकित्सक की सलाह से करें।

प्राणायाम क्या है?

प्राणायाम का अर्थ है - प्राण को आयाम देना। इस क्रिया मे श्वासो को लेने, छोङने और रोकने का सही तरीका बताया जाता है। प्राणायाम मे श्वाँस की तीन स्थितियाँ बताई गई हैं :--

1. पूरक :-- श्वास का अन्दर लेना।

2. कुम्भक :-- श्वाँस का रोकना (अन्दर और बाहर)।

3. रेचक :-- श्वाँस का बाहर छोङना।

प्राणायाम कैसे करें?

  • पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें।
  • आँखें कोमलता से बन्द रखें।
  • दोनों हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
  • लम्बी और गहरी साँस लें और छोङे।

मुख्य प्राणायाम।

प्राणायाम के लाभ :-- प्राणायाम से फेफङे व श्वसन प्रणाली सुदृढ होती है। प्राण शक्ति को मजबूती मिलती है। आक्सीजन पर्याप्त मात्रा मे मिलने से हृदय को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

सावधानियाँ।

  • नये व्यक्ति आरम्भ में कुम्भक कम लगाएँ। कुम्भक का अभ्यास धीरे धीरे बढाएँ। (श्वास को अपनी क्षमता अनुसार रोकने की स्थिति को कुम्भक कहा जाता है।)
  • अस्थमा पीडित व्यक्ति सरल प्राणायाम करे। कुम्भक का प्रयोग ना करें। केवल लम्बे श्वाँस ले और छोङे।
  • हृदय रोगी व उच्च रक्त चाप (High BP) वाले व्यक्ति धीमी गति से प्राणायाम करे।
  • प्राणायाम के साथ जो निर्देष दिये जाते है उनका पालन करें।

लेख सार :-

योग सरल, सुरक्षित व लाभदायी है। इसे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार कर सकता है।

Disclaimer :-

क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

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